क्या आलसपन बनाता है हड्डियों को कमजोर ? जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

कल्याण आयुर्वेद - कैल्शियम की कमी से हड्डियों की डेंसिटी, घनत्व और ताकत कम हो जाती है. जिससे खराब पोश्चर और संतुलित जोड़ों में लगातार दर्द और बार-बार फ्रैक्चर जैसी समस्याएं हो सकती हैं और क्यों प्रोसेस के कारण केवल हार्मोन असंतुलन, पारिवारिक इतिहास और पोषण संबंधित कम्युनिटी गड़बड़ी नहीं है. बल्कि एक बहुत ही महत्वपूर्ण लाइफ़स्टाइल भी है. दूसरे शब्दों में कहें तो व्यक्ति जो गतिहीन लाइफ़स्टाइल जीने का विकल्प चुनते हैं, उस समय के साथ हड्डियों के स्वास्थ्य की कमी का अनुभव होना तय है.

क्या आलसपन बनाता है हड्डियों को कमजोर ? जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

आज के पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि क्या आलसीपन की वजह से हमारी हड्डियां कमजोर होने लगती है और इस बारे में एक्सपर्ट क्या कहते हैं, अगर आप भी आरामदायक लाइफ़स्टाइल अपना रहे हैं तो इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें.

कैसे आलसपन कमजोर हड्डियों को करता है ट्रिगर -

एक्सपर्ट के अनुसार, आलस शब्द के अलग-अलग अर्थ हो सकते हैं. इसका मतलब किसी भी तरह की हरकत न करने या शारीरिक गतिविधियां ना करना हो सकता है. एक व्यक्ति पूरे दिन काम करता है. लेकिन व्यायाम करने में असमर्थ है, अच्छा डाइट लेता है और रात की अच्छी नींद को अपनी दिनचर्या में शामिल करता है. वह भी आसानी से और फिर कमजोर हड्डियों का शिकार हो सकता है. सबसे आसान शब्दों में कहें तो एक गतिशील लाइफ़स्टाइल कमजोर हड्डियों का कारण बनता है.

कैसे गतिहिन लाइफ़स्टाइल से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं -

1.लंबे समय तक बैठे रहने से मस्कुलोस्केलेटस सिस्टम का बेहतर उपयोग होता है. एक व्यक्ति औसतन 12 से 13 घंटे रोज बैठता है. ऐसा करने से कूल्हों पर दबाव बहुत पड़ने लगता है, जिसकी वजह से वह कमजोर होने लगते हैं. पैरों पर हील्स पहनने से भी आप की हड्डियां कमजोर हो सकती है. इसलिए बात पर ध्यान देना जरूरी है महिलाएं हमेशा ऐसा काम कर रहे हैं उनकी हड्डियां कमजोर हो जाएंगी.

2.ट्रेनिंग की कमी हड्डियों और जोड़ों को कमजोर बनाने का काम करती है, जो व्यक्ति कुछ एक्टिविटीज नहीं करते हैं. वह पूरे व्यस्त जीवन में अपनी मांसपेशियों का 20 से 40% हिस्सा खो देते हैं. खराब लाइफ़स्टाइल उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को प्रभावित करती है और उपयोग ना हुई और जो अपनी ताकत खो देते हैं.

3.बार-बार होने वाली छोटी-मोटी दुर्घटनाएं, जोड़ों को ट्रॉमा पहुंचाती है. एक बार जब हड्डियां और जोड़ कमजोर होने लगते हैं, तो मामूली गिरना और दुर्घटनाएं एक नियमित घटना बन जाती है. बार बार चोट लगने की वजह से हड्डी कमजोर होने लगती है, जिससे परेशानी और भी ज्यादा बढ़ जाती है. ऐसे मामलों में साधारण आराम पर्याप्त नहीं होता है और खोई हुई हड्डी की ताकत और घनत्व को वापस लाने के लिए तुरंत मेडिकल हेल्प लेने की जरूरत पड़ जाती है.

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