पीतल का बर्तन घर में रखना क्यों जरूरी है ? जानें धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

कल्याण आयुर्वेद- घर में बर्तनों की बात करें तो स्टील का बर्तन हर घर में देखा जाता है लेकिन पीतल का बर्तन बहुत ही कम देखने को मिलता है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि घर में पीतल से बनी चीजें व बर्तन रखना धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण है.

पीतल का बर्तन घर में रखना क्यों जरूरी है ? जानें धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

चलिए जानते हैं विस्तार से-

पीतल के बर्तन को घर में रखना बहुत ही शुभ माना जाता है तो वही स्वास्थ्य की दृष्टि से पीतल के बर्तनों में बना भोजन स्वादिष्ट, पुष्टि प्रदाता होता है तथा इससे आरोग्य और शरीर को तेज प्राप्त होता है. इतना ही नहीं पीतल का बर्तन जल्दी गर्म होता है जिससे गैस या अन्य ऊर्जा की बचत भी होती है. इसके अलावा पीतल के बर्तन दूसरे बर्तन से ज्यादा मजबूत होते हैं. पीतल के बर्तन में रखा जल पीना शरीर अत्यधिक ऊर्जा प्रदान करता है.

पीतल अथवा ब्रास एक मिश्रित धातु होता है. पीतल का निर्माण तांबा और जस्ता धातु के मिश्रण से किया जाता है पीतल शब्द पीत से बना है और संस्कृत में पीत का मतलब पीला होता है तथा धार्मिक दृष्टिकोण से पीला रंग भगवान विष्णु से जुड़ा हुआ है.

धार्मिक कर्म हेतु पीतल के बर्तनों का उपयोग किया जाता है. वेदों के खंड आयुर्वेद में पीपल के पात्रों को भगवान धनवंतरी का अति प्रिय बताया गया है. महाभारत शास्त्र में वर्णित एक वृतांत के अनुसार सूर्य देव ने द्रोपति को पीतल का अक्षय पात्र वरदान स्वरूप दिया था. जिसकी विशेषता थी कि जब तक द्रोपति चाहे जितने लोगों को भोजन करा दे खाना कभी घटता नहीं था.

पीतल के बर्तनों का महत्व धार्मिक और ज्योतिष शास्त्रों में भी बताया गया है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार स्वर्ण और पीतल की ही भांति पीला रंग देव गुरु बृहस्पति को संबोधित करता है तथा ज्योतिष विधान के अनुसार पीतल पर देव गुरु बृहस्पति का आधिपत्य होता है. बृहस्पति ग्रह की शांति हेतु पीतल का उपयोग किया जाता है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ग्रह शांति व ज्योतिष अनुष्ठानों दान हेतु पीतल के बर्तन दिए जाते हैं.

पीतल के बर्तनों का कर्मकांड में बहुत महत्व है. वैवाहिक कार्य में बेदी पढ़ने हेतु और कन्यादान के समय पीतल का कलश उपयोग किया जाता है. शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के लिए भी पीतल के कलश का उपयोग किया जाता है तथा बगलामुखी देवी के अनुष्ठान में सिर्फ पीतल के बर्तन का ही प्रयोग किया जाता है. इसके अलावा धार्मिक कामों में पीतल के बर्तन का ही इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है.

वैज्ञानिक दृष्टि से भी पीतल के बर्तनों का बहुत महत्व है. पीतल के बर्तनों में बना भोजन स्वादिष्ट, पुष्टि प्रदाता होता है तथा इससे आरोग्य और शरीर को तेज प्राप्त होता है.

पीतल पीले रंग का होने से हमारी आंखों के लिए टॉनिक का काम करता है., पीतल का उपयोग थाली, कटोरी, गिलास, लोटे, गगरेट, हंडे, देवी देवताओं की मूर्तियां और सिंहासन, घंटे, अनेक प्रकार के वाद्य यंत्र, नल, पानी की टोटी या मकान में लगने वाले सामान और गरीबों के लिए गहने बनाने में किया जाता है.

धन संबंधी समस्याओं के लिए पीतल का प्रयोग-

* भाग्योदय के लिए पीतल की कटोरी में चना दाल भिगोकर रात भर सिर की तरफ रखें और सुबह चना दाल पर गुड़ डालकर गाय को खिलाएं.

* पूर्णिमा के दिन भगवान श्री कृष्ण पर दूध- घी से भरा पीतल का कलश चढ़ा कर निर्धन को दान करें, ऐसा करने से धन की प्राप्ति होती है.

* धन प्राप्ति के लिए वैभव लक्ष्मी का पूजन कर पीतल के दिए में शुद्ध घी का दीपक करें.

* पीतल की कटोरी में दही भरकर कटोरी समेत पीपल के नीचे रखें, ऐसा करने से दुर्भाग्य से मुक्ति मिलती है.

* पीतल के कलश में चना दाल भरकर विष्णु जी के मंदिर चढ़ाएं, ऐसा करने से भाग्य की प्राप्ति होती है.


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