कल्याण आयुर्वेद- पिछले कुछ समय में डायबिटीज़ एक आम बीमारी बन गई है. खासतौर पर भारत में यह तेजी से हो रहा है. लेकिन डायबिटीज़ भी दो तरह की होती है जिसके बारे में आपने ज़रूर सुना होगा. लेकिन इन दोनों में क्या अंतर है आप जानते हैं ? अगर नही तो इस लेख को अंत तक पढ़ें.
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टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज़ में क्या अंतर है ? जानिए लक्षण और इलाज |
डायबिटीज़ टाइप-1 और डायबिटीज़ टाइप-2 तब होती है जब शरीर ग्लूकोज़ को ठीक से स्टोर और उपयोग नहीं कर पाता है, जो ऊर्जा के लिए आवश्यक है. यह ग्लूकोज़ तब रक्त में जमा हो जाता है और उन कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पाता है जिन्हें इसकी जरुरत होती है, जिससे गंभीर जटिलताएं होती हैं. ग्लूकोज़ वह ईंधन है जो आपके शरीर की कोशिकाओं को उर्जा देता है, लेकिन आपकी कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए इसे एक कुंजी की आवश्यकता होती है और वह कूंजी इंसुलिन है.
जो लोग डायबिटीज़ टाइप-1 से पीड़ित होते हैं, उनमें इंसुलिन का उत्पादन नहीं होता है. वहीं, जो लोग टाइप-2 डायबिटीज़ से पीड़ित होते हैं, इंसुलिन पर जितनी प्रतिक्रिया देनी चाहिए नहीं दे पाते और आगे चलकर बीमारी में अक्सर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाते हैं. दोनों तरह की डायबिटीज़ में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ा होता है.
डायबिटीज के लक्षणों का विकास होना-
वैसे तो टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज़ के कई लक्षण एक समान होते हैं, लेकिन वे अलग तरह से दिखते हैं. टाइप-2 डायबिटीज़ के कई मरीज़ों को सालों लक्षण नहीं दिखाई देते और समय के साथ लक्षण दिखते हैं. कई लोग जो टाइप-2 डायबिटीज़ से पीड़ित होते हैं उनमें कोई लक्षण नहीं होते और तभी लक्षण दिखाई देते हैं जब बीमारी में जटिलताएं दिखना शुरू हो जाती हैं. वहीं, टाइप-1 डायबिटीज़ के लक्षण जल्दी ( कुछ ही हफ्तों में ) दिखने लगते हैं, एक वक्त पर इसे बचपन में होने वाली डायबिटीज़ कहा जाता था, जो कम उम्र में ही आमतौर पर होती थी. हालांकि, टाइप-1 डायबिटीज़ किसी भी उम्र में हो सकती है.
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टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज़ में क्या अंतर है ? जानिए लक्षण और इलाज |
अगर टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज़ को सही तरीके से नियंत्रित नही किया जाए, तो इससे कई तरह के लक्षण उत्पन हो जाते हैं, जैसे-
* बार-बार पेशाब आना,
* बहुत ज़्यादा पयास लगना,
* बहुत भूख लगना,
* बहुत ज़्यादा कमज़ोरी महसूस होना,
* धुंधला दिखना,
* चोट या घाव जो आसानी से ठीक नहीं होते हैं.
* इसके अलावा चिड़चिड़ापन,
* मूड बदलना,
* अचानक वज़न घट जाना,
* सुन्नता और हाथों व पैरों में झुनझुनी महसूस होना।
टाइप-1 डायबिटीज होने के क्या कारण हैं ?
टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज़ के लक्षण भले ही एक तरह के हों, लेकिन इसकी कारणें अलग- अलग हो सकती है. टाइप-1 मधुमेह वाले लोगों में, प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर की अपनी स्वस्थ कोशिकाओं को गलती से बाहरी आक्रमणकारी समझ लेती है. जिसकी वजह से इम्यून सिस्टम पैनक्रियाज़ में इंसुलिन बनाने वाले बीटा सेल्स पर हमला करता है और उसे तबाह कर देता है.
टाइप-2 डायबिटीज़ होने के क्या कारण हैं?
टाइप-2 डायबिटीज़ मुख्य रूप से दो परस्पर संबंधित समस्याओं के कारण होता है. क्योंकि ये कोशिकाएं इंसुलिन के साथ सामान्य तरीके से संपर्क नहीं करती हैं, इसलिए वे पर्याप्त ग्लूकोज नहीं लेती हैं. एक और समस्या यह हो सकती है कि अग्न्याशय रक्त शर्करा के स्तर को प्रबंधित करने के लिए पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करने में असमर्थ हो जाता है.
किन लोगों को डायबिटीज़ होने का ज्यादा खतरा होता है ?
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टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज़ में क्या अंतर है ? जानिए लक्षण और इलाज |
किस उम्र में डायबिटीज होने की संभावना अधिक होती है?
उम्र की बात करें, तो जिन लोगों की उम्र 45 से ऊपर है, उनमें डायबिटीज़ का जोखिम बढ़ जाता है. अगर आपको प्रेग्नेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज़ हुई है, तो आप में भी टाइप-2 डायबिटीज़ का ख़तरा अधिक हो जाएगा.
क्या टाइप- 1 और टाइप- 2 डायबिटीज का इलाज भी अलग होता है?
टाइप-1 डायबिटीज़ का कोई इलाज नहीं है. जो इससे पीड़ित होते हैं उन्हें इंसुलिन लेनी पड़ती है. साथ ही दिन में 4 बार अपने ब्लड शुगर स्तर की जांच भी करनी होती है. इसमें ब्लड शुगर के स्तर की जांच जरुरी होती है, क्योंकि यह तेज़ी से ऊपर-नीचे हो सकती है.
वहीं, टाइप-2 डायबिटीज़ में लाइफस्टाइल में बदलाव भी करने होते हैं, जिसमें सही डाइट लेना और एक्सरसाइज़ करना और दवाइयों का सेवन शामिल है. समय के साथ अगर आपके पैनक्रियाज़ इंसुलिन बनाना छोड़ दें तो आपके डॉक्टर इंसुलिन इंजेक्शन लेने की सलाह दे सकते हैं.
Disclaimer- इस लेख में दिए गए सुझाव और टिप्स सिर्फ सामान्य जानकारी के उद्देश्य के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए, अपनी डाइट में किसी भी तरह के बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ से ज़रूर सलाह लें. धन्यवाद.
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