इंडियन पेरेंट्स की ये 5 बड़ी गलतियाँ, बच्चों के आत्मविश्वास को कर देती है कमजोर, बिल्कुल ना करें

कल्याण आयुर्वेद - बच्चों की अच्छी परवरिश एक बड़ा मुश्किल काम है, साथ ही मां-बाप का फर्ज भी है. कई बार परिजनों के लिए तय करना कठिन हो जाता है, कि बच्चों को समझाने का कौन सा तरीका ज्यादा बेहतर है. पेरेंटिंग से जुड़ी कुछ गलतियां, जो कई बार बच्चों पर बुरा असर भी डालती हैं. बच्चों के साथ एक मजबूत रिश्ता स्थापित करना जरूरी होता है. इसलिए परिजनों को ऐसी गलतियां दोहराने से बचना चाहिए. आज के इस पोस्ट में हम आपको मां बाप के कुछ ऐसे ही गलतियों से रूबरू करवाएंगे, जो उन्हें अपने बच्चों के साथ बिल्कुल नहीं करना चाहिए. इससे उनके बच्चों में आत्मनिर्भरता की कमी आ जाती है.

इंडियन पेरेंट्स की ये 5 बड़ी गलतियाँ, बच्चों के आत्मविश्वास को कर देती है कमजोर, बिल्कुल ना करें

तो चलिए जानते हैं उन गलतियों के बारे में -

1.दूसरे बच्चों से तुलना करना -

अपने बच्चों की दूसरे बच्चों के साथ तुलना करने पर वे असुरक्षित महसूस करते हैं. ऐसा होने पर वे असहज महसूस करने लगेंगे. जब बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से की जाती है, तो उनका आत्मविश्वास और स्वाभिमान कमजोर पड़ने लगता है. योग्यताओं के आधार पर उनकी तुलना कभी ना करें. उदाहरण के लिए आपके बच्चे का क्लास में कितनी तेजी से गणित के सवाल हल कर लेता है, इस पर ध्यान देने की बजाय. आप अपने बच्चे की ताकत और क्षमताओं को पहचानें.

2.दूसरों के सामने अनुशासन में रखना -

लोगों के गुस्से पर काबू करना, उस वक्त मुश्किल हो जाता है, जब बच्चे दूसरों के सामने मिसबिहेव या कोई गलती कर देते हैं. दूसरों के सामने बच्चों को अनुशासन में रहने के लिए बात करने से बच्चों को असहज महसूस होने लगता है. इससे बच्चों के आत्मनिर्भर और आत्मविश्वास स्वाभिमान को ठेस पहुंचती है. बेहतर होगा कि आप अपने बच्चों को अकेले में ले जाकर शांत स्वभाव से उन्हें समझाएं.

3.बुरे व्यवहार पर बहुत ध्यान देना -

बच्चों का खराब व्यवहार देखते ही पेरेंट्स उन्हें रोकना टोकना शुरू कर देते हैं. माता-पिता पर यह बात भूल जाते हैं, कि बच्चे के जिस बिहेवियर से उन्हें परेशानी हो रही है, वह उनके लिए फायदेमंद भी हो सकता है. उदाहरण के लिए यदि आपके बच्चे पढ़ाई लिखाई से ज्यादा वक्त बाहर की ताजी हवा में खेलने में बिताते हैं, तो इससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास होता है. परंतु माता-पिता उन्हें पढ़ाई लिखाई के लिए फोर्स करते हैं.

4.परिवार को समय ना देना -

पेरेंट्स कई बार बहुत ज्यादा व्यस्त हो जाते हैं. जिसकी वजह से अपने बच्चों और परिवार के साथ क्वालिटी टाइम नहीं बीता पाते हैं. इस अनुभव के बिना बच्चे खुद को नजरअंदाज किए जाने जैसा फील कर सकते हैं. इसलिए जरूरी है कि आप अपने बच्चों और परिवार को टाइम दे, नहीं तो इससे बच्चों में इमोशनल मेंटल डिस्ट्रेस और यहां तक कि एंजायटी और डिप्रेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

5.नियम स्थापित करने में असफल होना -

पेरेंट्स को बच्चों के लिए एक स्पष्ट गाइडलाइंस लागू करने की आवश्यकता होती है. बच्चों के हेल्दी डेवलपमेंट के लिए ऐसा करना बेहद जरूरी है. माता-पिता बच्चों के लिए नियम कानून बनाते हैं. ताकि उन्हें पता रहे कि उन्हें क्या करना है और क्या नहीं. खासतौर से तब, जब बात उनकी सुरक्षा और सेहत से जुड़ी हो, तो ऐसा करना बहुत जरूरी हो जाता है, क्योंकि नियम स्थापित होने से बच्चे सुरक्षित महसूस करते हैं.

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