कल्याण आयुर्वेद - जब रेटिना किसी भी चीज पर फोकस नहीं कर पा रहा है, तो इसके कारण आंखों में मोतियाबिंद की समस्या हो सकती है. ऐसे में यदि आपको आंखों से जुड़ी समस्याएं और कई लक्षण नजर आ रहे हैं तो इसका मतलब हो सकता है कि आपको मोतियाबिंद की समस्या हो गई है. ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है. आज के इस पोस्ट में हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं, आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि जब व्यक्ति को मोतियाबिंद की समस्या हो जाती है, तो कौन से लक्षण नजर आते हैं. साथ ही इसके क्या कारण हो सकते हैं और इसका उपचार क्या है. इसके बारे में भी बताएंगे.
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मोतियाबिंद होने पर दिखाई देते हैं ये लक्षण, जानें कारण और उपचार |
तो चलिए जानते हैं विस्तार से मोतियाबिंद के लक्षणों के बारे में -
1.मोतियाबिंद होने पर व्यक्ति को धुंधला दिखाई देना शुरू हो जाता है या उसे चीजें स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती है, तो यह मोतियाबिंद की समस्या हो सकती है.
2.जब व्यक्ति को रंगों को पहचानने में दिक्कत होती है या उससे कलर ब्लाइंडनेस की समस्या हो जाती है, तो यह भी मोतियाबिंद के लक्षणों में से एक माना जाता है.
3.जब व्यक्ति की आंखों में चौंध पड़ना शुरू हो जाता है. जैसे कि धूप दिन का उजाला, रात में ड्राइविंग करते हुए सामने से आती गाड़ी की हेडलाइट से पढ़ने वाली चौंध आदि. मोतियाबिंद की समस्या के लक्षण हो सकते हैं.
4.जब व्यक्ति को डबल विजन यानी दोहरी दृष्टि की समस्या हो जाती है, तो यह भी मोतियाबिंद के संकेत हो सकते हैं. यह समस्या होने पर व्यक्ति को एक वस्तु दो बार दिखने लगती है.
5.व्यक्ति को मोतियाबिंद की समस्या होती है, तो इसके कारण उसके चश्मे का नंबर जल्दी-जल्दी बदलने लगता है. ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना बहुत जरूरी है.
मोतियाबिंद के कारण -
मोतियाबिंद क्यों होता है ? इसके कारणों के बारे में स्पष्ट रूप से पता नहीं है. लेकिन कुछ फैक्टर्स है जो मोतियाबिंद का रिस्क बढ़ा देते हैं.
उम्र का बढ़ना,
डायबिटीज,
अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन करना,
सूर्य के प्रकाश का अत्यधिक एक्स्पोज़र,
मोतियाबिंद का पारिवारिक इतिहास,
उच्च रक्तदाब,
मोटापा,
आंखों में चोट लगना या फिर सूजन,
आंखों की सर्जरी,
धुम्रपान,
कार्टीस्टेरॉयड मेडिकेशन का लंबे समय तक इस्तेमाल.
रोकथाम -
हालांकि इसके बारे में कोई प्रमाणित तथ्य नहीं है, कि मोतियाबिंद को कैसे रोका जा सकता है या इसके विकास को धीमा किया जा सकता है. डॉक्टरों का मानना है कि कई रणनीतियां मोतियाबिंद की रोकथाम में सहायक हो सकती हैं जो निम्नलिखित हैं.
1. 40 वर्ष के पश्चात नियमित रूप से आंखों की जांच करवाएं.
2.सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें मोतियाबिंद विकृत करने में सहायता करती हैं. इसलिए जब भी बाहर धूप में निकले तो सनग्लासेस जरूर लगाएं. यह यूवी किरणों को ब्लॉक कर देता है.
3.यदि आपको डायबिटीज या फिर दूसरी कोई समस्या है, जिससे मोतियाबिंद का खतरा बढ़ जाता है. उनका उचित उपचार कराएं. इसके अलावा अपना वजन सामान्य बनाए रखने की कोशिश करें.
4.रंग बिरंगे फलों और सब्जियों को अपने भोजन में जरूर शामिल करें. इनमें बहुत सारे एंटी ऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं, जो आंखों को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
5.धूम्रपान छोड़ दें और शराब का सेवन कम से कम करें या फिर बिल्कुल ही बंद कर दे.
इसका उपचार -
जब चश्मे का लेंस लगाने के बावजूद भी आपको स्पष्ट रूप से दिखाई ना दे, तो सर्जरी ही एकमात्र विकल्प बचता है. सर्जरी की सलाह तभी दी जाती है, जब मोतियाबिंद के कारण आपके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करने लगती है. सर्जरी में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. क्योंकि मोतियाबिंद के कारण आंखों को नुकसान नहीं पहुंचता है. लेकिन यदि आपको पहले से डायबिटीज की बीमारी है तो इसमें देरी ना करें.
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