कल्याण आयुर्वेद- कोलेस्ट्रॉल मोम जैसा एक पदार्थ होता है जो यकृत से उत्पन्न होता है. यह सभी पशुओं और मनुष्यों के कोशिका झिल्ली समेत शरीर के हर भाग में पाया जाता है. कोलेस्ट्रॉल कोशिका झिल्ली का एक महत्वपूर्ण भाग है. जहां उचित मात्रा में पारगम्यता और तरलता स्थापित करने की इसकी जरूरत होती है.
कोलेस्ट्रॉल शरीर में विटामिन डी, हार्मोन्स और पित्त का निर्माण करता है जो शरीर के अंदर पाए जाने वाले वसा को पचाने में मदद करता है. शरीर में कोलेस्ट्रॉल भोजन में मांसाहारी आहार के माध्यम से भी पहुंचता है यानी अंडे, मांस, मछली और डेयरी उत्पाद इसके मुख्य स्रोत हैं.
कोलेस्ट्रॉल के प्रकार-
कोलेस्ट्रॉल खून में घुलनशील नहीं होता है. उसका कोशिकाओं तक एवं उनसे वापस परिवहन लिपॉप्रोटींस नामक वाहकों द्वारा किया जाता है. निम्न घनत्व लिपॉप्रोटीन या एलडीएल बुरे कोलेस्ट्रॉल के नाम से जाना जाता है. कुछ घनत्व लिपॉप्रोटीन या एचडीएल अच्छे कोलेस्ट्रॉल के नाम से जाना जाता है. ट्राइग्लिसराइड्स एवं एलपी (ए) कोलेस्ट्रॉल के साथ यह दो प्रकार के लिपिक कुल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनाते हैं. जिससे रक्त परीक्षण के द्वारा ज्ञात किया जा सकता है.
कोलेस्ट्रॉल मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं.
1 .एलडीएल ( कोलेस्ट्रॉल )-
न्यून घनत्व लिपॉप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल को सबसे ज्यादा नुकसानदायक माना जाता है. इसका उत्पादन लीवर के द्वारा होता है जो वसा को लीवर से शरीर के अन्य भागों मांस पेशियों, उत्तकों, इंद्रियों और हृदय तक पहुंचाता है. यह बहुत आवश्यक है कि एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम रहे. क्योंकि इससे यह पता चलता है कि रक्त प्रवाह में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा आवश्यकता से अधिक हो गई है. ऐसे में यह रक्त नली की दीवारों पर जमना शुरू हो जाता है और कभी-कभी नली के छिद्र बंद हो जाते हैं. जिसके कारण हार्ट अटैक की संभावना अधिक हो जाती है.
एचडीएल ( कोलेस्ट्रॉल )-
उच्च घनत्व लिपॉप्रोटीन को अच्छा कोलेस्ट्रोल माना जाता है. इसका उत्पादन भी यकृत से ही होता है जो कोलेस्ट्रोल और पीत को उत्तकों और इंद्रियों से पुनश्चकृत करने के बाद वापस लीवर में पहुंचता है. एच डी एल कोलेस्ट्रोल की मात्रा का अधिक होना एक अच्छा संकेत है, क्योंकि इससे हृदय के स्वस्थ होने का पता चलता है.
वीएलडीएल ( कोलेस्ट्रॉल )-
अतिनिम्न घनत्व लिपॉप्रोटीन शरीर में लीवर से उसको और इंद्रियों के बीच कोलेस्ट्रॉल को ले जाता है. वीएलडीएल कोलेस्ट्रॉल एलडीएल कोलेस्ट्रॉल से ज्यादा हानिकारक होता है. यह हृदय रोगों का कारण बनता है.
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण-
सामान्य परिस्थितियों में यकृत कोलेस्ट्रॉल के उत्सर्जन और विलयन के बीच संतुलन बनाए रखता है. किंतु यह संतुलन कई बार बिगड़ जाता है. इसके पीछे कुछ कारण है यह संतुलन बिगड़ता है जब-
-अधिक मात्रा में वसा युक्त भोजन सेवन किया जाता है.
-शरीर का वजन बहुत ज्यादा हो जाता है.
-खानपान में लापरवाही बरती जाती है.
-व्यायाम का अभाव.
-आनुवांशिक कारण भी है देखा गया है कि अगर किसी परिवार के लोगों में अधिक कोलेस्ट्रोल की शिकायत होती है तो अगली पीढ़ी ने भी इसकी संभावना अधिक हो जाती है.
-कई लोगों में उम्र बढ़ने की साथ कोलेस्ट्रोल ही बढ़ता देखा जाता है.
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर लक्षण-
कोलेस्ट्रॉल के बढ़ जाने का अनुभव स्वयं किया जा सकता है.
पैदल चलने पर सांस फूलने लगता हो.
उच्च रक्तचाप हाई ब्लड प्रेशर रहने लगा हो.
मधुमेह रोगी शर्करा मात्रा अधिक रहने से उनका खून गाढ़ा होता है.
पैरों में दर्द रहने लगा हो, अन्य कोई कारण ना होने से कोलेस्ट्रोल वृद्धि हो सकता है.
कोलेस्ट्रॉल का संतुलन-
शरीर में कोलेस्ट्रॉल को स्वयं देख नहीं सकते हैं. सिर्फ अनुभव कर सकते हैं. इसकी मात्रा ज्यादा हो जाती है तो हृदय आघात और दिल से संबंधित अन्य रोगों की संभावना अधिक हो जाती है. आमतौर पर पुरुषों के लिए 45 वर्ष और महिलाओं के लिए 55 वर्ष की आयु के बाद हृदय से जुड़े रोगों की संभावना अधिक होती है. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि अपने शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को संतुलित न कर सकते हैं. इसके लिए आप अपनी जीवनशैली में थोड़ा बदलाव करना होता है.
यदि आपका वजन अधिक है तो इसे कम करने का प्रयास करें. भोजन में कम कोलेस्ट्रॉल मात्रा वाले आहार लें. तैयार भोजन और फास्ट फूड से बचें. तली हुई चीजें अधिक मात्रा में चॉकलेट न खाएं. भोजन में रेशे युक्त सामग्री को शामिल करें. यह कोलेस्ट्रोल को संतुलन में रखने में मददगार होगा.
नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा में बढ़ोतरी नहीं होता है. इसके अलावा योगासन भी सहायक है. कोलेस्ट्रोल कम करने में प्राणायाम काफी लाभदायक सिद्ध हुआ है.
धूम्रपान करने से कोलेस्ट्रोल बढ़ता है. इसलिए धूम्रपान से दूरी बनाकर रखें.
कोलेस्ट्रॉल दूर करने के आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय-
1 .आयुर्वेद में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए आरोग्यवर्धिनी वटी, पुनर्नवा मंडूर, त्रिफला चूर्ण, चंद्रप्रभा वटी और अर्जुन की छाल के चूर्ण का क्वाथ काफी लाभदायक होता है.
2 .हाल ही में हुए अध्ययनों से पता चला है कि हरी और काली चाय कोलेस्ट्रोल के स्तर को घटाने में मददगार होता है.
3 .मछली का तेल बुरे कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मददगार होता है. इसलिए मछली का सेवन करना चाहिए.
4 .ड्राई फ्रूट्स जैसे बादाम, अखरोट, पिश्ते में पाए जाने वाला फाइबर, ओमेगा 3 फैटी एसिड और विटामिन बुरे कोलेस्ट्रॉल को घटाने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मददगार होते हैं. इनमें मौजूद फाइबर देर तक पेट भरे होने का एहसास दिलाता है. इससे व्यक्ति नुकसान देह स्नेक्स का सेवन से बचा रहता है.
Note- घी, तेल में भुने हुए और नमकीन मेवों का सेवन न करें. इससे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है. बादाम, अखरोट को पानी में भिगोकर और इसके को वैसे ही छीलकर खाना अधिक लाभदायक होता है. पानी में भिगोने से बादाम, अखरोट में मौजूद फैट कम हो जाता है और इनमें विटामिन ई की मात्रा बढ़ जाती है. अगर अखरोट से एलर्जी हो तो इसके सेवन से बचें, शारीरिक श्रम ना करने वाले लोग अधिक मात्रा में बादाम ना खाएं इससे मोटापा बढ़ सकता है.
5 .कोलेस्ट्रॉल को कम करने में लहसुन काफी मददगार होता है. लहसुन में कई ऐसे एंजाइम पाए जाते हैं जो एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार साबित होते हैं. वैज्ञानिक द्वारा किए गए शोध के अनुसार लहसुन के नियमित सेवन करने से एलडीएल कोलेस्ट्रोल का स्तर 9 से 15% तक कम हो सकता है. इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करता है. इसके लिए आपको लहसुन की एक दो कलियां छिल कर सुबह खाली पेट खाना चाहिए.
6 .सोयाबीन और दालें, अंकुरित अनाज खून में मौजूद एलडीएल कोलेस्ट्रोल को बाहर निकालने में लीवर की मदद करते हैं, यह चीजें अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में भी मददगार होती है, इसलिए इसका सेवन करना फायदेमंद होता है,
7 .नींबू सहित सभी खट्टे फलों में कुछ ऐसे घुलनशील फाइबर पाए जाते हैं जो स्टमक यानी खाने की थैली में ही बैड कोलेस्ट्रॉल को रक्त प्रवाह में जाने से रोक देते हैं. ऐसे फलों में मौजूद विटामिन सी रक्त वाहिका नालियों की सफाई करता है. इस तरह बैड कोलेस्ट्रॉल पाचन तंत्र के जरिए शरीर से बाहर निकल जाता है. खट्टे फलों में ऐसे एंजाइम पाए जाते हैं जो मेटाबोलिक की प्रक्रिया को तेज करके कोलेस्ट्रॉल को घटाने में सहायक होते हैं.
Note- यह पोस्ट शैक्षणिक उद्देश्य से ही लिखा गया है अधिक जानकारी और प्रयोग के लिए अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लें.
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क्या है कोलेस्ट्रॉल ? जानें बढ़ने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय |
कोलेस्ट्रॉल के प्रकार-
कोलेस्ट्रॉल खून में घुलनशील नहीं होता है. उसका कोशिकाओं तक एवं उनसे वापस परिवहन लिपॉप्रोटींस नामक वाहकों द्वारा किया जाता है. निम्न घनत्व लिपॉप्रोटीन या एलडीएल बुरे कोलेस्ट्रॉल के नाम से जाना जाता है. कुछ घनत्व लिपॉप्रोटीन या एचडीएल अच्छे कोलेस्ट्रॉल के नाम से जाना जाता है. ट्राइग्लिसराइड्स एवं एलपी (ए) कोलेस्ट्रॉल के साथ यह दो प्रकार के लिपिक कुल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनाते हैं. जिससे रक्त परीक्षण के द्वारा ज्ञात किया जा सकता है.
कोलेस्ट्रॉल मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं.
1 .एलडीएल ( कोलेस्ट्रॉल )-
न्यून घनत्व लिपॉप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल को सबसे ज्यादा नुकसानदायक माना जाता है. इसका उत्पादन लीवर के द्वारा होता है जो वसा को लीवर से शरीर के अन्य भागों मांस पेशियों, उत्तकों, इंद्रियों और हृदय तक पहुंचाता है. यह बहुत आवश्यक है कि एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम रहे. क्योंकि इससे यह पता चलता है कि रक्त प्रवाह में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा आवश्यकता से अधिक हो गई है. ऐसे में यह रक्त नली की दीवारों पर जमना शुरू हो जाता है और कभी-कभी नली के छिद्र बंद हो जाते हैं. जिसके कारण हार्ट अटैक की संभावना अधिक हो जाती है.
एचडीएल ( कोलेस्ट्रॉल )-
उच्च घनत्व लिपॉप्रोटीन को अच्छा कोलेस्ट्रोल माना जाता है. इसका उत्पादन भी यकृत से ही होता है जो कोलेस्ट्रोल और पीत को उत्तकों और इंद्रियों से पुनश्चकृत करने के बाद वापस लीवर में पहुंचता है. एच डी एल कोलेस्ट्रोल की मात्रा का अधिक होना एक अच्छा संकेत है, क्योंकि इससे हृदय के स्वस्थ होने का पता चलता है.
वीएलडीएल ( कोलेस्ट्रॉल )-
अतिनिम्न घनत्व लिपॉप्रोटीन शरीर में लीवर से उसको और इंद्रियों के बीच कोलेस्ट्रॉल को ले जाता है. वीएलडीएल कोलेस्ट्रॉल एलडीएल कोलेस्ट्रॉल से ज्यादा हानिकारक होता है. यह हृदय रोगों का कारण बनता है.
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क्या है कोलेस्ट्रॉल ? जानें बढ़ने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय |
सामान्य परिस्थितियों में यकृत कोलेस्ट्रॉल के उत्सर्जन और विलयन के बीच संतुलन बनाए रखता है. किंतु यह संतुलन कई बार बिगड़ जाता है. इसके पीछे कुछ कारण है यह संतुलन बिगड़ता है जब-
-अधिक मात्रा में वसा युक्त भोजन सेवन किया जाता है.
-शरीर का वजन बहुत ज्यादा हो जाता है.
-खानपान में लापरवाही बरती जाती है.
-व्यायाम का अभाव.
-आनुवांशिक कारण भी है देखा गया है कि अगर किसी परिवार के लोगों में अधिक कोलेस्ट्रोल की शिकायत होती है तो अगली पीढ़ी ने भी इसकी संभावना अधिक हो जाती है.
-कई लोगों में उम्र बढ़ने की साथ कोलेस्ट्रोल ही बढ़ता देखा जाता है.
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर लक्षण-
कोलेस्ट्रॉल के बढ़ जाने का अनुभव स्वयं किया जा सकता है.
पैदल चलने पर सांस फूलने लगता हो.
उच्च रक्तचाप हाई ब्लड प्रेशर रहने लगा हो.
मधुमेह रोगी शर्करा मात्रा अधिक रहने से उनका खून गाढ़ा होता है.
पैरों में दर्द रहने लगा हो, अन्य कोई कारण ना होने से कोलेस्ट्रोल वृद्धि हो सकता है.
कोलेस्ट्रॉल का संतुलन-
शरीर में कोलेस्ट्रॉल को स्वयं देख नहीं सकते हैं. सिर्फ अनुभव कर सकते हैं. इसकी मात्रा ज्यादा हो जाती है तो हृदय आघात और दिल से संबंधित अन्य रोगों की संभावना अधिक हो जाती है. आमतौर पर पुरुषों के लिए 45 वर्ष और महिलाओं के लिए 55 वर्ष की आयु के बाद हृदय से जुड़े रोगों की संभावना अधिक होती है. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि अपने शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को संतुलित न कर सकते हैं. इसके लिए आप अपनी जीवनशैली में थोड़ा बदलाव करना होता है.
यदि आपका वजन अधिक है तो इसे कम करने का प्रयास करें. भोजन में कम कोलेस्ट्रॉल मात्रा वाले आहार लें. तैयार भोजन और फास्ट फूड से बचें. तली हुई चीजें अधिक मात्रा में चॉकलेट न खाएं. भोजन में रेशे युक्त सामग्री को शामिल करें. यह कोलेस्ट्रोल को संतुलन में रखने में मददगार होगा.
नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा में बढ़ोतरी नहीं होता है. इसके अलावा योगासन भी सहायक है. कोलेस्ट्रोल कम करने में प्राणायाम काफी लाभदायक सिद्ध हुआ है.
धूम्रपान करने से कोलेस्ट्रोल बढ़ता है. इसलिए धूम्रपान से दूरी बनाकर रखें.
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क्या है कोलेस्ट्रॉल ? जानें बढ़ने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय |
1 .आयुर्वेद में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए आरोग्यवर्धिनी वटी, पुनर्नवा मंडूर, त्रिफला चूर्ण, चंद्रप्रभा वटी और अर्जुन की छाल के चूर्ण का क्वाथ काफी लाभदायक होता है.
2 .हाल ही में हुए अध्ययनों से पता चला है कि हरी और काली चाय कोलेस्ट्रोल के स्तर को घटाने में मददगार होता है.
3 .मछली का तेल बुरे कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मददगार होता है. इसलिए मछली का सेवन करना चाहिए.
4 .ड्राई फ्रूट्स जैसे बादाम, अखरोट, पिश्ते में पाए जाने वाला फाइबर, ओमेगा 3 फैटी एसिड और विटामिन बुरे कोलेस्ट्रॉल को घटाने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मददगार होते हैं. इनमें मौजूद फाइबर देर तक पेट भरे होने का एहसास दिलाता है. इससे व्यक्ति नुकसान देह स्नेक्स का सेवन से बचा रहता है.
Note- घी, तेल में भुने हुए और नमकीन मेवों का सेवन न करें. इससे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है. बादाम, अखरोट को पानी में भिगोकर और इसके को वैसे ही छीलकर खाना अधिक लाभदायक होता है. पानी में भिगोने से बादाम, अखरोट में मौजूद फैट कम हो जाता है और इनमें विटामिन ई की मात्रा बढ़ जाती है. अगर अखरोट से एलर्जी हो तो इसके सेवन से बचें, शारीरिक श्रम ना करने वाले लोग अधिक मात्रा में बादाम ना खाएं इससे मोटापा बढ़ सकता है.
5 .कोलेस्ट्रॉल को कम करने में लहसुन काफी मददगार होता है. लहसुन में कई ऐसे एंजाइम पाए जाते हैं जो एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार साबित होते हैं. वैज्ञानिक द्वारा किए गए शोध के अनुसार लहसुन के नियमित सेवन करने से एलडीएल कोलेस्ट्रोल का स्तर 9 से 15% तक कम हो सकता है. इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करता है. इसके लिए आपको लहसुन की एक दो कलियां छिल कर सुबह खाली पेट खाना चाहिए.
6 .सोयाबीन और दालें, अंकुरित अनाज खून में मौजूद एलडीएल कोलेस्ट्रोल को बाहर निकालने में लीवर की मदद करते हैं, यह चीजें अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में भी मददगार होती है, इसलिए इसका सेवन करना फायदेमंद होता है,
7 .नींबू सहित सभी खट्टे फलों में कुछ ऐसे घुलनशील फाइबर पाए जाते हैं जो स्टमक यानी खाने की थैली में ही बैड कोलेस्ट्रॉल को रक्त प्रवाह में जाने से रोक देते हैं. ऐसे फलों में मौजूद विटामिन सी रक्त वाहिका नालियों की सफाई करता है. इस तरह बैड कोलेस्ट्रॉल पाचन तंत्र के जरिए शरीर से बाहर निकल जाता है. खट्टे फलों में ऐसे एंजाइम पाए जाते हैं जो मेटाबोलिक की प्रक्रिया को तेज करके कोलेस्ट्रॉल को घटाने में सहायक होते हैं.
Note- यह पोस्ट शैक्षणिक उद्देश्य से ही लिखा गया है अधिक जानकारी और प्रयोग के लिए अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लें.
यह जानकारी अच्छी लगे तो लाइक, शेयर जरूर करें ताकि किसी जरूरतमंद को काम आ जाए. धन्यवाद.
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