डायबिटीज इन अंगों को करता है प्रभावित, जानें बचाव करने के तरीके

कल्याण आयुर्वेद- डायबिटीज आज आम बीमारी बनती जा रही है, जिससे ज्यादातर लोग प्रभावित हो रहे हैं. डायबिटीज मधुमेह, ब्लड शुगर के नाम से भी जाना जाता है.
डायबिटीज इन अंगों को करता है प्रभावित, जानें बचाव करने के तरीके
डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो किसी को एक बार हो जाए तो पूरी जिंदगी उसका साथ नहीं छोड़ता है. इसलिए खानपान के साथ लाइफस्टाइल में भी बदलाव करना पड़ता है. अगर समय पर इसकी जांच ना की जाए तो इससे त्वचा, आंखें व शरीर के अन्य अंगों को यह प्रभावित करता है.
डायबिटीज शरीर पर किस तरह डालता है प्रभाव?
दरअसल डायबिटीज एक तरह से चयापचय यानी मेटाबॉलिक में गड़बड़ी की अवस्था है. खून में हाई ब्लड शुगर लेवल के साथ ही इंसुलिन की मौजूदगी से दूसरी चीजों पर असर पड़ता है जो आखिरकार शरीर को अलग-अलग तरीकों से नुकसान पहुंचाते हैं. ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करके इन नुकसानों से बचा जा सकता है या इन्हें ज्यादा से ज्यादा समय तक दूर रखा जा सकता है.
तो चलिए जानते हैं डायबिटीज शरीर के किन-किन अंगों को करता है प्रभावित-
आंखें-
डायबिटीज इन अंगों को करता है प्रभावित, जानें बचाव करने के तरीके
हाइपोग्लाइसीमिया होने पर शुरुआत में नजरें धुंधली हो सकती है और अगर इस पर ध्यान नहीं दिया जाए तो आगे चलकर कैटरेक्ट यानी मोतियाबिंद होने के आसार अधिक हो जाते हैं. आंख को प्रभावित करने वाली इस गंभीर स्थिति को डायबीटिक रेटिनोपैथी कहते हैं. इसमें आंखों के रेटीना खराब होने लगते हैं और कुछ गंभीर मामलों में आंखों की पूरी रोशनी भी खत्म हो सकती है. टाइप-2 डायबिटीज से प्रभावित 30 से 40% लोगों में डायबीटक रेटिनोपैथी की शिकायत होती है.
इलाज और बचाव-
यदि आप डायबिटीज के मरीज हैं तो आपको नियमित तौर पर अपनी आंखों की जांच करवाते रहना चाहिए. इससे ज्यादातर समस्याओं का पता एकदम शुरुआत में ही चल जाता है. इसका इलाज फोटोकोएगुलेशन या सर्जरी से किया जाता है. आंखों से जुड़ी तकलीफ से बचने के लिए शुगर लेवल को नियंत्रित और ब्लड प्रेशर का सही प्रबंधन जरूरी है.
त्वचा-
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डायबिटीज में त्वचा इन्फेक्शन होना काफी आम हो जाता है जिसे सबसे ज्यादा अनदेखा किया जाता है. डायबिटीज से प्रभावित 30% लोगों में त्वचा संक्रमण यानी बैक्टीरियल इंफेक्शन होता है. जिसमें शुष्क त्वचा, त्वचा में उभार और काले चकते पड़ना शामिल है.
इलाज और बचाव-
अपनी त्वचा पर ध्यान दें और किसी भी तरह के बदलाव होने पर इसे नजरअंदाज ना करें, बल्कि तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. लंबे समय से डायबिटीज होने की वजह से आपके हाथों- पैरों की संवेदनशीलता कम होने लगती है. इसलिए इसे अनदेखा ना करें और जांच जरूर करवाएं. ब्लड शुगर लेबल पर ध्यान दें और साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखें. इससे त्वचा संबंधी समस्याओं से लंबे समय तक बचा जा सकता है.
Kidney-
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डायबिटीज के मरीजों को किडनी से जुड़ी बीमारियां होना आम हो जाता है. खासतौर पर किडनी के फेल होने के मामलों में. टाइप-2 डायबिटीज से प्रभावित 7% लोगों में डायबिटीज की पहचान होने से पहले ही किडनी की बीमारी के शुरुआत का पता चल जाता है. हाई कोलेस्ट्रोल हाई ट्राइग्लिसराइड्स और एचडीएल को इनके पीछे खास तौर पर जिम्मेदार पाया गया है.
इलाज और बचाव-
नियमित जांच ( जैसे कि प्रोटीन के लिए पेशाब की जांच ) से शुरुआत में ही इसकी पहचान करने में मदद मिलती है. अच्छे खान-पान और एक्सरसाइज से कोलेस्ट्रोल के लेवल को सही किया जा सकता है. अगर आप स्मोकिंग से बचते हैं तो किडनी में खून के फ्लो को सही बनाए रखने में मदद मिलती है.
ह्रदय और खून की नसें-
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हाइपोग्लाइसीमिया के साथ ही मधुमेह ग्रस्त लोगों में हाई कोलेस्ट्रॉल और हाई ब्लड प्रेशर होने की संभावना अधिक होती है. ऐसे में खून की नसें सख्त हो सकती है जिससे हार्ट अटैक या दिल से जुड़ी दूसरी समस्याएं हो सकता है. जिन्हें डायबिटीज नहीं है उनके मुकाबले डायबिटीज वाले लोगों में स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है. पैरों और नर्वस में खून का फ्लो कम होने से नर्वस सिस्टम पर प्रभाव पड़ता है.
इलाज और बचाव-
आप कई तरीकों से हृदय से जुड़ी परेशानियों से स्ट्रोक के खतरे को कम कर सकते हैं जैसे अच्छी तरह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रखना, धूम्रपान से बचकर रहना, शराब पीने में ज्यादा से ज्यादा कमी लाकर, सेहतमंद खानपान से, एक्सरसाइज और ब्लड प्रेशर लेवल को अच्छी तरह मैनेज करके.
नोट- यह पोस्ट शैक्षणक उद्देश्य से लिखा गया है. यदि आप डायबिटीज के मरीज हैं तो अपने डॉक्टर की सलाह लें.
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