अधिकतर लोग भविष्य को लेकर चिंता में रहते हैं और भविष्य के चिंता को लेकर वर्तमान को बिगाड़ लेते हैं. जबकि, ऐसा नहीं करना चाहिए. कल क्या होगा, ये सोचकर आज को खराब नहीं करना चाहिए. इस संबंध में एक राजा की लोक कथा प्रचलित है. कथा के मुताबिक पुराने समय में एक राजा के पास अपार धन-सम्पति थी. लेकिन, फिर भी वह हमेशा चिंता में रहता था.
कहानी- सुखी जीवन का सूत्र |
भविष्य को लेकर राजा हमेशा परेशान रहता था. एक इस चिंता के निवारण के लिए वह अपने राज्य के विद्वान महात्मा के पास पहुंचा. महात्मा को राजा ने अपनी समस्या बताई. महात्मा समझ गए थे कि राजा कल की चिंता में आज खराब कर रहे हैं. महात्मा ने राजा को एक बूढ़ी महिला का पता बताया और कहा कि राजन् ये महिला आपकी समस्या को हल कर सकती है. आप इनसे जाकर मिलें. वह बूढ़ी महिला अकेली रहती है. उसके घर में कोई कमाने वाला नहीं था. आप कृपया उसे थोड़ा सा अनाज दे देना.
राजा ने सोचा कि मैं उसके घर जा रहा हूं तो उसके लिए थोड़ा सा अनाज कैसे ले जा सकता हूं. मुझे बहुत सारा अन्न और धन लेकर जाना चाहिए. ऐसा सोचकर राजा अपने सेवक के साथ अनाज और स्वर्ण मुद्राएं लेकर बूढ़ी महिला की झोपड़ी में पहुंच गया.
राजा ने वृद्ध महिला को प्रणाम किया और अपना परिचय बताया. राजा ने अन्न और अनाज बूढ़ी महिला को देने के लिए सेवकों से बोला.
महिला ने राजा से अनाज और धन लेने से मना कर दिया और कहा कि राजन् मेरे पास आज के लिए पर्याप्त अनाज है. इससे मेरे पेट भर जाएगा. इसीलिए मुझे ये सब नहीं चाहिए.
राजा ने कहा कि आपके पास आज का अन्न है, लेकिन ये अनाज और धन आपको कई दिनों तक काम आएगा. आपको किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा.
महिला ने कहा कि राजन् मैं कल की चिंता नहीं करती हूं. मुझे भगवान पर भरोसा है, जैसे मुझे आज खाना मिल गया है, कल भी मिल जाएगा.
ये बात सुनकर राजा हैरान रह गया. राजा समझ गए कि महात्मा ने उसे यहां क्यों भेजा है. उसने सोचा कि इस महिला के पास न खाना है और न ही धन है, लेकिन ये कल की चिंता नहीं करती है. मेरे पास तो अपार धन-संपत्ति है, फिर भी मैं बिना वजह कल की चिंता कर रहा हूं.
इस छोटी सी कथा से हमे यही सीख है कि हमें भविष्य को लेकर चिंता नहीं करनी चाहिए. वर्तमान में खुश रहना चाहिए. धर्म के अनुसार काम करते रहेंगे तो हमारा भविष्य भी अच्छा ही रहेगा.
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