शुगर लेवल कम होने पर न हो परेशान, जानें बचाव के तरीके

कल्याण आयुर्वेद- हाइपोग्लाइसीमिया या लो ब्लड शुगर लेवल क्या है?

हमारे शरीर का सामान्य ब्लड शुगर लेवल 80 से 110 मिलीग्राम/ डीएल के बीच होता है और 90 मिलीग्राम/ डीएल को आवश्यक ब्लड शुगर लेवल माना जाता है. हालांकि ज्यादातर लोग हाई ब्लड शुगर को समस्या मानते हैं. लेकिन ब्लड शुगर लेवल की कमी के खतरे से अनजान होते हैं.

शुगर लेवल कम होने पर न हो परेशान, जानें बचाव के तरीके

क्या आपको भी कभी चढ़कर आया है? क्या आपने कभी कमजोरी और कोई उलझन महसूस की है? हो सकता है आपने कभी घबराहट और उलझन महसूस की हो और साथ में पसीना भी आया है. अगर ऐसा हुआ है तो हो सकता है कि आपको हाइपोग्लाइसीमिया यानी लो ब्लड शुगर का अटैक आया हो.

जब ब्लड शुगर लेवल 72 मिलीग्राम/ डीएल से नीचे चला जाए तो ऐसी स्थिति हाइपोग्लाइसीमिया या लो ब्लड शुगर कही जाती है. डायबिटीज की दवाइयों का ज्यादा मात्रा में सेवन करना हाइपोग्लाइसीमिया होने की सबसे अहम वजह है. यह खतरा तब और बढ़ जाता है जब आप या तो बहुत कम खाते हैं या समय पर नहीं खाते हैं.

शारीरिक तौर पर सक्रिय रहना डायबिटीज नियंत्रण करने का सबसे आसान तरीका है. लेकिन अगर आप डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन ले रहे हैं तो एक्सरसाइज करने के दौरान और उसके बाद में हाइपोग्लाइसीमिया का खतरा अधिक हो सकता है. यहां तक कि आपको सोते समय भी हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है. कई बार तो लोग इसे समझ ही नहीं पाते हैं इंसुलिन लेने वाले लोगों में ऐसा ज्यादा होता है.

हाइपोग्लाइसीमिया का विज्ञान-

शुगर हमारे शरीर के लिए मुख्य उर्जा की तरह काम करता है और हमारा दिमाग भी इस पर पूरी तरह से निर्भर है. जब ब्लड शुगर लेवल कम होता है तो दिमाग के काम करने की क्षमता पर भी प्रभाव पड़ता है. हाइपोग्लाइसीमिया से निपटने के लिए शरीर के अंदरूनी कार्यप्रणाली इंसुलिन के स्राव को कम करती है और ग्लूकागॉन खतरा बढ़ा देती है.

हाइपोग्लाइसेमिक के अटैक को अनदेखा न करें-

हाइपोग्लाइसीमिया का तेज अटैक किसी खतरे का संकेत हो सकता है, नतीजतन दौरे पड़ना, स्ट्रोक या कोमा जैसी स्थिति हो सकती है. यहां तक कि हाइपोग्लाइसीमिया की वजह से जान भी जा सकती है.

हाइपोग्लाइसेमिक अटैक की वजह से गिरने या सड़क पर दुर्घटना की वजह से आपको गंभीर चोटें भी आ सकती है. बार-बार हाइपोग्लाइसेमिक अटैक आने से आगे चलकर और गंभीर समस्याएं हो सकती है. एक तो इसे हमेशा अगला अटैक आने का खतरा बना रहता है. दूसरा यह है कि आपकी काम करने, घूमने या गाड़ी चलाने की क्षमता भी कमजोर कर सकता है.

ऐसे अटैक आपको ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लक्ष्य से गुमराह कर सकते हैं. निराश होकर लोग अपने खान-पान और दवाइयों पर ठीक से ध्यान नहीं देते इस वजह से आगे चक्कर और नियंत्रित डायबिटीज से होने वाली बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. गलत खानपान और परहेज न करने से आपका वजन अधिक हो सकता है.

टाइप-2 डायबिटीज से प्रभावित उम्रदराज लोगों में गंभीर हाइपोग्लाइसीमिया की वजह से डिमेंशिया यानी मनोभ्रंश का खतरा भी अधिक हो जाता है.

बिना संकेत वाले हाइपोग्लाइसीमिया से रहें सावधान-

आपका शरीर कुछ संकेतों और लक्षणों के रूप में आने वाले हाइपोग्लाइसीमिया अटैक की चेतावनी देता है. लेकिन बार-बार लो ब्लड शुगर का अटैक आना आपको कमजोर कर सकता है. इस वजह से आप इस संकेतों को ठीक से पहचान नहीं कर पाते हैं. हाइपोग्लाइसीमिया ऑल अवेयरनेस में इंसुलिन लेने वाले टाइप-2 डायबिटीज से प्रभावित लगभग 8 से 10% लोगों पर इसका प्रभाव पड़ता है. जिसकी वजह से उन्हें गंभीर हाइपोग्लाइसीमिया के होने का खतरा 17 गुना तक अधिक हो जाता है.

हाइपोग्लाइसेमिक अटैक का उपाय-

जब भी आपका ब्लड शुगर लेवल कम हो उसका तुरंत इलाज करवाना चाहिए. ऐसा करने से आप जल्दी रिकवर होते हैं और ब्लड शुगर लेवल और नीचे गिरने से रोकने में मदद मिलती है. तुरंत इलाज कराने से हाइपोग्लाइसीमिया की बढ़ने का खतरा कम हो जाता है.

ऐसा होने पर आपको क्या करना चाहिए-

* अगर ब्लड शुगर कम होने का एहसास हो तो कोई भी मीठी चीज तुरंत खाना चाहिए.

* आपका ब्लड शुगर लेवल 70 मिलीग्राम/ डीएल से कम है और आप होश में हैं तो 15-20 ग्राम ग्लूकोस का सेवन करना सही इलाज है. आप किसी भी रूप में कार्बोहाइड्रेट का सेवन कर सकते हैं. बस उसमें ग्लूकोस जैसे कि कैंडी, मिठाईया, फलों का जूस होना चाहिए. इनमें से कुछ चीजों को हमेशा अपने साथ रखना चाहिए.

* 15 मिनट बाद दोबारा अपना ब्लड शुगर लेवल चेक करें. अगर अभी भी ब्लड शुगर लेवल कम हो रहा है तू फिर से कुछ मीठी चीजों का सेवन करें.

* जब आपका शुगर लेवल सामान्य हो जाए तो हाइपोग्लाइसीमिया को दोबारा होने से रोकने के लिए आपको नाश्ता का भरपूर भोजन करना चाहिए.

* ब्लड शुगर लेवल बहुत कम हो जाने पर दौरे पड़ने या बेहोश जैसी समस्या हो सकती है. ऐसे हालात में आप खुद से शुगर भी नहीं खा सकते हैं. ऐसे मे रिकवरी के लिए किसी दूसरे की जरूरत पड़ सकती है. गंभीर हाइपोग्लाइसीमिया 54 मिलीग्राम/ डीएल से कम होने पर परिवार के किसी सदस्य या किसी जान- पहचान वाले की मदद से ग्लूकागॉन के इंजेक्शन लगवाएं.

नोट- हालात में कोई सुधार ना होने पर रोगी को तुरंत हॉस्पिटल में एडमिट करवाना पड़ सकता है. ऐसे में डॉक्टर आपकी जांच करके यह पता लगाते हैं कि हाइपोग्लाइसीमिया के अटैक बार-बार आते हैं या फिर उससे जुड़ी जानकारी के अभाव में ऐसा हुआ है.

हाइपोग्लाइसीमिया के अटैक से बचाव-

* किन वजहों से ब्लड शुगर लेवल कम हो रहा है अगर यह पता चल जाए तो हाइपोग्लाइसीमिया से बचाव हो सकता है. व्रत रखना, देर से खाना खाना, शारीरिक रूप से बहुत ज्यादा मेहनत करना जैसी लो ब्लड शुगर के खतरे को बढ़ाते हैं.

* अपनी दवाओं के मुताबिक अपना खानपान तय करें, खाने में देर या खाना ना खाना जैसी गलतियां बिल्कुल ना करें.

* लो ब्लड शुगर के संकेतों पर ध्यान दें. लक्षणों को जल्दी पहचाने और उसी मुताबिक इलाज करवाएं. नियमित रूप से अपने ब्लड शुगर लेवल की जांच करवाते रहें.

* अपने साथ हमेशा ही कोई ग्लूकोस टेबलेट या कैंडी जरूर रखें.

* रोजाना सोने से पहले ब्लड ग्लूकोस की जांच करने से नॉकटर्नल हाइपोग्लाइसीमिया के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है. सोने के समय नाश्ता और इंसुलिन की सही खुराक से भी हाइपोग्लाइसीमिया को रोका जा सकता है.

* ब्लड शुगर की लगातार जांच करके आप एक्सरसाइज करने के दौरान या बाद होने वाले हाइपोग्लाइसीमिया से बच सकते हैं. इसके अलावा सेसन से पहले इन्सुलिन की सही खुराक और सप्लीमेंट खाने से हाइपोग्लाइसीमिया के खतरे से बचाव होता है. दवाइयों की सही खुराक के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें. 

डायबिटीज प्रभावित लोगों को एक्सरसाइज करने के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

* अपने परिवार के लोगों या केयरटेकर की ग्लूकागॉन कीट का इस्तेमाल करना अच्छी तरह से सिखाएं. उन्हें यह पता होना चाहिए कि किट कहां रखी है और उसका इस्तेमाल कब और कैसे करना है.

* अगर आपको हाइपोग्लाइसीमिया ऑनअवेयरनेस है तो शुगर लेवल नियंत्रण में रखें. कई सप्ताहों तक ब्लड शुगर लेवल कम करने के बाद आपकी हाइपोग्लाइसीमिया अवेयरनेस की स्थिति सुधर सकती है.

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स्रोत- द हेल्थी मैगजीन.


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