कल्याण आयुर्वेद- इन दिनों बाजारों में कई जगह काले और हरे सिंघाड़ों की बहार आई हुई है। सिंघाड़ा केवल स्वाद ही नहीं बल्कि सेहत और स्वास्थ्य के लिए भी इतना फायदेमंद है, कि आपने कल्पना भी नहीं की होगी।
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सिंघाड़ा क्या है ? जाने खाने के 10 स्वास्थ्यवर्धक फायदे |
सिंघाड़ा क्या है ?
भारत के कई राज्यों में मुख्य रूप से सिंघाड़ा (Singhara) की एक अलग पहचान पाई जा सकती है। अलग-अलग क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है, सिंहाड़ा, सिंघाणा, लिंग नट, डेविल पॉड, बैट नट और भैंस नट भी कहा जाता है। इसे वॉटर चेस्टनट (Water chestnut) और वाटर कालट्रॉप (Water Caltrop) भी कहते हैं। सिंघाड़ा का वानास्पतिक नाम ट्रापा नटान्स (Trapa natans) है। यह ओनाग्रेसी (Onagraceae) प्रजाति से संबंधित होता है। इसकी खेती तालाबों में की जाती है। इसके आटे का इस्तेमाल लोग उपवास में खाने के लिए भी करते हैं। इसका पौधा एक लता होती है जो पानी में पसरने वाली होती है। इसका फल तिकोने आकार का होता है। जिसके सिर पर सींगों की तरह दो कांटे होते हैं। भारत के अलावा, चीन में भी मुख्य रूप से इसका इस्तेमाल खाने में किया जाता है।
इसके फल के ऊपर एक मोटी परत का छिलका होता है, जिसे हटाकर इसे खाया जा सकता है। इसके गूदे को सुखाकर और फिर उसे पीसकर उससे बनाए गए आटे का इस्तेमाल विभिन्न तरह के पकवान बनाने में किया जा सकता है। इसके आटे को गिरी का आटा भी कहा जाता है। इसकी खेती के लिए कीचड़ युक्त जमीन का होना जरूरी होता है। पानी के अंदर इसकी जड़े बहूत दूर तक फैलती हैं। यह कंकरीली या बलुई जमीन में नहीं उग सकता है। इसके पत्ते तीन अंगुल चौड़े कटावदार होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के होते हैं।
सिंघाड़ा को एक शरीर को ठंडक प्रदान करने वाला, वीर्य बढ़ाने वाला, मलरोधक, वातकारक, मोटापा दूर करने वाला, सेक्स की इच्छा बढ़ाने वाला और योनि से जुड़ी समस्याओं को दूर करने वाली औषधी माना जाता है। आमतौर पर इसे सर्दियों के मौसम में पाया जा सकता है। इसका फल स्टार्च युक्त होता है। जापानी में, इस पौधे को हिशी कहा जाता है जिसका अर्थ है लोजेंज या हीरे के आकार का। भारत, चीन और जापान के अलावा 40 से अधिक देशों में इसकी खेती की जाती है। इसके बीज में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं जो दर्द को कम करने वाला, ब्रेस्ट साइज बढ़ाने वाला, बुखार कम करने वाला, भूख बढ़ाने वाला और शारीरिक कमजोरी दूर करने वाला होता है। साथ ही, यह दस्त से भी आराम दिला सकता है।
जानिए सिंघाड़े के यह 10 स्वास्थ्य फायदे -
1 .सिंघाड़े में विटामिन-ए, सी, मैंगनीज, थायमाइन, कर्बोहाईड्रेट, टैनिन, सिट्रिक एसिड, रीबोफ्लेविन, एमिलोज, फास्फोराइलेज, एमिलोपैक्तीं, बीटा-एमिलेज, प्रोटीन, फैट और निकोटेनिक एसिड जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं।
2 .सिंघाड़ा शरीर के लिए मैंगनीज का अवशोषक करने में सक्षम होता है जिससे शरीर को मैंगनीज का भरपूर लाभ मिलता है। यह पाचन तंत्र के लिए बढ़िया है साथ ही बुढ़ापे में होने वाली कई बीमारियों से भी बचाता है।
3 .गर्भावस्था में सिंघाड़े का सेवन करना माता और शिशु के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इससे गर्भपात का खतरा भी कम होता है। इसके अलावा सिंघाड़ा खाने से मासिक धर्म संबंधी समस्याएं भी ठीक होती हैं।
4 .सिंघाड़ा शरीर को उर्जा देता है, इसलिए उसे व्रत और उपवास के खाने में भी अलग-अलग तरह से शामिल किया जाता है। इसमें आयोडीन भी पाया जाता है, जो गले संबंधी रोगों से रक्षा करता है और थाइरॉइड ग्रंथि को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।
5 .पीलिया के मरीजों के लिए सिंघाड़ा लाभदायक होता है। पीलिया में सिंघाड़ा खाना और इसका जूस पीना काफी लाभ देता है और पीलिया ठीक करने में मदद करता है।
6 अस्थमा के मरीजों के लिए भी सिंघाड़ा बहुत फायदेमंद होता है। सिंघाड़े का नियमित तौर पर प्रयोग करने से अस्थमा की समस्या कम होती है और सांस संबधी अन्य समस्याओं में आराम मिलता है।
7 .बवासीर जैसी मुश्किल समस्याएं भी सिंघाड़े के प्रयोग से ठीक हो सकती हैं। नियमित तौर पर सिंघाड़े का प्रयोग कर आप इससे निजात पा सकते हैं।
8 .सिंघाड़े का सेवन रक्त संबंधी समस्याओं को भी ठीक करता है, साथ ही मूत्र संबंधी रोगों के उपचार के लिए सिंघाड़े का प्रयोग बहुत फायदेमंद है। दस्त लगने पर भी सिंघाड़े का सेवन रामबाण उपाय है।
9 .सिंघाड़ा खाने से फटी एड़ियों में लाभ मिलता है। इसके अलावा शरीर में किसी भी स्थान पर दर्द या सूजन होने पर इसका लेप बनाकर लगाने से बहुत फायदा होता है।
10 .इसमें कैल्शियम भी भरपूर पाया जाता है, इसलिए इसका सेवन करने से हड्डियां और दांत दोनों ही मजबूत होते हैं। यह शारीरिक कमजोरी को दूर करता है। आंखों के लिए भी सर्दी का यह फल बहुत लाभकारी है।
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