कल्याण आयुर्वेद - हम अक्सर जब किसी को उदास या परेशान देखते हैं, तो इसे एक आम इमोशन समझकर इग्नोर कर देते हैं. कुछ लोग तो इसका मजाक भी उड़ाते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है, दुखी होना और उदास होना एक जैसा नहीं है. डिप्रेशन एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल अक्सर यह बताने के लिए किया जाता है कि काम पर खराब सप्ताह के बाद, या जब हम ब्रेकअप से गुजर रहे होते हैं, तो हम कैसा महसूस करते हैं ? लेकिन प्रमुख अवसाद ग्रस्त तथा विकास अवसाद के एक प्रकार से भी कहीं ज्यादा जटिल है. उदासी और अवसाद के बीच अंतर पता लगाने के लिए इसके लक्षणों के बारे में पता होना बहुत जरूरी है.
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इन लक्षणों से करें डिप्रेशन की पहचान ! करें ये उपाय |
इसलिए आज के इस पोस्ट में हम आपको डिप्रेशन के लक्षण के बारे में बताएँगे. यदि आपको अपने शरीर में यह लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो आपको जल्द ही इसके इलाज के बारे में सोचना चाहिए.
तो चलिए जानते हैं डिप्रेशन के लक्षण -
1.निराशाजनक दृष्टिकोण -
मेजर डिप्रेशन एक मूड डिसऑर्डर है, जो सामान्य रूप से जीवन के बारे में आपकी महसूस करने के तरीके को प्रभावित करता है. अपने जीवन के प्रति निराशा और सहाय दृष्टिकोण रखना अवसाद का सबसे आम लक्षण है, अन्य भावनाएं जैसे खुद की क़दर ना करना, आत्म घृणा करना या फिर खुद की गलती ना होते हुए भी अपराध बोध की भावना रखना, शामिल है.
2.खोई हुई रूचि -
आप जिन चीजों से प्यार करते हैं, उसे धीरे-धीरे दूरी बनाना, पहले आप जिस काम से खुश होते थे और आप को आनंदित महसूस होता था, चाहे खेलकूद हो या दोस्तों के साथ बाहर जाना, लेकिन अब इन कामों में आपको कोई रुचि नहीं हो रहा है और आप उनसे पीछे हट रहे हैं, तो यह अवसाद का एक स्पष्ट संकेत है.
3.थकान बढ़ना और नींद ना आना -
आप जिस कारण से अपने पसंदीदा कामों को करने की रुचि नहीं रख रहे हैं, उसकी एक वजह यह भी है कि आप बहुत थका हुआ महसूस करते हैं. डिप्रेशन अक्सर ऊर्जा की कमी और थकान की अत्यधिक भावना के साथ आता है, जो अवसाद के सबसे कमजोर लक्षणों में से एक हो सकता है. इससे अत्यधिक नींद आ सकती है. हालांकि यह एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. इसलिए कई बार यह आपकी नींद भी खराब कर सकते हैं.
4.चिंता -
एंग्जाइटी के दौरान घबराहट, बेचैनी या तनाव महसूस करना बहुत आम हो जाता है. एंग्जायटी के लक्षणों में खतरे घबराहट या डर की भावना महसूस होती है. इसमें हृदय गति तेज हो जाती है. तेजी से सांस लेना, खूब पसीना आना, कांपना या मांसपेशियों में मरोड़ होना, जिस चीज के बारे में आप चिंतित है, उसके अलावा किसी और चीज के बारे में स्पष्ट रूप से ध्यान केंद्रित करने यह सोचने में परेशानी होना. इसके कुछ आम लक्षण है.
5.पुरुषों में चिड़चिड़ापन -
आपको बता दें महिलाओं और पुरुषों में डिप्रेशन के अलग लक्षण होते हैं और यह उन्हें अलग तरह से प्रभावित कर सकता है. अनुसंधान से पता चलता है कि अवसाद से ग्रस्त पुरुषों में चिड़चिड़ापन, जोखिम भरा व्यवहार, मादक द्रव्यों का सेवन या गलत स्थान पर क्रोध जाहिर करने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. पुरुषों में भी महिलाओं की तुलना में अवसाद को पहचानने या इसके उपचार की तलाश करने की संभावना कम होती है.
6.भूख और वजन में बदलाव -
अवसाद वाले लोगों के लिए वजन और भूख में उतार-चढ़ाव हो सकता है. यह अनुभव प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग हो सकता है. कुछ लोगों को भूख बढ़ती है और वजन बढ़ने लगता है. जबकि कुछ लोगों को भूख नहीं लगती है जिससे वजन कम होने लगता है.
7.बेकाबू भावनाएं -
एक पल यह गुस्से का प्रकोप है, तो अगले ही पल आप बेकाबू होकर रोने लगते हैं. आपके बार कुछ भी परिवर्तन को प्रेरित नहीं करते हैं. लेकिन आपकी भावनाएं हर एक पल ऊपर और नीचे होती रहती हैं. डिप्रेशन के कारण मूड स्विंग्स की समस्या हो सकती है.
8.मृत्यु की इच्छा -
अवसाद कभी-कभी आत्महत्या से जुड़ा होता है. क्योंकि इस दौरान व्यक्ति कहीं और ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता और उसके जीने की इच्छा खत्म होने लगती है. आत्महत्या से मरने वाले लोग आमतौर पर पहले लक्षण दिखाते हैं. अक्सर लोग अपने जीवन को समाप्त करने में सफल होने से पहले इसके बारे में बात करते हैं या पहला प्रयास करते हैं, ऐसे में अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं, जो इस परिस्थिति से जूझ रहा है तो आपको उसकी मदद जरूर करनी चाहिए.
तनाव से बचने के उपाय -
1.मेडिटेशन योग, ब्रीथिंग एक्सरसाइज और मसल्स रिलैक्सेंट जैसे कुछ गतिविधियों को अपनाकर आप तनाव से बच सकते हैं. इस तरह के कार्यक्रम आज ऑनलाइन भी उपलब्ध है. आप चाहे तो मोबाइल पर भी इनका लाभ ले सकते हैं और जिम तथा कम्यूनिटी सेंटरों में भी इस तरह की गतिविधियां कराई जाती है. ताकि आप स्वयं को तनाव से दूर रख सके.
2.आपका सच्चा साथी आपका शरीर ही है. इसलिए नियमित तौर पर अपने शरीर का ध्यान रखें. स्वस्थ खाना खाए, नियमित तौर पर एक्सरसाइज करें. पूरी नींद लें. ताकि आप तनाव को अच्छे से मेहनत कर सके.
3.हर कार्य को करने के लिए तैयार हो जाना आपकी खासियत ही सही, लेकिन आपको ना कहना भी सीखना चाहिए. जिस काम को आप नहीं करना चाहते हैं, उसके लिए आपको ना कहना चाहिए ताकि आप तनाव में ना रहे.
4.ऐसे लोगों से जुड़े रहे जो आप को शांत रखने के साथ ही आपको खुश भी रख सके. हर परिस्थिति में आप को भावनात्मक समर्थन दें. परिवार का कोई सदस्य कोई दोस्त या पड़ोसी बड़ी जिम्मेदारी से आपको सुन सकता है और तनाव को मैनेज कर सकते हैं.
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