कल्याण आयुर्वेद- आज हम बात करने वाले आक के बारे में इसे अलग- अलग जगहों पर अलग अलग नामों से जाना जाता है इसे आंकड़ा, आंक, अकवन, मदार इत्यादि नाम जाना जाता है इसका पौधा 120 सेंटीमीटर 150 सेंटीमीटर तक लंबा होता है यह जंगल में बहुत मिलता है खासकर पानी वाले जगहों पर यह अधिक पाया जाता है. आंक का रस कटु यानी कड़वा, तिक्त यानी तीखा, उष्ण यानी गर्म प्रकृति का होता है. यह वात और कफ को दूर करने वाला होता है. कान दर्द, कृमि रोग, बवासीर, खांसी, कफ के रोग, त्वचा के रोग, सुजन इत्यादि को नाश करता है.
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आक के पौधे को न समझे जहरीला, कई जटिल बिमारियों का रामबाण इलाज है. |
1 .यह मलेरिया रोग के लिए बहुत ही फायदेमंद औषधि के रूप में काम करता है. इसके लिए इसके फूल की दो ढोडी जो बिना खिले हुए हैं थोड़ा सा गुड़ में लपेटकर मलेरिया बुखार आने से पहले खाने से बुखार नहीं चढ़ता है.
2 .यदि किसी को जुकाम की समस्या हो गई है नाक बंद हो गया है तो आंकड़े के दो चम्मच दूध में दो चम्मच चावल को भिगोकर छाया में रख दें. जब सूख जाए तो पीसकर कपड़े में पोटली बनाकर इसे जरा सा सूंघे. नाक से छींक आकर नाक खुल जाती है. जुकाम ठीक हो जाएगा. रुका हुआ पानी नाक से टपकने लगेगा. अगर इसके प्रयोग से अधिक छींक आने लगे तो देसी घी गर्म करके सूंघ लें.
3 .यह एड़ियों के दर्द के लिए भी रामबाण दवा के रूप में काम करता है. एक मुट्ठी आंकड़े के फूल दो गिलास पानी में रात को उबालें और इसकी भाप से एड़ियों को सेंकें. इसके बाद गरम-गरम फूलों को ऊपर बांध लें. एक सप्ताह नियमित ऐसा करते रहने से एड़ियों का दर्द दूर हो जाता है हालांकि यदि शरीर के किसी भी अंग में दर्द हो तो यह प्रयोग करने से दर्द दूर हो जाता है.
4 .यदि किसी को पथरी की समस्या हो गई हो तो आंकड़े के दो से तीन फूल पीसकर एक गिलास दूध में घोलकर प्रतिदिन सुबह-सुबह 40 दिन तक पीने से पथरी निकल जाती है.
5 .आजकल के बदलते लाइफ स्टाइल में अनियमित खानपान और खानपान में मिलावट के कारण पेट खराब होना एक आम समस्या है और जब अधिक दिनों तक पेट खराब रहती है कब्ज की समस्या बनी रहती है तो बवासीर होना कोई बड़ी बात नहीं होती है ऐसे में बवासीर से छुटकारा पाने के लिए आंकड़े की तीन बूंद दूध बतासे में डालकर खाने से बवासीर में अच्छा लाभ होता है.
6 .आधे सिर का दर्द के लिए अकवन काफी फायदेमंद औषधि के रूप में काम करता है. यदि दर्द सूर्योदय के साथ बढ़ता- घटता हो तो सुबह सूरज उगने से पहले एक बतासे पर दो बूंद आंकड़े के दूध को टपका कर खाएं शीघ्र ही आपको लाभ होने लगेगा.
7 .यदि किसी को पेट दर्द की समस्या है तो आंकड़े के जड़ की छाल, नौसादर, गेरू, काली मिर्च सभी बराबर मात्रा में एक-एक चम्मच लेकर पीसकर इसमें आधा चम्मच कपूर पीसकर मिला लें और आधी चम्मच की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से पेट दर्द, कब्ज, दस्त, तिल्ली, यकृत आदि पेट के सभी रोग, सर्दी, खासी, बुखार में इससे अच्छा लाभ होता है.
8 .टीबी के मरीजों के लिए यह बहुत ही कारगर औषधि के रूप में काम करता है यदि किसी को टीबी हो गया हो तो 4 चम्मच दूध और 200 ग्राम पिसी हुई हल्दी मिलाकर खूब पीसे इसके बाद सूख जाने पर सीसी में भरकर सुरक्षित रख लें. यह पाउडर एक चने के बराबर आधा चम्मच शहद में मिलाकर प्रतिदिन सेवन से टीबी के रोगी 3 महीने में ठीक हो जाते हैं टीबी में रक्त की उल्टी हो रही हो तो ठीक हो जाएगी.
9 .आक साधारण बुखार में भी काफी लाभदायक होता है. इसके लिए आंकड़े की कोपल पत्ती यानी कि नया पत्ता, नागर बेल के पान में रहकर थोड़ी सी सौंफ डालकर चबाएं और रस चूसते जाएं इससे हर प्रकार का बुखार, मलेरिया, वायरल, सामान्य बुखार एक बार ही सेवन करने से ठीक हो जाते हैं.
10 .यदि किसी को बिच्छू काट ले तो उसका जहर उतारने के लिए आक की जड़ को पानी में पीसकर लेप लगाया जाता है. इससे जहर उतर जाता है.
11 .दांत के दर्द से छुटकारा पाने के लिए इसका प्रयोग लोग सदियों से करते आ रहे हैं. यदि किसी को दांत में किसी भी प्रकार का दर्द हो तो आक के दूध में हल्का सेंधा नमक मिलाकर दर्द वाले स्थान पर लगा देने मात्र से दर्द दूर हो जाता है.
12 .यदि किसी को चोट लग जाए तो ऐसी स्थिति में थोड़ा सा हल्दी और आक के पत्तों को सरसों के तेल में पकाकर उससे मालिश करना चाहिए. इससे दर्द दूर होता ही है साथ ही खून जमने की समस्या दूर रहती है.
आक के फायदे तो आपने अच्छी तरह से जान लिया लेकिन इसके नुकसान भी हो सकते हैं. आक से निकलने वाले दूध में जहरीले होते हैं जिसका उपयोग पशुओं को बेहोश करने के लिए किया जाता है, यदि इसका अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है तो इससे मृत्यु भी हो सकती है. आक के पौधे का उपयोग करते समय ध्यान रखना चाहिए इसका दूध आंख में न जाने पाए यदि इसका दूध आंख में गलती से भी चला जाता है तो आंख की दृष्टि भी जा सकती है.
यदि कोई मात्रा से ज्यादा सेवन कर लेता है तो आंकड़े के हानिकारक प्रभाव को नष्ट करने के लिए पलाश के पत्तों को उबालकर उसका पानी पीने से इसकी विषाक्तता दूर हो जाती है. यदि इसके दूध लगने से घाव हो जाए तो पलाश वाला पानी से धोने से घाव ठीक हो जाएगा.
आकडे का किसी भी स्थिति में प्रयोग करने से पहले आप किसी योग्य चिकित्सक की सलाह जरूर ले लें अन्यथा आपको फायदे की जगह नुकसान भी हो सकती है.
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