क्या है पीलिया रोग ? जानें कारण, लक्षण एवं घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय

कल्याण आयुर्वेद- हमारे शरीर में कई तरह की बीमारियां होती रहती है उन्हीं बीमारियों में से एक है पीलिया रोग. जिसमें आंख, नाखून, पेशाब इत्यादि पीले दीखते हैं यहां तक कि जब पीलिया रोग अधिक हो जाता है पूरे शरीर पीले रंग का दिखने लगते हैं.

क्या है पीलिया रोग ? जानें कारण, लक्षण एवं घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय

चलिए जानते हैं विस्तार से-

क्या है पीलिया रोग ?

पीलिया एक मेडिकल कंडीशन है जिसमें आंखें, त्वचा और श्लेष्मा झिल्ली का रंग पीला हो जाता है. यह पीला रंग बिलीरुबिन के उच्च स्तर के कारण होता है जो कि एक पीले नारंगी रंग का बाइल पिगमेंट है. यह बाइल लीवर द्वारा रिलीज होता है. बिलीरुबिन लाल रक्त कोशिकाओं को टूटने से बनता है.

किसी भी व्यक्ति को पीलिया रोग होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे- अनुवांशिक सिंड्रोम, ब्लड डिजीज, बाइल डक्ट का ब्लॉक हो जाना, इंफेक्शन कुछ दवाएं और हेपेटाइटिस इत्यादि शामिल है. इसलिए पीलिया के मरीज को किस कारण से पीलिया हुआ है उसका पता लगाना चाहिए. पीलिया के मरीज को समय से डायग्नोज करने और इलाज कराने की जरूरत है.

डायग्नोज के बाद सही उपचार और बचाव के तरीके को अपनाना बहुत जरूरी है क्योंकि पीलिया आपके मन की शांति को चुरा सकता है. इसके कारण आपकी त्वचा, आंखों का सफेद हिस्सा पीला पड़ जाता है. खून में बिलीरुबिन की मात्रा बहुत ज्यादा हो जाने के कारण पीलिया रोग होता है.

क्या है बिलीरुबिन ?

बिलीरुबिन एक पीला रसायन होता है जो हमारे हिमोग्लोबिन में मौजूद होता है. यह वह पदार्थ होता है जो लाल रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन ले जाने का कार्य करता है. आपके शरीर को पुरानी और डैमेज रक्त कोशिकाओं को बदलने के लिए नई कोशिकाओं का निर्माण करना होता है.

आपका लीवर पुरानी रक्त कोशिकाओं को प्रोसेस करता है जब लीवर इन रक्त कोशिकाओं को मैनेज करने में फेल हो जाता है तो बिलीरुबिन जमा होने लगती है और शरीर में build-up होने लगता है. इसके कारण आपकी त्वचा और आंखें का रंग पीला दिखाई देने लगती है.

पीलिया रोग किसी को भी हो सकता है इसके लिए कोई उम्र मायने नहीं रखता है. बच्चे, बड़े, बुजुर्ग कोई भी इस बीमारी से ग्रसित हो सकते हैं.

पीलिया रोग होने के कारण-

लाल रक्त कोशिकाओं, लीवर कोशिकाओं लीवर में मौजूद पीत नलिकाएं और लीवर के बाहर की पीत नलिकाओं पर प्रभाव डालने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के कारण पीलिया की बीमारी हो सकती है. अनुवांशिक कंडीशन जैसे थैलेसीमिया वाले लोगों को पीलिया होने के अधिकांश चांस रहते हैं.

इसके अलावे जो लोग प्रतिदिन शराब पीते हैं उन्हें पेनक्रिएटाइटिस एल्कोहलिक हेपिटाइटिस और सिरोसिस जैसी समस्याएं हो सकती है जो पीलिया रोग का कारण बन सकती है. यहां तक कि प्राइमरी बाइल सिरोसिस वायलरी अट्रेसिया अग्नाशय और पित्ताशय की थैली में कैंसर जैसी समस्याएं भी पीलिया रोग उत्पन्न करने वाले कारक है. हेपेटाइटिस के टीकाकरण नहीं कराना, टैटू बनवाना और ड्रग्स का इंजेक्शन लगवाना पीलिया रोग का कारण बन सकता है.

पीलिया रोग के लक्षण-

पीलिया को एक बीमारी नहीं कहा जा सकता है बल्कि किसी दूसरे बीमारी का संकेत हो सकता है. पीलिया रोग होने पर सबसे आम लक्षण है रोगी की त्वचा का पीला दिखाई देना. पीलिया के लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग- अलग हो सकते हैं. कुछ लोगों को हल्के लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है तो कुछ लोगों को गंभीर लक्षण हो सकते है.

त्वचा और आंखों का पीला पड़ना, वजन में कमी, भूख कम लगना, बुखार आना, ठंड लगना, उल्टी, मतली, त्वचा पर खुजली, गहरे रंग का पेशाब होना, थकान होना, मलाशय से खून आना, पैरों में सूजन, पेट दर्द और दस्त आदि पीलिया रोग के सामान्य लक्षण है. जिन्हें किसी को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.

पीलिया रोग का निदान-

जब आपके शरीर में पीलिया का लक्षण दिख रहा है तो आपको डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए, डॉक्टर आपकी जांच करेंगे, आपको लिवर फंक्शन टेस्ट कराने के लिए कहा जा सकता है जिसमें आपके लीवर पर सूजन या लीवर सही तरीके से काम कर रहा है या नहीं ? इसका पता लगाया जाएगा.

इसके अलावा पेशाब की जांच, लीवर का अल्ट्रासाउंड स्कैन, एम आर आई या यहां तक कि लीवर की बायोप्सी भी पीलिया की डायग्नोस करने के लिए और इसके सही उपचार का पता लगाने के लिए की जा सकती है.

पीलिया रोग के आयुर्वेदिक एवं घरेलू इलाज-

वैसे तो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के लिए पीलिया रोग का इलाज के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं. यह इस बात पर निर्भर करेगा कि पीलिया रोग होने का कारण क्या है? कुछ लोग के लिए इसे घर पर ही ठीक किया जा सकता है जबकि कुछ लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ सकती है.

हेपेटाइटिस पेनक्रिएटाइटिस लीवर सिरोसिस वाले लोगों को शराब का सेवन बिलकुल बंद करना होगा और डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं का नियमित सेवन करना होगा. कुछ लोगों को पीलिया से छुटकारा पाने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं की भी आवश्यकता पड़ सकती है. कैंसर के कारण पीलिया होने लोगों को एक ऑंकोलॉजिस्ट से सलाह लेने की आवश्यकता होगी. इसका उपचार कैंसर की स्टेप के आधार पर निर्धारित होगा.

1 .काली द्राक्ष, सनमकाई, हरड़ छाल, गुलाब फूल, अमलतास की गिरी, सौंफ, सफेद जीरा, अनारदाना 10- 10 ग्राम लेकर इसे अधकुटा करके 3 भाग कर लें. अब एक भाग को एक कप पानी में रात को रखें और सवेरे छानकर पी लें और दूसरे भाग को सुबह पानी में भिगो कर रखें और शाम को छानकर पीएं. ऐसा 3 दिन लगातार करने से पेशाब साफ होगा और पीलिया रोग कम होने लगेगा.

2 .पुनर्नवा मंडूर या नवायस लौह 4 गुंज और कामलेषु चूर्ण 2 ग्राम सुबह- शाम पानी के साथ सेवन करें और आरोग्यवर्धिनी वटी 12:00 और 4:00 बजे पानी के साथ सेवन करें और लोहासव या कुमार्यासव या पुनर्नवादि क्वाथ या रोहितकारिष्ट 20 मिलीलीटर उतना ही पानी मिलाकर पिएं. नियमित इसका सेवन करने से कुछ दिनों में पीलिया रोग दूर हो जाता है.

2 .आलूबुखारा का रस दो चम्मच और शुद्ध फिटकरी 1 ग्राम दही या छाछ में मिलाकर पिएं.

3 .यदि बुखार साथ में हो रही है तो महासुदर्शन वटी दो-दो गोली सुबह-शाम सेवन करें.

4 .धगर बेल ( देवदाली फल ) के एक फल को 20 मिलीलीटर पानी में अच्छी तरह से पीसकर कपड़े से छानकर रोगी की नाक में दो-दो बूंद डाल कर बैठायें और नाक को हाथ ना लगाएं. ऐसा करने से एक-दो घंटे में पीला पानी नाक से बाहर निकलने लगेगा और पीलिया रोग में अच्छा लाभ होगा.

5 .चुने में थोड़ा पानी डालकर वह चुना हाथों से शरीर को मलने और पानी से धोने से भी पीलापन निकल जाता है.

6 .पुनर्नवा की छोटे-छोटे टुकड़े बनाकर इसे धागा में पिरो कर माला बनाकर गले में बांधे तो माला बढ़ती जाएगी और पीलिया घटती जाएगी और धीरे-धीरे पीलिया रोग ठीक हो जाएगा. फिर उस माला को पैर से निकालें यानी सिर से नहीं निकालना है.

7 .यदि कमजोरी की समस्या हो तो धात्री रसायन 10-10 ग्राम सुबह-शाम दूध के साथ सेवन कराएं.

10 ग्राम हल्दी 5 ग्राम शुद्ध फिटकिरी मट्ठा या छाछ में मिलाकर दिनभर केवल छाछ ही पिलाएं और कुछ सेवन ना कराएं एवं घर पर ही आराम करें बाहर ना निकले तो दो-तीन दिन में ही जॉन्डिस की समस्या से छुटकारा मिल जाएगी

11 .आलू बुखारा का 10 दाना, इमली 10 ग्राम को रात में आधा पाव पानी में भिगोकर रखें. सुबह इसे मसलकर छानकर रोगी को पिलाएं. चार-पांच दिन में ही अच्छा लाभ होगा.

12 .शिलाजीत दो गुंज 50 मिलीलीटर पानी में डालकर तीन बार दिन में पिएं. ऐसा करने से पीलिया में अच्छा लाभ होता है.

13 .एरंड ( रेड़ी ) पत्र का रस दो चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से पीलिया रोग जल्दी ठीक होता है.

14 .मूली के पत्तों का जूस प्रतिदिन एक गिलास पिएं और कच्ची मूली खाएं. ऐसा करने सिर्फ 7 दिन में पीलिया जड़ से खत्म हो जाता है.

15 .यदि पीलिया के लक्षण दिखाई पड़ते ही प्रतिदिन सुबह-शाम 4-4 कच्चे केले को चीनी के साथ सेवन करें तो ऐसा करने से पीलिया रोग 5- 7 दिन में दूर हो जाता है.

16 .अगर पीलिया के लक्षण दिखाई देने लगे तो गन्ने का रस 1-2 गिलास सुबह खाली पेट प्रतिदिन सेवन करने से 7-8 दिन में ही पीलिया रोग दूर हो जाता है.

पीलिया रोग में इन चीजों से रखें परहेज-

पूर्ण विश्राम करें, धूप में नहीं जाए, आग से दूर रहें, तेल- घी खाना वर्जित है. कम मात्रा में भोजन करें तथा नींबू, दही, छाछ, गन्ने का रस, अंगूर, अनार, नारंगी, मिठा आम, मूली, गाजर, लहसुन और दूध आदि का सेवन करें. तीक्ष्ण और खारे पदार्थ से दूर रहें.

शराब का सेवन बिल्कुल ना करें.

नोट- यह पोस्ट शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है उपर्युक्त उपाय एवं औषधियां आयुर्वेद ज्ञान गंगा पुस्तक में वर्णित इलाज के बारे में बताया गया है. लेकिन फिर भी किसी भी प्रयोग से पहले योग्य डॉक्टर की सलाह जरूर लें क्योंकि औषधियों की मात्रा और प्रयोग स्थिति के अनुसार लाभदायक होता है जिसका निर्धारण एक योग्य चिकित्सक ही कर सकता है.

यह जानकारी अच्छी लगे तो लाइक, शेयर जरूर करें. धन्यवाद. 

Post a Comment

0 Comments