अवसाद किसे कहते हैं ? जाने कारण, लक्षण और बचाव के तरीके

कल्याण आयुर्वेद- अवसाद एक ऐसी स्थिति है जो आज बहुत ही लोग इससे ग्रसित हो रहे हैं. डब्ल्यूएचओ की मानें तो पूरी दुनिया में लगभग 35 करोड से ज्यादा लोग अवसाद से प्रभावित हैं.

अवसाद किसे कहते हैं ? जाने कारण, लक्षण और बचाव के तरीके

अवसाद किसे कहते हैं ?

दुखी रहना, बुरा महसूस करना, प्रतिदिन की गतिविधियों में रुचि नहीं रखना, अपने आप को खुश नहीं रखना इन सभी बातों को हम अच्छी तरह जानते हैं. लेकिन जब यही लक्षण हमारे जीवन में अधिक समय तक बना रहता है तो हमें बहुत ही प्रभावित करता है. इसे ही अवसाद कहते हैं. यह एक मानसिक विकार है. विशेषकर यह मूड विकार है. अवसाद से पीड़ित लोगों के अनुभव अलग-अलग हो सकते हैं.

अवसाद कितने प्रकार के होते हैं ?

अवसाद के कई अलग-अलग प्रकार हो सकते हैं जैसे-

1 .मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर-

इसमें व्यक्ति गहरी निराशा और आशाहिन स्थिति में चला जाता है. मेजर डिप्रेशन केवल एक बार हो सकता है लेकिन अक्सर यह जीवन भर में कई बार हो सकता है. मेजर डिप्रेशन का मुख्य लक्षण काम करने, पढ़ने और खाने में बाधा उत्पन्न होना है.

2 .सायकोटिक डिप्रेशन-

जो लोग मानसिक अवसाद से पीड़ित होते हैं उनमें लगभग 25% लोग सायकोटिक डिप्रेशन से पीड़ित होते हैं. अवसाद के लक्षणों के अलावा इस डिप्रेशन वाले लोगों में मतिभ्रम, तर्कहीन विचार और भय के लक्षण दिखलाई देते हैं.

3 .डिस्थीमिया और क्रॉनिक डिप्रेशन-

इस अवसाद को लंबे समय से चल रहे अवसाद के रूप में जाना जाता है. डिस्थीमिया की पहचान करने के लिए व्यस्कों में कम से कम 2 साल और बच्चों में कम से कम 1 वर्ष तक यह रहना चाहिए. यह अवसाद का गंभीर रूप नहीं है लेकिन इसके लक्षण कई सालों तक रह सकते हैं जो लोग इससे पीड़ित होते हैं आमतौर पर सामान्य रूप से काम करने में सक्षम होते हैं. लेकिन हमेशा खुश नहीं रहते हैं. डिस्थीमिया और क्रॉनिक डिप्रेशन अलग-अलग है. डिस्थीमिया के लक्षण क्रॉनिक डिप्रेशन से कम होता है.

4 .सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर-

यह अवसाद प्रतिवर्ष एक ही समय में आता है. आमतौर पर यह सर्दियों में शुरू होता है और वसंत या गर्मियों की शुरुआत में खत्म हो जाता है. सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर का एक दुर्लभ समर डिप्रेशन है. यह वसंत या गर्मियों की शुरुआत में शुरू होता है और वसंत के अंत में खत्म हो जाता है. जो लोग सीजनल इफेक्टिव डिप्रेशन से ग्रसित होते हैं इन लोगों में प्रमुख अवसाद के लक्षण होते हैं जैसे- उदासी, चिड़चिड़ापन, सामान्य गतिविधियों में रुचि नहीं रखता, सामाजिक गतिविधियों से दूर रहना और ध्यान केंद्रित करने में कमी होना इत्यादि.

5 .बाइपोलर डिप्रेशन-

बाइपोलर डिप्रेशन में मन लगातार कई सप्ताहों तक या कई महीनों तक बहुत उदास या फिर बहुत अत्यधिक खुश रहता है. उदासी में नकारात्मक विचार और मैनिक डिप्रेशन में उच्चे- उच्चे विचार आते हैं. इसमें पीड़ित व्यक्ति का मन बारी-बारी से दो अलग और विपरीत अवस्थाओं में जाता रहता है. इस बीमारी में इंसान के व्यवहार अचानक ही बदला हुआ देखने को मिलने लगता है. कभी-कभी इस बीमारी से ग्रसित इंसान बहुत खुश होता है तो कभी-कभी बहुत उदास रहने लगता है.

अवसाद के लक्षण क्या है ?

अवसाद के लक्षण अवसाद के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं ?

उदास रहना, थकान महसूस करना, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होना, हमेशा दुखी रहना, अधिक गुस्सा आना, चिड़चिड़ापन होना, आनंददायक या मजेदार गतिविधियों में भाग नहीं लेना, बहुत अधिक नींद या बहुत कम नींद आना, शारीरिक ऊर्जा में कमी, अस्वस्थ भोजन की लालसा अधिक करना, हमेशा चिंता में रहना, दूसरों से हमेशा अलग रहना पसंद करना, बेचैनी होना, स्पष्ट रूप से सोचने का निर्णय लेने में परेशानी होना, कोई काम या स्कूल में खराब प्रदर्शन करना, अपराध बोध होना आदि.

अवसाद होने के क्या कारण है ?

अवसाद होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे-

1 .यदि आपके परिवार में किसी को अवसाद था या है या किसी अन्य मानसिक विकार का इतिहास है तो अवसाद आपको होने की संभावना अधिक हो जाती है.

2 .यदि आपके मस्तिष्क का आगे का हिस्सा कम सक्रिय है तो अवसाद होने की संभावना अधिक हो जाता है. हालांकि वैज्ञानिकों को यह पता नहीं है कि अवसाद के लक्षणों की शुरुआत से पहले या बाद में ऐसा होता है.

3 .कई बार बचपन में हुई कुछ घटनाओं से शरीर का डर और तनावपूर्ण स्थिति के प्रति प्रतिक्रिया करने का तरीका भी आपको अवसाद ग्रसित कर सकता है.

4 .कुछ बीमारियां आपकी अवसाद का होना या इसके जोखिम को और बढ़ा सकती है जैसे की पुरानी बीमारियां, नींद नहीं आना, पुराना दर्द या ए डी एच डी इत्यादि.

5 .शराब या धुम्रपान का अत्यधिक सेवन करना अवसाद के जोखिम को बढ़ा सकता है. जिन लोगों को कभी नशीले पदार्थ की लत रही हो या कर रहे हैं उन्हें लगभग 20% लोगों को अवसाद भी हो जाता है.

अवसाद से बचने के तरीके-

1 .अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को अनदेखा बिल्कुल ना करें.

2 .नियमित दिनचर्या का पालन करें.

3 .खानपान पर विशेष ध्यान दें और स्वस्थ एवं संतुलित आहार सेवन करें.

4 .अपने आत्मसम्मान और आत्मविश्वास पर काम करें.

5 .दोस्तों और परिवार वालों के साथ रहने का प्रयास करें उनसे दूरी न बनाएं.

6 .तनाव से निपटने के तरीके अपनाएं, आप कुछ एक्सरसाइज करें.

7 .प्रेरणादायक किताबें पढ़ें.

8 .प्रेरक फिल्म या वीडियो भी देख सकते हैं.

9 .यदि आप अधिक तनाव में हैं तो अपने पसंद के संगीत सुन सकते हैं. इससे आपका तनाव कम होगा और अवसाद से राहत मिलेगा.

10 .शारीरिक गतिविधियों वाला काम करें आप चाहे तो नृत्य कर सकते हैं.

11 .किसी भी परेशानी में किसी से मदद मांगने में शर्माए नहीं क्योंकि सही समय पर मदद मिलने से अवसाद होने से रोका जा सकता है.

12 .उदासी महसूस होने पर खुद से दवा लेना शुरु न करें बल्कि डॉक्टरी सलाह लें.

13 .जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने का प्रयास करें.

अवसाद की समस्या कब तक रह सकता है ?

अवसाद की समस्या कब तक रह सकता है यह कहना मुश्किल है क्योंकि यह आपके जीवनशैली से संबंधित कारकों पर निर्भर करता है और इस पर भी कि आपको जल्द उपचार प्राप्त होता है या नहीं. यह कई सप्ताहों, महीनों या कई वर्षों तक रह सकता है. अवसाद एक गंभीर बीमारी है और यह कई लोगों को कई बार होती रहती हैं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसे ठीक होने का कोई आशा का किरण नहीं है बल्कि सच्चाई इससे बहुत दूर है. अवसादपुराना हो सकता है लेकिन इससे छुटकारा पाना बिल्कुल ही संभव है.

अवसाद के क्या नुकसान हैं ?

अवसाद एक गंभीर बीमारी है जिसके कारण आपको और आपके परिवार को बहुत मुश्किल में डाल सकता है यदि इसका समय पर इलाज नहीं किया जाए तो और अधिक खराब हो जाता है. जिसके परिणाम स्वरूप भावनात्मक, व्यवहारिक और स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती है जो आपके जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है.

नोट- यह लेख शैक्षणिक उदेश्य से लिखा गया है. किसी बीमारी के इलाज का विकल्प नहीं है. अतः अवसाद के लक्षण मिलते ही डॉक्टरी सलाह लें. धन्यवाद.

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