कल्याण आयुर्वेद - जब हमारे शरीर में कुछ सेल्स अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगते हैं, तो यह कैंसर की शुरुआत होती है. अनियंत्रित रूप से बढ़ रहे यह कोशिकाएं इतनी शक्ति शक्तिशाली होती है, कि यह शरीर के सामान्य उत्तको में घुसपैठ करके उन्हें नष्ट कर देती हैं. एक बार कैंसर होने के बाद यह पूरे शरीर में फैल सकता है. कैंसर कितनी घातक बीमारी है. यह तो आप सभी जानते ही होंगे. दुनिया भर में होने वाली कुल मौतों में दूसरा सबसे बड़ा कारण कैंसर ही है. कैंसर की स्क्रीनिंग उपचार और रोकथाम के लिए उठाए जा रहे कदमों का असर पड़ रहा है और अच्छी बात यह है कि कई प्रकार के कैंसर पर अब मरीजों को ठीक होने और बचने की दर बढ़ रही है.
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कैंसर क्या है ? जानिए इसके लक्षण, कारण, पहचान और इलाज |
कैंसर होने के कुछ लक्षण क्या है -
कैंसर के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं, कि इससे शरीर का कौन सा हिस्सा प्रभावित हुआ है. इससे जुड़े कुछ प्रमुख लक्षणों के बारे में हम यहां बता रहे हैं. हालांकि इसके लक्षण और भी हो सकते हैं.
1.थकावट होना,
2.शरीर में गांठ होना और त्वचा के बाहर से महसूस होना,
3.वजन में बदलाव होना,
4.अकारण वजन बढ़ना या घटना,
5.त्वचा में बदलाव महसूस होना, जैसे त्वचा, पीलिया, लाल पड़ना या रंग गहरा होना,
6.त्वचा पर ऐसे घाव होना जो जल्दी ठीक ना हो,
7.तिल और मस्से में बदलाव होना,
8.बोवेल और ब्लाडर की आदतों में बदलाव होना,
9.लगातार खांसी और सांस लेने में तकलीफ होना,
10.निगलने में तकलीफ होना, आवाज में कर्कशता आना,
11.लगातार अपच की समस्या या खाने के बाद बेचैनी महसूस होना,
12.लगातार बिना किसी कारण के मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना,
13.अकारण रक्तस्राव और नील पढ़ना.
कैंसर किन कारणों से होता है -
कोशिकाओं के भीतर डीएनए में परिवर्तन के कारण कैंसर होता है. कोशिका के अंदर मौजूद डीएनए में बड़ी संख्या में अलग-अलग जिन मौजूद होते हैं, जिनमें से प्रत्येक में निर्देशों का एक सेल होता है, जो कोशिका को बताता है कि उन्हें क्या कार्य करना है ? कैसे बढ़ना है और कैसे म्युटेट करना है ?
निर्देशों में किसी तरह की त्रुटि की वजह से कोशिका अपना सामान्य कार्य करना बंद कर देती है और फिर कोशिका कैंसर से संक्रमित हो जाती है.
कैंसर के रिस्क फैक्टर -
डॉक्टरों के इस बात का आभास होता है, कि किन किन कारणों से आपको रिस्क फैक्टर बढ़ सकता है. लेकिन यह भी एक फैक्टर है कि जिन लोगों को कैंसर होता है, उनमें से ज्यादातर के साथ कोई रिस्क फैक्टर जुड़ा नहीं होता है, निम्न फैक्टर है जो कैंसर का रिस्क बढ़ा सकते हैं.
1.आपकी उम्र -
कैंसर को विकसित होने में दशकों लग सकते हैं. यह कारण है कि ज्यादातर लोगों में 65 वर्ष या इससे अधिक उम्र होने के बाद कैंसर की पहचान होती है. हालांकि कैंसर के ज्यादातर मामले बुजुर्गों में देखने को मिलते हैं. लेकिन यह बुजुर्गों की बीमारी नहीं है. आपको बता दें कि यह किसी भी उम्र में किसी भी व्यक्ति को हो सकती है.
2.आपकी आदतें -
जीवनशैली से जुड़ी कुछ आदतें ऐसी हैं, जो कैंसर होने का खतरा बढ़ा देती है. खासतौर पर धूम्रपान महिलाओं का दिन भर में 1 से ज्यादा शराब का सेवन करना और पुरुषों का 2 से ज्यादा पेग लेना, धूप में ज्यादा देर तक रहना और असुरक्षित यौन संबंधों की वजह से भी कैंसर हो सकता है.
3.कैंसर का पारिवारिक इतिहास -
यदि आपके घर परिवार में पहले किसी को कैंसर हुआ है, तो आपको कैंसर होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है. अगर आपके परिवार में कई लोगों को कैंसर हो चुका है, तो आपको जेनेटिक कैंसर हो सकता है.
4.आपके स्वास्थ्य स्थितियां -
कुछ क्रॉनिक हेल्थ कंडीशन जैसे अल्सरेटिव कोलाइटिस की वजह से आपको कैंसर का खतरा अधिक हो सकता है.
5.वातावरण भी एक रिस्क फैक्टर है -
आप किस तरह के वातावरण में रहते हैं. इसका भी आपकी सेहत पर असर पड़ता है. अगर आप ऐसे वातावरण में रहते हैं जहां हानिकारक केमिकल आप के आस पास रहते हैं, तो आपको कैंसर होने का खतरा ज्यादा है. यदि आप धूम्रपान करने वाले लोगों के बीच में रहते हैं, तो आप सैकेंडहैंड स्मोक करते हैं और यह भी आपके लिए खतरनाक हो सकता है.
कैंसर का निदान कैसे होता है ?
कैंसर का शुरुआती स्टेज पर निदान होने से इसका इलाज आसान हो जाता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए और समझना चाहिए कि आपके लिए कैंसर स्क्रीनिंग का सबसे अच्छा तरीका क्या हो सकता है. कुछ प्रकार के कैंसर में समय पर पहचान होने से लोगों की जान बचाने में मदद मिलती है. जबकि अन्य तरह के कैंसर में उन लोगों की स्क्रीनिंग की जाती है. जिनको इनका ज्यादा खतरा रहता है कैंसर के निदान के लिए डॉक्टर निम्न तरीके अपनाते हैं.
लैब से जांच,
व्यक्तिगत जांच,
एक्सरे सीटी स्कैन,
एम आर आई और पेट,
बायोप्सी
कैंसर के कितने चरण होते हैं ?
एक बार जब डॉक्टर कैंसर का पता लगा लेते हैं, तो फिर वह यह जानने की कोशिश करते हैं, कि यह किस चरण में है. कैंसर का चरण जानकर ही डॉक्टर आपके इलाज के लिए अपनाए जाने वाले विकल्प के बारे में सोचते हैं और आपको ठीक होने की संभावनाओं के बारे में पता लगाते हैं. कैंसर का चरण जानने के लिए बोन स्कैन और एक्स-रे किए जा सकते हैं. ताकि पता लगाया जा सके कि क्या कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल चुका है या नहीं. कैंसर को जीरो से 4 के चरणों में मापा जाता है. 1,2,3,4 में से जितने ज्यादा स्तर का कैंसर होता है, उतना ही ज्यादा गंभीर समस्या होती है.
कैंसर का इलाज क्या है -
मेडिकल क्षेत्र में हुई प्रगति के साथ आज कैंसर के कई इलाज उपलब्ध है, आपका इलाज इस बात पर निर्भर करता है, कि आपको किस तरह का कैंसर हुआ है और किस स्टेज का कैंसर है. आपका स्वास्थ्य मौजूदा स्थिति में कैसा है और आप किस तरह का इलाज अपने लिए बेहतर समझते हैं. आप अपने डॉक्टर के साथ मिलकर कैंसर के इलाज के विभिन्न तरीकों के लाभ और नुकसान पर बात कर सकते हैं. कैंसर के इलाज का मकसद आपको कैंसर से मुक्त करना और नॉर्मल जिंदगी जीने में मदद करना है.
1.प्रायमरी ट्रीटमेंट -
प्राइमरी ट्रीटमेंट का मकसद आपके शरीर से कैंसर सेल्स को पूरी तरह से हटाना या कैंसर से उसको मारना होता है. सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली प्रायमरी ट्रीटमेंट में कैंसर की सर्जरी होती है. इसके तहत आपको रेडिएशन और कीमोथेरेपी दी जा सकती है.
2.एडजुवेंट ट्रीटमेंट -
इस ट्रीटमेंट का मकसद ऐसे कैंसर सेल्स को खत्म करना है, जो प्रायमरी ट्रीटमेंट के बाद भी रह जाते हैं. इस ट्रीटमेंट के जरिए कैंसर दोबारा होने की आशंका को खत्म किया जाता है. इसके तहत कीमो थेरेपी रेडिएशन थेरेपी और हार्मोन थेरेपी की जाती है.
3.पैलिएटिव ट्रीटमेंट -
इस तरह का ट्रीटमेंट कैंसर के इलाज से होने वाले दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए किया जाता है. सर्जरी रेडिएशन कीमोथेरेपी और हार्मोन थेरेपी की मदद से कैंसर को लक्षणों को और इसे फिर से फैलने से रोका जा सकता है. यदि दुष्प्रभाव के इलाज मौजूद न हो, तो दवाओं के माध्यम से दूर करने की कोशिश की जाती है.
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