जानें- महिलाओं में गर्भवस्था से प्रसव तक होने वाली परेशानियाँ

कल्याण आयुर्वेद- महिलाओं को मां बनना सबसे खुशी का पल होता है. इस दौरान कितना भी कष्ट हो लेकिन एक महिला उसे खुशी-खुशी सह लेती है. गर्भावस्था के समय महिला के लिए जटिलताओं से भरा हुआ होता है. खासकर वैसे महिला जो पहली बार मां बनती हैं उन्हें तो इस बात को लेकर परेशानी हो जाती है कि उन्हें इस दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए. गर्भावस्था के दौरान महिला को बहुत सी समस्याओं से गुजारना पड़ता है. कुछ महिलाओं को ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है तो कुछ की प्रेगनेंसी बिना किसी समस्या के निकल जाती है और यह सब गर्भधारण के बाद शरीर में होने वाले हार्मोन और बदलाव पर निर्भर करता है. आज हम इस पोस्ट के माध्यम से गर्भधारण से लेकर बच्चे को जन्म तक यानी प्रसव होने तक आने वाली परेशानियों के बारे में बात करने जा रहे हैं.

तो चलिए जानते हैं गर्भधारण से प्रसव तक होने वाली परेशानियों के बारे में-

1 .मॉर्निंग सिकनेस- प्रेगनेंसी की शुरुआत में सुबह उठने में परेशानी होना, सिर में दर्द, चक्कर, महसूस होना आम बात होती है और इसका कारण प्रेग्नेंट महिला के शरीर में तेजी से हो रहे हार्मोनल बदलाव की वजह से होते हैं और ज्यादातर महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान यह समस्या होती है.

2 .उल्टी होना-

गर्भावस्था के दौरान उल्टी व मतली के साथ सीने में जलन महसूस होना आम बात होती है. कुछ महिलाएं उल्टी की समस्या से गर्भावस्था के पहले 3 महीने तक परेशान रहती हैं और उसके बाद उन्हें इस परेशानी से छुटकारा मिल जाता है. लेकिन कुछ महिलाएं प्रेगनेंसी के पूरे 9 महीनों तक उल्टी और मतली की समस्या से परेशान रहती हैं.
3 .कमजोरी व थकान महसूस होना-
गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में हार्मोनल में बदलाव की वजह से शरीर में उर्जा की कमी होने लगती है और कुछ महिलाओं का इस दौरान खाने पीने का मन भी नहीं करता है. उसके बाद महिला का वजन बढ़ने के कारण महिला को किसी भी काम को करने में परेशानी का अनुभव होने लगता है. जिसके कारण गर्भावस्था के दौरान कमजोरी व थकान महसूस होना आम बात होती है.
4 .पेट से जुड़ी समस्या-
गर्भावस्था के दौरान हो रहे हार्मोन में बदलाव का असर पाचन तंत्र पर पड़ता है. जिसकी वजह से पाचन तंत्र स्लो हो जाती है और महिला को एसिडिटी, पेट में दर्द, कब्ज, भूख नहीं लगना जैसी समस्या से परेशान होना पड़ता है.
5 .तनाव होना-
शरीर में हार्मोनल बदलाव होने के वजह से शारीरिक परिवर्तन के कारण कई बार गर्भावस्था के दौरान महिलाएं तनाव में आ जाती है. लेकिन गर्भावस्था में तनाव महिला और गर्भ में पल रहे शिशु की मुश्किलों को बढ़ा सकता है. ऐसे में महिला को तनाव लेने से बचना चाहिए और खुश रहना चाहिए.
6 .दर्द की परेशानी-
गर्भावस्था के दौरान कमर दर्द, सिर दर्द व चक्कर पेट में दर्द, पैरों में ऐंठन का होना आम बात होती है. कई बार कमजोरी होने के कारण महिला को पूरे शरीर में भी दर्द का एहसास हो सकता है. ऐसे में इस परेशानी से बचने के लिए महिला को प्रचुर मात्रा में पोषक तत्वों का सेवन करना चाहिए और शारीरिक परिश्रम से बचना चाहिए.
7 .वजन का बढ़ना-
गर्भावस्था के तीसरे महीने तक महिला के शरीर में वजन की कमी आ सकती है. लेकिन तीसरे महीने खत्म होने के बाद महिला का वजन बढ़ने लग जाता है. कुछ महिलाएं गर्भावस्था के दौरान जरूरत से ज्यादा भोजन करने लग जाती हैं. जिसके वजह से महिला का वजन बहुत जल्दी बढ़ने लग जाता है.
8 .यूरिन की परेशानी-
गर्भावस्था के शुरुआती दौर में हार्मोनल बदलाव के वजह से किडनी अधिक सक्रिय हो जाती है. जिसके वजह से बार-बार यूरीन पास करने की इच्छा होती है. उसके बाद जैसे-जैसे महिला का वजन बढ़ने लगता है तो मूत्राशय पर दबाव पड़ने के कारण महिला को बार- बार यूरिन जाने की परेशानी होती है और गर्भावस्था के दौरान आपको इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि आप यूरिन न रोकें.
9 .बवासीर की परेशानी-
गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ने के कारण पीठ के नीचे की तरफ मांसपेशियों पर ज्यादा दबाव पड़ने लगता है. जिसके कारण गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाओं को बवासीर जैसी समस्या से परेशान होना पड़ सकता है.
10 .सूजन की समस्या-
बहुत सी महिलाओं को आठवें, नौवें महीने में पैरों और हाथों में सूजन आ जाती है. जिसके कारण पैरों में दर्द चलने में परेशानी का अनुभव भी हो सकता है और आपको इस बात का ख्याल रखना चाहिए. यदि आपको सूजन बहुत ज्यादा है और उस में असहनीय दर्द हो रहा है तो इसका कारण कुछ और भी हो सकता है. ऐसे में आपको जल्द ही अपने चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए.
11 .सोने में परेशानी-
महिला का शारीरिक वजन बढ़ने के कारण प्रेगनेंसी की आखिरी दिनों में महिला को सोने से जुड़ी भी समस्या का सामना करना पड़ सकता है. इस परेशानी से निजात पाने के लिए महिला को सीधा या उल्टा नहीं सोना चाहिए. बल्कि करवट लेकर सोना चाहिए क्योंकि करवट लेकर सोने से महिला और उसके गर्भ में पल रहे शिशु को किसी तरह की परेशानी नहीं होती है. लेकिन एक ही तरफ करवट लेकर भी सारी रात नहीं सोना चाहिए.बल्कि करवट बदलते रहना चाहिए.
12 .इंफेक्शन का खतरा-
गर्भावस्था के दौरान यदि महिला का खान पान के प्रति लापरवाही रहती है तो इसके कारण उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है. जिसकी वजह से महिला को ब्लड इनफेक्शन, यूरिन इन्फेक्शन, एलर्जी जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
13 .प्रसव के समय होने वाला दर्द-
प्रसव का समय नजदीक आने पर महिला को पेट में मीठा दर्द होने लगता है और जैसे ही शिशु पूरी तरह से बाहर आने के लिए तैयार हो जाता है. उसके साथ इस दर्द को सहना महिला के लिए मुश्किल हो जाता है. जितने समय तक प्रसव नहीं होती है. उतनी देर तक महिला को यह दर्द सहना पड़ता है. लेकिन जैसे ही बच्चे का जन्म हो जाता है. इस दर्द से आपको आराम मिल जाता है और यदि आप कि सिजेरियन प्रसव होती है तो आपको इस दर्द को नहीं सहना पड़ता है.
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