रूमेटाइड आर्थराइटिस क्या है? जानिए कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक इलाज

 कल्याण आयुर्वेद-- अर्थराइटिस जोड़ों में होने वाली एक बहुत ही आम बीमारी है। इस बीमारी में जोड़ों में दर्द होता है और जोड़ों को घुमाने, मोड़ने, हिलाने और हरकत करने में परेशानी होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि एक सौ से भी अधिक किस्म के अर्थराइटिस होते हैं। अर्थराइटिस से व्यक्ति की रोज़मर्रा की जीवनशैली बुरी तरह प्रभावित होती है। यह जीवन भर सताने वाली बीमारी होती है। बीमारी अधिक बढ़ने पर मरीज के जोड़ों में असहनीय पीड़ा होती है और हाथ–पांव हरकत करना तक बंद कर देते हैं।

रूमेटाइड आर्थराइटिस क्या है? जानिए कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक इलाज
रोग परिचय-

रूमेटाइड आर्थराइटिस, आर्थराइटिस का ही एक प्रकार है, जिसमें शरीर की हड्डियों और जोड़ों में दर्द होता है। रूमेटाइड आर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून डिजीज है। इसके लिए खुद हमारा इम्यून सिस्टम ही जिम्मेदार होता है। ऑटोइम्यून शब्द दो शब्दों से मिल कर बना है- ऑटो और इम्यून। ऑटो का मतलब है खुद से और इम्यून का मतलब है, हमारे शरीर की प्रतिरक्षा। हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम खुद ही कमजोर हो जाता है और हमारा शरीर बीमार होने लगता है। इसी कारण से रूमेटाइड आर्थराइटिस भी हो जाता है। रूमेटाइड आर्थराइटिस में आयुर्वेदिक इलाज भी प्रभावकारी है।

रूमेटाइड आर्थराइटिस क्या है?

रूमेटाइड आर्थराइटिस क्या है? जानिए कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक इलाज
रूमेटाइड आर्थराइटिस हड्डियों के जोड़ों में दर्द से संबंधित बीमारी है। रूमेटाइड आर्थराइटिस क्रॉनिक इन्फ्लमेटरी डिजीज यानी पुरानी सूजन की बीमारी है, जो अक्सर जोड़ों को ही प्रभावित करती है। रूमेटाइड आर्थराइटिस में शरीर के कई अंग भी प्रभावित हो सकते हैं, जिसमें त्वचा, आंख, लंग्स, हार्ट और खून की नसें शामिल हैं।

जैसा कि पहले ही बताया गया है कि रूमेटाइड आर्थराइटिस एक ऑटोइम्‍यून डिजीज है। रूमेटाइड आर्थराइटिस तब होता है, जब इम्यून सिस्टम गलती से शरीर की मसल्स पर अटैक करती है। यह किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है।

आयुर्वेद में रूमेटाइड आर्थराइटिस क्या है?

आयुर्वेद में रूमेटाइड आर्थराइटिस को आमवात कहते हैं। आयुर्वेद में रूमेटाइड आर्थराइटिस के होने का कारण वायु का हड्डियों के जोड़ों में घुस जाना माना गया है। रूमेटाइड आर्थराइटिस के कारण भूख में कमी, अपाचन, शरीर में जकड़न, कमजोरी, जोड़ों में दर्द आदि समस्या होती है।

रूमेटाइड आर्थराइटिस के लक्षण-

रूमेटाइड आर्थराइटिस के लक्षण निम्न हैं :

* शरीर में अकड़न महसूस होती है, खासकर के ये सुबह ज्यादा महसूस होता है।

* थकान

* बुखार

* वजन कम होना

* कमजोरी

* अपाचन

* भारीपन महसूस होना

* कब्ज रहना.

* नींद न आना

रूमेटाइड आर्थराइटिस के कारण-

रूमेटाइड आर्थराइटिस होने के लिए हमारा खुद का इम्यून सिस्टम ही जिम्मेदार होता है। इम्यून सिस्टम सीनोवियम पर अटैक करती है। जिसके कारण जोड़ों में सूजन की समस्या हो जाती है। टेंडॉन और लिगामेंट हड्डियों को जोड़ने के लिए होते हैं। इम्यून सिस्टम टेंडॉन और लिगामेंट को ही अटैक करने लगता है। जिससे रूमेटाइड आर्थराइटिस होने लगता है और हड्डियों के जोड़ों में दर्द होने लगता है।

रूमेटोइड गठिया का निदान कैसे करें?

रूमेटाइड आर्थराइटिस क्या है? जानिए कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक इलाज
रुमेटोलॉजिस्ट आपके लक्षणों, चिकित्सा इतिहास की जांच करेगा और तदनुसार आपकी जांच करेगा। आपको रक्त परीक्षण करने के लिए कहा जा सकता है। यदि रक्त परीक्षण रिपोर्ट 60 से 70% रुमेटी कारक (एक असामान्य एंटीबॉडी, एक प्रोटीन जो स्वस्थ ऊतकों पर हमला करती है) की उपस्थिति दिखाती है, तो आपको आरए या अन्य सूजन संबंधी बीमारियां होने की 80% संभावना है।

अन्य रक्त संकेतक जो शरीर में सूजन की उपस्थिति और स्तर का संकेत दे सकते हैं, उनमें शामिल हैं:

* एरिथ्रोसाइट अवसादन दर (ESR)

* ट्यूमर परिगलन कारक-अल्फा

* सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) का स्तर

रुमेटोलॉजिस्ट जोड़ों के एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग स्कैन की भी जांच करेंगे ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि रूमेटोइड गठिया क्षरण का कारण है या नहीं।

कोई एकल परीक्षण पुष्टि नहीं करता है कि किसी व्यक्ति को रूमेटोइड गठिया है या नहीं। इसके बजाय, आपका रुमेटोलॉजिस्ट सटीक निदान करने के लिए परीक्षणों के संयोजन की सिफारिश करेगा। यदि आपको रूमेटोइड गठिया का निदान किया जाता है, तो आपको रूमेटोइड गठिया के अपने वर्तमान चरण के आधार पर एक प्रभावी उपचार योजना बनाने के लिए अपने संधिविज्ञानी के साथ काम करना होगा।

रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज-

रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज पंचकर्म, तेलों, थेरिपी, जड़ी-बूटी और औषधियों के द्वारा किया जाता है :

रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज पंचकर्म के द्वारा-

रूमेटाइड आर्थराइटिस के लिए पंचकर्म किया जाता है। पंचकर्म एक आयुर्वेदिक थेरिपी है, पंचकर्म में तेल की मदद से जोड़ों के दर्द में सिकाई की जाती है। पंचकर्म थेरिपी निम्न तरीके से की जाती है:

* रूमेटाइड आर्थराइटिस के लिए पंचकर्म में पहले चने के आटे को पानी से गूथा जाता है।

* इस आटे को रूमेटाइड आर्थराइटिस से प्रभावित स्थान पर लोई के चारों ओर घेरे बना कर लगाएं।

* इसके बाद उसमें औषधीय या जड़ी-बूटियों से बने तेल को डाला जाता है।

* इसके बाद ऊपर से सिकाई के लिए इलेक्ट्रिक बल्ब को लटकाया जाता है।

* जब बल्ब की आंच से तेल गर्म होने लगता है, तो उससे सिकाई होती है।

* इसके बाद त्वचा पर तेल की गर्माहट ज्यादा महसूस होने लगती है, तो उसे किसी चम्मच की सहायता से निकाल लिया जाता है।

इस प्रक्रिया को एक्सपर्ट की मदद से किया जाता है। इसे खुद से करने का प्रयास न करें।

रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज तेलों के द्वारा-

रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज निम्न तेलों की मालिश से किया जाता है :

1 .महानारायण तेल-

रूमेटाइड आर्थराइटिस में महानारायण तेल काफी असरदार होता है। महानारायण तेल कई तरह की जड़ी-बूटियों से बना होता है। इसे एक दर्द निवारक तेल के रूप में प्रयोग किया जाता है। अक्सर देखा गया है कि डॉक्टर रूमेटाइड आर्थराइटिस के पंचकर्म में महानारायण तेल का इस्तेमाल करते हैं।

2 .धन्वंतरम तेल-

आयुर्वेदिक तरीके से तैयार किया गया धन्वंतरम तेल एक आयुर्वेदिक औषधीय तेल है जो गठिया रोगियों के इलाज के लिए बहुत फायदेमंद है. इसमें सूजन को कम करने और रुमेटी गठिया की प्रगति को होने से रोकने के गुण हैं. इसलिए यह रूमेटाइड अर्थराइटिस और ओस्टियोआर्थराइटिस के लिए एक प्रभावी मालिश तेल है. यह अन्य प्रकार के गठिया के लिए भी प्रभावी है और आयुर्वेद की दुनिया में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है ताकि गठिया के दर्द से आराम मिल सके. इस तेल को प्रतिदिन नियमित रूप से मालिश के लिए उपयोग किया जा सकता है.

3 .कोट्टमचुकादि तेल-

कोट्टमचुकादि तेल एक आयुर्वेदिक तेल है, इसका प्रयोग मालिश के लिए किया जाता है। कोट्टमचुकादि तेल कई गंभीर विकारों के इलाज के लिए प्रभावकारी है। इससे एक महीने तक दिन में दो बार प्रभावित हिस्से पर मालिश करने से रूमेटाइड आर्थराइटिस में राहत मिलती है।

4 .मुरिवेन्ना तेल-

मुरिवेन्ना तेल आयुर्वेदिक औषधीय तेल है। जो रूमेटाइड आर्थराइटिस में हड्डियों के जोड़ो में होने वाले दर्द से राहत दिलाता है। इससे रूमेटाइड आर्थराइटिस से प्रभावित स्थान पर मालिश करने से राहत मिलती है।

रूमेटाइड आर्थराइटिस क्या है? जानिए कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक इलाज

रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज जड़ी-बूटियों के द्वारा-

रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज निम्न जड़ी-बूटियों की मदद से किया जाता है :

1 .अमलतास-

अमलतास एक फूल वाला पेड़ है, जिसकी पत्तियां खाने से रूमेटाइड आर्थराइटिस में होने वाले दर्द से राहत मिलती है। 12 से 24 ग्राम तक अमलतास की पत्तियों को घी या सरसों के तेल के साथ मिलाकर या पका कर खाने से इस समस्या में आपको काफी आराम महसूस होगा।

2 .सहजन के सूप का सेवन करें-

डॉ खत्री ने बताया कि सहजन का सेवन करने से सूजन और दर्द को दूर करने में मदद मिलती है। यह शरीर से सूजन को कम करते है, और किडनी के कार्यों में सुधार करते हैं। सहजन का सूप बनाने के लिए उसको टुकड़ों में काटकर पानी में उबालें। पानी में सेंधा नमक और काली मिर्च डालें और कुछ देर पकाएं और उसका सेवन करें।

3 .सोंठ- 

सूखी हुई अदरक को ही सोंठ कहते है। सोंठ में एंटी-इन्फ्लमेटरी गुण पाए जाते हैं, जिससे रूमेटाइड आर्थराइटिस के कारण जोड़ों पर आने वाली सूजन में आराम मिलता है। इसके लिए 2 ग्राम सोंठ को 50 मिलीलीटर गर्म पानी में मिलाकर दिन में दो बार पीने से रूमेटाइड आर्थराइटिस की समसया ठीक हो सकती है।

4 .चूर्ण-

नवकार्षिक चूर्ण, निम्बादि चूर्ण, चोबचीनी चूर्ण, गेहूं का चूर्ण, बकरी के दूध में मिलाकर लगाएं, दशमूल साधित छीर खाली पेट लें, हरीतिकी गुड़ के साथ लें, अपामार्ग का पौधा, गौ मूत्र में मिला लेप बना कर लगाएं, वरुण और शिग्रु के पेस्ट का लेप लगाएं, गुडुची, वासा, एरंड तेल का काढ़ा पिएं, लहसुन, लौंग,सौंफ, शुंठी का काढ़ा पिएं.

5 .मेथी दाना का सेवन करें-

खाने के बाद पानी के साथ एक चम्मच मेथी दाना पाउडर लें आपको दर्द से राहत मिलेगी। आप रात भर एक कप पानी में एक चम्मच मेथी को भिगो दें।सुबह उठकर खाली पेट इस पानी का सेवन करें। बेहतर असर के लिए भीगे हुए मेथी के दानों को खाएं।

6 .हरड़ और गुडुची-

हरड़ या हर्रे का सेवन गुडुची के साथ करने से रूमेटाइड आर्थराइटिस में आराम मिलता है। इसके आयुर्वेदिक इलाज के लिए सोंठ और गुडुची की जड़ को पीस कर 6 ग्राम हरड़ पाउडर के साथ मिला कर सेवन करने से दर्द कम होता है।

7 .गुड़-

6 से 12 ग्राम तक गुड़ को 6 से 12 ग्राम घी के साथ मिला कर खाने से आमवात आर्थराइटिस में राहत मिलती है।

रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज औषधियों के द्वारा-

रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज निम्न औषधियों के द्वारा किया जाता है :

1 .योगराज गुग्गुल-

योगराज गुग्गुलु सभी प्रकार के गठिया के लिए सबसे व्यापक रूप से उपयोगी आयुर्वेदिक उपचारों में से एक है. यह तीनों दोष (वात, पित्त और कफ) को शांत करता है और दर्द और सूजन से राहत देता है. प्रतिदिन भोजन से पहले या बाद में इसकी एक या दो गोलियां 2-3 बार ले सकते हैं या डॉक्टर की सलाह के अनुसार इसका सेवन कर सकते हैं. इस दवा का सेवन करने से पहले आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श करना सबसे अच्छा है.

2 .रसनादि कषायम-

रसनादि कषायम रूमेटाइड आर्थराइटिस के लिए एक बेहतरीन लिक्विड औषधि है। 12 से 24 मिलीलीटर रसनादि कषायम 12 से 24 मिलीलीटर पानी में मिला कर दिन में दो बार पीने से रूमेटाइड आर्थराइटिस में आराम मिलता है।

3 .आमवातरि रस-

आमवातरि रस रूमेटाइड आर्थराइटिस के लिए एक बेहतरीन दवा है। इसमें पुनर्नवा, दशमूला, गुग्गुल, त्रिफला, अमृतु, शहद आदि जड़ी-बूटियां मिली होती है। इसके सेवन से दर्द और सूजन से राहत मिलती है। लेकिन इसमें इस्तेमाल होने वाली औषधियों में कुछ धातु गुण भी होते हैं, जिससे ये आपकी सेहत पर बुरा प्रभाव भी डाल सकता है। इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह के आमवातरि रस का सेवन न करें।

4 .सिंहनाद गुग्गुल-

सिंहनाद गुग्गुल रूमेटाइड आर्थराइटिस के लिए एक अच्छी औषधि है। रूमेटाइड आर्थराइटिस के लिए सिंहनाद गुग्गुल की एक से दो गोलियों को पानी के साथ दिन में तीन बार ले सकते हैं।

साइड इफेक्ट-

रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज करने वाली औषधियों से कोई साइड इफेक्ट हो सकता है?

* अगर आप गर्भवती महिला हैं या बच्चे को स्तनपान करा रही हैं, तो रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज में इस्तेमाल होने वाली औषधियों के सेवन से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।

* अगर आप किसी अन्य रोग की दवा का सेवन कर रहे हैं, तो भी आपको आयुर्वेदिक इलाज की शुरुआत करने से पहले आपको अपने डॉक्टर की सलाह लेनी जरूरी है।

जीवनशैली कैसी होनी चाहिए?

आयुर्वेद के अनुसार रूमेटाइड आर्थराइटिस के लिए डायट और लाइफ स्टाइल में बदलाव बहुत जरूरी है। हेल्दी लाइफ स्टाइल और हेल्दी खाने के लिए :

क्या करें ?

* वात को बढ़ाने वाले भोजन को न करें।

* संतुलित आहार लें।

* पर्याप्त मात्रा में नींद लें।

* योग और एक्सरसाइज नियमित रूप से करें। इसके लिए अपने डॉक्टर से पूछ लें कि कौन सी एक्सरसाइज आप कर सकते हैं या कौन-सी एक्सरसाइज से आपको दूर रहने की जरूरत है।

* मछली के तेल का सेवन या मछली के तेल से रूमेटाइड आर्थराइटिस से प्रभावित स्थान पर मालिश करें।

क्या ना करें?

* रूमेटाइड आर्थराइटिस में वात और पित्त को असंतुलित करने वाले आहार न लें।

* इस समस्या के मरीजों को ज्यादा भारी एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए।

* सुबह देर से न उठें। थोड़ा जल्दी उठ कर थोड़ा बहुत टहलें। इससे जोड़ों की जकड़न से राहत मिलती है।

अस्वीकरण- हमें उम्मीद है कि आपको रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज से जुड़ी पर्याप्त जानकारी इस आर्टिकल से मिल गई होगी। अगर आप इन औषधियों या तरीकों का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो एक बात का ध्यान जरूर रखें कि बेशक ये आयुर्वेदिक औषधियां अधिकतर लोगों के लिए सुरक्षित होती हैं। लेकिन इन से कुछ खास स्थिति या लोगों में दुष्प्रभाव भी दिख सकते हैं। इन दुष्प्रभावों और स्थितियों के बारे में पर्याप्त जानकारी लेने के लिए आपको किसी आयुर्वेदिक एक्सपर्ट या अपने डॉक्टर से सलाह करना चाहिए। वह आपके स्वास्थ्य की अच्छी तरह जांच करके आपके लिए सबसे सुरक्षित और प्रभावकारी उपाय बताएंगे।

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