जानें- ल्यूकोरिया होने के कारण, लक्षण और सामान्य घरेलू उपचार

कल्याण आयुर्वेद- आज के वर्तमान समय में महिलाओं को ल्यूकोरिया की समस्या होना आम होते जा रहा है. इससे ज्यादातर महिलाएं प्रभावित होती हैं. आयुर्वेद भाषा में ल्यूकोरिया को श्वेत प्रदर और आम भाषा में पानी जाना कहा जाता है.

जानें- ल्यूकोरिया होने के कारण, लक्षण और सामान्य घरेलू उपचार

ल्यूकोरिया से किसी भी उम्र की महिलाएं प्रभावित हो सकती हैं. यहां तक की कुवांरी लड़कियां भी ल्यूकोरिया का शिकार हो जाती हैं. ज्यादातर महिलाएं जिन्हें बिना परिश्रम के भोजन मिल जाता है या जिनका चलना- फिरना बहुत कम होता है अर्थात जो मौज-मस्ती ऐसो- आराम की जिंदगी जीती हैं. वैसी महिलाएं इस रोग का अधिक शिकार होती हैं.

ल्यूकोरिया रोग गर्भाशय की श्लेष्मिक कला में सूजन उत्पन्न हो जाने के कारण हो जाता है. इस रोग में गर्भाशय से सफेद रंग का तरल पदार्थ आने लगता है. जिस प्रकार पुरुषों में प्रमेह की आम शिकायत होती है. ठीक उसी प्रकार ल्यूकोरिया महिलाओं का रोग है. महिलाओं के इस धातु स्राव की दुर्गंध आती है और उनकी योनि से 24 घंटे पतला सा तरल पदार्थ स्रावित होते रहता है.

ल्यूकोरिया होने के कारण-

ल्यूकोरिया के कारण पोषण की कमी तथा योनि के अंदर रहने वाले बैक्टीरिया के अलावा और भी कई कारण होता है जो श्वेत प्रदर यानी ल्यूकोरिया को जन्म देता है.

जैसे- गुप्तांगों की सफाई का ध्यान न रखना, शरीर में खून की कमी, मैथुन अधिक करना, परिश्रम अधिक करना, अधिक उपवास रखना इत्यादि.

ल्यूकोरिया के दूसरे कारण जीवाणु का संक्रमण, गर्भाशय के मुंह पर घाव, मलेरिया आदि के कारण श्वेत प्रदर गंभीर रूप धारण कर लेता है. इस तरह से रोग बहुत ही कष्ट दायक हो जाता है. अतः रोग कैसा हो कभी शर्म और लापरवाही से इसे छुपाना नहीं चाहिए.

श्वेत प्रदर के प्रारंभ में महिला को दुर्बलता का अनुभव होता है, खून की कमी के वजह से चक्कर आने लगते हैं, आंखों के आगे अंधेरा आ जाने जैसे लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं.

कुछ महिलाओं में ल्यूकोरिया के कारण जलन और खुजली भी होती है. वह ग्रस्त महिला उदास बनी रहती है उसका शरीर दिनोंदिन कमजोर होते चला जाता है हाथ- पैरों में जलन और कमर में दर्द बना रहता है.

ल्यूकोरिया से ग्रसित महिलाओं की भूख में कमी आने लगती है, कब्ज की शिकायत बनी रहती है तथा पाचन शक्ति दुर्बल हो जाती है. इसके अतिरिक्त बार-बार मूत्र त्याग, पेट में भारीपन, जी मीचलाना आदि लक्षण पाए जाते हैं. इस अवधि में रोगी का चेहरा पीला हो जाता है. मासिक धर्म में भी गड़बड़ी आ जाती है. महिला उदास रहती है एवं चिडचिडापन बना रहता है.

ल्यूकोरिया सामान्य हो या असामान्य सबसे पहले इसके मूल कारणों का निवारण करना चाहिए. रोगी को खान-पान में सावधानी रखनी चाहिए. खट्टी- मीठी चीजें, अधिक गर्म तथा मादक पदार्थों का त्याग कर देना चाहिए.

गुप्तांगों को नियमित रूप से साफ करना चाहिए, खून की कमी को पूरा करने के लिए आहार में खून बढ़ाने वाली चीजों को शामिल करना चाहिए, बार- बार गर्भपात कराने से बचें और रोग को शर्म से छिपाएं नहीं और ना ही ज्यादा चिंता करें.

इसके लिए बाहरी उपचार जैसे- योनि को किसी अच्छे साबुन से दिन में 2 बार धोएं. इसके अलावा फिटकरी मिले पानी से योनि को धोना फायदेमंद होता है.

ल्यूकोरिया का घरेलू उपचार-

1 .आंवले को सुखाकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें. अब लगभग 3 ग्राम की मात्रा सुबह-शाम 1 महीने तक पानी के साथ सेवन करें, इससे स्त्रियों को होने वाला श्वेत प्रदर ठीक हो जाता है.

2 .गुलाब के फूलों को छाया में अच्छी तरह से सुखा लें. अब इसे पीसकर बारीक चूर्ण बना लें. इसमें से 3 से 5 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम दूध के साथ नियमित सेवन करें. इससे लिकोरिया की समस्या से छुटकारा मिलती है.

3 .मुलेठी को पीसकर पाउडर बना लें, फिर इस चूर्ण को 1 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी के साथ सुबह-शाम पीने से ल्यूकोरिया की समस्या दूर हो जाती है.

4 .बड़ी इलायची और माजूफल को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बना लें. अब इसमें उतना ही मात्रा में मिश्री का पाउडर मिलाकर सुरक्षित रखें. अब 2 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से प्रदर की समस्या दूर हो जाती है.

5 .100 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण 100 ग्राम विधारा का चूर्ण मिलाकर 200 ग्राम मिश्री का पाउडर मिलाएं और सुरक्षित रख लें. अब 5 ग्राम की मात्रा में सुबह- शाम कुछ दिनों तक सेवन करने से श्वेत प्रदर की समस्या निश्चित ही दूर हो जाती है.

नोट- यह पोस्ट शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है किसी भी प्रयोग से पहले योग्य डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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