महाभारत की कहानी- अच्छे और बुरे व्यक्ति की पहचान

एक बार की बात है, महाभारत काल मे में गुरु द्रोणाचार्य जो की कौरव और पांडव राजकुमारो के गुरु थे, जिनके देखरेख मे शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा चल रहा था, तो ऐसे मे गुरु द्रोणाचार्य ने एक दिन कौरव और पांडव राजकुमारो की परीक्षा लेने की सोची, फिर इसके बाद गुरु द्रोणाचार्य ने दुर्योधन को बुलाया और उससे कहा, “दुर्योधन! तुम इस पास के नगर में जाओ और पूरे नगर में से किसी एक अच्छे इंसान को खोज कर मेरे पास ले आओ। 

महाभारत की कहानी- अच्छे और बुरे व्यक्ति की पहचान 

फिर गुरु द्रोणाचार्य की आज्ञा पाकर दुर्योधन पास के नगर में पहुंच गया। और फिर वह पूरे नगर मैं घूमने के बाद वह गुरु द्रोणाचार्य के पास खाली हाथ लौट आया और उसने गुरु द्रोणाचार्य से कहा, “हे गुरुवर! मैंने पूरे नगर मे अच्छे इंसान को बहुत ढूंढा लेकिन मुझे नगर में एक भी अच्छा इंसान नहीं दिखाई दिया।”अब गुरु द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर को बुलाया और कहा, “युधिष्ठिर! अब तुम नगर मे जाओ और पूरे नगर में कोई एक बुरा इंसान खोज कर उसे यहां ले आओ।”

फिर गुरु की आज्ञा पाकर राजकुमार युधिष्ठिर नगर में गए और काफी खोजने के बाद खाली हाथ लौट आए और गुरु द्रोणाचार्य से बोले, “हे गुरुदेव मैंने पूरे नगर में बुरे इंसान को बहुत ढूंढा। लेकिन मुझे एक भी बुरा इंसान नहीं दिखाई दिया।” सभी शिष्य उत्सुकता पूर्ण यह सब देख रहे थे। 

लेकिन उन्हें समझ में कुछ नहीं आया। तो राजकुमारों ने गुरु द्रोणाचार्य से पूछा, “हे गुरुदेव कृपया हमें बताइए कि आपने यह प्रयोग क्यों किया? क्यों दोनों राजकुमार आपके बताए अनुसार अच्छे बुरे इंसान को ढूंढ लाने में असफल रहे है?” 

फिर राजकुमारो की बात सुनकर गुरु द्रोणाचार्य बोले, “मैं तुम सबको यही बताना चाहता हूं कि जैसा हमारा मन होता है। वैसा ही हमें चारों तरफ दिखाई देता है। दुर्योधन के अंदर बुराई छुपी हुई है। इसलिए उसे सभी इंसान बुरे ही दिखे। कोई अच्छा इंसान नहीं मिला।”

“जबकि वही युधिष्ठिर के अंदर अच्छाई छुपी हुई है। इसलिए उसे सभी इंसान अच्छे दिखे। इसलिए वह बुरा इंसान खोज पाने में असमर्थ रहा। ”अर्थात इसी प्रकार हमारे भीतर भी अच्छाई और बुराई दोनों मौजूद हैं। लेकिन हम अपने ऊपर किसको हावी होने देते हैं। ऐसा ही हमे सबकुछ दिखाई देता है।जिसका आप खुद ही आकलन कर सकते हो कि आप कैसे इंसान हो- आप अपने चारों तरफ देखें। 

आपको किस तरह के इंसान ज्यादा दिखते हैं? क्या आपको भी हर चीज में शिकायत रहती हैं? क्या आपको हर तरफ बुराई ही दिखते रहती हैं? अगर ऐसा है तो आपको अपना नजरिया तुरंत बदलने की जरूरत है। क्योंकि यह दुनिया जिस नजरिए से आप देखते है ठीक वैसा ही हमे दिखता है, 

यानि यह अपने स्वयं का प्रतिबिंब है। इसलिए अपने अंदर सकारात्मकता बनाए रखें। अच्छा महसूस करें। एहसानमंद रहे, दुनिया की खूबसूरती में विश्वास रखें, यकीन मानिए यह दुनिया ऐसी ही बन जाएगी। हर चीज मे आपको अच्छाई ही नजर आने लगेगी।गुरु द्रोणाचार्य के इन बातों को सुनकर अब राजकुमारो को समझ मे आ चुका था, और उन्हे अच्छी सीख भी मिल चुकी थी, की जैसा हम इस दुनिया को देखेगे, वैसे ही हमे यह दुनिया नजर आएगी।

इस कहानी से हमे यही सीख मिलती है, हमे हमेसा अपने अंदर सकरात्मक सोच रखनी चाहिए और हमे लोगो मे हमेसा उनकी अच्छाई ही देखना चाहिए, तभी हम लोगो की तरह अच्छा बन पाते है, और इस दुनिया को अच्छे नजरिए से देख सकते है, और फिर ये दुनिया उसी प्रकार हमे अच्छी भी लगने लगती है।

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