कहानी- प्राथमिक विद्यालय में अंजलि नाम की एक शिक्षिका थी.........

 एक प्राथमिक विद्यालय ( school ) मे अंजलि नाम की एक शिक्षिका थीं. वह कक्षा 5 की वर्ग शिक्षिका थी, उसकी एक आदत थी कि वह कक्षा मे आते ही हमेशा "LOVE YOU ALL" बोला करतीं थी.

कहानी- प्राथमिक विद्यालय में अंजलि नाम की एक शिक्षिका थी.........

लेकिन वह खुद भी जानती थीं कि वह सच नहीं बोल रही. क्योंकि वह कक्षा के सभी बच्चों से एक जैसा प्यार नहीं करती थीं.

कक्षा में एक ऐसा बच्चा था जो उनको फटी आंख भी नहीं भाता था. जिसका नाम राजू था. क्योंकि राजू मैली कुचेली कपड़ों में स्कूल आ जाया करता है. उसके बाल खराब होते थे, फटे- पुराने जूतों के बन्धन खुले रहते थे, शर्ट के कॉलर पर मैल के निशान रहते थे और पढ़ाई के दौरान भी उसका ध्यान कहीं और होता था.

.मेडम के डाँटने पर वह चौंक कर उन्हें देखता, लेकिन उसकी खाली- खाली नज़रों से साफ पता लगता रहता था कि राजू शारीरिक रूप से कक्षा में उपस्थित होने के बावजूद भी मानसिक रूप से गायब रहता है यानि वह कक्षा में उपस्थित तो रहता था लेकिन उसका ध्यान कहीं और रहता था. धीरे- धीरे मैडम को राजू से नफरत सी होने लगी. कक्षा में घुसते ही राजू मैडम की आलोचना का निशाना बनने लगता. सब बुराई उदाहरण राजू के नाम पर किये जाते. बच्चे उस पर खिलखिला कर हंसते.और मैडम राजू को अपमानित कर के संतोष प्राप्त करतीं थी. 

राजू ने हालांकि किसी बात का कभी कोई जवाब नहीं दिया था.

मैडम को राजू एक बेजान पत्थर की तरह लगता था जिसके अंदर आत्मा नाम की कोई चीज नहीं थी. प्रत्येक डांट, व्यंग्य और सजा के जवाब में वह बस अपनी भावनाओं से खाली नज़रों से उन्हें देखा करता और सिर झुका लेता था. मैडम को अब राजू से गंभीर नफरत हो चुकी थी.

.पहला सेमेस्टर समाप्त हो गया और प्रोग्रेस रिपोर्ट बनाने का चरण आया तो मैडम ने राजू की प्रगति रिपोर्ट में यह सब बुरी बातें लिख डाली. प्रगति रिपोर्ट माता- पिता को दिखाने से पहले प्रध्यानाध्यापक यानि हेड मास्टर के पास जाया करती थी. उन्होंने जब राजू की प्रोग्रेस रिपोर्ट देखी तो मैडम को बुलाया. "मैडम आपको प्रगति रिपोर्ट में कुछ तो राजू की प्रगति भी लिखनी चाहिए. आपने तो जो कुछ लिखा है इससे राजू के पिता बिल्कुल निराश हो जाएंगे." 

मैडम ने कहा "मैं माफी माँगती हूँ, लेकिन राजू एक बिल्कुल ही अशिष्ट और निकम्मा बच्चा है. मुझे नहीं लगता कि मैं उसकी प्रगति के बारे में कुछ लिख सकती हूँ. "मैडम घृणित लहजे में बोलकर वहां से उठ कर चली गई स्कूल की छुट्टी हो गई.

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अगले दिन हेड मास्टर ने एक विचार किया ओर उन्होंने चपरासी के हाथ मैडम की डेस्क पर राजू की पिछले वर्षों की प्रगति रिपोर्ट रखवा दी. अगले दिन मैडम ने कक्षा में प्रवेश किया तो रिपोर्ट पर नजर पड़ी. पलट कर देखा तो पता लगा कि यह राजू की रिपोर्ट हैं. " मैडम ने सोचा कि पिछली कक्षाओं में भी राजू ने निश्चय ही यही गुल खिलाए होंगे." उन्होंने सोचा और कक्षा 3 की रिपोर्ट खोली. रिपोर्ट में टिप्पणी पढ़कर उनकी आश्चर्य की कोई सीमा न रही जब उन्होंने देखा कि रिपोर्ट उसकी तारीफों से भरी पड़ी है. "राजू जैसा बुद्धिमान बच्चा मैंने आज तक नहीं देखा." "बेहद संवेदनशील बच्चा है और अपने मित्रों और शिक्षक से बेहद लगाव रखता है." " यह लिखा था रिपोर्ट में.

अंतिम सेमेस्टर में भी राजू ने प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया है. "मैडम ने अनिश्चित स्थिति में कक्षा 4 की रिपोर्ट खोली." राजू ने अपनी मां की बीमारी का बेहद प्रभाव लिया, .उसका ध्यान पढ़ाई से हट रहा है। "" राजू की माँ को अंतिम चरण का कैंसर हुआ है. घर पर उसका और कोई ध्यान रखनेवाला नहीं है. जिसका गहरा प्रभाव उसकी पढ़ाई पर पड़ा है.

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" लिखा था

निचे हेड मास्टर ने लिखा कि राजू की माँ मर चुकी है और इसके साथ ही राजू के जीवन की चमक और रौनक भी.  उसे बचाना होगा...इससे पहले कि बहुत देर हो जाए. " यह पढ़कर मैडम के दिमाग पर भयानक बोझ हावी हो गया. कांपते हाथों से उन्होंने प्रगति रिपोर्ट बंद की. मैडम की आखो से आंसू एक के बाद एक गिरने लगे. मैडम ने साङी से अपने आंसू पोछे.

अगले दिन जब मैडम कक्षा में दाख़िल हुईं तो उन्होंने अपनी आदत के अनुसार अपना पारंपरिक वाक्यांश "आई लव यू ऑल" दोहराया. 

.मगर वह जानती थीं कि वह आज भी झूठ बोल रही हैं क्योंकि इसी क्लास में बैठे एक उलझे बालों वाले बच्चे राजू के लिए जो प्यार वह आज अपने दिल में महसूस कर रही थीं..वह कक्षा में बैठे अन्य किसी भी बच्चे से अधिक था.

पढ़ाई के दौरान उन्होंने रोजाना दिनचर्या की तरह एक सवाल राजू पर दागा और हमेशा की तरह राजू ने सिर झुका लिया. जब कुछ देर तक मैडम से कोई डांट फटकार और सहपाठी सहयोगियों से हंसी की आवाज उसके कानों में न पड़ी तो उसने अचंभे में सिर उठाकर मैडम की ओर देखा. अप्रत्याशित उनके माथे पर आज बल न थे, वह मुस्कुरा रही थीं. उन्होंने राजू को अपने पास बुलाया और उसे सवाल का जवाब बताकर जबरन दोहराने के लिए कहा. राजू तीन- चार बार के आग्रह के बाद अंतत:बोल ही पड़ा. इसके जवाब देते ही मैडम ने न सिर्फ खुद खुशान्दाज़ होकर तालियाँ बजाईं बल्कि सभी बच्चो से भी तालियाँ बजवायी..

.फिर तो यह दिनचर्या बन गयी. मैडम हर सवाल का जवाब अपने आप बताती और फिर उसकी खूब सराहना यानि तारीफ करतीं. प्रत्येक अच्छा उदाहरण राजू के कारण दिया जाने लगा. धीरे-धीरे पुराना राजू सन्नाटे की कब्र फाड़ कर बाहर आ गया. अब मैडम को सवाल के साथ जवाब बताने की जरूरत नहीं पड़ती. वह प्रतिदिन बिना त्रुटि उत्तर देकर सभी को प्रभावित करता और नये नए सवाल पूछ कर सबको हैरान भी करने लगा था.

.उसके बाल अब कुछ हद तक सुधरे हुए होते, कपड़े भी काफी हद तक साफ होते, जिन्हें शायद वह खुद धोने लगा था. देखते ही देखते साल समाप्त हो गया और राजू ने दूसरा स्थान हासिल कर कक्षा 5वीं पास कर लिया यानि अब दुसरी जगह स्कूल मे दाखिले के लिए तैयार था.

.कक्षा 5वीं के विदाई समारोह में सभी बच्चे मैडम के लिये सुंदर उपहार लेकर आए और मैडम की टेबल पर उपहारों का ढेर लग गया. इन खूबसूरती से पैक हुए उपहारो में एक पुराने अखबार में बदतर सलीके से पैक हुआ एक उपहार भी पड़ा था. बच्चे उसे देखकर हंस रहे थे. किसी को जानने में देर न लगी कि यह उपहार राजू लाया होगा. मैडम ने उपहार के इस छोटे से पहाड़ में से लपककर राजू वाले उपहार को निकाला. खोलकर देखा तो उसके अंदर एक महिलाओं द्वारा इस्तेमाल करने वाली इत्र की आधी इस्तेमाल की हुई शीशी और एक हाथ में पहनने वाला एक बड़ा सा कड़ा कंगन था. जिसके ज्यादातर मोती झड़ चुके थे. मैडम ने चुपचाप इस इत्र को खुद पर छिड़का और हाथ में कंगन पहन लिया. बच्चे यह दृश्य देखकर सब हैरान रह गए और खुद राजू भी. आखिर राजू से रहा न गया और मैडम के पास आकर खड़ा हो गया.

कुछ देर बाद उसने अटक- अटककर मैडम को बोला "आज आप में से मेरी माँ जैसी खुशबू आ रही है." इतना सुनकर मैडम के आखो मे आसू आ गये ओर मैडम ने राजू को अपने गले से लगा लिया.

राजू अब दुसरी स्कूल मे जाने वाला था.

राजू ने दुसरी जगह स्कूल मे दाखिले ले लिया था.

समय बितने लगा.

दिन, सप्ताह,

सप्ताह महीने और महीने साल में बदलते भला कहां देर लगती है ?

लेकिन हर साल के अंत में मैडम को राजू से एक पत्र नियमित रूप से प्राप्त होता, जिसमें लिखा होता कि "इस साल कई नए टीचर्स से मिला, लेकिन आप जैसा मैडम कोई नहीं थी."

.फिर राजू की पढ़ाई समाप्त हो गया और पत्रों का सिलसिला भी सम्माप्त हो गए. कई साल आगे गुज़रे और मैडम रिटायर हो गईं.

एक दिन मैडम के घर अपनी मेल ( mail ) में राजू का पत्र मिला जिसमें लिखा था:

"इस महीने के अंत में मेरी शादी है और आपके बिना शादी की बात मैं नहीं सोच सकता. एक और बात .. मैं जीवन में बहुत सारे लोगों से मिल चुका हूं. आप जैसा कोई नहीं है.........आपका डॉक्टर राजू.

पत्र मे साथ ही विमान का आने जाने का टिकट भी लिफाफे में मौजूद था.

मैडम खुद को हरगिज़ न रोक सकी, उन्होंने अपने पति से अनुमति ली और वह राजू के शहर के लिए रवाना हो गईं. शादी के दिन जब वह शादी की जगह पहुंची तो थोड़ी लेट हो चुकी थीं.

उन्हें लगा समारोह समाप्त हो चुका होगा.. लेकिन यह देखकर उनके आश्चर्य की सीमा न रही कि शहर के बड़े डॉक्टर , बिजनेसमैन और यहां तक कि वहां पर शादी कराने वाले पंडितजी भी थक गये थे. कि आखिर कौन आना बाकी है...मगर राजू समारोह में शादी के मंडप के बजाय गेट की तरफ टकटकी लगाए उनके आने का इंतजार कर रहा था. फिर सबने देखा कि जैसे ही एक बुड्ढी औरत यानि मैडम ने गेट से प्रवेश किया राजू उनकी ओर लपका और उनका वह हाथ पकड़ा जिसमें उन्होंने अब तक वह कड़ा पहने हुए थी और उन्हें सीधा मंच पर ले गया.

राजू ने माइक हाथ में पकड़ कर कुछ यूं बोला "दोस्तों आप सभी हमेशा मुझसे मेरी माँ के बारे में पूछा करते थे और मैं आप सबसे वादा किया करता था कि जल्द ही आप सबको उनसे मिलाउंगा. 

ध्यान से देखो यह यह मेरी प्यारी सी माँ दुनिया की सबसे अच्छी है यह मेरी माँ. यह मेरी माँ है.....

प्रिय दोस्तों.... इस सुंदर कहानी को सिर्फ शिक्षक और शिष्य के रिश्ते के कारण ही मत सोचिएगा. अपने आसपास देखें, राजू जैसे कई फूल मुरझा रहे हैं जिन्हें आपका जरा सा ध्यान, प्यार और स्नेह नया जीवन दे सकता है. यह कहानी अच्छी लगी हो तो लाइक तथा शेयर जरुर करें.

स्रोत- फेसबुक 

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