कल्याण आयुर्वेद- पथरी एक ऐसी बीमारी है जो दिन व दिन आम बीमारी बनती जा रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह है खान पान में मिलावट और मौजूद कुछ ऐसे केमिकल्स है जो नए नए बीमारी को दावत देते है। इन्ही बिमारियों में से एक है गालब्लेडर में पथरी की बीमारी। इस लेख के माध्यम से यह समझाने की कोशिश कि गई है कि पित्ताशय में पथरी के कारण, लक्षण और इलाज क्या है?
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जानिए- पित्ताशय ( पित्त की थैली ) में पथरी होने के कारण, लक्षण, परहेज और इलाज |
पित्ताशय की पथरी क्या है ?
पाचन के लिए ज़रूरी एंजाइम को सुरक्षित रखने वाले पित्ताशय से जुड़ी सबसे बड़ी परेशानी यह है कि इसमें स्टोन बनने की आशंका ज़्यादा होती है, जिन्हें गालब्लेडर में पथरी कहा जाता है। दरअसल जब गालब्लेडर में लिक्विड पदार्थ की मात्रा सूखने लगती है तो उसमें मौजूद चीनी, नमक और दूसरे माइक्रोन्यूट्रिएट तत्व एक साथ जमा होकर छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़ों जैसा रूप ले लेते हैं, जिन्हें गालब्लेडर स्टोंन कहा जाता है।
कभी-कभी पित्ताशय में कोलेस्ट्रोल, बिलीरुबिन और पित्त लवणों का जमाव हो जाता है। 80% पथरी कोलेस्ट्रोल की बनी होती है। धीरे-धीरे वे कठोर हो जाती हैं और पित्ताशय के अंदर पत्थर का रूप ले लेती है। कोलेस्ट्रॉल स्टोन पीले-हरे रंग के होते हैं।
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जानिए- पित्ताशय ( पित्त की थैली ) में पथरी होने के कारण, लक्षण, परहेज और इलाज |
जब ब्लैडर में ब्लैक या ब्राउन कलर के स्टोन्स नजर आते हैं तो उन्हें पिगमेंट स्टोन्स कहा जाता है। कई बार गॉल ब्लैडर में अनकॉन्जुगेटेड बिलिरुबिन तत्व का जमाव होने लगता है तो इससे पिगमेंट स्टोन्स की समस्या होती है। गॉलब्लैडर में गड़बड़ी की वजह से कई बार पित्त बाइल डक्ट में जमा होने लगता है, इससे लोगों को जॉन्डिस भी हो सकता है। अगर आंतों में जाने के बजाय बाइल पैनक्रियाज़ में चला जाए तो इससे क्रॉनिक पैनक्रिएटाइटिस नाम की गंभीर परेशानी हो सकती है। अगर सही समय पर इसका इलाज न कराया जाए तो इससे गॉलब्लैडर में कैंसर भी हो सकता है।
पित्त में पथरी का बनना एक भयंकर दर्दनाक बीमारी है। पित्त में कोलेस्ट्रॉल और पिग्मेंट नाम की दो तरह की बनती है। लेकिन लगभग 80% पथरी कोलेस्ट्रॉल से ही बनती है। पित्त लिवर में बनता है और इसका स्टोरेज गॉल ब्लैडर में होता है। यह पित्त फैट से भरा खाने को डाइजेस्ट करने में मदद करता है। लेकिन जब पित्त में कोलेस्ट्रॉल और बिलरुबिन की लेवल ज्यादा बढ़ जाता है, तो पथरी बन जाती है।
पित्ताशय में पथरी होने के कारण-
पित्ताशय में पथरी का अभी तक कोई निश्चित कारण साबित नहीं हुई है। और यह किसी भी उम्र में हो सकता है। कुछ फैक्टर हैं जो गॉलस्टोन्स की आशंका को बढ़ा सकते हैं जैसे डायबिटीज,लंबे समय से किसी बीमारी से ग्रस्त रहने के कारण इसके अलावा और भी कई कारणें है जिससे गालब्लेडर स्टोन होने का खतरा बढ़ सकता है।
उदाहरण-
1 .ब्रेड, रस्क और दूसरे बेकरी प्रोडक्ट जैसे-
ब्रेड, मफिन्स, कुकीज, कप केक इत्यादि का सेवन गालब्लेडर हेल्थ को प्रभावित करता है। हालांकि, इन फूड्स में सैचुरेटेड और ट्रांस फैट का लेवल बहुत ज्यादा होती है और इनमें से ज्यादातर फूड्स मैदे से बने होते हैं। अगर आपको गॉल ब्लैडर से जुड़ी कोई बीमारी है, तो इन प्रोडक्ट का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इसकी जगह पर आप मोटे अनाज से बने फूड प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें।
2 .ज़्यादा प्रोटीन खतरनाक है –
किसी भी चीज का अधिक सेवन नुकसानदायक होती है इसलिए ज़्यादा प्रोटीन भी है खतरनाक है अगर आपको अपने गॉल ब्लैडर को हेल्दी रखना है, तो जानवरों में पाये जाने वाले प्रोटीन के लेवल को सीमित कर देना चाहिए। दरअसल जानवरों में पाए जाने वाले प्रोटीन से कैल्शियम स्टोन और यूरिक एसिड स्टोन के होने का खतरा बढ़ जाता है। मछली, मांस में प्रोटीन के साथ कैल्शियम की लेवल ज़्यादा होता है। इसलिए इनका सेवन बहुत ज़्यादा नहीं करना चाहिए । अगर आपको गॉल ब्लैडर या किडनी में पथरी है, तब तो इनका सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
3 .मीठी चीजों का सेवन-
मीठी चीजों में रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट काफी मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा शुगर के ज्यादा सेवन से कोलेस्ट्रॉल गाढ़ा होता है, जिससे दिल के रोगों के साथ-साथ गॉल ब्लैडर में पथरी का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए मीठी चीजों का खाने पीने में बहुत कम इस्तेमाल करना चाहिए।
4 .गर्भनिरोधक दवाएँ –
ज्यादा मात्रा में या जल्दी-जल्दी गर्भनिरोधक दवाओं का सेवन करने वाली महिलाओं में भी गॉल ब्लैडर की परेशानी काफी पाई जाती है। इसलिए महिलाओं को चाहिए कि दवाओं के बजाय दूसरे तरह के गर्भनिरोधक उपायों को अपनाएं, क्योंकि दवाओं का ज्यादा सेवन उन्हें गॉल ब्लैडर में पथरी का मरीज बना सकता है। इसके अलावा इन दवाओं का किडनी और लीवर पर भी बुरा असर पड़ता है।
5 .कॉफी-
अगर आप कॉफी का ज्यादा सेवन करते हैं, तो भी आपको गॉल ब्लैडर की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए जिन लोगों को गॉल ब्लैडर में पहले ही पथरी या अन्य कोई शिकायत है, उन्हें कॉफी का सेवन बिल्कुल बंद कर देना चाहिए। जो लोग हेल्दी हैं, वो दिन में एक या दो कॉफी पी सकते हैं मगर इससे ज्यादा कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए।
6 .सोडा का सेवन-
पथरी होने पर पानी का ज़्यादा से ज़्यादा सेवन करने की सलाह दी जाती है, लेकिन कुछ पेय पदार्थ ऐसे भी होते हैं जो पथरी होने पर नहीं पीना चाहिए। स्टोन होने पर सोडा का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए, इसमें फॉस्फोरिक एसिड होता है जो स्टोन के खतरे को बढ़ाता है।
7 .तेजी से वज़न कम करने पर भी पित्ताशय में पथरी होने का खतरा बना रहता है।
8 . उम्र का भी फर्क पड़ता है। 45 से ज्यादा उम्र वालों में इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
9 .अधिक मोटापा.
10 .वंश परम्परागत.
गॉल ब्लैडर स्टोन का पता चलते ही इलाज कराना बेहतर होता है क्योंकि यह कैंसर में भी बदल सकता है। अच्छी बात यह है की गॉल ब्लैडर स्टोन लाइलाज नहीं है। पित्त की थैली में पथरी का इलाज मौजूद है। ध्यान रखने वाली बात यह है की पित्त की थैली में पथरी का इलाज समय पर नहीं कराया गया तो फिर एक मात्र इलाज “Pathri Ka Operation” ही बचता है।
पित्ताशय में पथरी होने के लक्षण –
कई बार पित्त की थैली में पथरी बिना किसी लक्षण से होती है और कई बार कुछ लक्षणों को दर्शाते हुए भी होती है। पित्त की थैली में पथरी होने पर कुछ खास लक्षण होते हैं जो इस प्रकार हैं-
* बदहजमी.
* खट्टी डकार.
* पेट फुलाना.
* एसिडिटी.
* पेट में भारीपन.
* उल्टी होना.
* पसीना अधिक आना जैसे लक्षण नजर आते हैं।
पित्ताशय में पथरी से बचाव कैसे करें?
पित्ताशय में पथरी से बचने के लिए लाइफ स्टाइल और खान पान में बदलाव लाना जरूरी होता है। जैसे-
आहार-
* गाजर और ककडी का रस को 100 मि.ली. की मात्रा में मिलाकर दिन में दो बार पीने से पित्त की पथरी में फायदा मिलता है।
* सुबह खाली पेट 50 मि.ली. नींबू का रस पीने से एक हफ्ते में आराम मिलेगा है।
* शराब, सिगरेट, चाय, कॉफी और शक्कर युक्त ड्रिंक नुकसान देह है। इनसे जितना हो सके बचने की कोशिश करें।
* नाशपाती पित्त की पथरी में फायदेमंद होती है, इसे खूब खायें। इसमें पाये जाने वाले रासायनिक तत्वों से पित्ताशय की बीमारी दूर होती है।
* विटामिन-सी और एस्कोर्बिक एसिड के इस्तेमाल से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बनती है। यह कोलेस्ट्रॉल को पित्त में बदल देता है। इसकी तीन से चार गोली रोज लेने पर पथरी में फायदा होता है।
* पित्त पथरी के मरीज़ खाने में ज़्यादा से ज़्यादा मात्रा में हरी सब्जियां और फल लें। इनमें कोलेस्ट्रॉल कम मात्रा में होता है और प्रोटीन की जरूरत भी पूरी करते हैं।
* तली और मसालेदार चीजों से दूर रहें और बैलेंस डाइट ही करें।
* खट्टे फलों का सेवन करें। इनमें मौजूद विटामिन-सी गॉलब्लैडर की पथरी दूर करने के लिए काफी मददगार साबित होता है।
* रोजाना एक चम्मच हल्दी का सेवन करने से पथरी दूर होती है।
इन चीजों कोखाने से परहेज करना चाहिए
1 .पित्त की पथरी होने पर डॉक्टर ने डाइट से अण्डों को हटाने की सलाह दिया है। उनके मुताबिक इसमें काफी कोलेस्ट्रॉल होता है जो पित्ताशय में पथरी का कारण बनता है।
2 .अगर आपको तली हुई चीजें खाना पसंद है तो उसे तुरंत छोड़ दीजिए। यह न सिर्फ सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि इससे पित्त की पथरी की परेशानी और भी बढ़ सकती है। इसलिए आप कोशिश करें कि ज्यादा तली हुई चीजें न खाएं। आपको बता दें कि तली हुई खाद्य पदार्थ में हाइड्रोजनीकृत वसा, ट्रांस वसा और सेचुरेटेड वसा होती है जो आपकी पित्ताशय के दर्द को बढ़ा सकता है। तलने के लिए हेल्दी ऑप्शन के रूप में आप जैतून या कैनोला तेल का उपयोग करें।
3 .पित्त की पथरी में परहेज की बात करें तो आपको नॉनवेज से भी परहेज करना चाहिए जैसे, मीट, लाल मांस, सूअर का मांस और चिकन इत्यादि। इसके अलावा आप ऑयली और मसालेदार चीजें भी न खाएं।
4 .प्रोसेस्ड फूड के पीछे लोग क्यों भाग रहें हैं इसकी एक वजह यह भी है कि ये खाने में अच्छे लगते हैं और इसे बनाने के लिए ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती। लेकिन इसका स्वाद हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। यह न सिर्फ शरीर के डाइजेस्टिव सिस्टम को इफेक्ट और खराब कर सकता है बल्कि पित्त की पथरी की परेशानी को भी बढ़ा सकता है। आमतौर पर ट्रांस फैटी एसिड, पैकेज्ड फूड में मौजूद होते हैं जो पित्त की पथरी के लक्षणों को बढ़ाने का काम करते हैं। आप चिप्स, कुकीज, डोनट्स, मिठाई या मिश्रित पैक वाले खाद्य पदार्थों से बचें।
5 .पित्त की पथरी होने पर आप परिष्कृत अवयव वाले फूड आइटम से दूरी बनाएं। व्हाइट ब्रेड, परिष्कृत आटा पास्ता, सफेद चावल और परिष्कृत चीनी ये सभी चीजें फैट का रूप ले लेती है, जो पित्त में कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि कर सकती है।
6 .पित्त की पथरी की परेशानी है तो आप वसा वाले डेयरी प्रोडक्ट का इस्तेमाल मत कीजिए। दूध, पनीर, दही, आइसक्रीम, भारी क्रीम और खट्टा क्रीम में हाई लेवल के फैट होते हैं, जो पित्त की पथरी को बढ़ाने का काम करते हैं। अपने आहार में डेयरी की मात्रा कम करने की कोशिश करें या कम वसा वाले दूध को चुनें।
7 .पित्त की पथरी में परहेज के लिए या आपको अपने पित्ताशय की थैली की रक्षा करने के लिए कुछ फूड आइटम से बचना चाहिए। सबसे बड़ी परेशानी हाई फैट वाले फूड आइटम और प्रोसेस्ड फूड आयटम से हैं। इसलिए इनसे दूरी बनाकर रखें। फूड आइटम जैसे वनस्पति तेल और मूंगफली का तेल चिकना या तला हुआ होता है, इन्हें छोड़ना ज़्यादा मुश्किल होता है और इससे पित्ताशय की थैली की प्रॉब्लम हो सकती है। प्रोसेस्ड या व्यावसायिक रूप से बेक्ड प्रोडक्ट की तरह ट्रांस फैट वाले फूड आइटम, पित्ताशय की थैली के हेल्थ को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। सफेद पास्ता, ब्रेड और शुगर जैसे सफेद फूड आयटम से बचें, ये आपके पित्ताशय की थैली को नुकसान पहुंचा सकते हैं। आपको शराब और तंबाकू से भी बचना चाहिए।
8 .पित्त की पथरी में अम्लीय फूड नहीं खाना चाहिए। खाद्य पदार्थ जो अम्लीय होते हैं, जैसे कि खट्टे फल, कॉफी और टमाटर सॉस न सिर्फ आपके पेट के लिए जलन पैदा कर सकते हैं बल्कि इससे आपको पित्त की पथरी भी हो सकती है।
खाना चाहिए-
फल और सब्जियों की अधिक मात्रा।
1 .स्टार्च युक्त कार्बोहाइड्रेट्स की ज्यादा मात्रा। उदाहरण के लिए ब्रेड, चावल, दालें, पास्ता, आलू, चपाती और प्लान्टेन (केले जैसा आहार)। जब मुमकिन हो तब साबुत अनाजों से बनी वस्तुएं लें. थोड़ी मात्रा में दूध और डेयरी प्रोडक्ट लें। कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट लें।
2 .कुछ मात्रा में मांस, मछली,अण्डे और इनके विकल्प जैसे फलियाँ और दालें।
3 .वनस्पति तेलों जैसे सूरजमुखी, रेपसीड और जैतून का तेल, एवोकाडो, मेवों और गिरियों में पाए जाने वाली असंतृप्त वसा।
4 .रेशे की अधिकता से युक्त आहार सेवन करें। यह फलियों, दालों, फलों और सब्जियों, जई और होलवीट उत्पादों जैसे ब्रेड, पास्ता और चावल में पाया जाता है।
5 .तरल पदार्थ अधिक मात्रा में लें, जैसे कि पानी या औषधीय चाय आदि का प्रतिदिन कम से कम दो लीटर सेवन करें।
जीवनशैली-
योग और व्यायाम-नियमित व्यायाम रक्त ऊतकों में कोलेस्ट्रॉल को घटाता है, जो कि पित्ताशय की परेशानी पैदा कर सकता है। हर दिन तीस मिनट तक, हफ्ते में पांच बार, अपेक्षाकृत मध्यम मात्रा की शारीरिक सक्रियता, व्यक्ति के पित्ताशय की पथरी के उत्पन्न होने के खतरे पर अत्यधिक प्रभावी होती है।
योगाभ्यास-
योग-पित्ताशय की पथरी के उपचार के लिए जिन योगासनों का अभ्यास करना चाहिए, वह हैं:
1 .सर्वांगासन.
2 .शलभासन
3 .धनुरासन
4 .भुजंगासन
पथरी निकालने के बाद कौन-सी बातों का ध्यान देना चाहिए –
●सर्जरी के पहले पांच घण्टे पानी या कोई भी ड्रिंक पीने की इजाज़त नहीं होती है। फिर आप रोज़ाना 0.5 लीटर तक, हर 20 मिनट में गैर-कार्बोनेटेड पीने के पानी के एक-दो सिप पी सकते हैं। ऑपरेशन के एक दिन बाद, आप कॉफी, चाय, मीठे और कार्बोनेटेड ड्रिंक, अल्कोहल को छोड़कर, नॉर्मल ड्रिंक पी सकते हैं या उसका इंतजाम कर जारी रख सकते हैं।
●डाइट पर तीन दिनों से पानी पर ग्रेटेड पॉरेज, मैश किए हुए आलू, कम फैट वाले योग, कम फैट वाले कॉटेज पनीर, बेक्ड ग्राउंड ग्रेटिड सेब के रूप में उबले हुए सब्जियां शामिल हैं। पांचवे दिन, आप बिना किसी मांस के शोरबा में जर्दी, मैश किए हुए सूप के बिना उबले हुए आमलेट को खाना शुरु कर सकते हैं, आप उन्हें 100 ग्राम सफेद रोटी क्रूटोंस जोड़ सकते हैं। पहले हफ्ते के आखिर तक तक, उबला हुआ मछली और जमीन के रूप में लो फैट वाले किस्मों का मांस, दूध के साथ तरल अनाज, मैश किए हुए केले की इजाज़त मिल जाती है।
●इसके अलावा, पित्ताशय की थैली हटाने के बाद, परहेज डेढ़ महीने तक जारी रहता है। इसका मुख्य सिद्धांत यह है कि व्यंजनों और पकवानों को उबला हुआ होना चाहिए। छोटे हिस्सों में भोजन, दिन में पांच-छ बार खाने की आवृत्ति। सभी स्मोकिंग प्रोडक्ट , स्पाइसी प्रोडक्ट, मसालेदार और डिब्बाबंद फूड आइटम को बाहर रखा गया है।
● डेढ़ महीनों के बाद, आप धीरे-धीरे चिकन जर्दी/वीक में एक बार, उबला हुआ सॉसेज, शहद, हल्के पनीर, ताजा खट्टा क्रीम, ताजे फल और जामुन का ज़ायका चख सकते हैं। चीनी के बजाय, स्वीटर्स का इस्तेमाल करना बेहतर होता है। इस आहार को डाइट टेबल एन 5/हेपेटिक/कहा जाता है और इसे तीन महीने का पालन करने की ज़रूरत होगी। आने वाले दिनों में, गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट की अनुमति के साथ, आहार धीरे-धीरे विस्तारित होता है, लेकिन फिर भी मांस, मसालेदार और डिब्बाबंद व्यंजनों को धूम्रपान किया जाता है, मसालेदार उत्पादों को त्याग दिया जाना चाहिए। यकृत के पित्त कार्य को बेहतर बनाने के लिए, सब्जी फाइबर का इस्तेमाल करना ज़रूरी होता है। कच्ची सब्जियां और फल, वनस्पति तेल उपयोगी होते हैं। शराब बाहर रखा गया है।
पित्ताशय की पथरी होने के साइड इफेक्ट –
हालांकि पित्ताशय की थैली के सर्जरी के बाद डाइजेस्टिव प्रॉब्लम ज्यादा बढ़ जाती हैं, इसके अलावा दस्त, कब्ज की परेशानी भी होती हैं।
फैटी फूड आइटम को डाइजेस्ट करने में परेशानी होती है
सर्जरी के पहले महीने में कुछ लोगों को फैटी फूड आइटम को डाइजेस्ट करने में थोड़ा मुश्किल होता है। लो फूड आइटम का सेवन करने से मदद मिल सकती है।
अस्थायी दस्त-
पित्ताशय, डाइजेस्टिव ट्रैक्ट से आने वाले बेकार तत्वों और लीवर से आने वाले बाइल को स्टोर करता है। जब पित्ताशय निकल जाता है तो लीवर से निकलने वाला बाइल सीधे छोटी आंतों में चला जाता है। पित्ताशय के न होने से छोटी आंत में इसके आने से लीवर और उसके बीच की प्रक्रिया में कुछ समय के लिए दिक्कत पैदा हो जाती है। जिसकी वजह से कई बार रोगी को डायरिया भी हो जाता है। इसे क्लेसिस्टॉमी सिंड्रोम भी कहा जाता है, जो कि पित्ताशय निकलने के बाद कुछ दिनों तक रहता है।
अस्थायी कब्ज-
कुछ लोग पित्ताशय की थैली सर्जरी के बाद वे दर्द दवाओं से कब्ज हो जाते हैं। एक आहार जो फाइबर में समृद्ध हैं- सेम, ब्रान, पूरे अनाज, फल और सब्जियां रोकथाम और कब्ज से छुटकारा पाने में मदद कर सकते हैं।
पित्त नली में पथरी-
पित्त नली में पथरी कुछ मामलों में, पित्ताशय की थैली सर्जरी के बाद आपके सामान्य पित्त नलिका में पत्थर बने रहेंगे। यह आपकी छोटी आंत में पित्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकता है और इसके परिणामस्वरूप सर्जरी के तुरन्त बाद दर्द, बुखार, मतली, उल्टी, सूजन, और पीलिया हो सकता है। आपको अपने सामान्य पित्त नलिका में बनाए गए गैल्स्टोन को हटाने के लिए एक अतिरिक्त प्रक्रिया की आवश्यकता हो सकती है।
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जानिए- पित्ताशय ( पित्त की थैली ) में पथरी होने के कारण, लक्षण, परहेज और इलाज |
आंतों की चोट-
हालांकि यह बहुत कम ही होता है, आपके पित्ताशय की थैली सर्जरी के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले यंत्र आपकी आंतों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। सर्जरी के दौरान इस जटिलता के जोखिम को कम करने के लिए डॉक्टर उपाय करेंगे। यदि ऐसा होता है तो आपको पेट दर्द, मतली, उल्टी और बुखार का अनुभव हो सकता है।
इसके अलावा गॉल ब्लाडैर स्टोन होने के साइड इफेक्ट के कारण दूसरे बीमारी के होने का संकेत होता है
पित्ताशय में पथरी होने से पीलिया और गंभीर सर्जिकल स्थिति भी उभर सकती है। इससे संक्रमण, पास या मवाद बनने और गॉल ब्लैडर में छेद होने के कारण पेरिटनाइटिस (पेट की झिल्ली का रोग) भी सकता है। पेनक्रियाटाइटिस जैसी जानलेवा हालात भी पैदा हो सकते है।
गॉल ब्लैडर में कैंसर हो सकता है। इस स्टोन से पीड़ित मरीजों के 6 से 18 प्रतिशत मामलों में पूरी लाइफ कैंसर का खतरा रहता है जो खासतौर पर उत्तर भारत में ज्यादा देखे गए हैं। बड़ी पथरियों से पीड़ित मरीजों में कैंसर विकसित होने की आंशका ज्यादा रहती है जबकि छोटी पथरियों से पीड़ितों में पीलिया या पेनक्रियाटाइटिस के मामले ज्यादा होते हैं।
पित्ताशय की पथरी का घरेलू उपचार –
आम तौर पर पित्ताशय की पथरी के लिए घरेलू नुस्ख़ो का ही ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है जिससे वक्त रहते थोड़ी बहुत राहत भी मिल जाती है – चलिए जानते हैं ऐसे ही कुछ घरेलू इलाज या उपचार के बारे में जिसका इस्तेमाल इस बीमारी या इस मर्ज में मुफीद या रामबाण साबित हो सकता है।
1 .एप्पल साइडर विनेगर -
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2 .नाशपाती-
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3 .चुकंदर, खीरा और गाजर का रस-
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4 .पुदीना-
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5 .इसबगोल-
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6 .नींबू-
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7 .लाल शिमला मिर्च-
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8 .साबुत अनाज-
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9 .हल्दी-
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10 .विटामिन सी-
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पित्ताशय की पथरी का इलाज —
अगर आप गॉलस्टोन्स के लक्षण महसूस करते हैं तो उसकी जाँच डॉक्टर से कराएं।अल्ट्रसाउन्ड में जब गॉलस्टोन्स दिखेंगे तो डॉक्टर उसके इलाज का सही निवारण कर पाएंगे।
अगर आपको इस दर्द और पथरी से जूड़ी दिक्कतों से हमेशा के लिए राहत चाहिए तो ऑपरेशन सबसे असरदार और अच्छा उपाय है। बिना ऑपरेशन के पीलिया और पैन्क्रीअटाइटिस होने की संभावना होती है। इसलिए जब पथरी के होने का पता चले तभी इलाज कराने में समझदारी हैं।
निष्कर्ष –
पित्ताशय में पथरी एक हो या एक से अधिक इलाज सर्जरी ही है। इसमें पित्ताशय को बाहर निकाल दिया जाता है जिससे स्वास्थ्य पर फर्क नहीं पड़ता क्योंकि इसके बाद लिवर का पित्त सीधे छोटी आंत में पहुंचने लगता है जिससे भोजन पचाने का काम सामान्य रूप से होता है। सर्जरी के बाद पथरी की पैथोलॉजी जांच करानी चाहिए क्योंकि कैमिकल एनालिसिस से पथरी के कारण का पता लगाकर भविष्य में अन्य रोगों के खतरे को कम किया जा सकता है।
नोट- यह लेख शैक्षणिक उदेश्य से लिखा गया है. किसी बीमारी के इलाज का विकल्प नही है इसलिए उचित निदान और उपचार के लिए हमेशा योग्य डॉक्टर की सलाह लें.
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