ब्लड प्रेशर क्या है ? जानिए ब्लड प्रेशर का कौन स्टेज घातक है ?

कल्याण आयुर्वेद- ब्लड प्रेशर क्या है ? ब्लडप्रेशर बारे में इससे प्रभावित लोगों के साथ-साथ स्वस्थ लोगों को भी सभी जरूरी जानकारियां होनी चाहिए. क्योंकि ब्लडप्रेशर की समस्या किसी को भी हो सकती है. तो इस लेख के माध्यम से जानिए ब्लड प्रेशर क्या होता है ? और इसके अवस्था के बारे में.

ब्लड प्रेशर क्या है ? जानिए ब्लड प्रेशर का कौन स्टेज घातक है ?

हम आजकल अपने सेहत का सही तरह से ध्यान नहीं रख पाते हैं. हमारे खाने-पीने, सोने-उठने, आदि का समय बिगड़ता जा रहा है. यह खराब जीवनशैली या रूटीन कई बिमारियों के जोखिम को बढ़ा सकता है. इनमें ब्लडप्रेशर की समस्या भी शामिल है.

ब्लड प्रेशर क्या है और यह आपको कैसे प्रभावित कर सकता है? इससे जुड़ी सभी जानकारियां इस लेख में दी गई है. इस लेख में हम सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर क्या है और डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर क्या है? इस बारे में भी बात करेंगे. तो हर व्यक्ति को ब्लडप्रेशर से जुड़ी जानकारी होना जरूरी है. ताकि कब जरुरत पड़ जाए.

ब्लड प्रेशर क्या है?

जब हृदय की धमनियां प्लाक बनने के कारण संकरी हो जाती हैं, तो हृदय के लिए समान मात्रा में रक्त पंप करना कठिन हो जाता है, जिससे ब्लडप्रेशर बढ़ने लगता है. इससे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या उत्पन्न हो जाती है. हाई ब्लड प्रेशर को हाइपरटेंशन भी कहा जाता है.

हाइपरटेंशन की स्थिति में रक्त आपकी रक्त वाहिकाओं की दीवारों पर लगातार सामान्य से अधिक दबाव डालने लगता है. बता दें आपके कार्यों के आधार पर आपके ब्लड प्रेशर में पूरा दिन बदलाव होता रहता है.

इस दबाव को मापने के लिए ब्लडप्रेशर मशीन का इस्तेमाल किया जाता है. इस मशीन में ब्लड प्रेशर की दो संख्या दिखाई देती है, जिसमें ऊपरी रीडिंग को 'सिस्टोलिक' और निचले रीडिंग को ‘डायस्टोलिक' ब्लड प्रेशर कहा जाता है.

सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर क्या है ?

सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर को हार्ट बीट के दौरान का बल माना जाता है. हार्ट बीट के दौरान, हृदय रक्त को धमनियों में भेजता है. इस बल के माप को सिस्टोलिक प्रेशर कहा जाता है. इसे सिस्टोल के रूप में भी जाना जाता है, वह बिंदु है जिस पर रक्तचाप सबसे अधिक होता है. यह ब्लड प्रेशर मशीन पर दिखने वाली ऊपर की संख्या होती है. 

सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर का माप कितनी होनी चाहिए?

जब आप आराम से बैठे होते हैं और आपका सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर रीडिंग 120 mmHg से कम होता है, तो इसे सामान्य माना जाता है. 

अगर सिस्टोलिक प्रेशर 90 mmHg से कम है, तो इसे न्यून माना जाता है. इस स्थिति में आपको डॉक्टर की सहायता की जरूर पड़ सकती है.

यदि आपके सिस्टोलिक प्रेशर की कई रीडिंग 180 mmHg से अधिक आती है, तो इसे खतरनाक माना जाता है. ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए.

डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर क्या है?

इसे हार्ट बीट करने के दौरान का विराम माना जाता है. जब आपका हार्ट बीट करने के दौरान थोड़ी-थोड़ी देर के लिए आराम करता है, ताकि वह रक्त और ऑक्सीजन से भर सके. हार्ट बीट के बीच के विराम को डायस्टोल कहते हैं. अगले हार्ट बीट से पहले इस आराम के दौरान आपका डायस्टोलिक प्रेशर मापा जाता है. डायस्टोलिक रीडिंग ब्लडप्रेशर मशीन में फ़्लैश होने वाला नीचे का नंबर होता है. 

डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर का माप कितनी होनी चाहिए?

आराम के दौरान सामान्य डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर 80 mmHg से कम होता है. यदि आपको उच्च रक्तचाप है, तो आराम के दौरान भी डायस्टोलिक नंबर अक्सर अधिक होता है. 

डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर 60 mmHg या उससे कम होता है, तो इसे न्यून माना जाता है. 

वहीं, 110 mmHg से अधिक होता है, तो इसे हाई डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर माना जाता है. यदि आपका डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर रीडिंग में लगातार कम या अधिक होता है, तो आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए. 

ब्लड प्रेशर की श्रेणी कितनी हो सकती है?

ब्लड प्रेशर को श्रेणी के आधार पर 6 स्टेजेस में समझा जा सकता है ?

1. सामान्य-

ब्लड प्रेशर के पहले स्टेज को सामान्य चरण माना जाता है. इस स्टेज में सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 120 mm Hg से कम और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर 80 mm Hg से कम होता है.

2. बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर-

ब्लड प्रेशर के दूसरे स्टेज में सिस्टोलिक प्रेशर की रीडिंग लगातार 120 से 129 mm Hg तक होती है और डायस्टोलिक प्रेशर की रीडिंग 80 mm Hg से कम होती है. इसे बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर माना जाता है, लेकिन यह हल्के बढ़े हुए ब्लड प्रेशर की श्रेणी में आता है. यदि कोई इस स्टेज में है, तो उसे हाई ब्लड प्रेशर होने का जोखिम ज्यादा होता है. 

3. हाइपरटेंशन स्टेज 1 -

तीसरे स्टेज को हाइपरटेंशन स्टेज 1 के तौर पर जाना जाता है. इसमें सिस्टोलिक प्रेशर लगातार 130 से 139 mm Hg के बीच होता है और डायस्टोलिक प्रेशर 80 से 89 mm Hg के बीच होता है. इस स्टेज को हाई ब्लड प्रेशर माना जाता है.

4. हाइपरटेंशन स्टेज 2-

चौथे स्टेज को हाइपरटेंशन स्टेज 2 के रूप में जाना जाता है. इसमें ब्लड प्रेशर लगातार 140/90 mm Hg या उससे अधिक होता है. इस स्टेज में ब्लड प्रेशर को मैनेज करने के लिए डॉक्टर दवाइयाँ लेने की और जीवनशैली में बदलाव करने की सलाह दे सकते हैं.

5. हाइपरटेन्सिव क्राइसिस- 

यह एक गंभीर स्थिति होती है, जिसमें सिस्टोलिक 180 से अधिक और डायस्टोलिक 120 से अधिक होता है. यह अचानक हो सकता है और इससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक और अन्य जोखिम हो सकते हैं.

6. हाइपोटेंशन- 

यह काफी ज़्यादा लो ब्लड प्रेशर की स्थिति होती है. इसमें 90 या उससे कम सिस्टोलिक, या 60 या उससे कम डायस्टोलिक हो सकता है. यह स्थिति भी अचानक बैठे-बैठे, एक ही जगह पर एक ही तरह से काफी देर तक खड़े रहने से, ज़्यादा आराम करने से, डीहाइड्रेशन से हो सकती है. 

सिस्टोलिक और डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखने के क्या तरीके हैं?

1 .सिस्टोलिक और डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर को संतुलित रखने के लिए जीवनशैली में बदलाव की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.

2 .संतुलित आहार का चयन करें और अपने आहार में फल, सब्जियां, साबुत अनाज, दाल, आदि को नियमित शामिल करें, साथ ही हाई कार्ब्स और हाई फैट वाले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें.

3 .रक्तचाप को नियंत्रित रखने के लिए नमक का सेवन सीमित मात्रा में करें और जंक फ़ूड व तले-भूने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें.

4 .वजन को संतुलित रख ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखा जा सकता है.

5 .प्रतिदिन 30 मिनट तक व्यायाम करें, जिसके लिए आप वॉक, स्विमिंग, साइकिलिंग, रनिंग, आदि कर सकते हैं.

6 .पोटैशियम युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन कर शरीर में सोडियम के लेवल को रेगुलेट करने में मदद मिल सकती है. जिससे ब्लड प्रेशर नियंत्रण में रह सकता है. पोटैशियम के लिए आलू, टमाटर, संतरे, एवोकाडो, दूध, दही, नट्स, सीड्स, आदि का सेवन कर सकते हैं.

7 .ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में करने के लिए शराब और धूम्रपान न करें.

8 .नियमित रूप से ब्लड प्रेशर का जांच करने से ब्लड प्रेशर का ट्रैक रहता है. उसको नियंत्रित रखने में आपको मदद मिल सकती है.

9 .अगर डॉक्टर ब्लड प्रेशर की दवा प्रेस्क्राइब करते हैं तो डॉक्टर के कहे अनुसार दवाइयां सेवन करते रहें. 

सिस्टोलिक और डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर के असंतुलित होने के क्या कारण हैं ?

सिस्टोलिक और डायास्टोलिक को असंतुलित होने के कारण अलग-अलग व्यक्ति के लिए अलग- अलग हो सकता है.

1 .परिवार के किसी भी सदस्य का ब्लड प्रेशर हाई होना.

2 .उम्र का बढ़ना.

3 .अस्वस्थ जीवनशैली जैसे गतिहीन जीवन शैली और अस्वस्थ खाना शामिल हैं. 

4 .डायबिटीज और मोटापा जैसे कुछ क्रोनिक मेडिकल कंडीशंस भी हाई ब्लडप्रेशर के जोखिम को बढ़ा सकती हैं.

सिस्टोलिक और डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर के असंतुलित होने के लक्षण क्या हैं?

सिस्टोलिक और डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर के असंतुलित होने पर कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं. इसके हाई और लो होने पर अलग-अलग लक्षण नजर आ सकते हैं.

हाई सिस्टोलिक और डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर के लक्षण- 

1 .बहुत ज्यादा थकान होना.

2 .चेहरा लाल दिखाई देना.

3 .चक्कर आना.

4 .दिल का तेजी गति से धड़कना.

5 .नाक से खून आना. 

6 .सिरदर्द होना.

7 .सांस लेने में दिक्कत होना. 

8 .आंख में खून के धब्बे दिखाई देना.

9 .सीने में दर्द होना. 

लो सिस्टोलिक और डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर के लक्षण-

1 .कमज़ोरी महसूस होना.

2 .जल्दी थक जाना. 

3 .बार-बार उल्टी होना.

4 .ध्यान न लगना.

5 .चक्कर आना. 

6 .धुंधला दिखाई देना. 

7 .बेहोश होना. 

8 .उलझन या भ्रम महसूस होना. 

9 .बीमार महसूस करना. 

ब्लड प्रेशर हाई होने पर ज्यादा चिंतित न हों, इससे समस्या अधिक सकती है. ऐसी स्थिति में सही उपायों को अपनाकर ब्लडप्रेशर को संतुलित रखने की कोशिश करें. अगर आपका ब्लड प्रेशर बहुत अधिक हाई हो तो तुरंत अपने परिवार या दोस्तों को इस बारे में बताएं और डॉक्टर के पास जाएँ. इस लेख को शेयर करें ताकि किसी ब्लडप्रेशर की समस्या से परेशान को काम आए. धन्यवाद..


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