कल्याण आयुर्वेद- पेट में बनी गैस (कब्ज) बेहद दुखदाई होती है. अनियमित दिनचर्या और खानपान कब्ज और बदहजमी का सबसे बड़ा कारण होता है. भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में लोग संतुलित भोजन करने के बजाय फास्ट फ़ूड और तली भुनी चीजों पर निर्भर रहने लगे हैं. तैलीय और मिर्च मसाले वाली चीजों का लगातार सेवन मानव जीवन के लिए बेहद खतरनाक होता है. यह भोजन शरीर में कब्ज और बदहजमी के साथ कई तरह की व्याधियों को जन्म देता है. इंसान की मेटाबोलिज्म इन तत्वों को हज़म कर पाने में सक्षम नही होती जिसके परिणामस्वरूप पेट में कब्ज का निर्माण होता है. मसलन कब्ज पेट के माध्यम से शरीर के किसी भी हिस्से में पहुँच सकती है जो समय समय पर बेहद कष्टकारी हो जाती है. हालांकि यह खुद में कोई रोग नही होता लेकिन सहमे पर इसका सटीक उपचार ना होने से यह जानलेवा भी साबित हो जाता है. कुछ घरेलू नुस्खे से पुरानी कब्ज का इलाज़ आसानी से किया जा सकता है.
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यह उपाय चुटकियों में दूर कर देगा कब्ज और बदहजमी |
कब्ज होता क्या है?
पाचनतंत्र में हुई गड़बड़ी के कारण मल कड़ा होकर शरीर में अपच उत्पन्न का देता है. एह आमाशय की ऐसी क्रिया है जिसमें मल कड़ा होकर कम मात्रा में गुदा द्वार से बाहर निकलता है और पेट फूल या सूज जाता है. इस प्रक्रिया के चलते पेट साफ़ ना होने की शिकायत हमेशा बनी रहती है जो व्यक्ति को बीमार- बेहद बीमार बना सकती है. इसका शरीर में उपस्थिति से पेट खराब होने के चांसेस बढ़ जाते हैं.
कब्ज के लक्षण क्या है?
जब इंसान के पेट में ऐठन का अनुभव हो और मल त्याग करने में परेशानी हो तब समझना चाहिए कि पेट में कब्ज ने घर बना लिया है. मुंह में छाले, जीभ की रंगत में परिवर्तन, मुंह से दुर्गन्ध, मल त्याग में परेशानी, पेट में गुड़गुडाहट, भूंख ना लगना, मन मचलाना, सिरदर्द इत्यादि पेट में बनी गैस के कारण होना एक आम क्रिया है. हब भी ऐसे लक्षण दिखाई दें समझ लेना चाहिए कि कब्ज बन गई है.
कब्ज होने के कारण क्या है?
इसके बनने के कारण कई तरह के होते हैं. इंसान शरीर में मौजूद कई तरह के मर्ज़ के उपचार में तमाम प्रकार की एलोपैथिक दवाइयों का सेवन करता है जिसके साइड इफेक्ट बेहद खतरनाक होते हैं. मसलन एंटीपायरेटिक, दर्द्निरोधी और एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल से पेट में कई बार अल्सर तक बन जाता है. इन दवाओं के इस्तेमाल से शरीर में कब्ज बन जाती है.
गलत खानपान जैसे तैलीय और मसालेदार भोजन के लगातार सेवन करने से कब्ज बनने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. भारी मात्रा में दूध, दही और घी के साथ मांसाहारी भोजन भी कब्ज का मुख्य कारण माना जाता है.
महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान गैस या कब्ज का बनना एक स्वाभाविक प्रक्रिया होती है जिसके चलते उन्हें मतली की शिकायत बनी रहती है.
घर से बाहर काफी देर तक बैठकर यात्रा करने से भी कब्ज बन जाती है. यात्रा के दौरान व्यक्ति के खानपान और दिनचर्या में बदलाव देखा जाता है. इसके अलावा कम फाइबर युक्त भोजन करने की वजह से भी पेट में कब्ज बन जाती है.
इंसान के शरीर में मौजूद कई तरह के रोग मसलन मधुमेह, बीपी और अन्य रोगों की वजह से पेट में सूजन और कब्ज बन ही जाती है. शारीरिक श्रम ना करने वाले 80 फ़ीसदी लोगों में कब्ज बनना एक आम कारण है.
कब्ज सम्बन्धी जटिलताएं-
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कब्ज में सावधानियां और बचाव-
शरीर में कब्ज ना बने इसके लिए भरपूर मात्रा में पानी पीने की जरूरत होती है. इंसान को अपने खानपान में बेहद सावधानी बरतने की जरूरत होती है. भोजन पेट भर ना खाएं. थोड़ा-थोडा करके भोजन को कई बार में खाने का प्रयास करें. खाना खाते समय पानी का प्रयोग ना करें. भोजन के आधे घंटे बाद ही पानी का सेवन करना चाहिए. दर्दनिवारक दवाइयों का खाली पेट सेवन कभी ना करें. ऐसे ही कुछ सावधानियों को अपनाकर आप अपने जीवन से कब्ज को आसानी से भगा सकते हैं.
कब्ज का प्राकृतिक उपचार-
कब्ज या पेट में बनी गैस को जड़ से ख़त्म करने के लिए कुछ होम रेमेडीज कब्ज की रामबाण दवा के रूप में इस्तेमाल की जाती रही हैं. आपकी रसोई में मौजूद कुछ तत्व कब्ज को दूर भगाने में बेहद असरदार होते हैं.
1 .नींबू-
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2 .अजवाइन-
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3 .अंजीर-
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4 .एरंड का तेल-
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