आपने बहुत से चमत्कारिक धर्म स्थलों के बारे में सुना होगा. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जहां साल में 2-3 बार खुद ही आग प्रज्वलित हो जाती है लेकिन मंदिर का किसी तरह का नुकसान नही होता है.
ये मंदिर राजस्थान के इडाणा माता मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. यहाँ माँ की चमत्कारिक महिमा बहुत ही निराली है.जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं.
ये स्थान उदयपुर शहर से 60 km दूर अरावली के पहाड़ी के बीच बसा हुआ है. माँ का ये दरबार बिलकुल खुले एक चौंक में स्थित है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मंदिर का नाम इडाणा उदयपुर मेवल की महारानी के नाम से प्रसिद्ध हुआ है.
इस मंदिर में भक्तों की खास आस्था है.क्योंकि यहाँ मान्यता है कि लकवा से पीड़ित रोगी माँ के दरबार में आकर ठीक हो जाते हैं. इस मंदिर का रहस्य यह है कि यहाँ स्थित देवी माता की प्रतिमा से हर महीने में 2-3 बार खुद ही अग्नि प्रज्वलित होती है. इस अग्नि स्नान से माँ की सम्पूर्ण चढ़ाई गई चुन्दरियां और धागे जलकर भस्म हो जाते हैं लेकिन मंदिर की मूर्तियों एवं अन्य सामग्रियों को कोई नुकसान नही होता है.
इसे देखने के लिए भक्तों का मेला लगा रहता है.लेकिन यह अग्नि कैसे प्रज्वलित होती है आज तक कोई नही पता लगा पाया है.इस मंदिर में अग्नि स्नान का पता लगते ही आसपास के गावों से बड़ी संख्या में लोग देखने आते हैं. श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है.
वहां के पुजारी की मानें तो इडाणा माता पर अधिक भार होने पर माता स्वयं ज्वालादेवी का रूप धारण कर लेती है है. ये अग्नि धीरे- धीरे विकराल रूप धारण कर लेती है और इसकी लपटें 10 से 20 फीट तक पहुच जाती है. लेकिन इस अग्नि के पीछे खास बात यह है कि आज तक श्रृंगार के अलावा कोई अन्य चीज का नुकसान नही होता है. भक्त इसे देवी का स्नान कहते हैं. और इस अग्नि स्नान के कारण यहाँ माँ का मंदिर नही बन पाया है.
माना जाता है कि जो भी भक्त माँ के इस अग्नि स्नान का दर्शन करता है उनकी हर इच्छाएं पूर्ण होती है. यहाँ भक्त अपनी इच्छा पूर्ण होने पर त्रिशूल चढ़ाने आते हैं. खासकर इस मंदिर के प्रति लोगों का विश्वास है कि लकवा बीमारी से ग्रसित रोगी माता के दरबार में आकर स्वस्थ हो जाते हैं.
स्रोत- google.
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