विटामिन डी की कमी बढ़ा सकती है मोटापा, जानिए विटामिन डी के कमी के कारण, लक्षण और उपाय

कल्याण आयुर्वेद- एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि मोटापा और विटामिन डी की कमी का गहरा संबंध है. जिन लोगों की बॉडी में विटामिन डी की कमी होती है उनका मोटापा अधिक होता है.

विटामिन डी की कमी बढ़ा सकती है मोटापा, जानिए विटामिन डी के कमी के कारण, लक्षण और उपाय 

विटामिन डी हमारी बॉडी के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। मज़बूत और स्वस्थ हड्डियों, दांतों और मांसपेशियों के लिए विटामिन डी बहुत ज़रूरी है। विटामिन डी हमारी इम्यूनिटी को मजबूत बनाता है, जिससे संक्रमण से लड़ने में हमारे शारीर को मदद मिलती है। अच्छी और संतुलित आहार से इस विटामिन डी की कमी को पूरा किया जा सकता है। हमारा लाइफस्टाइल ऐसा हो गया है कि हम हर मौसम में बंद कमरों में रहना पसंद करते हैं, जिसकी वजह से हम धूप से विटामिन डी नहीं ले पाते हैं जबकि धूप विटामिन डी बेहतर स्रोत है. विटामिन डी बॉडी के लिए जरूरी विटामिन है, लेकिन आप जानते हैं कि इस विटामिन की कमी होने का संबंध आपके मोटापा से भी है. जी हां, एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि जिन लोगों की बॉडी में विटामिन डी की कमी होती है, उनका मोटापा बढ़ जाता है.

विटामिन डी की कमी बढ़ाती है मोटापा ?  

'साइंटिफिक रिपोर्ट्स' पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च पेपर में यह बात सामने आई है कि मोटापा और विटामिन डी की कमी का गहरा संबंध है. अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जब बॉडी में विटामिन डी की कमी होती है, तो वसा शरीर में जमा होने लगता है. अध्ययन के मुताबिक विटामिन डी की कमी मेटाबोलिक दर को भी प्रभावित करती है.

अमेरिका की नॉर्थ कैरोलिना यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि विटामिन डी की कमी के कारण लोगों में हाइपरप्लासिया और असाधारण वृद्धि की स्थिति पाई गई है. उसके अलावा फैट सेल्स के आकार में बदलाव का भी पता चला है।

किस तरह प्रभावित करती है विटामिन डी की कमी ?

अध्ययन के मुताबिक जिन लोगों में विटामिन डी की कमी होती है उनके ब्लड में ट्राइग्लिसराइड्स और हाई कोलेस्ट्रोल लेवल देखा जाता है. ट्राइग्लिसराइड्स और हाई कोलेस्ट्रोल लेवल को मेटाबोलिक की खराबी का लक्षण समझा जाता हैं.

विटामिन डी की कमी के लक्षण क्या हैं ?

विटामिन डी की कमी बढ़ा सकती है मोटापा, जानिए विटामिन डी के कमी के कारण, लक्षण और उपाय
 
जब शरीर में विटामिन डी की कमी होती है तो उसके लक्षण भी दिखाई देते हैं.शरीर में किसी भी चीज की कमी होती है तो उसके संकेत जरूर दिखाई देते हैं.अगर लंबे समय तक विटामिन डी की कमी शरीर में रह जाती है तो यह मोटापा ही नही बल्कि कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारी का कारण भी बनती है.

1 .कमजोरी व थकान-

शरीर को ऊर्जा देने के लिए विटामिन डी जरूरी होता है. अगर आपको बार-बार थकान का अनुभव होता है तो यह विटामिन डी की कमी का लक्षण हो सकता है. अगर आपकी डेली लाइफ बेहतर है तब भी आपको थकान लगती है तो आपको विटामिन डी की कमी का टेस्ट कराना चाहिए.

2 .त्वचा में रूखापन-

जब शरीर में विटामिन डी का लेवल कम होता है तो त्वचा में रूखापन बढ़ने लगता है. शरीर को विटामिन डी सिर्फ पोषण ही नहीं देता कई अन्य क्रियाओं को भी करता है. स्किन केयर के लिए भी विटामिन डी जरूरी होता है.

3 .जोड़ों में दर्द होना -

विटामिन डी की कमी का सबसे ज्यादा असर हड्डियों व मांसपेशियों पर पड़ता है. जब हड्डियों और मांसपेशियों में लगातार दर्द का अनुभव हो तो यह विटामिन डी की कमी का लक्षण हैं.

कुछ लोगों में हमेशा कमर दर्द की परेशानी देखने को मिलती है. ज्यादातर महिलाओं में कमर दर्द का कारण विटामिन डी की कमी ही होता है. अगर लंबे समय तक विटामिन डी की कमी रहती है तो हड्डियों का रोग भी होता है.

4 .शरीर में सूजन-

विटामिन डी का बड़ा संकेत है कि घाव का धीमी रफ्तार से भरना. जी हां अगर आपको कहीं भी चोट लगती है और वो घाव भरने में वक्त लगता है तो इसका संकेत भी विटामिन डी से हो सकता है. दरअसल यह विटामिन सूजन को नियंत्रित करने और संक्रमण से लड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. एक अध्ययन से पता चलता है कि विटामिन डी की गंभीर कमी से पीड़ित लोगों में सूजन से पीड़ित होने की अधिक संभावना होती है, जो उपचार प्रक्रिया को रोक सकती है.

5 .तनाव व डिप्रेशन-

खास तौर से महिलाओं में विटामिन डी की कमी से तनाव की समस्या पैदा हो जाती है और इसके कारण वे लगातार उदासी महसूस करती हैं. महिलाओं में विटामिन डी की आवश्यकता अधि‍क होती है.

6 .बालों का झड़ना-

बालों का झड़ना भी इसका संकेत है. अगर आपके तेजी से बाल गिर रहें हैं तो ध्यान देने की जरूरत है कि आप अपना चेकअप करा लें.

विटामिन डी की कमी के कारण क्या हैं ?

वैसे तो विटामिन डी की कमी का मुख्य कारण शरीर में धूप का कम लगना माना जाता है. लेकिन कई बार यह अन्य वजहों से भी हो सकता है. अगर आप संतुलित भोजन नहीं करते हैं और जरूरी एक्सरसाइज नहीं करते हैं तो आपके शरीर में विटामिन डी की कमी हो सकती है.

हाल के वर्षों में भारत जैसे देशों में भी विटामिन डी की कमी के मरीज बढ़ रहे हैं. भारत में सबसे ज्यादा विटामिन डी की कमी की शिकार महिलाएं होती हैं. क्योंकि वो हमेशा पूरे कपड़े पहनती हैं और उनके पूरे शरीर में धूप नहीं लगती है.

अगर आप नियमित तौर पर कम से कम 15 मिनट की धूप लेते हैं तो विटामिन डी की कमी होने के संभावना कम होते हैं. विटामिन डी के लिए पूरे कपड़े उतार कर कम से कम 15 मिनट से 30 मिनट की धूप लेना चाहिए.

विटामिन डी की कमी को कैसे पूरा करे ?

शरीर में विटामिन डी की मात्रा को संतुलित करने का सबसे पहला उपाय यह है कि हमें ऐसे पदार्थों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए जिनमें कि विटामिन डी की प्रचुर मात्रा मौजूद हो.

यक़ीनन सूरज की किरणों और धूप से हमारी त्वचा टैन हो जाती है लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि हम धूप की किरणों से बिलकुल दूर रहें.

हमें सुबह की गुनगुनी धूप से अपना शरीर अवश्य सेंकना चाहिए।  सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें विटामिन डी का अच्छा स्रोत होती हैं. इसलिए हम इनके द्वारा अपने शरीर में विटामिन डी का स्तर संतुलित कर सकते हैं.

हमें समय समय पर अपनी जाँच करानी चाहिए ताकि शरीर में किसी भी प्रकार की कोई समस्या हो तो हम उसके बारे में जागरूक हो सकें.

यदि हमारी हड्डियों, मांसपेशियों या रीढ़ की हड्डी में किसी भी प्रकार का कोई दर्द है तो हमें तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए. हमें यह चेकअप करा लेना चाहिए कि हमारे शरीर में विटामिन डी की प्रचुर मात्रा है या नहीं.

यदि जाँच में हमारे शरीर में विटामिन डी की कम मात्रा निकलती है तो हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम विटामिन डी की मात्रा अपने शरीर में संतुलित करें.

इसके लिए हम विटामिन डी से भरपूर पदार्थों को ले सकते हैं. यदि इसके बावजूद भी हमारे शरीर में विटामिन डी का स्तर संतुलित नहीं हो पा रहा है तो हमें डॉक्टर विटामिन डी से युक्त इंजेक्शन या टेबलेट दे सकते है.

विटामिन डी की कमी में क्या खाना चाहिए ?

विटामिन डी कि कमी होने पर हमें इन चीजों का नियमित सेवन करना चाहिए जैसे-

* दूध

* सालमन मछली

* अंडे की ज़र्दी

* टूना मछली

* फैटी फ़िश

* चीज़

* बीफ़ लीवर

* सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें

इसके अलावा हम विटामिन डी को कुछ प्रकार कि दालों और सब्ज़ियों से भी प्राप्त कर सकते हैं.

नोट- यह लेख शैक्षणिक उदेश्य से लिखा गया है किसी बीमारी के इलाज का विकल्प नही है अतः उपर्युक्त लक्षण मिलने पर योग्य डॉक्टर की सलाह लें. धन्यवाद.

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