कल्याण आयुर्वेद - जन्म दोष यानी कि बच्चों के जन्म के बाद जो समस्याएं होते हैं, उन्हें जन्म दोष कहा जाता है. जन्म दोष असल में स्ट्रक्चरल और फंक्शनल एबनोर्मलिटीज है. इसमें मेटाबॉलिक डिसऑर्डर भी शामिल है. यह मानव शरीर की संरचना से संबंधित एक ऐसी समस्या है, जो व्यक्ति में जन्मजात होती है. जन्म दोष बहुत ही आम है और इलाज की दृष्टि से यह बहुत महंगे होते हैं. यह ऐसी और सामान्य स्थितियां होती है, जिनकी वजह से व्यक्ति स्वयं तो परेशान होता ही है, उसका पूरा परिवार भी भारी परेशानियों का सामना करता है.
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जन्मदोष क्या है ? इसे कैसे पहचानें ? और क्या है इसके मुख्य कारण ? |
रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में हर साल 7.9 मिलियन यानि 79 लाख बच्चे गंभीर जन्म दोषों के साथ पैदा होते हैं. इनमें से भी 94 फीसदी जन्म दोष के मामले में मध्यम और कम इनकम वाले देशों में सामने आते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन और MOD की ज्वाइंड मीटिंग रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में बच्चों की मृत्यु के मामले 7 फीसदी जन्म दोष से जुड़े हुए हैं. भारत की बात करें तो हमारे देश में 1000 बच्चों में से 61-69 बच्चों किसी न किसी प्रकार के जन्म दोस्त के साथ पैदा होते हैं. अमेरिका में भी हर 33 में से एक बच्चा जन्म दोष के साथ पैदा होता है.
जन्म दोष शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है. यह शारीरिक बनावट, काम करने की क्षमता और दोनों को ही प्रभावित कर सकता है. जन्म दोष बहुत ही मामूली भी हो सकते हैं. जिनका व्यक्ति की नार्मल जिंदगी पर कुछ खास असर नहीं पड़ता है, तो वहीं यह बहुत गंभीर भी हो सकता है. जिसकी वजह से व्यक्ति पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर हो सकता है. वैसे बच्चे पर जन्म दोष का कितना और क्या असर होगा ? यह इस बात पर निर्भर करता है कि यह बर्थ डिफेक्ट्स शरीर के किस हिस्से में है. जन्म दोष की वजह से भी व्यक्ति के लंबे समय तक जीवित रहने पर भी असर पड़ता है.
बर्थ डिफेक्ट्स की पहचान कैसे करें ?
जन्म दोष की पहचान जन्म से पहले यानी गर्भस्थ शिशु में जन्म के समय और जन्म के बाद किसी भी समय हो सकती है. जन्म के बाद पकड़ में आने वाले ज्यादातर जन्म दोषियों की पहचान पैदा होने के बाद पहले ही वर्ष में हो जाती है. कुछ प्रकार के जन्म दोष रहित कटे होंठ, स्पष्ट रूप से नजर आते हैं. जबकि कुछ अन्य जगहों से जुड़े और नियमितता यह सुनने में दिक्कत जैसे जन्म दोषों का कुछ विशेष टेस्ट की मदद से पता लगाया जाता है.
जन्म दोष के कारण -
जन्मदोष की सभी महिला की गर्भावस्था के पहले चरण में ही पैदा हो सकते हैं. ज्यादातर जन्मदोष गर्भावस्था के तीन माह में ही हो जाते हैं. क्योंकि यही वह समय है जब गर्भ में बच्चे का शरीर एक शेप ले रहा होता है. यह गर्भ में बच्चे के विकास का बहुत ही महत्वपूर्ण प्रारंभ होता है. हालांकि गर्भावस्था के अगले चरणों में भी पलट सकती है. दरअसल गर्भावस्था के अंतिम 4 महीनों में बच्चे के अंग और उत्तर उगते हैं और विकास क्रम चलता रहता है.
कुछ जन्मदोष जैसे फेटल एल्कोहल सिंड्रोम के कारणों के बारे में डॉक्टर जानते हैं. लेकिन ज्यादातर जन्म दोष ऐसे होते हैं, जिनके बारे में आज भी डॉक्टरों को भी कुछ जानकारी नहीं है. ज्यादातर जन्म दोषों के पीछे कई कारणों का जटिल मिश्रण होता है. इसमें हमारे जींस भी शामिल है, जो हमें हमारे माता-पिता से मिलते हैं. इसमें हमारा व्यवहार और पर्यावरणीय अकारण ही शामिल होते हैं. लेकिन डॉक्टर आज भी यह स्पष्ट रूप से कहने में असमर्थ हैं कि जन्म दोषों का क्या कारण है.
ये है जन्म दोष के कुछ कारण -
1.गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान, शराब पीना और कुछ प्रकार के ड्रग्स लेना.
2.कुछ मेडिकल कंडीशन जैसे गर्भावस्था से पहले या दौरान मोटापा और अनियंत्रित डायबिटीज.
3.गंभीर मुहांसों के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली दवा का सेवन करना.
4.परिवार में पहले भी किसी को जन्म दोष होना, आपके बच्चे को इसका कितना खतरा है. यह जाने के लिए आपको क्लीनिकल जेनेटिक काउंसलर से बात करनी चाहिए.
5.गर्भावस्था के दौरान जीका वायरस और साइटोमेगालोवायरस जैसे कुछ संक्रमण होना.
6. 101 डिग्री फॉरेनहाइट से अधिक बुखार होना या लू लगने की वजह से शरीर का तापमान अधिक होना.
अधिक उम्र में मां बनना -
गर्भावस्था के दौरान इनमें से कोई भी एक या दो रिस्क फैक्टर होने का यह मतलब कतई नहीं है, कि आपके बच्चे में जन्म दोष हो सकता है. यहां तक कि जिन महिलाओं में इनमें से कोई भी रिस्क फैक्टर नहीं है, उनके बच्चे में भी जन्म दोष होने का खतरा रहता है. इसलिए जरूरी है कि आप नियमित डॉक्टर से बात करते रहे और इस तरह के खतरे को कम करने की कोशिश करें.
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