कल्याण आयुर्वेद- चिरायता आयुर्वेद में लंबे समय से इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी-बूटी है. चिरायता का स्वाद कड़वा होने के कारण कई लोग इसके सेवन से परहेज करते हैं, लेकिन यह कई रोगों को जड़ से ख़त्म कर सकता है ?
डायबिटीज की बीमारी आज के समय की सबसे आम बीमारियों में से एक बन चुकी है. हर परिवार में कोई एक व्यक्ति शुगर की बीमारी से पीड़ित है. क्योंकि डायबिटीज बीमारी आनुवांशिक भी होती है. इसलिए घर में किसी एक व्यक्ति को डायबिटीज होने के बाद इसका खतरा पूरी आने वाली पीढ़ी पर होता है.
डायबिटीज के उपचार के लिए कई लोग जहां अंग्रेजी दवाओं पर निर्भर होते हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इसके प्राकृतिक उपचार की तलाश में होते हैं. ऐसे में हम चिरायता के सेवन के बारे में बता रहें हैं जिसके सेवन से आप अपने शुगर लेवल को तुरंत कम कर सकते हैं. अन्य बीमारयों में इससे लाभ ले सकते हैं.
डायबिटीज की पहचान कैसे करें?
डायबिटीज ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, शरीर में शुगर की मात्रा लंबे समय तक अधिक रहने से डायबिटीज की बीमारी होती है. इसका पता नियमित ब्लड चेकअप के अलावा कुछ विशेष संकेतों से लगाया जा सकता है. इन संकेतों में त्वचा का रंग बदलना, बार-बार पेशाब आना, पेशाब से तेज बदबू आना, जल्दी-जल्दी भूख लगना, नींद न आना आदि मुख्य रूप से शामिल हैं.
डायबिटीज बढ़ने से क्या होता है ?
अनियंत्रित डायिबटीज प्रमुख रूप से हृदय संबंधी कई समस्याओं के जोखिम को बढ़ाता है. इसके अलावा डायबिटीज होने से व्यक्ति में तंत्रिका क्षति, किडनी डैमेज, आंखों की क्षति, बेहरापन, अल्जाइमर जैसे रोगों का खतरा बढ़ जाता है.
चिरायता है डायबिटीज का प्राकृतिक उपचार-
एनसीबीआई के अनुसार, चिरायता ब्लड शुगर लेवल को कम करने में कारगर होता है. दरअसल, इसमें अमारोगेंटिन बायोएक्टिव कंपाउंड होता है. यह कंपाउंड एंटी-डायबिटिक प्रभाव दिखाता है. यही कारण है कि डायबिटीज मरीजों के लिए यह इंसुलिन का काम करते हैं.
इन बीमारियों में भी फायदेमंद है चिरायता-
1 .इम्यूनिटी बढ़ाएं–
शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी चिरायता फायदेमंद हो सकता है. चिरायता में मैग्निफेरिन बायोएक्टिव कंपाउंड होता है. यह यौगिक इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव प्रदर्शित करता है. इस प्रभाव की मदद से रोग प्रतिरोधक क्षमता शरीर की जरूरत के हिसाब से कार्य कर सकती है.
2 .ब्लड साफ़ करे –
इसमें रक्त को शुद्ध करने वाले गुण होते हैं. कड़वी जड़ी- बूटियों की तरह, स्विर्टिया चिरेटा रक्त उत्पादन में बहुत ही अच्छा है.
3 .वजन कम करे –
वजन कम करना आज एक प्रमुख समस्या बन गया है. कई तरह की दवाएं आज बाजार में उपलब्ध हैं. लेकिन यदि अप चाहें तो चिरायता के प्रयोग से अपना वजन आसानी से कम कर सकते हैं. चिरायता में मौजूद मेथेनॉल आपका उपापचय बढ़ाकर आपका वजन कम करता है.
4 .स्किन सौन्दर्य के लिए –
चिरायता का अर्क त्वचा से संबंधित कई रोगों से आपकी रक्षा करता है. त्वचा पर चकते निकलना या सूजन में भी चिरायता का पेस्ट बनाकर लेप लगाने से ये आराम पहुंचाता है. इसके अलावा ये घावों और पिम्पल्स को भी ठीक करता है.
5 .ब्लोटिंग के लिए –
लोग गैस, ब्लोटिंग और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल अपसेट्स आदि के लिए चिराता का उपयोग करते हैं क्योंकि यह पेट में एसिड का उत्पादन बंद कर देती है. यह आंतों की सूजन को ठीक करती है. आप इसके उपयोग से मतली और दस्त से राहत प्राप्त कर सकते हैं. यह पेट को मजबूत भी करती है.
6 .अनीमिया के लिए –
चिरायता का उपयोग आयुर्वेद में जड़ी-बूटी के तौर पर किया जाता है. यह शरीर को खून की कमी से भी बचा सकता है. इसकी पत्तियों में मौजूद विटामिन और खनिज हेमाटिनिक प्रभाव होता है. यह प्रभाव शरीर में खून को बनाने में सहायक हो सकता है, इसलिए एनीमिया के घरेलू उपचार में चिरायता का उपयोग किया जा सकता है.
7 .भूख बढ़ाने के लिए –
चिरायता का इस्तेमाल भूख बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है. एक रिसर्च पेपर में लिखा है कि यह पित्त यानि बाइल के स्राव को बढ़ाता है, जिससे भूख बढ़ सकती है. इसी वजह से वर्षों से चिरायता का उपयोग भूख को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है.
8 .मलेरिया के लिए –
पारंपरिक तौर पर चिरायता का प्रयोग मलेरिया के बुखार से बचाव के लिए भी किया जाता रहा है. चिरायता में स्वेरचिरिन नामक तत्व होता है, जो एंटी-मलेरिया की तरह काम कर सकता है. इस प्रभाव के कारण मलेरिया और उससे संबंधित लक्षणों से राहत मिल सकती है. इसके लिए चिरायते का इस्तेमाल काढ़े के रूप में किया जा सकता है.
9 .पेट के कीड़े मारने के लिए –
चिरायता में एंथेल्मिंटिक प्रभाव होता है. यह एक तरीके का एंटीपैरासिटिक गुण होता है, जिससे पेट व आंतों में होने वाले कीड़ों को नष्ट करने में मदद मिल सकती है. इसी वजह से पेट के कीड़ों को मारने के तरीके के तौर पर इस जड़ी-बूटी को उपयोग किया जाता है.
10 .लीवर के लिए –
किरात (जेन्शियाना चिराता) लिवर की समस्याओं जैसे सिरोसिस, फैटी लिवर और अन्य बीमारियों के लिए बहुत अच्छा है. यह लिवर की कोशिकाओं को रिचार्ज करता है और उनके कामकाज को उत्तेजित करती है. यह सबसे अच्छा लिवर डिटाक्सफाइर है. इसके जिगर पर डिटॉक्सिफ़िकेशन प्रभाव स्पष्ट दिखाई देते हैं. इसलिए आप लिवर की समस्याओं का इलाज करने के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं.
11 .कैंसर के लिए –
कैंसर जैसी बेहद गंभीर बीमारियों से भी चिरायता हमें लड़ने में मदद करता है. जाहिर है कैंसर एक लगभग लाइलाज बिमारी के रूप में आज हमारे बीच मौजूद है. चिरायता का लाभ हमें लीवर कैंसर में मिल सकता है.
12 .गठिया के लिए –
गठिया एक ऐसी बिमारी है जिसमें जोड़ों में दर्द और कभी-कभी सूजन भी हो जाती है. चिरायता में सूजन को कम करने की क्षमता होती है जिसके कारण ये गठिया से भी हमें बचाता है. इसके अलावा इसमें दर्द, सूजन और लालिमा के उपचार में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है.
13 .सोरायसिस के लिए –
सोरायसिस के उपचार में भी चिरायता की सक्रीय भूमिका होती है. इसके लिए 4-4 ग्राम कुटकी और चिरायता एक कांच के बर्तन में 125 ग्राम पानी डालकर रख दें फिर अगली सुबह उस पानी को निथार कर पिएं और 3-4 घंटे तक कुछ न खाएं. लगातार दो सप्ताह ऐसा करने से आपको सोरायसिस में राहत मिलती है.
14 .हिचकी और उल्टी के लिए –
एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में बताया गया है कि चिरायते के गुण उल्टी और हिचकी रोकने में मददगार हो सकते हैं. बताया जाता है कि चिरायता की कड़वाहट लार और पित्त को उत्तेजित करके हिचकी को कम कर सकती है.
कैसे किया जाता है चिरायते का सेवन-
* 1-3 ग्राम पाउडर को दिन में विभाजित मात्रा के अनुसार लें.
* खाना खाने से पहले 60ml चिरायते का सेवन टॉनिक के रूप में किया जा सकता है. इसे गर्म पानी और लौंग या दालचीनी के साथ तैयार किया करके 1 से 2 बड़े चम्मच पी सकते हैं. चिरायता के पत्तों का जूस निकालकर भी पी सकते हैं. लेकिन एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि चिरायते का उपयोग बिना किसी विशेषज्ञ के परामर्श के न करें.
चिरायता के नुकसान –
1 .गैस्ट्रिक (पेट के) और आंत के अल्सर की समस्या वालों को चिरायता का सेवन से बचना चाहिए.
2 .गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली महिलाएं इसका इस्तेमाल चिकत्सकीय परामर्श के बाद ही करें.
3 .कुछ लोग इसकी कड़वाहट को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं जिससे उन्हें उल्टी सकती है.
4 .यह रक्त शर्करा के स्तर को कम करता है. कई बार चिरायता के अधिक इस्तेमाल से रक्त में शर्करा की मात्रा जरूरत से ज्यादा कम हो जाती है, जो खतरनाक हो सकती है. इसलिए मधुमेह रोगियों को इसके उपयोग के समय एहतियात की आवश्यकता होती है.
नोट- यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है. यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता. ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें.
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