कल्याण आयुर्वेद- बार- बार पेशाब आना किसी भी कारण से उप्तन्न हो सकता है . यह या तो ज़्यादा चाय, कॉफ़ी या शराब का सेवन जैसी मामूली कारण से या फिर किसी गंभीर स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के कारण हो सकता है.
![]() |
बार- बार पेशाब आने के क्या- क्या कारण हो सकते हैं ? जानिए विस्तार से |
आइए जानते हैं बार- बार पेशाब आने के क्या- क्या कारण हैं?
1. प्रोस्टेट का बढ़ना-
![]() |
बार- बार पेशाब आने के क्या- क्या कारण हो सकते हैं ? जानिए विस्तार से |
पुरुषों में प्रोस्टेट एक ऐसी ग्रंथि है जो ब्लैडर के निचले हिस्से में, मूत्रमार्ग के आसपास स्थित होता है. यह ग्रंथि जीवनभर बढ़ती जाती है. लेकिन जब वह अधिक से ज़्यादा बड़ी होने लगती है. तब वह मूत्रमार्ग पर दबाव डालती है और पेशाब की धारा को रोक देती है. हालाँकि बार- बार पेशाब आने के अलावा भी इसके कई और लक्षण है जैसे कि –
* अचानक से पेशाब करने की तीव्र इच्छा होना.
* रात को 2 से ज़्यादा बार पेशाब करना.
* पेशाब की धारा का पतला हो जाना.
* पेशाब करते- करते उसका अचानक से रुक जाना.
* पेशाब निकालने के लिए ज़ोर लगाना.
अगर इस बीमारी को जल्दी पहचान लिया जाए तो इसको दवाइयों की मदद से ठीक किया जा सकता है. लेकिन समय के साथ-साथ जब प्रोस्टेट बढ़ता चला जाता है तब उसको सर्जरी से छोटा करना पड़ सकता है .
2. किडनी या यूरेट्रिक स्टोन-
![]() |
बार- बार पेशाब आने के क्या- क्या कारण हो सकते हैं ? जानिए विस्तार से |
डॉक्टर्स कहतें हैं कि शरीर में किडनी स्टोन बनने का प्रमुख कारण है कम मात्रा में पानी पीना है. कम पानी पीने के कारण पेशाब गाढ़ा हो जाता है जिससे यूरिक एसिड और कैल्शियम ऑक्सालेट के क्रिस्टल्स बनने लगते है. ये क्रिस्टल्स आपस में चिपक जाते है और स्टोन्स बनाते है.
अगर समय पर किडनी स्टोन का इलाज न कराया जाए तो ये स्टोन्स बड़े होने लगते हैं. ज़्यादा देर तक शरीर में रहने पर ये मूत्रवाहिनी या युरेटर में जाकर फस सकते है. यह एक आपातकालीन समस्या होती है क्योंकि फिर ये स्टोन्स पेशाब की धारा को रोक देती है जिससे पेशाब बाहर नहीं निकल पाती है.
जहाँ तक किडनी स्टोन के इलाज का सवाल है, वह उसके माप पर निर्भर करता है. अगर पथरी छोटे माप की है तो आप ज़्यादा पानी पी कर उस स्टोन को आराम से पेशाब द्वारा शरीर से बाहर निकाल सकते हैं. लेकिन अगर वह थोड़े बड़े माप का है तो सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है.
3. मूत्रमार्ग में इन्फेक्शन होना-
मूत्रमार्ग में इन्फेक्शन महिलाओं में काफी आम है लेकिन यह इन्फेक्शन पुरुषों को भी हो सकता है. इस इन्फेक्शन का एक लक्षण है बार- बार पेशाब आना और जलन होना.
मूत्रमार्ग में इन्फेक्शन होता कैसे है ?
जब मूत्रमार्ग के किसी हिस्से में बैक्टीरिया जमा हो जाता है तब उस हिस्से में सूजन और जलन होने लगती है. इससे इन्फेक्शन उत्पन्न होने लगता है. जब ये बैक्टीरिया मूत्रनली में सूजन पैदा करते है तब उसको urethritis कहते है. और जब ये ब्लैडर तक पहुँच जाते है तो उस बीमारी को cystisis कहते है.
ये इन्फेक्शन पैदा करने वाले बैक्टीरिया प्रोस्टेट तक भी पहुँच सकते है जिसके बाद वे वहाँ पर सूजन उत्पन्न करते है इसको prostatitis कहते है.
लेकिन इस बीमारी में घबराने की कोई बात नहीं है. UTI एंटीबायोटिक्स सेवन से ठीक हो जाती है. बस आगे चल कर मूत्रमार्ग में इन्फेक्शन को रोकने के लिए ज़रूरी है कि आप एक स्वस्थ हाइजीन का पालन करें.
4. डायबिटीज-
![]() |
बार- बार पेशाब आने के क्या- क्या कारण हो सकते हैं ? जानिए विस्तार से |
डायबिटीज एक क्रोनिक बीमारी है जो कभी भी किसी को भी हो सकती है. इस बीमारी में पैंक्रियास, जो हमारे शरीर का एक अंग है, उचित मात्रा में इन्सुलिन नहीं बना पाता है जिसके कारण रक्त में ग्लूकोस की मात्रा बढ़ जाती है. यह शरीर को गंभीर रूप से हानि पहुंचाता है.
मधुमेह से पीड़ित लोगों को रात को 3 से 4 बार पेशाब आने लगता है और जहाँ तक बात बच्चों की है, तो पेशाब होने के लक्षण न होने की वजह से वे अक्सर बिस्तर गीला कर देते है.
इन्सुलिन नामक हॉर्मोन का हमारे शरीर में क्या भूमिका है ?
जब हम खाना खाते है, तब हमारा शरीर इस खाने को ग्लूकोस में तोड़ता है जिसको फिर शरीर की कोशिकाएँ सोख लेतीं हैं. इससे उन्हें ऊर्जा मिलती है. इस क्रिया के सही चालन के लिए ज़रूरी होता है कि पैंक्रियास समय-समय पर इन्सुलिन हॉर्मोन बनाए जो ग्लूकोस को कोशिकाओं के अंदर पहुँचने में मदद करता है ताकि वे ऊर्जा बना सकें. जब पैंक्रियास उचित मात्रा में इन्सुलिन नहीं बना पाता है तब रक्त में ग्लूकोस की मात्रा असामान्य रूप से बढ़ जाती है.
लेकिन सोचने वाली बात यह है कि डायबिटीज के कारण कैसे बार- बार पेशाब आ सकता है?
इसके लिए हमे यह समझना होगा कि हमारी किड्नीस काम कैसे करतीं हैं ?
हमारे किड्नीस पेशाब बनाते वक़्त रक्त में मौजूद अतिरिक्त शुगर वापस से सोख कर रक्त प्रवाह में डाल देते हैं. क्योंकि डायबिटीज में रक्त में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है, इससे किड्नीस पर भारी दबाव पड़ता है और वे पूरी तरह से अतिरिक्त शुगर को सोख नहीं पाते हैं. जिसके कारण अतिरिक्त शुगर पेशाब द्वारा निकल आता है, परन्तु इस दौरान यह शरीर से काफी सारा पानी भी चूस लेता है जिससे अधिक मात्रा में पेशाब निकलने लगता है.
इस स्तिथि में आपको प्यास भी बहुत ज़्यादा लगने लगती है. जिससे पानी का सेवन बढ़ जाता है. यह भी बार- बार पेशाब आने में मजबूर कर देता है.
आवश्यक है कि डायबिटीज से जूझ रहा हर इंसान नियमित रूप से अपने ब्लड शुगर की मात्रा को नियंत्रण में रखें क्योंकि लम्बे समय तक अगर इसको नियंत्रित न किया जाए तो यह किडनी फेलियर का भी कारण बन सकता है.
5. गर्भावस्था-
![]() |
बार- बार पेशाब आने के क्या- क्या कारण हो सकते हैं ? जानिए विस्तार से |
गर्भावस्था में बार- बार पेशाब आने के क्या कारण है ?
गर्भावस्था में बार- बार पेशाब आना कई कारणों से हो सकता है. सबसे पहले तो यह है कि इस समय शरीर में प्रेगनेंसी हॉर्मोन्स, जैसे कि HcG और प्रोजेस्ट्रोन, बनने लगते है. ये हॉर्मोन्स ज़्यादा पेशाब बनने का कारण होते है.
दूसरा कारण है – जैसे- जैसे बढ़ते बच्चे के लिए जगह बनाने के लिए गर्भ फैलने लगता है, वह ब्लैडर को नीचे ढकेलने लगता है और उस पर दबाव डालने लगता है. ऐसे में ब्लैडर छोटा हो जाता है और ज़्यादा पेशाब जमा नहीं कर पाता है जिसकी वजह से गर्भवती महिलाओं को जल्दी- जल्दी पेशाब करने की आवश्यकता पड़ती है.
इसके अलावा एक कारण यह भी हो सकता है कि गर्भ धारण करने के पश्चात शरीर में रक्त की मात्रा लगभग 50% से बढ़ जाती है. ज़्यादा रक्त होने की वजह किड्नीस अतिरिक्त फ्लुइड संसाधित करने लगते है जिससे ज़्यादा पेशाब बनता है.
गर्भावस्था के समय यूरिन इन्फेक्शन (UTI) की संभावना भी बढ़ जाती है. ऐसे में कई बार डॉक्टर यूरिन इन्फेक्शन की जांच कराते है ताकि पता चल सके की बार- बार पेशाब आना कहीं उसका लक्षण तो नहीं है.
क्या गर्भवस्था में इस परेशानी को कम की जा सकती है ?
डॉक्टर्स कहते हैं – जी हाँ बिलकुल. बस आपको कुछ उपाय अपनाने पड़ते है जैसे कि – चाय-कॉफ़ी जैसे तरल पदार्थ का कम सेवन करना, पेशाब आने पर तुरंत जाना, पेशाब को रोक के न रखना और हर बार ब्लैडर को पूरी तरह से खाली कर देना इत्यादि नियम अपनाकर गर्भवस्था में पेशाब को नियंत्रित की जा सकती है.
6. अतिसक्रिय ब्लैडर-
एक ब्लैडर को अतिसक्रिय ब्लैडर तब कहा जाता है जब आपको इनमे से कोई लक्षण दिखाई दे जैसे कि –
* बार- बार पेशाब आना.
* अचानक से पेशाब करने की तीव्र इच्छा होना.
* पेशाब आने पर उसको रोक न पाना और उसका बाहर निकल आना.
* अतिसक्रिय ब्लैडर एक ऐसी बीमारी है जो सही इलाज न कराने पर एक इंसान के जीवन को अस्त-व्यस्त कर सकता है. यह उसके यौन-संबंध और रात की नींद पर बुरा प्रभाव भी डाल सकता है.
* और यह सोचना बिलकुल सही नहीं है कि ब्लैडर का अतिसक्रिय होना बुढ़ापे का एक आम पड़ाव है. यह एक बीमारी है जिसकी जांच और इलाज कराना जरुरी है.
* जब ब्लैडर की मांसपेशियाँ उसके पूरी तरह न भरने के बावजूद अपने आप अचानक से ही सिकुड़ने लगतीं हैं, तब इंसान को अचानक से पेशाब करने की इच्छा होने लगती है और उसको बार- बार पेशाब करना पड़ता है.
* यह कई कारणों से हो सकता है जैसे कि श्रोणि की मांसपेशियों का कमज़ोर हो जाना जिससे ब्लैडर अपनी जगह से नीचे उतरने लगता है.
लेकिन आपको बता दें कि आप जीवनशैली में कुछ आसान से बदलाव करके इस बीमारी को नियंत्रित कर सकते है जैसे कि –
* उन खाद्य पदार्थ और पीने की चीज़ों से दूर रहना जिससे ज़्यादा पेशाब बनता है जैसे की चाय, कॉफ़ी और शराब.
* ताज़ी फल-सब्ज़ियां और स्वस्थ अनाज का सेवन करना.
* श्रोणि की मांसपेशियों को मज़बूत बनाने के लिए विशेष प्रकार के व्यायाम करना जैसे कि केगेल व्यायाम.
* इनके अलावा दवाइयों द्वारा भी ब्लैडर की अतिसक्रियता को कम किया जा सकता है जिससे बार- बार पेशाब आना, अचानक से पेशाब की इच्छा होना और पेशाब को रोक न पाना जैसे लक्षणों से छुटकारा पाया जा सके.
नोट- याद रखें- जब कभी आपको बार- बार पेशाब आने जैसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा हो तो शर्मिंदगी के डर से इसको छुपाएं नहीं बल्कि सही समय पर डॉक्टर से मदद लेने पर आप बार- बार पेशाब आने की समस्या से छुटकारा पा सकते है और अपने सामान्य जीवन में आराम से वापस जा सकते है.
इस लेख को शेयर करके आप किसी की मदद कर सकते हैं. धन्यवाद.
0 Comments