आखिर पानी इतना ज़रूरी क्यों है ? जानिए कम पानी पीने से होने वाली बीमारियां

 कल्याण आयुर्वेद- पानी हम सभी के जीवन का इतना ज़रूरी शब्द है कि इसके न होने की कल्पना करना भी काफी मुश्किल काम नज़र आता है. पृथ्वी से लेकर मानव शरीर का सबसे बड़ा हिस्सा पानी ही है. पृथ्वी का 71 प्रतिशत हिस्सा पानी से ढका हुआ है, अनुमान के मुताबिक पृथ्वी पर कुल 32 करोड़ 60 लाख खरब गैलन पानी है. इंसानी शरीर की बात करें तो एक वयस्क पुरुष के शरीर का 65% जबकि महिला के शरीर का 52% हिस्सा पानी होता है. वयस्क मनुष्य के शरीर में हमेशा 35 से 40 लीटर पानी मौजूद रहता है.

आखिर पानी इतना ज़रूरी क्यों है ? जानिए कम पानी पीने से होने वाली बीमारियां

इंसानों के लिए पानी कितना ज़रूरी ? 

* पानी न सिर्फ मनुष्य की बाहरी सफाई के लिए ज़रूरी है बल्कि शरीर के अन्दर की सफाई के लिए भी पानी बेहद आवश्यक है. पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम भी पानी ही करता है.

* मनुष्य के शरीर के अधिकतर अंगों में पानी पाया जाता है. बेहद कम लोग जानते होंगे लेकिन ठोस और कड़ी महसूस होने वाली हमारी हड्डियों में भी 22% पानी होता है. हमारे दांतों में 10%, त्वचा में 20%, दिमाग में 74.5%, मांसपेशियों में 75.6% जबकि खून में 83% पानी होता है.

* रिसर्च के मुताबिक एक इंसान बिना भोजन के 15 दिन तक भी जीवित रह सकता है लेकिन बिना पानी के 5वें दिन उसकी मौत हो जाएगी.

* प्यास लगने के पीछे का गणित भी यही है कि जैसे ही शरीर में 1% भी पानी की कमी होती है तो आपको प्यास लगने लगती है. जब ये कमी 5% तक पहुंच जाती है तो शरीर की नसें खिंचने लगती है और स्टेमिना में कमी महसूस होने लगती है.

* जैसे ही ये कमी 10% पहुंचती है तो इंसान को धुंधला दिखाई देने लगता है और वो बेहोश हो जाता है. शरीर में पानी की कमी 20% हो जाने पर इंसान की मौत भी हो सकती है. वैज्ञानिकों के मुताबिक पानी बेहद ज़रूरी है इसलिए ही शरीर में समय-समय पर प्यास लगने का ये मैकेनिज्म विकसित हुआ है.

इंसानों के किस काम का है पानी ?

* हमारे शरीर का दो तिहाई हिस्सा पानी या तरल पदार्थ का बना होता है. रक्त, जिसे हम मानव शरीर की जीवनरेखा कहते हैं, उसका भी 83% पानी होता है. रक्त शरीर के हर अंग तक विटामिन, मिनरल्स, अन्य जरूरी पोषक तत्त्व जैसे हीमोग्लोबिन, ऑक्सीजन आदि को पहुंचाने का काम करता है.

* पेशाब भी हमारे शरीर का एक अहम तरल पदार्थ है, जो शरीर से टॉक्सिक (हानिकारक) पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है. अगर हमारे शरीर में पानी की मात्रा कम है, तो शरीर में बनने वाले विषाक्त पदार्थ बाहर नहीं जाएंगे और इस से कई समस्याएं जैसे त्वचा का सूखापन, कब्ज, सिरदर्द आदि हो सकती हैं. इससे किडनी से जुड़ी कई बीमारियां भी होती हैं.

* पानी में ही इलैक्ट्रोलाइट्स, सोडियम या पोटैशियम जैसे मिनरल होते हैं और डीहाइड्रेशन से बचने के लिए इन का शरीर में संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है. ये मिनरल शरीर में कई कामों के लिए अहम होते हैं. जैसे रक्त का पीएच स्तर बनाए रखना, नसों का काम और दिमाग और शरीर के अन्य अंगों के बीच संतुलन बनाए रखना. आमतौर पर बहुत ज्यादा पसीना निकलने से शरीर में इलैक्ट्रोलाइट के स्तर में गिरावट आती है, जिस की वजह से थकावट, चक्कर आना आदि समस्याएं होती हैं.

* हमारे शरीर के बेहद नाजुक हिस्सों जैसे आंख, पाचनतंत्र, मुंह आदि को भी खूब सारे पानी की जरूरत होती है. पानी की कमी से सब से ज्यादा असर हमारे पाचनतंत्र पर पड़ता है. खाना पचाने के लिए मुंह में बनने वाली लार बेहद जरूरी होती है, इसके बिना चबाने और भोजन को अंदर तक ले जाने में मुश्किल होती है, जिस से अपच की समस्या हो सकती है. हमारी आंखों को भी पानी की जरूरत होती है ताकि जमा गंदगी को साफ किया जा सके.

* शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए हमें विटामिन डी और कैल्सियम के साथ- साथ पानी की भी बहुत जरूरत होती है. शरीर के सभी जॉइंट्स में नरमी बनाए रखने के लिए पानी की जरूरत होती है. कम पानी की वजह से उम्र बढ़ने पर हड्डियों से जुड़ी समस्याएं जैसे आर्थ्राइटिस या गठिया सामने आती हैं. जाती हैं.

* पानी हमारे शरीर में प्राकृतिक तौर पर तापमान को सामान्य बनाए रखने का काम करता है. एक सामान्य शरीर का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस या 98.6 डिग्री फारेनहाइट होता है. इसलिए जब हम धूप में गरम तापमान में जाते हैं तो हमारे शरीर से बहुत पसीना निकलता है, जिस से शरीर का तापमान कम हो जाता है.

* पानी शॉक अब्जोर्वर का काम भी करता है. मनुष्य के शरीर में मौजूद जॉइंट्स के आलावा दिमाग और स्पाइनल कॉड की झटकों से सुरक्षा के लिए बेहद ज़रूरी है.

कैसे और कितना पानी पीना चाहिए ?

आखिर पानी इतना ज़रूरी क्यों है ? जानिए कम पानी पीने से होने वाली बीमारियां
* पानी धीरे-धीरे घूंट-घूंट करके पीना चाहिए जिससे वह शरीर के तापमान के मुताबिक ही अन्दर जाए. इसलिए गिलास के जरिये होंठ लगाकर पानी पीने का तरीका सबसे बेहतर माना जाता है. ज़्यादातर लोग गर्दन उठाकर ऊपर से पानी पीते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है. ऐसे पानी पीने से फ़ूड पाइप में हवा की जगह बनती है जिससे पाचन से जुड़ी बीमारियां होती हैं. गलत तरीके से पानी पीने से एसिडिटी, खट्टी डकार, जोड़ों में दर्द, घुटनों में दर्द जैसी परेशानियां भी होती हैं. कुछ लोग दो-तीन घंटे तक पानी नहीं पीते और फिर एक साथ बहुत सारा पानी पीते हैं. ये भी हेल्थ के लिए काफी खतरनाक हो सकता है, इसका किडनी और दिल पर होता है. पानी हर एक घंटे से एक-एक गिलास करके पीना चाहिए.

* जब भी प्यास लगे तब पानी ज़रूर पीना चाहिए. खाना खाने से आधा घंटे पहले और खाना खाने के एक घंटे बाद ही पानी पीना चाहिए. खाना खाने से तुरंत पहले पानी पीने से पाचन शक्ति कमजोर होती है. खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीने से शरीर फूलता है, मोटापा चढ़ता है और कब्ज की शिकायत हो जाती है. अगर हाई ब्लड प्रेशर, लू लग जाए, बुखार, कब्ज, पेट में जलन, पेशाब में जलन या यूरिन इन्फेक्शन जैसी दिक्कतों में ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए.

गर्म चाय या कॉफी आदि के तुरन्त बाद पानी नहीं पीना चाहिए. खीरा, खरबूजा या ककड़ी खाने के बाद पानी नहीं पीना चाहिए. धूप में काफी वक़्त बिताने के बाद या सेक्स करने के बाद भी अचानक पानी नहीं पीना चाहिए.

* दिन में औसतन 8 गिलास पानी पीना चाहिए हालांकि पानी की यह मात्रा कई बातों पर निर्भर करती है, जैसे कि लिंग, उम्र, शारीरिक गतिविधियों का स्तर और पार्यावरण. चिकित्सा विशेषज्ञ बताते हैं कि जिस व्यक्ति की दोनों किडनी ठीक काम कर रही हों, उसे दिन में अपने शरीर के वजन के अनुपात में प्रति एक किलोग्राम पर 30 मिलीलीटर पानी पीना चाहिए.

पानी न पीने से होने वाली बीमारियां-

आखिर पानी इतना ज़रूरी क्यों है ? जानिए कम पानी पीने से होने वाली बीमारियां
थकान और ऊर्जा की कमी, असमय वृद्धावस्था, मोटापा, हाई और लो ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, कब्ज, पाचन से जुड़ी कई बीमारियां, गैस्ट्राइटिस, सांस संबंधित कई बीमारियां, एंजाइम संबंधित बीमारियां, एक्जिमा, सिस्टाइटिस और गठिया.

पृथ्वी पर है कितना पानी-

पृथ्वी का 70% भाग जल से ढका हुआ है इसमें से 97% पानी खारा है. पृथ्वी पर मीठा पानी पहाड़ों पर बर्फ के रूप में, झीलों, नदियों, और भूमिगत स्रोतों के रूप में पाया जाता है. दुनिया के कुल मीठे जल का 70% भाग अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड में बर्फ के रूप में पाया जाता है बाकी 30% वातावरण, झीलों, झरनों, एवम् भूमिगत स्रोतों के रूप में पाया जाता है. अमेरिका और कनाडा की ग्रेट लेक्स में विश्व के कुल मीठे जल का 1/5 भाग और रूस की बैकाल झील में भी 1/5 भाग पाया जाता है.

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