एक बार जरुर पढ़ें, अगर घर में बेटी है

पाँच साल की बेटी बाज़ार में गोल गप्पे खाने के लिए मचल गई। “किस भाव से दे रहे हो भाई?” पापा नें सवाल् किया। “10 रूपये के 8 दे रहे हैं। गोल गप्पे वाले ने जवाब दिया…… पापा को मालूम नहीं था गोलगप्पे इतने महँगे हो गये है….जब वे खाया करते थे तब तो एक रुपये के 10 मिला करते थे। . पापा ने जब जेब मे हाथ डाला 15 रुपये बचे थे। बाकी रुपये घर की जरूरत का सामान लेने में खर्च हो गए थे। उनका गांव शहर से दूर है 10 रुपये तो बस किराए में लग जाने है। “नहीं भई 5 रुपये में 10 दो तो ठीक है वरना नही लेने।

एक बार जरुर पढ़ें, अगर घर में बेटी है

यह सुनकर बेटी नें मुँह फुला लिया…. “अरे अब चलो भी , नहीं लेने इतने महँगे। पापा के माथे पर लकीरें उभर आयीं …. “अरे खा लेने दो ना साहब… अभी आपके घर में है तो आपसे लाड़ भी कर सकती है… कल को पराये घर चली गयी तो पता नहीं ऐसे मचल पायेगी या नहीं. … तब आप भी तरसोगे बिटिया की फरमाइश पूरी करने को… गोलगप्पे वाले के शब्द थे तो चुभने वाले पर उन्हें सुनकर पापा को अपनी बड़ी बेटी की याद आ गयी….

जिसकी शादी उसने तीन साल पहले

एक खाते -पीते पढ़े लिखे परिवार में की थी……

ससुराल वालों ने पहले साल से ही उसे छोटी

छोटी बातों पर सताना शुरू कर दिया था…..

दो साल तक वह मुट्ठी भरभर के

रुपये उनके मुँह में ठूँसता रहा पर

उनका पेट बढ़ता ही चला गया ….

और अंत में एक दिन सीढियों से

गिर कर बेटी की मौत की खबर

ही मायके पहुँची….

आज वह छटपटाता है

कि उसकी वह बेटी फिर से

उसके पास लौट आये..?

और वह चुन चुन कर उसकी

सारी अधूरी इच्छाएँ पूरी कर दे…

लेकिन वह अच्छी तरह जानता है

कि अब यह असंभव है.

“दे दूँ क्या बाबूजी- गोलगप्पे वाले की आवाज से

पापा की तंद्रा टूटी…

“रुको भाई दो मिनिट ….

पापा पास ही पंसारी की दुकान थी उस पर गए जहाँ से जरूरत का सामान खरीदा था। खरीदी गई पाँच किलो चीनी में से एक किलो चीनी वापस की तो 40 रुपये जेब मे बढ़ गए।

फिर ठेले पर आकर पापा ने डबडबायी आँखें

पोंछते हुए कहा

अब खिलादे भाई। हाँ तीखा जरा कम डालना। मेरी बिटिया बहुत नाजुक है….

सुनकर पाँच वर्ष की गुड़िया जैसी बेटी की आंखों में चमक आ गई और पापा का हाथ कस कर पकड़ लिया।

जब तक बेटी हमारे घर है

उनकी हर इच्छा जरूर पूरी करे,…

क्या पता आगे कोई इच्छा

पूरी हो पाये या ना हो पाये ।

ये बेटियां भी कितनी अजीब होती हैं

जब ससुराल में होती हैं

तब माइके जाने को तरसती हैं….

सोचती हैं

कि घर जाकर माँ को ये बताऊँगी

पापा से ये मांगूंगी

बहन से ये कहूँगी

भाई को सबक सिखाऊंगी

और मौज मस्ती करुँगी…

लेकिन

जब सच में मायके जाती हैं तो

एकदम शांत हो जाती है

किसी से कुछ भी नहीं बोलती….

बस माँ बाप भाई बहन से गले मिलती है।

बहुत- बहुत खुश होती है।

कुछ पल के लिए पति ससुराल…..भूल जाती है

क्योंकि

एक अनोखा प्यार होता है मायके में

एक अजीब कशिश होती है मायके में…..

ससुराल में कितना भी प्यार मिले…..

माँ- बाप की एक मुस्कान को

तरसती है ये बेटियां….

ससुराल में कितना भी रोएँ

पर मायके में एक भी आंसूं नहीं

बहाती ये बेटियां….

क्योंकि

बेटियों का सिर्फ एक ही आंसू माँ,

बाप, भाई, बहन को हिला देता है

रुला देता है…..

कितनी अजीब है ये बेटियां

कितनी नटखट है ये बेटियां

भगवान की अनमोल देंन हैं

ये बेटियां ……

हो सके तो

बेटियों को बहुत प्यार दें

उन्हें कभी भी न रुलाये

क्योंकि ये अनमोल बेटी दो

परिवार जोड़ती है

दो रिश्तों को साथ लाती है।

अपने प्यार और मुस्कान से।

हम चाहते हैं कि

सभी बेटियां खुश रहें

हमेशा भले ही हो वो

मायके में या ससुराल में।

खुशकिस्मत है वो

जो बेटी के बाप हैं,

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