कल्याण आयुर्वेद- कई पुरुषों के लिंग पर छोटे- छोटे दाने या घाव हो जाते हैं. इस दाने को छूने पर बहुत तेज दर्द का अनुभव होता है. वैसे ऐसे दाने या घाव शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकते हैं लेकिन जब यह पुरुष के लिंग पर होते हैं तो काफी तकलीफ का सामना करना पड़ता है.
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लिंग पर घाव होने के 12 कारण और इलाज |
लिंग पर घाव का होना आमतौर पर किसी सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इनफेक्शन ( यौन संचारित संक्रमण ) का परिणाम होते हैं. कुछ मामलों में यह त्वचा की समस्या के कारण भी हो सकते हैं.
हालांकि कई बार यह अपने आप ठीक हो जाते हैं. लेकिन कुछ विशेष लक्षणों के दिखने पर इनके इलाज और फैलने से रोकने के लिए सावधानी बरतने की जरूरत होती है. सावधानी नहीं बरतने से यह समस्या आपके पार्टनर को ही हो सकती है ?
इस लेख के माध्यम से हम आपको लिंग पर दाने या घाव होने के कारण और उसके आसान इलाज के बारे में बात करेंगे. इन सावधानियों का ध्यान रखकर आप हेल्दी सेक्स लाइफ का आनंद ले सकते हैं.
लिंग पर घाव होने के कौन- कौन से कारण हो सकते हैं ?
1 .जेनिटल हर्पीज-
यह एक यौन संचारित संक्रमण है जो असुरक्षित सेक्स के दौरान एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जाता है. संयुक्त राज्य अमेरिका की बात करें तो 14 से 49 वर्ष के प्रत्येक 6 में से 1 से अधिक लोगों में यह समस्या होती है.
एक स्टडी के मुताबिक भारत में 7. 9 प्रतिशत से 14. 6 प्रतिशत पुरुषों में जेनिटल हर्पीज की समस्या हो सकती है. जबकि इस समस्या के इलाज के लिए डॉक्टर से मिलने वालों लोगों की संख्या 43 प्रतिशत से 83 प्रतिशत के बीच में हो सकती है.
जेनिटल हर्पीज एक दाद का ही अन्य रूप है. यह वायरल ज्यादातर पुरुष के लिंग में असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने से होता है. इसके लक्षणों में लिंग पर पानी भरे दाने या फफोले होना, दर्द होना, खुजली होना, जलन होना इत्यादि शामिल है. कई बार जब पीप या पानी से भरे दाने फूटते हैं तो निशान पड़ जाते हैं.
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लिंग पर घाव होने के 12 कारण और इलाज |
जेनिटल हर्पीज का इलाज-
वर्तमान में इसका कोई निश्चित इलाज नहीं है. लेकिन एंटीवायरल दवाएं इसे फैलने से रोकने का इलाज करने में मदद कर सकती है. जेनिटल हर्पीज से पीड़ित व्यक्तियों को शारीरिक सम्बन्ध बनाने से बचना चाहिए. जब तक कि घाव ठीक ना हो जाए. इस दौरान घाव को छूने से भी बचना चाहिए. क्योंकि इससे यह वायरस लिंग या शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है.
2 .जेनिटल वार्ट्स-
जेनिटल वार्ट्स भी अन्य प्रकार का वायरल सेक्स वाली ट्रांसमिटेड इनफेक्शन या यौन संचारित संक्रमण है. यह ह्यूमन पैपिलोमा वायरस के कारण होता है. जेनिटल वार्ट्स के कारण लिंग पर छोटे उभरे हुए गोभी की सतह जैसे दिखने वाले दाने हो जाते हैं. इसमें खुजली, जलन और असुविधा होना सामान्य बात है. अमेरिका की बात करें तो यहां 1% लोगों को जेनिटल वार्ट्स की समस्या है.
जेनिटल वार्ट्स का इलाज-
अगर वार्ट्स कारण होने वाले मसूड़ों में दर्द या संबंध बनाने में असुविधा नहीं हो रही है तो इसके इलाज की कोई आवश्यकता नहीं है. वैसे भी तीन में से एक व्यक्ति में यह बीमारी 2 साल के अंतराल में अपने आप ठीक हो जाती है.
हालांकि इसे हटाने के लिए डॉक्टर उन्हें फ्रीज कर सकता है, लेजर सर्जरी कर सकता है या वार्ट्स को नष्ट करने के लिए मस्सों पर लगाने की दवा का इस्तेमाल कर सकता है. यह उपचार उस वायरस को नहीं मारते हैं जो वार्ट्स का कारण बनते हैं हालांकि वे भविष्य में वापस भी आ सकते हैं.
जेनिटल वार्ट्स के ठीक हो जाने के बाद भी कम से कम 15 दिनों तक शारीरिक संबंध बनाने से बचने की सलाह दी जाती है. कुछ समय के बाद भी वायरस से पार्टनर को बीमारी होने की संभावना रहती है इसलिए ऐसी स्थिति में संबंध बनाते समय कंडोम का इस्तेमाल करना आवश्यक हो जाता है.
3 .फिरंग रोग ( गोनोरिया )-
फिरंग एक गंभीर किस्म का बैक्टीरियल इंफेक्शन है. यह सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इनफेक्शन ( यौन संचारित संक्रमण ) का ही एक प्रकार है. फिरंग के इंफेक्शन की शुरुआत में पुरुष के लिंग पर लाल रंग के कठोर लेकिन दर्द रहित दाने निकल आते हैं. यह दाने 3 से 6 सप्ताह तक रहते हैं. अगर इसी समय फिरंग का इलाज न किया जाए तो इससे यह समस्याएं हो सकती है.
* कार्डियोवैस्कुलर समस्याएं.
* डिमेंशिया.
* देखने और सुनने में परेशानी.
* एचआईवी संक्रमण का खतरा.
* मेनिनजाइटिस.
* स्ट्रोक.
इत्यादि समस्याएं भी हो सकती है.
फिरंग रोग का इलाज-
अगर किसी व्यक्ति को फिरंग रोग होने का शक है तो उसे इन्फेक्शन को बढ़ाने और सेहत से जुड़ी गंभीर समस्याओं से बचने के लिए जल्द से जल्द उचित इलाज की ओर ध्यान देना चाहिए और योग्य चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए.
4 .खाज-
खाज को अंग्रेजी में स्कैबिज कहा जाता है. डॉक्टर खाज, खुजली का इलाज करने के लिए क्रीम या लोशन का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं. खाज, खुजली त्वचा में होने वाली एक संक्रामक समस्या है. यह समस्या पुरुष के लिंग सहित शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकती है.
सर्कोपिट्स स्कैबी नाम के माइट के त्वचा में प्रवेश करने पर लोगों को खाज, खुजली की समस्या होती है. सेक्सुअल रिलेशन रखने के बाद संपर्क में आने पर सेक्स पार्टनर को भी इस समस्या के होने का खतरा बढ़ जाता है.
खाज के कारण त्वचा पर छोटे-छोटे फफोले और घाव हो जाते हैं. इन फफोले में खासतौर पर रात में बहुत तेज खुजली होती है. यह घाव आमतौर पर पतली अनियमित रेखाओं में होते हैं जो माइट को त्वचा के नीचे जाने का रास्ता दिखाती है.
संक्रमण से प्रभावित पुरुष को अगर पहले कभी यह समस्या नहीं हुई है तो उसमें खाज के लक्षण देर से दिखलाई देते हैं. कई बार तो इनमें 4-6 सप्ताह का समय लग जाता है. अगर पहले कभी खाज की समस्या हो चुकी हो तो इसके लक्षण 1 से 4 दिन के अंदर ही दिखाई देते हैं.
खाज का इलाज-
खाज की समस्या होने पर सबसे पहले डॉक्टर क्रीम और लोशन का प्रयोग करने की सलाह देते हैं. अगर इससे समस्या ठीक नहीं होती है तो डॉक्टर मुंह दवाई लेने की भी सलाह दे सकते हैं. खुजली होने पर कोल्ड कंप्रेस या एंटीहिस्टामिनिक का प्रयोग किया जा सकता है. यह दवाओं के असर करने तक राहत दे सकते हैं.
5 .मोलोस्कम कंटेजियोसम-
मोलोस्कम कंटेजियोसम एक वायरल इंफेक्शन है. यह इन्फेक्शन किसी को भी एक- दूसरे से संपर्क में आने के कारण हो सकता है. कई बार तो किसी दूसरे इंसान की तोलियां या अन्य चीजों के इस्तेमाल से भी हो जाती है. सेक्सुअल रिलेशन बनाने के दौरान यह समस्या पुरुष के लिंग पर भी हो सकती है.
मोलोस्कम कंटेजियोसम का वायरस इन सभी तत्वों पर जीवित रह सकता है जिन्हें प्रभावित व्यक्ति की त्वचा के द्वारा छुया गया है. यह वायरस टॉवल, कपड़े, खिलौने या दूषित होने वाले अन्य सामानों में भी मौजूद होना संभव है.
इसमें लिंग पर गोल उभरे हुए गुलाबी मांस के रंग के दाने हो जाते हैं. इन दानों में तेज खुजली भी होती है. यह दाने अक्सर गोले या गुच्छे के रूप में भी हो सकते हैं.
अधिकतर मामलों में यह 12 से 18 महीने में खुद ही ठीक हो जाते हैं. लेकिन मोलोस्कम कंटेजियोसम रहने के दौरान अगर कोई इंसान शारीरिक संबंध बनाता है तो यह समस्या उसके पार्टनर को ही हो सकती है.
मोलोस्कम कंटेजियोसम का इलाज-
मोलोस्कम कंटेजियोसम की समस्या होने पर डॉक्टर लिंग पर क्रीम या लोशन लगाने की सलाह दे सकते हैं. अगर समस्या अधिक गंभीर हो तो डॉक्टर से छोटी सर्जरी के जरिए हटा सकते हैं. इस समस्या में क्रायोथेरेपी और लेजर थेरेपी के इस्तेमाल की सलाह भी दी जा सकती है.
6 .शैंक्रॉइड-
शैंक्रॉइड एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है. यह इन्फेक्शन हिमोफिलस डुक्रेई नाम के बैक्टीरिया के कारण होता है. यह इंफेक्शन असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने पर इंसान से किसी दूसरे इंसान को हो सकता है.
इंफेक्शन के कारण लिंग पर छोटे लाल रंग के उभरे हुए दाने निकल सकते हैं. इन दानों के साथ ही तेज खुजली भी होती है. खुजली करने पर इन दानों से पीप या अन्य लिक्विड निकल सकता है. बाद में यह घाव आसानी से ठीक नहीं होते हैं और गहरा जख्म बन जाते हैं.
शैंक्रॉइड के अन्य लक्षणों में यौन संबंध बनाने का प्रयास करने के दौरान दर्द होना भी शामिल है. कुछ मामलों में अंडकोष या ग्रोइन में सूजन आने की समस्या देखी जा सकती है.
शैंक्रॉइड इलाज-
अन्य बैक्टीरियल इनफेक्शन की तरह ही इसका भी मुख्य इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से ही किया जाता है. सही इलाज से यह इंफेक्शन पूरी तरह से ठीक हो सकता है और दूसरों में फैलने से भी बच सकता है. शैंक्रॉइड की समस्या होने पर एचआईवी संक्रमण होने का खतरा अधिक हो जाता है.
7 .ग्रैनुलोमा इंगुइनल-
यह बैक्टीरिया से फैलने वाला यौन संचारित रोग या एसटीडी रोग है. ग्रैनुलोमा इंगुइनल में लिंग और गुदा पर अल्सर या घाव हो जाते हैं. यह समस्या अधिकतर विकासशील देशों के नागरिकों में पाई जाती है.
इंफेक्शन की शुरुआत में छोटे- छोटे दाने निकलते हैं. इन दानों में दर्द भी नहीं होता है लेकिन समय बीतने के साथ ही यह दाने घाव का रूप धारण कर लेते हैं और इनसे खून का रिसाव भी शुरू हो जाता है.
ग्रैनुलोमा इंगुइनल का इलाज-
इस संक्रमण का इलाज एंटीबायोटिक से किया जाता है और निशान पड़ने से जोखिम को भी कम करते हैं.
8 .सोरायसिस-
यह एक त्वचा में होने वाली ऑटोइम्यून बीमारी है. इस बीमारी में त्वचा पर लाल पपड़ीदार पैच बन जाते हैं. यह समस्या लिंग और आसपास के हिस्सों में भी हो सकती है. समस्या के अधिक बढ़ने पर लाल त्वचा और सफेद रंग के गोल चकत्ते हो जाते हैं.
इन चकत्तों की त्वचा बहुत सुखी और फटी होती है. उनसे खून बहने की समस्या भी हो सकती है. कई बार इसमे खुजली, दर्द और असुविधा की शिकायत भी होती है.
सोरायसिस के मरीजों को शरीर के प्रभावित हिस्सों में लगातार खुजली की समस्या होती है. इस समस्या को दूर करने के लिए इंसान को थोड़ी- थोड़ी देर में उठकर सिर्फ खुजली करने के लिए जाना पड़ता है.
इसका असर ना सिर्फ शरीर बल्कि मानसिक सेहत पर भी पड़ता है क्योंकि सोरायसिस के कारण तनाव और डिप्रेशन जैसी समस्याएं होना बेहद आम बात हो जाती है क्योंकि सोरायसिस ज्यादातर मामलों में गुप्तांग के आस- पास होता है इसलिए इसका असर कई बार सेक्स लाइफ पर भी पड़ता है.
हालांकि इनके लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होते हैं. कुछ में यह बस कुछ धब्बों के रूप में दिखलाई दे सकता है जबकि दूसरे में बड़े आकार के दाने के रूप में भी दिखलाई दे सकता है.
सोरायसिस का इलाज-
सोरायसिस का अभी तक कोई निश्चित इलाज नहीं है. लेकिन इलाज का उद्देश्य लक्षणों को नियंत्रण में रखना जरूरी हो सकता है डॉक्टरी उपचार में शामिल है जैसे-
* त्वचा पर लगाने वाली क्रीम और मलहम.
* मुंह से सेवन करने वाले दवाई.
* दवाओं का इंजेक्शन लगाना.
* यूवी लाइट थेरेपी.
कई डॉक्टर जीवन शैली में बदलाव और सोरायसिस के घरेलू उपचार को आजमाने की भी सलाह देते हैं. इसमें कूल कंप्रेस, मॉइश्चराइजिंग लोशन और तनाव को दूर करना शामिल है.
9 .एटॉपिक डर्मेटाइटिस-
एटॉपिक डर्मेटाइटिस एक्जिमा ही है जो त्वचा की गंभीर समस्या है. यह समस्या लिंग समेत शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकती है. इसमें लाल पपड़ीदार और तेज खुजली वाले छाले हो जाते हैं. पपड़ी बनने से पहले छाले पड़ सकते हैं.
एक्जिमा की समस्या उन लोगों को भी होती है जिन्हें वंशानुगत रूप से इसकी समस्या होती है. यह उनकी त्वचा की जलन और एलर्जी से बचाने की क्षमता को प्रभावित करता है. लिंग पर एक्जिमा के चकत्ते होने के कुछ खुशबूदार क्लीनिंग प्रोडक्ट्स, कपड़े धोने के डिटर्जेंट या सक्त कपड़े की रगड़ भी जिम्मेदार हो सकती है.
एक्जिमा का इलाज-
* माइल्ड एक्जिमा की समस्या होने पर निम्न घरेलू उपायों को किया जा सकता है जैसे-
* कूल कंप्रेस.
* उबटन.
* ढीले और हवादार कपड़े पहनना.
* बिना खुशबू वाला मॉइश्चराइजिंग लगाना.
यदि यह उपाय काम ना करें तो डॉक्टर मुंह से खाने वाले दवाएं या इंजेक्शन लगाने के भी सलाह दें सकते हैं. कुछ क्रीम भी एक्जिमा की समस्या में अच्छा लाभदायक होता है.
10 .लाइकेन प्लानस-
यह एक ऑटो इम्यून स्किन कंडीशन है. इस समस्या में फ्लैट, बैगनी लाल रंग के खुजली दार दाने निकल आते हैं. यह दाने शरीर में, लिंग में, इनर आर्म्स, कलाई, टखने या शरीर के अन्य हिस्सों में हो सकते हैं.
यह दाने पपड़ीदार फफोले का रूप भी ले सकते हैं. इनमे दर्द होने के साथ ही सफेद रंग का पानी निकलने की शिकायत भी हो सकती है. ज्यादा भयावह स्थिति में यह दाने मुंह के भीतर भी हो सकते हैं.
लाइकेन प्लानस का इलाज-
लाइकेन प्लानस के शुरुआती मामलों में उबटन लगाने, कूल कम्प्रेश करने या हाइड्रोकॉर्टिसोने क्रीम लगाने की सलाह दी जाती है. अगर यह उपाय काम नहीं आते हैं तो डॉक्टर अन्य दवाओं के इस्तेमाल की सलाह भी दे सकते हैं.
11 .डायबिटीज अल्सर-
डायबिटीज अल्सर का असर आम तौर पर पैरों पर दिखाई देता है. हालांकि कम से कम 1 मामलों की रिपोर्ट में मधुमेह के कारण लिंग के अगले हिस्से में अल्सर के बारे में भी बताया गया है.
इस मामले में उपचार के दौरान रक्त शर्करा के लेबल को नियंत्रित करने के लिए एंटी फंगल क्रीम और दवाओं का इस्तेमाल किया गया.
डायबिटीज के कारण लिंग पर निकलने वाले अल्सर के लक्षण निम्न हो सकते हैं जैसे-
* घाव का धीमी गति से ठीक होना.
* बार-बार त्वचा में संक्रमण होना.
* पेशाब अधिक होना और बार- बार मुंह सूखने की समस्या.
* अत्यधिक भूख लगना.
* थकान और चिड़चिड़ापन.
* आंखों की रोशनी में बदलाव आना, धुंधली हो जाना.
डायबिटीज अल्सर का इलाज-
डायबिटीज का उपचार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होता है. इसके इलाज के विकल्पों में दवा, संतुलित आहार, शारीरिक गतिविधि और अन्य जीवनशैली में परिवर्तन करना शामिल है.
12 .पेनाइल कैंसर-
पेनाइल कैंसर में लिंग पर एक गंभीर घाव या अल्सर हो सकता है. पेनाइल कैंसर, कैंसर का एक दुर्लभ रूप है. सामान्य तौर पर लिंग की त्वचा में आने वाले बदलाव से इसकी पहचान की जा सकती है जैसे-
* पापड़ीदार छोटा दाना जिससे खून निकलता हो.
* त्वचा के रंग में बदलाव आना.
* त्वचा का मोटा हो जाना.
* लिंग के भीतरी त्वचा में रैशेज आना.
* घाव से बदबूदार स्राव होना.
* लिंग के अगले हिस्से से खून निकलना इत्यादि.
पेनाइल कैंसर का इलाज-
पेनाइल कैंसर के इलाज के लिए इसका नियमित रूप से इलाज कराना बहुत जरूरी है. डॉक्टर आमतौर पर इन उपायों को अपनाने की सलाह देते हैं जैसे-
* लिंग की त्वचा को सर्जरी करके हटाना.
* कीमोथेरेपी.
* रेडिएशन थेरेपी इत्यादि.
निष्कर्ष-
लिंग पर घाव के मरीजों के लिए समस्याएं उनके लक्षणों पर निर्भर करती है. आमतौर पर लिंग पर दाने पड़ने की समस्या सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इनफेक्शन के कारण होती है. कुछ मामलों में यह त्वचा की गंभीर समस्याओं का कारण भी हो सकती है.
लिंग पर घाव की समस्या होने के दौरान किसी भी प्रकार की सेक्स वाली एक्टिविटी नहीं करनी चाहिए. जब तक डॉक्टर आपके बीमारी की जांच करके सही स्थिति की जानकारी नहीं दे देते.
ऊपर बताई गई किसी भी स्थिति में शर्माने की बजाय आपको डॉक्टर से मिलकर जितनी जल्दी हो सके इसका इलाज कराना चाहिए क्योंकि यह घातक भी हो सकता है.
नोट- यह लेख सामान्य जानकारी के लिए लिखी गई है. किसी भी प्रयोग से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह जरूर लें. धन्यवाद.
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