Gallstones- पित्ताशय में पथरी होने के कारण, लक्षण और शर्तिया आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

कल्याण आयुर्वेद- आजकल पथरी का होना एक आम बीमारी बनती जा रही है. चाहे वह पित्ताशय की पथरी हो या फिर गुर्दे की पथरी. इसकी सबसे बड़ा कारण खानपान में मिलावट और मौजूद कुछ ऐसे केमिकल्स हैं जो नए-नए बीमारी को उत्पन्न कर रहे हैं. इस लेख में पित्ताशय की पथरी क्या है ? इसके होने के कारण, लक्षण, बचाव और घरेलू एवं आयुर्वेदिक इलाज के बारे में जानेंगे.

Gallstones- पित्ताशय में पथरी होने के कारण, लक्षण और शर्तिया आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

चलिए जानते हैं विस्तार से-

पित्ताशय की पथरी क्या है ?

पाचन के लिए जरूरी एंजाइम को सुरक्षित रखने वाले पित्ताशय से जुड़ी सबसे बड़ी परेशानी यह है कि इसमें पथरी बनने की संभावना ज्यादा होती है. जिन्हें गॉलब्लैडर में पथरी कहा जाता है. दरअसल, जब गॉलब्लैडर में तरल पदार्थ की मात्रा सूखने लगती है तो उसमें मौजूद चीनी, नमक और दूसरे माइक्रोन्यूट्रिएंट्स तत्व एक साथ जमा होकर छोटे- छोटे पत्थर के टुकड़ों जैसा रूप ले लेते हैं जिन्हें पित्ताशय की पथरी या गॉलब्लैडर स्टोंस कहा जाता है.

कभी-कभी पित्ताशय में कोलेस्ट्रोल बिलीरुबिन और पित्त लवणों का जमाव हो जाता है. 80% पथरी कोलेस्ट्रोल की बनी होती है. धीरे-धीरे वे कठोर हो जाती है और गॉलब्लैडर के अंदर पत्थर का रूप धारण कर लेती है. कोलेस्ट्रोल स्टोन पीले- हरे रंग के होते हैं.

जब ब्लैडर में काला या भूरा रंग के पत्थर नजर आते हैं तो उन्हें पिगमेंट स्टोन कहा जाता है. कई बार गॉलब्लैडर में अन्कौन्जूगेटेड बिलीरुबिन तत्व का जमा होने लगता है तो इससे पिगमेंट स्टोन की समस्या होती है. पित्ताशय में गड़बड़ी की वजह से कई बार पित्त बाइल डक्ट में जमा होने लगता है. इससे लोगों को पीलिया भी हो सकता है. अगर आंतो में जाने के बजाय बाइल पेनक्रियाज में चला जाए तो इससे क्रॉनिक पेनक्रिएटाइटिस नाम की गंभीर परेशानी हो सकती है. अगर सही समय पर इसका इलाज न कराया जाए तो इससे गॉलब्लैडर में कैंसर भी हो सकता है.

पित्त में पथरी का बनना एक भयंकर दर्दनाक बीमारी है. पित्त में कोलेस्ट्रोल और पिगमेंट नाम की दो तरह की बनती है. लेकिन लगभग 80% पथरी कोलेस्ट्रोल से ही बनती है. पित्त लीवर में बनता है और इसका स्टोरेज गॉलब्लैडर में होता है. यह पित्त फैट से भरा खाने को पचाने में मदद करता है. लेकिन जब पित्त में कोलेस्ट्रोल और बिलुरुबिन की मात्रा ज्यादा बढ़ जाती है तो पथरी बन जाती है.

पित्ताशय में पथरी होने के क्या कारण है ?

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पित्ताशय में पथरी होने के कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है और यह किसी भी उम्र में हो सकता है. लेकिन कुछ फैक्टर है जो पित्ताशय की पथरी की आशंका को बढ़ा सकते हैं. जैसे- मधुमेह, लंबे समय से किसी बीमारी से ग्रस्त रहने के कारण, इसके अलावा और भी कई कारण हैं जिससे पित्ताशय की पथरी होने का खतरा अधिक हो जाता है.

ब्रेड, रस्क और दूसरे बेकरी प्रोडक्ट जैसे ब्रेड, मफिन्स, कुकीज इत्यादि का सेवन गॉलब्लैडर स्वास्थ्य को प्रभावित करता है. हालांकि इन फूड्स में सैचुरेटेड और ट्रांस फैट की मात्रा बहुत ज्यादा होती है और इनमें से ज्यादातर फूड्स मैदे से बने होते हैं. अगर आपको गॉलब्लैडर से जुड़ी कोई बीमारी है तो इन चीजों का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए. इसकी जगह पर आप मोटे अनाज के बने फूड प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें.

ज्यादा प्रोटीन का सेवन-

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किसी भी चीज का ज्यादा सेवन करना नुकसानदायक होता है. ज्यादा प्रोटीन भी खतरनाक है. अगर आपको अपने गॉलब्लैडर को स्वस्थ रखना है तो जानवरों में पाए जाने वाले प्रोटीन के लेबल को सीमित कर देना चाहिए. दरअसल, जानवरों में पाए जाने वाले प्रोटीन से कैल्शियम स्टोन और यूरिक एसिड स्टोन होने का खतरा अधिक हो जाता है. मछली, मांस में प्रोटीन के साथ कैल्शियम की लेबल ज्यादा होता है इसलिए इनका सेवन बहुत ज्यादा नहीं करना चाहिए. अगर आपको गॉलब्लेडर या किडनी में पथरी है तब तो इनका सेवन बिल्कुल ही नहीं करना चाहिए.

मीठी चीजों का सेवन-

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मीठी चीजों में रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट ज्यादा मात्रा में पाया जाता है. इसके अलावा शुगर के ज्यादा सेवन से कोलेस्ट्रोल गाढ़ा होता है जिससे दिल के रोगों के साथ-साथ गॉलब्लैडर में पथरी होने का खतरा अधिक हो जाता है. इसलिए मीठी चीजों का बहुत कम सेवन करना चाहिए.

गर्भनिरोधक दवाएं-

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ज्यादा मात्रा में या जल्दी-जल्दी गर्भनिरोधक दवाओं का सेवन करने वाली महिलाओं में गॉलब्लैडर की परेशानी अधिक पाई जाती है इसलिए महिलाओं को चाहिए कि दवाओं के जगह पर दूसरे तरह के अपनाएं. क्योंकि दवाओं का ज्यादा सेवन उन्हें गॉलब्लैडर में पथरी का मरीज बना सकता है. इसके अलावा इन दवाओं का किडनी और लीवर पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है.

कॉफी पीना-

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अगर आप ज्यादा कॉफी का सेवन करते हैं तो भी आपको गॉलब्लैडर की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है इसलिए जिन लोगों को गॉलब्लैडर में पहले से ही पथरी या अन्य कोई समस्या है उन्हें कॉफी का सेवन बिलकुल बंद कर देना चाहिए. जो लोग स्वस्थ हैं वह दिन में एक या दो बार कॉफी पी सकते हैं लेकिन इससे ज्यादा कॉफी का सेवन करना नुकसानदायक हो सकता है.

सोडा का सेवन-

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पथरी होने पर पानी का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना लाभदायक होता है. लेकिन कुछ पदार्थ ऐसे भी होते हैं जो पथरी होने पर नहीं पीना चाहिए. पथरी होने पर सोडा का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए. क्योंकि इसमें फास्फोरिक एसिड होता है जो पथरी के खतरे को बढ़ा देता है.

इसके अलावा भी कई कारण है जो पित्ताशय में पथरी होने की संभावना को अधिक कर देते हैं जैसे-

* अनियमित जीवन शैली.

* असंतुलित खानपान.

* मोटापा अधिक होना.

* वंश परंपरागत.

* तेजी से वजन कम करने पर भी पित्ताशय में पथरी होने की संभावना अधिक हो जाती है.

* 45 से अधिक उम्र वालों में इस बीमारी का खतरा अधिक हो जाता है.

* जंक फूड खाने से भी पथरी होने का खतरा बढ़ जाता है.

नोट- पित्ताशय में पथरी होने का पता चलते ही इसका बेहतर इलाज कराना जरूरी हो जाता है क्योंकि यह कैंसर का भी रूप धारण कर सकता है. अच्छी बात तो यह है कि पित्ताशय की पथरी लाइलाज बीमारी नहीं है. पित्त की थैली में पथरी का इलाज मौजूद है. ध्यान रखने वाली बात यह है कि पित्त की थैली में पथरी का इलाज समय पर नहीं कराया गया तो फिर एक मात्र इलाज सर्जरी का ही बचता है इसलिए पता चलते ही इसका इलाज कराना श्रेयस्कर है.

पित्ताशय में पथरी होने के लक्षण क्या है ?

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कई बार पित्त की थैली में पथरी बिना किसी लक्षण के होती है और कई बार कुछ लक्षणों को दर्शाते हुए भी होती है पित्त की थैली में पथरी होने पर कुछ खास लक्षण इस प्रकार होते हैं.

* बदहजमी होना.

* खट्टी डकार आना.

* पेट फूलना.

* एसिडिटी.

* पेट में भारीपन.

* बिना वजह उल्टी होना.

* पसीना अधिक आना जैसे लक्षण नजर आते हैं.

पित्ताशय की पथरी से बचाव कैसे करें ?

पित्ताशय की पथरी से बचने के लिए जीवनशैली और खानपान में बदलाव लाना बहुत जरूरी है जैसे कि-

गाजर और ककड़ी का रस को 100 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में दो बार पीने से पित्त की पथरी में लाभ होता है.

सुबह खाली पेट 50 मिलीलीटर नींबू का रस पीने से 1 सप्ताह में लाभ मिलेगा.

शराब, सिगरेट, चाय, कॉफी और शक्कर युक्त ड्रिंक नुकसान देह है. इनसे जितना हो सके बचने की कोशिश करें.

नाशपाती पित्त की पथरी में फायदेमंद होती है इसलिए नाशपाती का सेवन खूब करें. इसमें पाए जाने वाले रासायनिक तत्वों से पित्ताशय की बीमारी भी दूर होती है.

विटामिन सी और एस्कोरबिक एसिड के इस्तेमाल से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. यह कोलेस्ट्रोल को पित्त में बदल देता है इसकी तीन से चार गोली प्रतिदिन सेवन करने से लाभ होता है.

पित्त की पथरी के मरीज खाने में ज्यादा से ज्यादा मात्रा में हरी सब्जियां और फल का सेवन करें. इसमें कोलेस्ट्रोल कम मात्रा में होता है और प्रोटीन की जरूरत भी पूरा हो जाता है.

तली और मसालेदार चीजों से दूर रहें और बैलेंस डाइट ही करें.

खट्टे फलों का सेवन करें, इसमें मौजूद विटामिन सी पित्ताशय की पथरी दूर करने में काफी मददगार होता है.

प्रतिदिन एक चम्मच हल्दी का सेवन करना पथरी दूर करने में मदद करता है.

पित्ताशय की पथरी में इन चीजों से रखें परहेज-

पित्त की पथरी होने पर अंडों का परहेज करना चाहिए क्योंकि इसमें काफी मात्रा में कोलेस्ट्रॉल होता है जो पित्ताशय की पथरी का कारण बनता है.

अगर आपको तली हुई चीजें खाना बहुत अधिक पसंद है तो तुरंत छोड़ दीजिए. यह ना केवल सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि इससे पित्ताशय की पथरी की परेशानी और भी अधिक हो सकती है. इसलिए आप कोशिश करें कि ज्यादा तली हुई चीजें न खाएं. आपको बता दें कि तली हुई खाद्य पदार्थ में हाइड्रोजनीकृत वसा और सैचुरेटेड वसा होती है जो आपकी पित्ताशय के दर्द को बढ़ा सकता है. तलने के लिए हेल्थी ऑप्शन के रूप में जैतून या कैनोला के तेल का उपयोग कर सकते हैं.

पित्त की पथरी में परहेज की बात करें तो आपको नॉन वेज से भी परहेज करना चाहिए. जैसे मीट, लाल मांस, सुअर का मांस और चिकन इत्यादि, इसके अलाव तली और मसालेदार चीजें भी न खाएं.

प्रोसेस्ड फूड के पीछे लोग भाग रहे है इसकी एक कारण यह भी है कि यह खाने में स्वादिष्ट लगते हैं और इसे बनाने के लिए भी अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती है लेकिन इसका स्वाद हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है. यह ना सिर्फ शरीर के पाचन तंत्र को प्रभावित और खराब कर सकता है बल्कि पित्त की पथरी की परेशानी को भी बढ़ा सकता है. आमतौर पर ट्रांस फैटी एसिड पैकेज फूड्स में मौजूद होते हैं जो पित्त की पथरी के लक्षण को बढ़ाने का काम करते हैं. आप चिप्स, कुकीज, डोनट्स, मिठाई या मिश्रित पैक वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें.

पित्त की पथरी की परेशानी है तो आप वसा वाले डेयरी प्रोडक्ट का इस्तेमाल नहीं करें. दूध, पनीर, दही, आइसक्रीम, भारी क्रीम और खट्टा क्रीम में हाई लेवल के फैट होते हैं जो पित्त की पथरी को बढ़ाने का काम करते हैं. अपने आहार में डेयरी की मात्रा कम करने की कोशिश करें या कम वसा वाले दूध को चुनें.

पित्त की पथरी होने पर आप परिष्कृत अवयव वाले फूड आइटम से दूरी बनाए. व्हाइट ब्रेड, परिष्कृत आटा, पास्ता, सफेद चावल और परिष्कृत चीनी यह सभी चीजें फैट का रूप ले लेती है जो पित्त में कोलेस्ट्रोल को बढ़ाने का काम कर सकती है.

पित्त की पथरी में परहेज के लिए या आपको अपने पित्ताशय की थैली की सुरक्षा करने के लिए कुछ फूड आइटम से बचना चाहिए. सबसे बड़ी परेशानी हाई फैट वाले फूड आइटम और प्रोसैस्ड फूड आइटम से है. इसलिए इनसे दूरी बनाकर रखें. फूड आइटम जैसे वनस्पति तेल और मूंगफली का तेल चिकना या तला हुआ होता है इन्हें छोड़ना ज्यादा मुश्किल होता है और इससे पित्ताशय की थैली की समस्या हो सकती है. प्रोसेस्ड या व्यवसायिक रूप से बेक्ड प्रोडक्ट की तरह ट्रांस फैट वाले फूड आइटम पित्ताशय की थैली के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. सफेद पास्ता, ब्रेड और शुगर जैसे सफेद फूड आइटम से बचें. यह आपके पित्ताशय की थैली को नुकसान पहुंचा सकते हैं. आप को शराब और तंबाकू के सेवन से भी बचना चाहिए.

पित्त की पथरी में अम्लीय फूड नहीं खाना चाहिए. खाद्य पदार्थ जो अम्लीय होते हैं जैसे कि खट्टे फल, कॉफी और टमाटर, सॉस न सिर्फ आपके पेट के लिए जलन उत्पन्न कर सकते हैं बल्कि इससे आपको पित्त की पथरी भी हो सकती है.

क्या खाना चाहिए ?

फल और सब्जियों की अधिक मात्रा.

स्टार्च युक्त कार्बोहाइड्रेट की ज्यादा मात्रा लें. इसके लिए ब्रेड, चावल, दालें, पास्ता, आलू, चपाती, केला आदि लें, इसके अलावा आप साबुत अनाजों से बनी वस्तुएं भी ले सकते हैं.

थोड़ी मात्रा में दूध और डेयरी प्रोडक्ट लें, कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट का सेवन करें.

कुछ मात्रा में मांस, मछली, अंडे और इनके विकल्प जैसे फलियां और दालें सेवन करें.

वनस्पति तेलों जैसे सूरजमुखी, रेप सीड और जैतून का तेल एवोकाडो मेंवों और गिरियो में पाए जाने वाली असंतृप्त वसा.

रेशे की अधिकता से युक्त आहार का सेवन करें, यह फलियां, दालें, फलों और सब्जियों जई और होलबीट उत्पादों जैसे ब्रेड, पास्ता और चावल में पाया जाता है.

तरल पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन करें जैसे कि पानी या औषधीय चाय आदि का प्रतिदिन कम से कम 2 लीटर सेवन करें.

जीवन शैली में क्या बदलाव करें ?

योग और व्यायाम करें-

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नियमित व्यायाम उत्तकों में कोलेस्ट्रोल को कम करता है जो कि पित्ताशय की परेशानी पैदा कर सकता है. प्रतिदिन 30 मिनट तक सप्ताह में 5 बार अपेक्षाकृत मध्यम मात्रा की शारीरिक सक्रियता व्यक्ति के पित्ताशय की पथरी के उत्पन्न होने के खतरे को कम करता है.

पित्ताशय की पथरी के उपचार के लिए योगासनों का करना फायदेमंद होता है जैसे- सर्वांगासन, शलभाषण धनुरासन, भुजंगासन आदि.

पित्ताशय की पथरी का घरेलू इलाज क्या है ?

1 .सेब का सिरका-

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सेब का सिरका पथरी को भी गला कर शरीर के बाहर निकाल सकता है. पित्ताशय और लीवर अपना कार्य सही तरीके से कर पाते हैं. सेब का सिरका में मौजूद एसीडिक गुण लीवर को कोलेस्ट्रोल का निर्माण नहीं करने देते हैं. कोलेस्ट्रोल होने से भी पित्त की पथरी होती है. इसके लिए एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच सेब का सिरका और एक चम्मच नींबू का रस मिलाएं. इस पानी को नियमित रूप से पिएं. पथरी होने के कारण जो लीवर के आसपास दर्द होता है इससे वह भी कम हो जाता है और पथरी धीरे-धीरे टूटकर शरीर के बाहर निकल जाता है.

2 .नींबू-

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नींबू का सेवन हर किसी को प्रतिदिन किसी न किसी रूप में करना चाहिए. क्योंकि इसमें विटामिन सी के अलावा विटामिन बी भी होता है. साथ ही फाइबर, मैग्नीशियम, आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस आदि से भी भरपूर होता है. नींबू के सेवन से शरीर में बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रोल आसानी से घूल जाता है. सुबह उठने के बाद एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू निचोड़ कर पी लें. इससे पेट से जुड़ी हर समस्या दूर रहने के साथ ही पित्ताशय की पथरी को खत्म करता है.

3 .कैस्टर आयल-

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कैस्टर आयल में कई औषधीय गुण होते हैं. साथ ही इस तेल में मौजूद हीलिंग प्रॉपर्टीज पित्ताशय की पथरी को गलाने में मदद करता है. इसके लिए आधा कप अरंडी का तेल लें इसे गर्म करें. अब एक कपड़े में इस तेल को लगाएं और अच्छी तरह से निचोड़ दें. पेट में लीवर जहा होता है वहां इस कपड़े को रखें. कपड़े को किसी दूसरे कपड़े या प्लास्टिक शीट से ढक दें. अब हॉट वाटर बैग से पेट की सिकाई करें. इससे पित्ताशय की पथरी में काफी लाभ होता है.

4 .कुलथी की दाल-

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पित्ताशय की पथरी में 100 ग्राम कुलथी की दाल को रात को पानी में भिगोकर रख दें. सुबह उस पानी को पी लें. ऐसा नियमित करने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है. कुलथी का दाल नियमित सेवन करना भी पथरी से राहत देता है.

5 .नीम-

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नीम का काढ़ा बनाकर पीने से पेट की पथरी गल जाती है तथा पेट दर्द में आराम मिलता है. नीम के पत्तों की 20 ग्राम राख को थोड़े दिनों तक लगातार पानी के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से पथरी में लाभ होता है.

6 .मुली- 

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40 मिलीलीटर मूली के रस में 30 ग्राम अजमोद को मिलाकर पीने से पथरी गल जाती है तथा मल साफ होता है. या मूली के पत्तों के 10 मिलीलीटर रस में 3 ग्राम अजमोद मिलाकर दिन में 3 बार पीने से पथरी गल कर निकल जाती है.

7 .सहजन-

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सहजन की जड़ का काढ़ा बनाकर गुनगुना करके पीने से पथरी रोग ठीक हो जाता है. सहजन की सब्जी बनाकर खाने से गुर्दे व मूत्राशय की पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है.

पित्ताशय की पथरी का आयुर्वेदिक इलाज क्या है ?

1 .दर्द के स्थान पर सेंक करें. वमन या विरेचन कराएं.

2 .तत्काल दर्द को शांत करने के लिए जातिफलादि चूर्ण या sprine आदि देवें. तथा तालिमखान का क्षार 1 ग्राम रात को पानी के साथ सेवन करें.

3 .चंद्रप्रभा वटी 2-2 दिन में 3 बार पानी में यवक्षार या निम्बक्षार या श्वेत पर्पटी 1 ग्राम मिलाकर सेवन कराएं.

4 .दिन में 3-4 बार 1-1 तोला नीम का तेल पिलायें.

नोट- उपर्युक्त चिकित्सा योग्य चिकित्सक की देखरेख में 2-3 महिना करने से पथरी चूर्ण होकर निकल जाएगी. लेकिन यदि पथरी नली में अटक जाए तो तुरंत ऑपरेशन कराना चाहिए. उपर्युक्त चिकित्सा आयुर्वेद ज्ञान गंगा पुस्तक में वर्णित है.

डिस्क्लेमर-

इस लेख को पढ़ने के बाद आप समझ चुके होंगे कि पित्ताशय की पथरी क्या है ? इसके होने के कारण, लक्षण और इलाज क्या है ? लेकिन आपको बता दें कि यह लेख शैक्षणिक उदेश्य से लिखा गया है. यह पित्ताशय की पथरी के इलाज का निश्चिंत विकल्प नही है क्योंकि उपर्युक्त औषधि का चुनाव एवं मात्रा का निर्धारण एक योग्य चिकित्सक ही कर सकता है. इसलिए चिकित्सक की देखरेख में ही उपर्युक्त औषधि का सेवन किया जा सकता है एवं पित्ताशय की पथरी से मुक्ति पाई जा सकती है.

यदि यह जानकारी अच्छी लगे तो शेयर करें ताकि किसी पित्ताशय की पथरी से पीड़ित व्यक्ति को लाभ मिल सके. धन्यवाद.

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