कल्याण आयुर्वेद- आज के बदलते लाइफ स्टाइल में अनियमित खानपान, खानपान में पौष्टिक तत्वों की कमी, और बढ़ते तनाव, साथ ही युवावस्था की कुछ गलतियां आदि के कारण शारीरिक कमजोरी होना पुरुषों में आम बात हो गई है, जिसका प्रभाव उनके शादीशुदा जिंदगी पर पड़ता है और इसकी वजह से कई बार उनकी शादीशुदा जिंदगी तबाह हो जाती है,
लेकिन ज्यादातर लोग इस समस्या को छिपाने का प्रयास करते हैं और कई तरह के सेक्स वर्धक दवा का सेवन कर सेक्स क्षमता में बढ़ोतरी करते हैं जो कई बार उनके लिए नुकसानदयक भी साबित होता है,
आज हम आपको बता रहे हैं पुरुषों में कमजोरी पैदा करने वाली समस्याओं को खत्म करने के लिए कुछ प्राकृतिक नुस्खे, यह इस समस्या में रामबाण की तरह काम करते हैं, यह समस्या के बारे में कैसे बात करें समस्याओं का निदान एवं उनसे जुड़ी सभी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेद में उपाय उपलब्ध है, जिनसे इन सभी समस्याओं को जड़ से खत्म किया जा सकता है और इसकी स्थाई इलाज भी की जा सकती है.
लेकिन अधिकतर लोगों के जीवन में एक समय ऐसा आता है जब वह कठिनाइयों को अनुभव करते हैं तो चलिए आपको बताते हैं आम चिंताओं और उसके समाधान के बारे में.
हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति में आयुर्वेदिक जड़ी- बूटियों का वर्णन है. जिसका सेवन करके हम किसी भी रोग को जड़ से खत्म कर सकते हैं. कमजोरी जैसी समस्याओं से जड़ से छुटकारा पा सकते हैं. इसके लिए आपको धातु पौष्टिक चूर्ण का सेवन करना काफी लाभदायक साबित हो सकता है.
तो चलिए जानते हैं धातु पौष्टिक चूर्ण बनाने और सेवन करने की विधि-
इस चूर्ण को बनाने के लिए आपको इन जड़ी-बूटियों की आवश्यकता होगी-
शतावरी, गोखरू बीज, बीज बंद, वंशलोचन, कबाब चीनी, चोपचीनी, कौंच के बीज, सफेद मूसली, काली मूसली, सोंठ, काली मिर्च, पीपल, सालम मिश्री, कमल गट्टा, विदारीकंद सभी को 10-10 ग्राम लेना है निथोथ 60 ग्राम और मिश्री 200 ग्राम. अब सभी को कूट पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें.
सेवन विधि-
6 से 10 ग्राम तक सुबह- शाम गाय के दूध के साथ सेवन करें.
लाभ- इस चूर्ण के नियमित सेवन करने से धातु में बढ़ोतरी होती है. वीर्य गाढ़ा बनता है. इसके सेवन से धातु गाढ़ा होकर स्वप्नदोष दूर होकर शरीर हृष्ट- पुष्ट और बलवान बनता है. यह चुन पुरुषों में होने वाले सभी तरह के गुप्त रोगों को दूर करने में कारगर है.
Note- यह चूर्ण देर से पचने वाला है. जिनकी पाचन शक्ति कमजोर है उन्हें कम मात्रा में शुरुआत करनी चाहिए और धीरे-धीरे बढ़ाकर 10 ग्राम तक सेवन करना चाहिए. इसके सेवन में के दौरान गाय के दूध का सेवन अवश्य करें. यह काफी फायदेमंद साबित होगा. यह आयुर्वेद की दुकानों में बनी- बनाई भी मिल जाती है.
यह पोस्ट शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है. किसी भी प्रयोग से पहले आप योग्य डॉक्टर की सलाह जरूर लें. धन्यवाद.
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पुरुषों के गुप्त रोगों को दूर करने के लिए रामबाण है धातु पौष्टिक चूर्ण, जानें बनाने और सेवन करने की विधि |
आज हम आपको बता रहे हैं पुरुषों में कमजोरी पैदा करने वाली समस्याओं को खत्म करने के लिए कुछ प्राकृतिक नुस्खे, यह इस समस्या में रामबाण की तरह काम करते हैं, यह समस्या के बारे में कैसे बात करें समस्याओं का निदान एवं उनसे जुड़ी सभी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेद में उपाय उपलब्ध है, जिनसे इन सभी समस्याओं को जड़ से खत्म किया जा सकता है और इसकी स्थाई इलाज भी की जा सकती है.
लेकिन अधिकतर लोगों के जीवन में एक समय ऐसा आता है जब वह कठिनाइयों को अनुभव करते हैं तो चलिए आपको बताते हैं आम चिंताओं और उसके समाधान के बारे में.
हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति में आयुर्वेदिक जड़ी- बूटियों का वर्णन है. जिसका सेवन करके हम किसी भी रोग को जड़ से खत्म कर सकते हैं. कमजोरी जैसी समस्याओं से जड़ से छुटकारा पा सकते हैं. इसके लिए आपको धातु पौष्टिक चूर्ण का सेवन करना काफी लाभदायक साबित हो सकता है.
तो चलिए जानते हैं धातु पौष्टिक चूर्ण बनाने और सेवन करने की विधि-
इस चूर्ण को बनाने के लिए आपको इन जड़ी-बूटियों की आवश्यकता होगी-
शतावरी, गोखरू बीज, बीज बंद, वंशलोचन, कबाब चीनी, चोपचीनी, कौंच के बीज, सफेद मूसली, काली मूसली, सोंठ, काली मिर्च, पीपल, सालम मिश्री, कमल गट्टा, विदारीकंद सभी को 10-10 ग्राम लेना है निथोथ 60 ग्राम और मिश्री 200 ग्राम. अब सभी को कूट पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें.
सेवन विधि-
6 से 10 ग्राम तक सुबह- शाम गाय के दूध के साथ सेवन करें.
लाभ- इस चूर्ण के नियमित सेवन करने से धातु में बढ़ोतरी होती है. वीर्य गाढ़ा बनता है. इसके सेवन से धातु गाढ़ा होकर स्वप्नदोष दूर होकर शरीर हृष्ट- पुष्ट और बलवान बनता है. यह चुन पुरुषों में होने वाले सभी तरह के गुप्त रोगों को दूर करने में कारगर है.
Note- यह चूर्ण देर से पचने वाला है. जिनकी पाचन शक्ति कमजोर है उन्हें कम मात्रा में शुरुआत करनी चाहिए और धीरे-धीरे बढ़ाकर 10 ग्राम तक सेवन करना चाहिए. इसके सेवन में के दौरान गाय के दूध का सेवन अवश्य करें. यह काफी फायदेमंद साबित होगा. यह आयुर्वेद की दुकानों में बनी- बनाई भी मिल जाती है.
यह पोस्ट शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है. किसी भी प्रयोग से पहले आप योग्य डॉक्टर की सलाह जरूर लें. धन्यवाद.
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