किस्मत का खेल, एक रुमाल से बना करोड़पति

एक राजा था. उसके दो पुत्रियां और एक पुत्र था. एक दिन की बात है. राजा अपने पूरे परिवार के साथ बैठा था. पता नहीं उसके दिमाग में क्या सूझी कि उसने बेटा से पूछा- बेटा तुम किसके कर्म- किस्मत से इतना खुशहाल जीवन जी रहे हो. उसने कहा-  पिता श्री आपकी किस्मत से. फिर राजा ने पहली बेटी से वही सवाल किया तो उसने भी वही जवाब दिया. 

किस्मत का खेल, एक रुमाल से बना करोड़पति

जब दूसरी बेटी से राजा ने वही सवाल किया तो उसने कहा- पिता श्री सबका अपना-अपना किस्मत होता है. इसलिए मैं अपने कर्म- किस्मत से खुशहाल जीवन जी रही हूं. 

इस बात से राजा को काफी तकलीफ महसूस हुआ कि मै इस राज्य का राजा हूँ. और मेरी बेटी ही मेरा अपमान कर रही है. उस दिन से राजा छोटी बेटी से नाराज रहने लगा और राजा के मन में गलत विचार आने लगे. राजा अपने मन में यह सोच लिया कि जब यह बड़ी हो जाएगी तो इसकी शादी अब किसी राजा के यहां नहीं बल्कि गरीब भिखमंगे से करवा दूंगा. तब इस लड़की का घमंड चूर हो जाएगा और पता चलेगा यह किसके कर्म किस्मत से खुशहाल रहती है. 

अब जब सभी की उम्र शादी योग्य हो गई तो राजा ने बड़ी बेटी और बेटे को दूसरे राज्य के राजा के घर में शादी कराया और अपने सिपाहियों को आदेश दिया कि वैसे व्यक्ति को ढूंढ कर लाओ जो एकदम गरीब और लाचार हो. राजा के मंत्रियों और सिपाहियों ने राजा को ऐसा करने से रोकने का काफी प्रयास किया. लेकिन राजा किसी की बात नहीं माना. 

सिपाहियों ने जब वैसे व्यक्ति को ढूंढने निकले तो एक भिखारी भीख मांग रहा था. जिसके शरीर पर कोढ़ भी फूटे हुए थे. सिपाहियों ने उसे ही पकड़कर राजमहल ले आए. भिखारी बेचारा डर के मारे थरथर कांप रहा था और विनती कर रहा था कि हमने कोई गलती नहीं की है. लेकिन उसकी एक न सुनी गई और उसे राजा के सामने पेश कर दिया गया. राजा उसे देखकर बहुत खुश हुआ और रीति-रिवाज के साथ शादी करा कर बेटी और दामाद को राज्य से बाहर भिजवा दिया. लेकिन राजा ने अपनी बेटी को एक फूटी कौड़ी तक नहीं दी. 

बहुत कहने के बाद उसके नाक में जो नथुनी था उसे घर छोड़कर सिर्फ एक कपड़े में उसे भिजवाया था. अब बेटी ने सोचा आखिर हम कहां जाएं, किससे मदद लें. कुछ नहीं सूझी तो सड़क किनारे एक झोपड़ी बनाकर रहने लगी और अपने पति की सेवा एवं खाने-पीने के लिए इधर- उधर से इंतजाम करने लगी. एक दिन उसके दिमाग में एक आइडिया आया की भीख मांगने से अच्छा है कोई काम शुरू करें. 

लेकिन उसके पास तो खाने के लाले पड़े थे तो क्या करती संयोग से उसके नाक में जो नथुनी था. उसने उसे बेचकर कुछ पैसा इकट्ठा किया और उससे अपने पति का इलाज कराकर उसे ठीक किया. कुछ पैसे बचे तो उसने सोचा कि क्यों ना एक अच्छा सा रुमाल बनाकर बेचना शुरू करें. 

अब अपने पति को कुछ पैसे दिए और रुमाल बनाने के लिए सामान मंगवाकर एक बहुत ही खूबसूरत रुमाल तैयार किया और पति को बोला- आप इसे बेचकर कुछ खाने का सामान और रुमाल बनाने के लिए भी सामान लेकर आइए. 

पति ने ऐसा ही किया. अब दो-तीन रुमाल बनाया और फिर पति को बेचने के लिए भेजा. इस तरह उसके कारोबार बढ़ते गए. उसके यहां कई मजदूर काम करने लगे और गरीबों को उसने रोजगार दिया. एक दिन ऐसा समय आया कि वह राजकुमारी तो नहीं बन सकी. लेकिन करोड़ों की मालकिन जरूर बन गई और ऐसो आराम से रहने लगी.

 इस बात का पता किसी तरह राजा को लगता है. तब राजा अपने सिपाहियों के साथ उसके घर आता है और बेटी के सामने सर झुकाकर बोलता है तुमने सही कहा था बेटी. सब कोई अपने अपने कर्म- किस्मत से खुशहाल रहते हैं.

 इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि किस्मत तो सभी के पास होते हैं. लेकिन किस्मत तब साथ देता है जब इंसान कर्म करता है.

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