कल्याण आयुर्वेद- चिंता के मकड़जाल में हर कोई उलझ चूका है. छोटी- छोटी बातें दिमाग पर लेने से चिंताएं और भी ज्यादा भयानक हो जाती हैं और कई जटिल बिमारियों का कारण बनती है. दिमाग का ब्रेक कंट्रोल से बाहर हो जाये तो समझो बड़ा खतरा है.
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चिंता को कैसे दूर कर सकते हैं ? जानिए आसान उपाय |
चिंता को कैसे दूर कर सकते हैं ?
* जो समस्या न सुलझे, उसके बारे में न सोचें, भजन, शास्त्रीय संगीत, गाने सुनकर टालें.
* कई लोग ऐसे भी होते हैं जो आपसी कहासुनी की बातें दिल पर ले लेते हैं. वे तब उसका जवाब देना चाहते थे, लेकिन नहीं दे नहीं पाए. फिर शाम को घर पर घंटों उन बातों के बारे में सोचते रहते हैं, जो आप कहना चाहते थे, लेकिन कह नहीं पाए या फिर आप कहां गलत थे.
* लाख कोशिश के बाद भी इन विचारों को रोक पाने की प्रवृत्ति को चिंता का मकड़जाल यानी रूमीनेटिंग कहते हैं.
* आपकी चिंता का मकड़जाल जब रोजमर्रा की जिम्मेदारियों को प्रभावित करने लगे, तो समझ लें कि आप इसका शिकार हो चुके हैं।
* धार्मिक किताबें पढ़ें। श्रीमद्भागवत गीता के चौथे 18 वे अध्याय का अध्ययन करें.
* ॐ शम्भूतेजसे नमः शिवाय का नज़्म जप आपको तेज, शक्ति, एनर्जी दे सकता है। 11 अक्षर का ये मन्त्र 11 माह में 11 लाख जप करने से एक पुनश्चरण पूर्ण होता है. इससे रुलाने वाले ग्यारह रुद्र जसए 5 कर्मेन्द्रियाँ, 5 ज्ञानेन्द्रियाँ ओर एक मन सब शुद्ध होने लगते हैं.
* एक बार कैसे भी जिद्द के साथ इस मंत्र को जपने, गाने या बोलने का अभ्यास करें. सब चिताएँ दूर होकर सपने पूरे होने लगते हैं. इस मंत्र के जाप से दुनिया का ऐसा कोई काम नहीं है, जो न निपटे.
* कर्ज मिटता है, नया घर बनता है. मंगल कार्य, शादी विवाह की उलझन दूर होती हैं. बस, उसे जपकर आपको नहीं दे सकते, नज़्म जप आपको ही करना है.
* बिना मन्त्र के जाओ से मन कभी काबू में नहीं रहता. खराब चिंतन पॉजिटिव हो जाता है.
* किसी भी बारे में चिंतन खराब नहीं होता जब तक यह तनाव, चिंता, भय भ्रम की वजह न बन जाए.
* स्ट्रेसफुल चिंतन, चिंता बंजर चिता जल्दी जला देती है. हालात खराब होने पर यह अन्य तरह की मानसिक बीमारियां पैदा कर सकती हैं.
* इसलिए अगर दिमाग से ज्यादा सोचना अनेक बीमारी का जारें बन सकता है. तनाव रहित मस्तिष्क नए विचार और सकारात्मक ऊर्जा देता है.
* ओवरथिंकिंग काबू न हो, तो आयुर्वेद की बुद्धिवर्द्धक औषधीय तथा थैरेपी जरुर लें. अतीत को भुलाकर हैं उस पल के बारे में सोचें.
चलचित्र को हकीकत मानने वाले विचित्र लोग-
* चरित्र से कमजोर डारे हुए लोग सभी जगह नकारात्मकता का इत्र फैलाकर घर, समाज का वातावरण दूषित करते हैं. जिनसे सावधान रहें.
* हालिया एक स्टडी के अनुसार अमेरिका के डॉ. ट्रेसी मार्क्स मानते हैं कि यह कोई खराब मानसिक स्थिति नहीं, बल्कि उससे भी बड़ी समस्या है.
* चिंता की अपनी क्षमता होती है. अगर दिमाग का ब्रेक कंट्रोल से बाहर हो गया है, तो यह रेड अलर्ट है.
* इसका पैटर्न आम विचारों को इससे अलग करता है. कुछ बातों का ध्यान रखकर इसे ठीक किया जा सकता है.
* चिंतन का एक और लक्षण है. आप उन समस्याओं के बारे में सोचते हैं जिन्हें सुलझाया नहीं जा सकता.मसलन कोई अतीत की बात, जिसे आप चाह कर भी नहीं बदल सकते. आप इस मकड़जाल में फंसते चले जाते हैं.
* मानसिक रोग विशेषज्ञ कहते हैं कि कुछ चीजें अपना कर आप खुद इससे बाहर निकल सकते हैं. इसे तोड़ने के लिए सबसे पहले ध्यान कहीं और लगाने की कोशिश करें. गाने सुनने के दौरान उनके बोल या धुन पर गौर करें. इससे विचारों का प्रवाह कुछ वक्त के लिए टूटेगा. जिससे आपके मस्तिष्क को आराम मिलेगा.
* आयुर्वेद सार सहिंता नामक ग्रन्थ में शंखपुष्पी, ब्राह्मी, जटामांसी, अगर, चन्दन, हरड़ मुरब्बा, स्मृतिसागर रास, स्वर्ण आंशिक भस्म, गुलकन्द, आवंला मुरब्बा, त्रिफला, शतावर, अश्वगन्धा, ब्रेन की गोल्ड माल्ट, टेबलेट, सारस्वतारिष्ट चिंता को दूर कर दिमाग का संतुलन बनाये रखने में चमत्कारी ओषधियाँ हैं.
* आयुर्वेद की इन दवाओं का सेवन 5 से 8 महीने करने से मन प्रफुल्लित होने लगता है. चिंता मिटती है.
* बच्चों को उपरोक्त फ़ार्मूक से निर्मित दवाएं बचपन से ख़िलावें, तो बच्चे होनहार, विद्वान निकलते हैं.
* महिलाओं में माहवारी की अनियमितता, पीसीओडी, सफ़ेद पानी और सोमरोग की समस्या का कारण मानसिक तनाव ही है. इसी वजह से कम उम्र में कई महिलाओं को रजोनिवृत्ति यानी मोनोपॉज की समस्या बढ़ रही है.
* चरक सहिंता के अनुसार स्त्री की खूबसूरती उसके नियमित मासिक धर्म पर निर्भर होती है. उन्हें भी बुद्धि शक्ति दायक दवाओं का सेवन अवश्य करना चाहिए.
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