क्या होता है बवासीर रोग ? जानें कारण, लक्षण और शर्तिया आयुर्वेदिक इलाज

कल्याण आयुर्वेद- हमारे शरीर में कई तरह की बीमारियां होती रहती है. जिनमें से बवासीर रोग भी शामिल है जो गलत खानपान और गलत लाइफ स्टाइल की वजह से उत्पन्न होती है.

क्या होता है बवासीर रोग ? जानें कारण, लक्षण और शर्तिया आयुर्वेदिक इलाज

चलिए जानते हैं विस्तार से-

बवासीर क्या है ?

जब भी ऐसा कोई व्यक्ति जिसके पेट में मल सूख गया हो, मल का विसर्जन करते समय अत्यधिक जोर लगाता हो, जिससे मल निकल जाए इसी दबाव की वजह से मल त्याग करने वाली जगह यानी मलद्वार की जगह त्वचा सूज जाती है और वहां घाव बनना शुरू हो जाता है.

ऐसी स्थिति ज्यादा दिनों तक बनी रहने की वजह से वह जख्म मस्से में परिवर्तित हो जाता है जिसे बवासीर का मस्सा कहा जाता है. जब किसी व्यक्ति के गुदाद्वार में मस्से हो जाते हैं तो मल त्याग करते समय कुछ मस्से बाहर निकल आते हैं और कुछ मस्से खुद ही मल विसर्जन के बाद अंदर चले जाते हैं. लेकिन कुछ दिनों बाद यह सभी मस्से अस्थाई रूप से गुदाद्वार से बाहर निकले रहते हैं फिर अंदर नहीं जाते हैं.

यही मस्से मल त्याग करने पर रगड़ने लगते हैं जिसकी वजह से इसमें सूजन आ जाती है और कुछ मस्से सूज कर बड़े हो जाते हैं जिसके बाद इसमें बहुत अधिक जलन होने लगती है, जिससे व्यक्ति हमेशा दर्द से बेचैन रहने लगता है. यदि इन मस्सों का इलाज सही समय पर नहीं किया गया तो इन मस्सों से खून निकलने लगता है जो आगे चलकर खूनी बवासीर रोग बन जाता है.

यदि खूनी बवासीर का इलाज भी सही समय पर ना किया जाए तो रोगी के शरीर से अत्यधिक खून निकल जाने की वजह से उसके शरीर में खून की कमी हो जाती है और एनीमिया रोग हो सकती है. इस रोग में शरीर का रंग पीला दिखाई देने लगता है, रोगी का शरीर बहुत कमजोर होता चला जाता है जिसके कारण उठने- बैठने या चलने पर आंखों के आगे अंधेरा छाने लगता है.

दो प्रकार की होती है बवासीर- एक खूनी बवासीर और दूसरा बादी बवासीर.

हालांकि हमारे शरीर में कोई भी बीमारियां होती उन्हें हम खुद ही निमंत्रण देते चाहे खानपान की वजह से हो या अन्य कारणों की वजह से हो. किसी भी व्यक्ति को बादी बवासीर हो या फिर खूनी बवासीर की उत्पत्ति का मुख्य कारण पेट की गड़बड़ी होती है.

ऐसे बहुत से लोग होते हैं जिन्हें कब्ज की समस्या बनी रहती है और कब्ज की समस्या को छोटी- मोटी समस्या समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं जो बवासीर को जन्म देती है.

कब्ज का सबसे बड़ा कारण है समय पर भोजन ना करना, मौसम और ऋतु के अनुसार भोजन ना करना, अधिक मिर्च- मसालेदार चीजों का सेवन करना, बहुत ज्यादा अनियमित रूप से मांसाहार करना भी बवासीर की उत्पत्ति का कारण बनता है.

इसी कब्ज की समस्या से व्यक्ति का पेट साफ नहीं होता है जिसकी वजह से उसके पेट में ही मल सड़ता रहता है जो धीरे-धीरे सूखने लगता है जिसके कारण व्यक्ति को पेट में दर्द और पेट फूलने की समस्या उत्पन्न होती है.

बवासीर रोग होने के कारण-

वैसे तो बवासीर रोग बहुत से कारणों से हो सकती है लेकिन कुछ मुख्य कारण है जिसके बारे में बताने की कोशिश करेंगे.

* नियमित समय पर भोजन ना करना, शराब पीना, प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना, यूरिन से संबंधित बीमारी और मूत्राशय में पथरी की शिकायत होने की वजह से भी बवासीर की उत्पति होती है.

* यदि कोई व्यक्ति ज्यादा चाय, कॉफी का सेवन करता है तो उसे हमेशा कब्ज की समस्या बनी रहती है जो बवासीर को जन्म देता है.

* अधिक गर्म मसाले, चटनी या रायता जैसी चीजों का सेवन करने से भी बवासीर की शिकायत हो सकती है.

* यदि कोई व्यक्ति दूध का सेवन करने के बाद मांसाहार खाता है तो बवासीर की समस्या हो सकती है.

* यदि कोई व्यक्ति पर्याप्त भोजन का सेवन नहीं करता है तो भी बवासीर की समस्या हो सकती है.

* यदि कोई व्यक्ति ज्यादा धूम्रपान और गुटका, सुपारी का सेवन करता है तो बवासीर होने के चांस अधिक हो जाते हैं.

* ऐसी महिलाएं जो कई बार शिशु को जन्म दे चुकी है उन्हें बवासीर या अर्श रोग की समस्या उत्पन्न हो सकती है. कई महिलाओं में तो गर्भावस्था के दौरान बवासीर की शिकायत हो जाती है जो बच्चे को जन्म देने के बाद खुद ही ठीक हो जाती है.

* यदि कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा शारीरिक संबंध बनाता है तो भी बवासीर होने की संभावना अधिक हो जाती है.

खूनी बवासीर के लक्षण-

* खूनी बवासीर रोग में रोगी के गुदा मार्ग से कभी-कभी खून निकलने लगता है जिससे वह मानसिक रूप से कष्ट होता है.

* रोगी की गुदा से अनचाहे समय पर भी अपने आप बैठे- बैठे या चलते- फिरते खून निकलने की वजह उसके कपड़े खराब हो जाते हैं.

* जिस व्यक्ति को खूनी बवासीर की शिकायत रहती है वह सीधा तन कर बैठ नहीं पाता है और ना ही तन कर चल पाता है.

* गुदा में बहुत तेज दर्द होता है और कभी-कभी दर्द के साथ एक जलन भी होती है.

* जिस व्यक्ति को बवासीर की बीमारी होती है वह मलत्याग आसानी से नहीं कर सकता है उसे मल त्याग करते समय अधिक दर्द का सामना करना पड़ता है साथ ही खून निकल आता है.

* यदि रोगी को पाद भी आती है तो गैस निष्कासन भी ठीक से नहीं हो पाता है जिसके कारण पैरों में पीड़ा होती है और चेहरा फीका पड़ जाता है.

बादी बवासीर के लक्षण-

* यदि कोई व्यक्ति इस रोग से पीड़ित है तो उसके मस्से गुदा के अंदर रहते हैं और उसमें किसी प्रकार का खून नहीं निकलता है लेकिन दर्द की समस्या होती है.

* ऐसे रोगी का मल कठोर होने पर मल त्याग करते समय असहनीय पीड़ा का सामना करना पड़ता है और मस्से सूज जाते हैं जिसके कारण उसे जलन के साथ तीव्र खुजली होती है जो बहुत ही कष्टदयक होती है.

* बादी बवासीर से पीड़ित व्यक्ति का हाथ बार-बार गुदा को खुजलाने की कोशिश करता है क्योंकि इसमें हमेशा खुजली होती रहती है.

खूनी एवं बादी बवासीर का शर्तिया आयुर्वेदिक इलाज-

1 .कांचनार गुग्गुल-

दो-दो गोली सुबह-शाम ठंडे पानी के साथ.

2 .गंधक रसायन वटी-

दो-दो गोली सुबह-शाम पानी के साथ.

3 .त्रिफला चूर्ण-

एक चम्मच रात को खाना खाने के बाद गुनगुने पानी के साथ सेवन करें.

यह बादी बवासीर का शर्तिया इलाज है. यदि खूनी बवासीर हो तो इसके साथ लाल फिटकरी को भूनकर पीसकर पाउडर बना लें. अब आधा ग्राम की मात्रा में सुबह- शाम कांचनार गुग्गुल एवं गंधक रसायन वटी के साथ ही सेवन करें. एक-दो दिन में खून आना बंद हो जाता है.

नोट- इसके नियमित 3 महीने तक सेवन करने से खूनी एवं बादी बवासीर जड़ से खत्म हो जाता है यह आजमाया हुआ आयुर्वेदिक इलाज है.

बवासीर का घरेलू उपाय-

1 .20 ग्राम नीम की हरी पत्तियां और 20 ग्राम पीपल की हरी पत्तियों को लेकर उन्हें बारिक पीस लीजिए और फिर गुदा मार्ग को गर्म पानी से अच्छी तरह से साफ करके इस पर लेप को लगाएं. इससे मस्से खत्म हो जाते हैं.

2 .पका हुआ केला के बीच में फाड़ कर उसमें एक मसूर के बराबर भीमसेनी कपूर को रखकर इसे शीत में रात भर के लिए रख दें और सुबह खाली पेट से खा लें. इसका नियमित 7 दिनों तक सेवन करने से किसी भी बवासीर में अच्छा लाभ होता है.

3 .तुलसी के ताजे पत्तियों को पीसकर मस्से पर लेप करने से मस्सा बहुत जल्दी ठीक हो जाता है. लेकिन इसका लेप करने से पहले साफ पानी के गुदा को अच्छी तरह से साफ कर लें.

4 .आधा चम्मच आंवले का चूर्ण गर्म पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से बवासीर में अच्छा लाभ होता है.

बाबासीर होने पर क्या खाएं क्या ना खाएं ?

बवासीर रोग खानपान की लापरवाही के कारण ही होता है इसलिए बवासीर से बचने के लिए आपको खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए. यदि कब्ज की शिकायत बनी रहती है तो इसे दूर करने का तुरंत उपाय करना चाहिए ताकि बवासीर की समस्या उत्पन्न ना हो.

* बवासीर से ग्रसित व्यक्ति को मिर्च- मसालेदार भोजन का सेवन बंद कर देना चाहिए.

* बवासीर के रोगी को चाय, कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए.

* भोजन करने के बाद तुरंत नहीं सोना चाहिए.

* कभी भी ऐसे रोगी को पेशाब को ज्यादा देर तक रोककर नहीं रखना चाहिए.

सुबह काम करना फायदेमंद रहेगा

* मल त्याग करने से 10 मिनट पहले एक गिलास पानी पीना चाहिए.

* भोजन में हरी साग- सब्जियों को नियमित शामिल करना चाहिए.

* बवासीर के रोगी को प्रतिदिन दोपहर के समय एक गिलास छाछ यानि माठा का सेवन करना फायदेमंद होता है.

* बवासीर रोग को जल्दी ठीक करने के लिए परहेज करना आवश्यक है इसलिए ऊपर बताए गए परहेज के साथ दवाइयों का नियमित सेवन करें. ऐसा करने से बवासीर से बहुत जल्दी छुटकारा मिल जाएगी.

आयुर्वेद चिकित्सक- डॉ. पी.के. शर्मा.


Post a Comment

0 Comments