कल्याण आयुर्वेद- अपने नवजात बच्चे के लिए स्तनपान कराने का चयन आपका एक व्यक्तिगत निर्णय है. वास्तव में यह पहला महत्वपूर्ण निर्णय है जो कि एक नई मां को लेने की आवश्यकता होती है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि स्तनपान सिर्फ आपके बच्चे के लिए ही नहीं बल्कि आपके लिए भी कई लाभ प्रदान करता है. मगर सबसे अच्छी बात यह है कि मां का दूध शिशु को वह प्रदान करता है जिसकी जरूरत उसे जिंदगी के पहले 6 महीने में बढ़ने के लिए होती है.
विश्व स्वास्थ्य सगठन के साथ- साथ अमेरिकी बालरोग अकादमी सलाह देते हैं कि मां का दूध बच्चे के लिए सबसे उत्तम पौष्टिक आहार होता है. एएफ़पी के अनुसार मां का दूध विटामिन और पोषक तत्वों से भरपूर होता है जो जन्म के पहले 6 महीने में शिशु के लिए बहुत आवश्यक होता है. जिसका व्यापक और लंबे समय तक आपके बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के विकास पर प्रभाव पड़ता है.
शिशु को स्तनपान कराने के फायदे-
* मां के दूध में कुछ ऐसे अम्ल मौजूद होते हैं जो बच्चे के दिमाग का विकास पूर्ण रूप से करते हैं, जिन्हें वसीय अम्ल कहा जाता है जो नवजात शिशु की बुद्धि के विकास के लिए बहुत आवश्यक होते हैं. शिशु के जन्म के शुरुआती कुछ माह तक केवल स्तनपान कराने से शिशु का संज्ञानात्मक विकास बेहतर होता है. जिसका मतलब है कि स्तनपान आपक शिशु को अधिक बुद्धिमान बनाता है. मां का दूध बच्चों के दिमाग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
* 1 महीने से 1 साल की उम्र में शिशु में SIDS ( अचानक शिशु मृत्यु ) संरक्षण का खतरा रहता है. कम से कम 6 महीने के लिए अपने बच्चे की अच्छे से देखभाल करना अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम को रोकने में मदद कर सकता है क्योंकि मां का दूध शिशु को इस खतरे से बचाव करता है. बाल रोग के जनरल में प्रकाशित 2009 की एक अध्ययन की रिपोर्ट है कि स्तनपान करने से 50% तक SIDS का जोखिम कम हो जाता है क्योंकि स्तनपान अधिक आसानी से शिशुओं को नींद से जगा देता है जो बदले में SIDS के खिलाफ शिशु की रक्षा करता है. इसके अलावा मां का दूध बच्चों के प्रतिरक्षा प्रणाली के निर्माण में मददगार होता है.
* स्तनपान कराने से बच्चों को ही नहीं बल्कि माताओं को भी बहुत सारी बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती है. स्तनपान बच्चों में कैंसर के खतरे के साथ-साथ माताओं ने भी कैंसर के खतरे को कम करता है. बाल चिकित्सा और बाल स्वास्थ्य के जनरल 2008 में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया है कि स्तनपान पीडियाट्रिक कैंसर के साथ जुड़ा हुआ है. इसलिए पूर्ण रूप से स्तनपान करने से इससे बचाव किया जा सकता है.
* मानव स्तनपान के जनरल 2012 में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया है कि मानव दूध में लिंफोब्लास्टिक ल्यूकेमिया जैसे रोग के खिलाफ बेहतर सुरक्षा प्रदान करने के लिए TRAIL नामक प्रोटीन पाया जाता है.
* एकटा पेडियाट्रिका 2015 में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया है कि माताओं के लिए अधिक से अधिक 12 महीने के लिए स्तनपान कराना स्तन या गर्भाशय के विकास के साथ जुड़े जोखिम को कम करता है. इससे महिलाओं में स्तन कैंसर और गर्भाशय के कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है.
* स्तनपान कराना भी आपके बच्चे की चश्मा पहनने की समस्या को कम कर देता है. लंदन में साल 2007 के अध्ययन बाल स्वास्थ्य संगठन के शोधकर्ताओं के अनुसार जिन बच्चों ने शिशुओं के रूप में स्तनपान किया था उनमें बेहतर दृष्टि पाई गई है.
शोधकर्ताओं ने 4 और 6 की उम्र के बीच 262 बच्चों पर अध्ययन किया जिनमें 78 को स्तनपान कराया गया था और 184 को फार्मूला दूध दिया गया था. जिसमें स्तनपान करने वाले बच्चों की दृष्टि अधिक तेज पाई गई.
* मां के दूध में फैटी एसिड और DHA होता है जो बच्चों में एकाग्रता और बेहतर दृष्टि के पीछे का कारण है. DHA आंख की रेटिना के मुख्य संरचनात्मक घटकों में से एक है. इसके अलावा मां का दूध नेत्र संक्रमण का मुकाबला करने के लिए भी अच्छा है. इसके प्राकृतिक एंटीबायोटिक गुण संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं.
* स्तनपान करने वाले बच्चों को दस्त और पेट की खराबी से ग्रस्त होने की संभावना बहुत कम होती है. बच्चों में एक स्वस्थ पाचन तंत्र विकसित करने के लिए मां का दूध पोषक तत्वों के सही संतुलन में मदद करता है. विशेष रूप से वसा और एंटीबॉडी युक्त कोलोस्ट्रम बच्चों की जरूरतों के लिए अनुकूल रूप से विकास में मदद करता है.
* मां का दूध के संघटक आदर्श रूप से आपके शिशु की आंखों के लिए अनुकूल है. इसलिए आसानी से पच जाता है.
* अंतरराष्ट्रीय स्तनपान जर्नल 2014 में प्रकाशित एक अध्ययन रिपोर्ट बताती है कि स्तनपान शिशु की दस्त और तीव्र श्वसन संक्रमण के खिलाफ रक्षा करता है.
* स्तनपान प्रसवोतर के बाद वजन को कम रखने में मददगार होता है. जैसे ही मां बच्चों को स्तनपान करवाने लगती है. जिससे उनके शरीर में खींचाव उत्पन्न होता है जिसके कारण उनका वजन कम होने लगता है.
* एक बच्चे को स्तनपान कराते समय एक मां को दैनिक रूप से अतिरिक्त 400 से 500 कैलोरी की आवश्यकता होती है. लेकिन स्तनपान के समय एक ही समय में 500 कैलोरी 1 दिन में खर्च हो जाती है.
* क्लीनिकल न्यूट्रीशन के अमेरिकन जनरल 2008 में प्रकाशित एक अध्ययन से निष्कर्ष निकाला है कि जिन महिलाओं का गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में वजन बढ़ जाता है. वह प्रसव के 6 महीने बाद तक स्तनपान कराने से अतिरिक्त वजन को कम कर सकती हैं.
* स्तनपान जबड़े की हड्डी और ऊपरी वायु मार्ग की मांस पेशियों के विकास में मदद करता है जो बच्चों ने मौखिक गुहा के बेहतर तालमेल के लिए महत्वपूर्ण है. 4 से 5 महीने के लिए स्तनपान बच्चे में दांत क्षय का खतरा को भी कम कर देता है.
* स्तनपान मां और बच्चे दोनों में मधुमेह के खतरे को कम करता है. मधुमेह गंभीर जटिलताओं को जन्म दे सकता है. जैसे- हृदय रोग, तंत्रिका क्षति, गुर्दे की क्षति, आंख की क्षति, पैर की क्षति और त्वचा की समस्याओं के रूप में, जिन बच्चों को बचपन में पर्याप्त रूप से मां का दूध पीने को नहीं मिलता है उन्हें बचपन से शुरू होने वाले मधुमेह की बीमारी का खतरा अधिक होती है.
* मधुमेह आवाज 2007 में प्रकाशित एक अध्ययन का सुझाव है कि शिशु और मां दोनों के लिए स्तनपान मधुमेह के दोनों टाइप वन और टाइप टू पर काफी प्रभाव डालता है. जिन माताओं को मधुमेह नहीं है, स्तनपान कराने से उनके जीवन में मधुमेह का खतरा भी कम हो जाता है. जबकि मधुमेह के साथ माताओं को इंसुलिन के लिए उनकी आवश्यकता को कम और नियंत्रण में सुधार कर सकते हैं.
* मां के दूध में प्रोटीन, वसा, विटामिन और कार्बोहाइड्रेट का सही संयोजन होता है जो आपके बच्चों के विकास में मददगार होता है. मां के दूध में मौजूद प्रोटीन आसानी से पच जाता है और इसमें संक्रमण सुरक्षा के गुण होते हैं. मां का दूध शिशु की प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने में सहायक होता है. मां का दूध प्राकृतिक रूप से शिशु वृद्धि के लिए जरूरी सभी घटकों से परिपूर्ण होता है. इसलिए यह आपके शिशु के लिए जरूरी है.
* मां के दूध में कैल्शियम और लोहा मौजूद होता है जो शिशु के द्वारा आसानी से अवशोषित कर लिए जाते हैं जो स्वस्थ हड्डियों के विकास के लिए आवश्यक होते हैं. इसके अलावा मां के दूध में स्वस्थ वसा शामिल है जो कि मस्तिष्क, रेटिना और तंत्रिका तंत्र के विकास के लिए आवश्यक है. लेक्टोज, कार्बोहाइड्रेट भी मां के दूध में मौजूद होता है जो शिशु में कैल्शियम, मैग्नीशियम और अन्य खनिजों के अवशोषण से आंतों में सुधार लाता है.
* स्तनपान गर्भनिरोधक के रूप में भी काम करता है क्योंकि स्तनपान के दौरान गर्भधारण की संभावना बहुत कम हो जाती है. हालांकि निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता है लेकिन ज्यादातर महिलाओं में स्तनपान के दौरान गर्भधारण नहीं होता है.
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स्रोत- MYUPCHAR.
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मां और बच्चे दोनों के लिए संजीवनी है स्तनपान, जानें आश्चर्यजनक फायदे |
शिशु को स्तनपान कराने के फायदे-
* मां के दूध में कुछ ऐसे अम्ल मौजूद होते हैं जो बच्चे के दिमाग का विकास पूर्ण रूप से करते हैं, जिन्हें वसीय अम्ल कहा जाता है जो नवजात शिशु की बुद्धि के विकास के लिए बहुत आवश्यक होते हैं. शिशु के जन्म के शुरुआती कुछ माह तक केवल स्तनपान कराने से शिशु का संज्ञानात्मक विकास बेहतर होता है. जिसका मतलब है कि स्तनपान आपक शिशु को अधिक बुद्धिमान बनाता है. मां का दूध बच्चों के दिमाग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
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* स्तनपान कराने से बच्चों को ही नहीं बल्कि माताओं को भी बहुत सारी बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती है. स्तनपान बच्चों में कैंसर के खतरे के साथ-साथ माताओं ने भी कैंसर के खतरे को कम करता है. बाल चिकित्सा और बाल स्वास्थ्य के जनरल 2008 में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया है कि स्तनपान पीडियाट्रिक कैंसर के साथ जुड़ा हुआ है. इसलिए पूर्ण रूप से स्तनपान करने से इससे बचाव किया जा सकता है.
* मानव स्तनपान के जनरल 2012 में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया है कि मानव दूध में लिंफोब्लास्टिक ल्यूकेमिया जैसे रोग के खिलाफ बेहतर सुरक्षा प्रदान करने के लिए TRAIL नामक प्रोटीन पाया जाता है.
* एकटा पेडियाट्रिका 2015 में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया है कि माताओं के लिए अधिक से अधिक 12 महीने के लिए स्तनपान कराना स्तन या गर्भाशय के विकास के साथ जुड़े जोखिम को कम करता है. इससे महिलाओं में स्तन कैंसर और गर्भाशय के कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है.
* स्तनपान कराना भी आपके बच्चे की चश्मा पहनने की समस्या को कम कर देता है. लंदन में साल 2007 के अध्ययन बाल स्वास्थ्य संगठन के शोधकर्ताओं के अनुसार जिन बच्चों ने शिशुओं के रूप में स्तनपान किया था उनमें बेहतर दृष्टि पाई गई है.
शोधकर्ताओं ने 4 और 6 की उम्र के बीच 262 बच्चों पर अध्ययन किया जिनमें 78 को स्तनपान कराया गया था और 184 को फार्मूला दूध दिया गया था. जिसमें स्तनपान करने वाले बच्चों की दृष्टि अधिक तेज पाई गई.
* मां के दूध में फैटी एसिड और DHA होता है जो बच्चों में एकाग्रता और बेहतर दृष्टि के पीछे का कारण है. DHA आंख की रेटिना के मुख्य संरचनात्मक घटकों में से एक है. इसके अलावा मां का दूध नेत्र संक्रमण का मुकाबला करने के लिए भी अच्छा है. इसके प्राकृतिक एंटीबायोटिक गुण संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं.
* स्तनपान करने वाले बच्चों को दस्त और पेट की खराबी से ग्रस्त होने की संभावना बहुत कम होती है. बच्चों में एक स्वस्थ पाचन तंत्र विकसित करने के लिए मां का दूध पोषक तत्वों के सही संतुलन में मदद करता है. विशेष रूप से वसा और एंटीबॉडी युक्त कोलोस्ट्रम बच्चों की जरूरतों के लिए अनुकूल रूप से विकास में मदद करता है.
* मां का दूध के संघटक आदर्श रूप से आपके शिशु की आंखों के लिए अनुकूल है. इसलिए आसानी से पच जाता है.
* अंतरराष्ट्रीय स्तनपान जर्नल 2014 में प्रकाशित एक अध्ययन रिपोर्ट बताती है कि स्तनपान शिशु की दस्त और तीव्र श्वसन संक्रमण के खिलाफ रक्षा करता है.
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मां और बच्चे दोनों के लिए संजीवनी है स्तनपान, जानें आश्चर्यजनक फायदे |
* एक बच्चे को स्तनपान कराते समय एक मां को दैनिक रूप से अतिरिक्त 400 से 500 कैलोरी की आवश्यकता होती है. लेकिन स्तनपान के समय एक ही समय में 500 कैलोरी 1 दिन में खर्च हो जाती है.
* क्लीनिकल न्यूट्रीशन के अमेरिकन जनरल 2008 में प्रकाशित एक अध्ययन से निष्कर्ष निकाला है कि जिन महिलाओं का गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में वजन बढ़ जाता है. वह प्रसव के 6 महीने बाद तक स्तनपान कराने से अतिरिक्त वजन को कम कर सकती हैं.
* स्तनपान जबड़े की हड्डी और ऊपरी वायु मार्ग की मांस पेशियों के विकास में मदद करता है जो बच्चों ने मौखिक गुहा के बेहतर तालमेल के लिए महत्वपूर्ण है. 4 से 5 महीने के लिए स्तनपान बच्चे में दांत क्षय का खतरा को भी कम कर देता है.
* स्तनपान मां और बच्चे दोनों में मधुमेह के खतरे को कम करता है. मधुमेह गंभीर जटिलताओं को जन्म दे सकता है. जैसे- हृदय रोग, तंत्रिका क्षति, गुर्दे की क्षति, आंख की क्षति, पैर की क्षति और त्वचा की समस्याओं के रूप में, जिन बच्चों को बचपन में पर्याप्त रूप से मां का दूध पीने को नहीं मिलता है उन्हें बचपन से शुरू होने वाले मधुमेह की बीमारी का खतरा अधिक होती है.
* मधुमेह आवाज 2007 में प्रकाशित एक अध्ययन का सुझाव है कि शिशु और मां दोनों के लिए स्तनपान मधुमेह के दोनों टाइप वन और टाइप टू पर काफी प्रभाव डालता है. जिन माताओं को मधुमेह नहीं है, स्तनपान कराने से उनके जीवन में मधुमेह का खतरा भी कम हो जाता है. जबकि मधुमेह के साथ माताओं को इंसुलिन के लिए उनकी आवश्यकता को कम और नियंत्रण में सुधार कर सकते हैं.
* मां के दूध में प्रोटीन, वसा, विटामिन और कार्बोहाइड्रेट का सही संयोजन होता है जो आपके बच्चों के विकास में मददगार होता है. मां के दूध में मौजूद प्रोटीन आसानी से पच जाता है और इसमें संक्रमण सुरक्षा के गुण होते हैं. मां का दूध शिशु की प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने में सहायक होता है. मां का दूध प्राकृतिक रूप से शिशु वृद्धि के लिए जरूरी सभी घटकों से परिपूर्ण होता है. इसलिए यह आपके शिशु के लिए जरूरी है.
* मां के दूध में कैल्शियम और लोहा मौजूद होता है जो शिशु के द्वारा आसानी से अवशोषित कर लिए जाते हैं जो स्वस्थ हड्डियों के विकास के लिए आवश्यक होते हैं. इसके अलावा मां के दूध में स्वस्थ वसा शामिल है जो कि मस्तिष्क, रेटिना और तंत्रिका तंत्र के विकास के लिए आवश्यक है. लेक्टोज, कार्बोहाइड्रेट भी मां के दूध में मौजूद होता है जो शिशु में कैल्शियम, मैग्नीशियम और अन्य खनिजों के अवशोषण से आंतों में सुधार लाता है.
* स्तनपान गर्भनिरोधक के रूप में भी काम करता है क्योंकि स्तनपान के दौरान गर्भधारण की संभावना बहुत कम हो जाती है. हालांकि निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता है लेकिन ज्यादातर महिलाओं में स्तनपान के दौरान गर्भधारण नहीं होता है.
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स्रोत- MYUPCHAR.
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