कल्याण आयुर्वेद- आज के बदलते लाइफ स्टाइल में यौन से जुड़ी समस्याएं आम देखी जा रही है क्योंकि आजकल लोगों का खान पान, रहन सहन में काफी बदलाव आ गया है. ना तो खानपान में पौष्टिक तत्व मिल पा रहे हैं और ना ही किसी चीज से परहेज ही लोग कर रहे हैं. आजकल ज्यादातर लोग धूम्रपान, शराब, सिगरेट इत्यादि का सेवन करना पसंद कर रहे हैं जो उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है और स्वास्थ्य पर खराब प्रभाव पड़ने से यौन दुर्बलता का होना आम बात हो गया है जिसके कारण पुरुषों में शीघ्रपतन, शुक्राणुओं की कमी, नपुंसकता जैसी समस्याएं आम हो गई है.
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सभी प्रकार के यौन समस्याओं का रामबाण इलाज है रूमी मस्तगी, जानें अन्य फायदे और सेवन करने की विधि |
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सभी प्रकार के यौन समस्याओं का रामबाण इलाज है रूमी मस्तगी, जानें अन्य फायदे और सेवन करने की विधि |
यौन समस्याओं को दूर करने के लिए रूमी मस्तगी एक बहुत ही अच्छी प्राकृतिक और घरेलू उपाय है. यौन दुर्बलता को दूर करने के साथ ही हमारे शरीर में कई तरह की समस्याओं को दूर करने में मददगार है.
क्या है रूमी मस्तगी ?
रूमी मस्तगी एक तरह का गोंद है जो मस्तकी के पौधे से प्राप्त होता है. इसकी पहचान के लिए सबसे आसान तरीका है कि यह रंग में कुछ पिताभ श्वेत अर्थात पीलापन लिए हुए सफेद होता है. यह छोटा, गोल एवं लंबा दोनों प्रकार से बाजार में मिलता है. जब इसे तोड़ा जाता है तब यह रंगहीन होता है लेकिन स्पर्श मात्र से सफेद चूर्ण मालूम होता है, इसमें हल्की गंध एवं स्वाद में कुछ मीठापन होता है. इसे तोड़ने पर यह कणों में टूटती है एवं बाद चिपचिपी हो जाती है.
रूमी मस्तगी के फायदे-
* आयुर्वेद के अनुसार रूमी मस्तगी यौनशक्ति वर्धक औषधि है. यह यौन दुर्बलता को दूर करने में बहुत मददगार है. रूमी मस्तगी के साथ अन्य चीजों को मिलाकर सेवन करना अधिक फायदेमंद बताया गया है. रूमी मस्तगी के साथ विदारीकंद, लौंग, दालचीनी, अश्वगंधा, अकर्करा, सालम पंजा, जायफल इत्यादि को मिलाकर सेवन करने से सभी प्रकार के यौन कमजोरी में लाभ होता है.
* रूमी मस्तगी कफ विकारों में काफी लाभदायक है. इसकी तासीर उष्ण होने के कारण कफ को शरीर से बाहर निकालने का काम करती है. कफ शमन के लिए इसके 2 से 3 ग्राम चूर्ण का सेवन करना लाभदायक होता है.
* रूमी मस्तगी मूत्रल है इसलिए मूत्रकृच्छ एवं पथरी जैसी समस्याओं में भी यह काफी लाभदायक है. इसके लिए रूमी मस्तगी का चूर्ण आधा से 1 ग्राम तक सेवन करना लाभदायक होगा.
* सुजाक जैसे रोगों में भी रूमी मस्तगी का सेवन करना लाभदायक है. इसके लिए आधा से 1 ग्राम तक सेवन करना चाहिए. साथ ही यह सभी प्रकार के सूजन को दूर करने में कारगर होती है.
* पेट से जुड़ी समस्याएं भूख नहीं लगना या भूख कम लगना. ऐसी समस्याओं को दूर करने में रूमी मस्तगी बहुत ही फायदेमंद है. मंदाग्नि को खत्म करती है यह जठराग्नि को सुचारू करके खुलकर भूख लगाती है. यह गैस्ट्राइटिस को ठीक करने में मदद करती है क्योंकि इसमें एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो पेट में गैस, कब्ज, अफारा की शिकायत को दूर करती है.
* रूमी मस्तगी दांतों की समस्याओं में भी काफी लाभदायक है क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं इसके साथ ही इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण भी होती हैं. अतः की समस्या दूर करने के साथ मसूड़ों को मजबूत करने का काम करती है.
* शरीर के किसी भी हिस्से से रक्तस्राव हो रहा है तो रूमी मस्तगी के सेवन से बंद हो जाता है.
* यौन दुर्बलता को दूर करने के लिए-
रूमी मस्तगी 20 ग्राम.
शतावरी 25 ग्राम.
सफेद बहमन 30 ग्राम.
अश्वगंधा 25 ग्राम.
सालम पंजा 20 ग्राम.
सफेद मुसली 25 ग्राम.
अकरकरा 15 ग्राम.
कौंच बीज 20 ग्राम.
गोखरू 20 ग्राम.
उपर्युक्त सभी चीजों को अच्छी तरह से साफ- सुथरा कर पीस- कूटकर चूर्ण बना कर सुरक्षित रख लें. अब इसमें से 5 ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ सुबह- शाम सेवन करें.
इसके नियमित सेवन करने से शीघ्रपतन, स्पर्म की कमी, स्पर्म का कमजोर होना, नपुंसकता, शारीरिक दुर्बलता आदि समस्याएं दूर हो जाती है.
जिनकी पाचन शक्ति कमजोर हो उन्हें इसका सेवन कम मात्रा में करना चाहिए क्योंकि इसके सेवन से कब्ज की समस्या हो सकती है. इसलिए यदि 5 ग्राम की मात्रा में खाने के बाद कब्ज की समस्या हो तो मात्रा कम कर दें एवं रात को खाना खाने के बाद त्रिफला चूर्ण का सेवन करें.
नोट- यह पोस्ट शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है किसी भी प्रयोग से पहले योग्य डॉक्टर की सलाह जरूर लें. धन्यवाद.
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