थायराइड क्या है ? जाने होने के कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार

कल्याण आयुर्वेद- भारत में ह्रदय रोग और मधुमेह के बाद सबसे ज्यादा होने वाली रोग में पहला नाम थायराइड का आता है. थायराइड हमारे गले में उपस्थित होता है जो थायराइड हार्मोन का उत्पादन करता है. जिससे हमारे शरीर की कई गतिविधियां नियंत्रित होती है. जैसे- आप कितनी तेजी से कैलोरी बर्न करते हैं या आपके दिल की धड़कन कितनी तेज है. थायराइड रोग के कारण हमारे शरीर में या तो बहुत अधिक या बहुत कम हार्मोन बनने लगता है.

थायराइड क्या है ? जाने होने के कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार

आपका थायराइड कितना ज्यादा या कितना कम हार्मोन बनाता है इस बात पर निर्भर करते हुए अक्सर आप बेचैन या थके हुए महसूस कर सकते हैं या आपका वजन कम हो सकता है या बढ़ भी सकता है.

महिलाओं में पुरुषों की तुलना में थायराइड रोग का खतरा अधिक रहता है. खासकर गर्भावस्था के बाद या रजोनिवृत्ति के बाद. आज हम इस लेख के माध्यम से थायराइड क्या है ? थायराइड रोग होने के कारण क्या है ? थायराइड रोग के लक्षण क्या है ? थायराइड रोग के घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार के बारे में विस्तार से जानेंगे.

थायराइड क्या है ?

थायराइड गर्दन के निचले हिस्से में स्थित एक तितली जैसी ग्रंथि है यह ग्रंथि ट्राईआयोडोथायरोनिन ( T-3 ) और थायरोक्सिन ( T-4 ) हार्मोन स्रावित करती है जिसे हम थायराइड हार्मोन भी करते हैं. यह हार्मोन शरीर की कई गतिविधियों को नियंत्रित करती है जैसे कि आपके हार्ट बिट रेट और कैलोरी की खपत को नियंत्रित करना इत्यादि.

थायराइड हार्मोन हमारे शरीर में क्या काम करता है ?

थायराइड हार्मोन हमारे शरीर के प्रत्येक सेल्स और अंगों को नियंत्रित करते हैं इनके कार्य होते हैं जैसे-

ह्रदय गति नियंत्रित करने में योगदान निभाती हैं- यह हृदय की गति को तीव्र धीमा कर सकती हैं.

कैलोरी खपत की दर को नियंत्रित करते हैं- इस तरह से यह वजन घटने या बढ़ने के लिए जिम्मेदार होते हैं.

थायराइड हार्मोन शरीर के तापमान को भी नियंत्रित करती हैं- यह तापमान को बढ़ा और घटा सकते हैं.

मांस पेशियों के सिकुड़ने की गतिविधि को नियंत्रित करते हैं.

थायराइड रोग होने के क्या कारण है ?

थायराइड से जुड़े रोग होने के कई कारण हो सकते हैं जिन्हें ध्यान में रखकर इस बीमारी से शुरुआती दौर में ही बचाव किया जा सकता है.

1 .जरूरत से ज्यादा सोया प्रोटीन, कैप्सूल और पाउडर का सेवन करना.

2 .दवाओं के साइड इफेक्ट के कारण भी थायराइड रोग हो सकता है.

3 .अधिक तनाव में रहना भी थायराइड रोग का कारण बन सकता है.

4 .आयोडीन की कमी या शरीर में आयोडीन अधिक होना भी थायराइड रोग का कारण बनता है.

5 .धूम्रपान करना.

6 .थायराइड रोग अनुवांशिक भी हो सकता है यदि आपके परिवार में किसी को थायराइड रोग है या था तो आपको भी यह रोग होने की अधिक संभावना रहती है.

7 .गर्भावस्था के समय महिलाओं के शरीर में बड़े पैमाने पर हार्मोन बदलाव होती हैं जिसकी वजह से थायराइड हार्मोन प्रभावित हो सकती हैं.

8 .हाशिमोटो रोग, ग्रेव्स रोग, ग्वाइटर जैसे कुछ खास रोग भी इस बीमारी को उत्पन्न करने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं.

कुछ अन्य कारण है जो थायराइड को उत्पन्न करते हैं

9 .जब पिट्यूटरी ग्लैंड टीएसएच हार्मोन का अधिक उत्पादन करने लगता है तो थायराइड हार्मोन का उत्पादन अधिक होने लगता है.

10 .कैंसर का इलाज करते समय गर्दन के आसपास रेडिएशन थेरेपी होने के कारण थायराइड होने की संभावना अधिक हो जाती है.

11 .ओवर एक्टिव थायराइड ग्रंथि का इलाज करने में रेडियोएक्टिव आयोडीन का इस्तेमाल किया जाता है जिसकी वजह थायराइड ग्लैंड की कोशिकाएं नष्ट हो जाती है और हाइपोथायरायडिज्म हो जाता है.

12 .कैंसर, दिल और मनोरोग संबंधी समस्याओं के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाएं थायराइड हार्मोन के उत्पादन को कम कर देती है या फिर रोक देती है जिसके वजह से थायराइड से जुड़ी कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती है.

13 .सभी हार्मोन आपस में एक दूसरे से जुड़े रहते हैं अगर किसी हार्मोन में किसी तरह की दिक्कत आई तो वह थायराइड को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है. कम एस्ट्रोजन, इंसुलिन, रेसिस्टेंट और कम टेस्टोस्टेरोन थायराइड की काम में बाधा डालते हैं.

थायराइड कितने प्रकार की होती हैं ?

थायराइड क्या है ? जाने होने के कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार
थायराइड ग्रंथि से उत्पन्न होने वाले हार्मोन के आधार पर थायराइड मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है.

1 .हाइपर थायरायडिज्म.

2 .हाइपो थायरायडिज्म.

थायराइड रोग के लक्षण क्या है ?

थायराइड के लक्षण- काम ना करने के बावजूद भी थकान महसूस करना, खानपान पर विशेष ध्यान रखने के बाद भी वजन का या तो तेजी से बढ़ना या घटना जैसे कितने ही बदलाव शरीर में होते हैं. लेकिन शुरुआत में हम इसे हल्के में ले लेते हैं जो बाद में गंभीर बीमारी का संकेत निकलते हैं जैसे-

व्यक्ति का मूड, इम्यूनिटी, एनर्जी लेवल, पाचन क्रिया, यौनशक्ति और मेटाबोलिक आदि सभी चीजें थायराइड की नियंत्रण में होती है. यही कारण है कि जब आपका थायराइड सही तरीके से काम नहीं करता है तो स्वास्थ्य खराब हो जाता है और आपको कई सारे लक्षण नजर आने लगती हैं.

हाइपर थायरायडिज्म के लक्षण क्या है ?

जब थायराइड हार्मोन ज्यादा हो जाते हैं तो निम्न लक्षण हमारे शरीर में दिखाई देने लगते हैं.

1 .चयापचय का दर अधिक हो जाता है जिसके कारण व्यक्ति के शरीर का वजन कम होने लगता है और भूख काफी लगने लगती है.

2 .हर बात में चिड़चिड़ापन होना.

3 .शरीर में जरूरत से ज्यादा पसीना निकलना.

4 .घबराहट होना.

5 .हाथों में कंपन होना.

6 .बालों का पतला होना और झड़ना.

7 .नींद नहीं आना.

8 .बार- बार दस्त की शिकायत होना.

9 .मांस पेशियों में कमजोरी महसूस होती है और दर्द होता है.

10 .हृदय की धड़कन का बढ़ जाना.

11 .महिलाओं में मासिक धर्म का अनियमित हो जाना.

12 .ओस्टियोपोरोसिस हो जाता है ओस्टियोपोरोसिस में हड्डियां कमजोर और नाजुक हो जाती है.

हाइपो थायरायडिज्म के लक्षण क्या है ?

जब थायराइड हार्मोन कम हो जाते हैं तो हमारे शरीर में निम्न लक्षण दिखाई देते हैं.

1 .हार्ट बीट रेट कम हो जाना.

2 .हमेशा थकान महसूस होना.

3 .डिप्रेशन होना.

4 .थोड़े से ही बदलाव में सर्दी हो जाना.

5 .मेटाबॉलिज्म रेट कम हो जाना जिसके कारण वजन का बढ़ना.

6 .नाखून पतले हो जाते हैं और टूटने लगते हैं.

7 .शरीर में सामान्य से कम पसीना आने लगता है.

8 .त्वचा में सूखापन आना और खुजली होना.

9 .मांसपेशियों में अकड़न और जोड़ों में दर्द होना.

10 .बालों का सामान्य से अधिक झड़ना.

11 .कब्ज की समस्या से परेशान रहना.

12 .आंखों में सूजन होना.

13 .हमेशा किसी बात को लेकर कन्फ्यूजन में रहना.

14 .याददाश्त शक्ति का कम होना, जिससे बार-बार किसी चीज को भूल जाना.

15 .सोचने- समझने की शक्ति कम होना.

16 .महिलाओं में मासिक धर्म का अनियमित होना.

18 .चेहरे और आंखों में सूजन होना.

19 .खून में कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक हो जाना.

20 .महिलाओं में बांझपन की समस्या हो सकती है.

थायराइड का घरेलू उपाय-

किसी भी दवाई या अन्य इलाज से पहले आप भोजन को अपनी दवा बना सकते हैं और सभी संसाधित जंक फूड चीनी ( जो आपको एक हार्मोन अल रोलर कोस्टर की सवारी पर भेजते हैं ) और ग्लूटेन को बंद कर दें. इसके अलावा ग्लूटामाइन एक महत्वपूर्ण एमिनो एसिड है जो ग्लाइसेमिक कार्बोहाइड्रेट के लिए क्रेविंग्स को कम करता है और चीनी की आदत को खत्म करने में मदद करता है. इसके अलावा थायराइड ठीक करने के लिए निम्न उपाय यहां बताए जा रहे हैं.

1 .सप्ताह में दो बार समुद्री वनस्पति अवश्य खाएं क्योंकि इनमे आयोडीन की मात्रा भरपूर होती है.

2 .बटर हमारे एंड्रोक्राइन सिस्टम के लिए बहुत अच्छा होते हैं इसलिए अपनी डाइट में बटर को शामिल करें.

3 .यदि आप थायराइड से पीड़ित हैं या नहीं है भोजन हमेशा आराम से एक जगह बैठ कर और अच्छे से चबा- चबाकर करें. 

4 .योगासन हमारे एंड्रोक्राइन सिस्टम को उत्तेजित और समर्थन कर सकते हैं. थायराइड ग्रंथि को सक्रीय करने के लिए सर्वांगासन विशेष रूप से लाभदायक होता है. इसलिए आपको इस आसन को नियमित करना चाहिए.

थायराइड का आयुर्वेदिक उपाय-

थायराइड क्या है ? जाने होने के कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार
1 .अमृतादि गूगल- 960 मिलीग्राम की मात्रा में शहद से युक्त ठंडे पानी के साथ सेवन कराएं.

2 .त्र्युषनादि लौह- 240 मिलीग्राम से 480 मिलीग्राम की मात्रा में शहद के साथ सेवन करें.

3 .विडंगादि लौह- एक से दो गोली ठंडे पानी के साथ सेवन कराएं.

4 .विड्वाग्नि लौह- 120 मिलीग्राम से 240 मिलीग्राम शहद के साथ सेवन कराएं.

5 .नवक गुग्गुल- 480 मिलीग्राम दूध के साथ सेवन करना लाभदायक होता है.

6 .कामिनीकुल मंडन रस- 1-2 गोली सुबह- शाम गाय के दूध के साथ दें और खाना खाने के बाद अशोकारिष्ट का सेवन कराएं. ( महिलाओं के लिए )

7 .महासुगंधित तेल- शरीर में दुर्गंध आने पर इस तेल की शरीर पर मालिस कराएं.

8 .एक गिलास ठंडे पानी में दो चम्मच शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह खाली पेट पिएं. यदि इसमें नींबू का रस भी मिला लिया जाए तो अति गुणकारी होगा.

9 .चावल का गरम- गरम माड़ भी पीते रहने से थायराइड में अच्छा लाभ होता है.

10 .हींग, काला नमक, त्रिकटु, जीरक, चव्य, चित्रक का चूर्ण सत्तू में मिलाकर मट्ठे के साथ 1 ग्राम चूर्ण की मात्रा में सेवन कराने से थायराइड में लाभ होता है.

11 .भाभी रंग, सोठ, जवाखार, लौह भस्म और आंवला बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें. अब इसमें से 720 मिलीग्राम की मात्रा में शहद और ठंडे पानी के साथ सेवन करें इससे थायराइड में लाभ होता है.

12 .पीपल के 2 पत्ते पीसकर 250 मिलीलीटर दूध तथा 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर पिलाने से थायराइड में लाभ होता है.

थायराइड रोग होने से कैसे बचें-

थायराइड रोग होने के कारणों को नियंत्रित करके आप थायराइड रोग से बच सकते हैं.

1 .तनाव थायराइड के कार्यों को बिगाड़ने में बहुत बड़ा भूमिका निभाता है. डॉक्टर के मुताबिक बहुत सारे मरीजों का ऐसा मानना है कि उन्हें थायराइड की समस्या उनके जीवन में तनाव आने के बाद से ही शुरु हुई है. इसलिए आपको तनाव से बचना चाहिए.

2 .पैक और प्रोसैस्ड फूड का सेवन करने से थायराइड रोग होने की संभावना अधिक हो जाती है इसलिए इससे दूरी बनाएं.

3 .सोया उत्पाद का सेवन कम करें.

4 .मेडिटेशन करें.

5 .विटामिन ए की कमी होने की वजह से थायराइड के फंक्शन में परेशानी हो सकती है क्योंकि यह वसा में घुलने वाली विटामिन टी-3 के लेबल को बढ़ाती है इसलिए विटामिन ए युक्त चीजों का सेवन करें.

6 .लो सेलेनियम टी-3 को टी-4 में बदलने का काम करता है यह हमें सेलेनियम ऑटोइम्यून थायराइड समस्याओं से बचाता है.

7 .आयोडीन थायराइड हार्मोन को बनाने में मददगार होता है इसकी मात्रा कम या अधिक होने की वजह से थायराइड रोग उत्पन्न हो सकता है इसलिए आयोडीन का नियमित मात्रा में सेवन करें.

नोट- यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है. किसी इलाज का विकल्प नहीं है इसलिए किसी भी प्रयोग से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह जरूर लें. धन्यवाद.

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