कल्याण आयुर्वेद- टाइफाइड एक सालमोनेला बैक्टीरिया से फैलने वाली खतरनाक बुखार है. इसे हिंदी में मियादी बुखार भी कहा जाता है. टाइफाइड बुखार पाचन तंत्र और ब्लड स्ट्रीम में बैक्टीरिया के इंफेक्शन की वजह से होता है. संक्रमित जूस, गंदे पानी या अन्य पेय पदार्थ के साथ सालमोनेला बैक्टीरिया हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है. टाइफाइड बुखार होने की संभावना किसी संक्रमित व्यक्ति के जुठ्ठे खाद्य पदार्थ के खाने- पीने से भी हो सकती है. वहीं दूषित खाद्य पदार्थ के सेवन से भी टाइफाइड का संक्रमण हो जाता है. पाचन तंत्र में पहुंचकर इन बैक्टीरिया की संख्या बढ़ने लगती है शरीर के अंदर ही यह बैक्टीरिया एक अंग से दूसरे अंग में पहुंचते हैं. टाइफाइड के इलाज में जरा भी लापरवाही बरतना घातक हो सकता है. यदि टाइफाइड बुखार में दवाओं का नियमित मात्रा में सेवन नही किया जाए तो इसके वापस आने की संभावना भी रहती है. आज इस लेख के माध्यम से टाइफाइड बुखार क्या है ? टाइफाइड बुखार होने के क्या कारण है ? टाइफाइड बुखार के लक्षण क्या हैं ? टाइफाइड बुखार के घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार के बारे में जानेंगे.
![]() |
टाइफाइड बुखार क्या है ? जाने होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार |
टाइफाइड बुखार क्या है ?
टाइफाइड बुखार उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया इंसान के शरीर में ही पाया जाता है. इससे संक्रमित लोगों के मल से सप्लाई का पानी दूषित हो जाता है. यह पानी खाद्य पदार्थों में भी पहुंच सकता है. बैक्टीरिया पानी और सूखे मल में सप्ताहों तक जीवित रहता है. इस तरह दूषित पानी और खाद्य पदार्थों के जरिए हमारे शरीर में पहुंचकर संक्रमण उत्पन्न करता है. संक्रमण बहुत अधिक हो जाने पर 3 से 5 फ़ीसदी लोग इस बीमारी के कैरियर हो जाते हैं जहां कुछ लोगों को हल्की सी परेशानी होती है. जिसके लक्षण पहचान में भी नहीं आते हैं. वही कैरियर लंबे समय के लिए इस बीमारी से ग्रसित रहते हैं. उनमे भी यह लक्षण दिखाई नहीं देते, लेकिन कई सालों तक इनसे टाइफाइड का संक्रमण हो सकता है.
टाइफाइड बुखार होने के कारण क्या है ?
सालमोनेला बैक्टीरिया मनुष्य की छोटी आंत में पाए जाते हैं. मनुष्य के शरीर से यह मल के साथ में निकलते हैं जब मक्खियां मल पर बैठती है तो बैक्टीरिया इनके पैर के साथ चिपक जाते हैं और जब यही मक्खियां खाद्य पदार्थों पर बैठती है तो वहां यह बैक्टीरिया रह जाते हैं. इस खाद्य पदार्थ को खाने वाला व्यक्ति इस बीमारी की चपेट में आ जाता है.
इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति जब खुले में शौच करता तब यह बैक्टीरिया वहां से पानी में मिल सकते हैं. मक्खियों द्वारा इन्हें खाद पदार्थों पर छोड़ा जा सकता है और यह स्वस्थ व्यक्ति को भी टाइफाइड का शिकार बना देते हैं.
शौच के बाद संक्रमित व्यक्ति द्वारा हाथ ठीक से न धोना और भोजन बनाना या भोजन को छूने से यह रोग फैलता है.
ज्यादातर लोगों के पेट में बैक्टीरिया होते हैं और उन्हें हानि नहीं पहुंचाते हैं बल्कि बैक्टीरिया फैलाकर दूसरे रोगों का शिकार बनाते हैं ऐसे लोग अनजाने में ही बैक्टीरिया के बाहक बन जाते हैं.
टाइफाइड बुखार के लक्षण क्या है ?
संक्रमित पानी या खाना खाने के बाद सालमोनेला छोटी आंख के जरिए ब्लडस्ट्रीम में मिल जाता है. लीवर, स्प्लीन और बॉनमैरो की श्वेत रुधिर कणिकाओं के जरिए इनकी संख्या बढ़ती जाती है और यह रक्त धारा में फिर से पहुंच जाते हैं. बुखार टाइफाइड का प्रमुख लक्षण इसके बाद संक्रमण बढ़ने के साथ भूख कम लगना, सिर में दर्द रहना, शरीर में दर्द होना, तेज बुखार होना, ठंड लगना, दस्त लगना, सुस्ती, कमजोरी और उल्टी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. आँतों के संक्रमण के कारण शरीर के हर भाग में संक्रमण हो सकता है. जिससे कई अन्य संक्रमित बीमारियां होने का खतरा अधिक हो जाता है.टाइफाइड बुखार क्या है ? जाने होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार
सामान्यता टाइफाइड बुखार 1 महीने तक चलता है. लेकिन कमजोरी ज्यादा होने पर ज्यादा समय भी चल सकता है. इस दौरान शरीर में बहुत कमजोरी आ जाती है. जिससे व्यक्ति को सामान्य होने में लंबा समय लग सकता है.
टाइफाइड बुखार का आयुर्वेदिक उपाय-
1 .अनंतमूल लाल, लाल चंदन, लोध्र, मुनक्का- सभी को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें. अब इस चूर्ण को उचित मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन कराने से बुखार नष्ट होता है.
2 .श्वेत एरंडमूल, गिलोय, मजीठ, लाल चंदन, देवदारू, पद्मकाष्ट- सभी को बराबर मात्रा में मिलाकर क्वाथ बनाएं और मिश्री मिलाकर पिलाने से टाइफाइड बुखार में अच्छा लाभ होता है.
3 .छोटी कंटकारी, बड़ी कंटकारी और गिलोय बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें. अब इसमें से 2 से 3 ग्राम चूर्ण को शहद के साथ सेवन कराने से लाभ होता है.
4 .लघु पंचमूल, शालपर्णी, कृष्णपर्णी, छोटी कटेरी, बड़ी कटेरी, गोखरू इन्हें बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें. अब इसमें से 2 से 3 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सेवन कराएं. इससे बुखार में अच्छा लाभ होता है.
5 .एरांडादि क्वाथ, स्वल्पपंचमूल क्वाथ अथवा दशमूल क्वाथ का सेवन कराना लाभदायक होता है.
6 .महासुदर्शन चूर्ण या महासुदर्शन वटी अमृतारिष्ट के साथ सेवन कराने से किसी भी तरह के बुखार में लाभ होता है इससे बुखार नष्ट हो जाता है.
टाइफाइड बुखार का घरेलू उपाय-
1 .टाइफाइड बुखार में शरीर का तापमान कभी-कभी अधिक हो जाता है. ऐसे में किसी कपड़े को ठंडे पानी में भिगोकर शरीर को पोछें. इसके अलावा ठंडे पानी की पट्टियाँ सिर पर रखने से भी शरीर का तापमान नियंत्रित होता है. कपड़े को समय-समय पर बदलते रहना चाहिए. यह ध्यान रखना जरूरी है कि पानी बर्फ का ना हो पट्टी रखने के लिए साधारण पानी का उपयोग करना चाहिए.टाइफाइड बुखार क्या है ? जाने होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार
2 .तुलसी और सूरजमुखी के पत्तों का रस निकालकर पीने से टाइफाइड में लाभ होता है.
3 .सेब का जूस निकालकर इस में अदरक का रस मिलाकर पिएं. इससे हर तरह के बुखार में आराम मिलता है.
4 .टाइफाइड बुखार से ग्रसित रोगी के पुदीना और अदरक का काढ़ा पिलाने आराम मिलता है. मरीज को इस काढ़े को पिलाने के बाद हवा में ना जाने दें.
5 .टाइफाइड को दूर करने के लिए सेब का सिरका काफी मददगार होता है. मरीज के शरीर में पानी की कमी पूरी होती है. इसलिए सेब का सिरका पिलाना लाभदायक होता है.
6 .लहसुन की तासीर गर्म होती है और यह प्राकृतिक एंटीबायोटिक का काम करता है इसके लिए घी में 5-7 लहसुन की कलियों को पीसकर तले और सेंधा नमक मिलाकर सेवन करें. इससे टाइफाइड बुखार में अच्छा लाभ होता है.
7 .पके हुए केले को पीसकर इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करना लाभदायक होता है. इससे शरीर की एनर्जी मिलती है.
8 .टाइफाइड बुखार में मुनक्के का सेवन करना अच्छा घरेलू उपाय है. टाइफाइड को नियंत्रित करने में काफी मददगार होता है.
9 .टाइफाइड के मरीजों को अधिक से अधिक मात्रा में पानी और जूस का सेवन करना चाहिए. इससे शरीर में पानी की कमी नहीं हो पाती है.
10 .लौंग में टाइफाइड को दूर करने के गुण होते हैं. लौंग के में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं. इसके लिए 8 कप पानी में 5-7 लौंग डालकर उबालें. जब पानी आधा रह जाए तो इसे छान लें. इस पानी को पूरा दिन पिएं. इस उपचार को 1 सप्ताह तक नियमित करें. इससे टाइफाइड बुखार दूर हो जाता है.
टाइफाइड बुखार से बचाव के उपाय-
1 .संक्रमित या बासी भोजन दूषित पानी एवं खाने से दूर रहे.
2 .बाहर का खाना खाने से बचें.
3 .फल और सब्जियों के हमेशा साफ पानी से धोकर इस्तेमाल करें.
4 .खुले में बिकने वाले खाद्य पदार्थों एवं अन्य पदार्थों का सेवन ना करें.
5 .बाहर मिलने वाली बर्फ का इस्तेमाल करने से बचें.
6 .खाना खाने से पहले साबुन से हाथ अच्छी तरह से धो लें.
7 .नियमित बुखार के साथ उल्टी या दस्त हो रहे हो तो तुरंत डॉक्टरी सलाह लें.
नोट- यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है. यह किस बीमारी के इलाज का विकल्प नहीं है. इसलिए किसी भी प्रयोग से पहले योग्य डॉक्टर की सलाह जरूर लें. धन्यवाद.
0 Comments