जूते की दुर्गंध न करें नजरअंदाज, शरीर में फैल सकता है यह जटिल बीमारी

कल्याण आयुर्वेद- पैरों में होने वाले फंगल इन्फेक्शन को ‘एथलीट फुट’ कहते हैं। लेकिन इस इन्फेक्शन में पैर एथलीट के पैरों की तरह मजबूत नहीं होते, बल्कि सड़ने लगते हैं और ऐसा पैरों से निकलने वाले पसीने के चलते ही होता है। यह एक तरह का दाद है जो पैर की उंगलियों से शुरू होकर पूरे शरीर में फैल सकता है।

जूते की दुर्गंध न करें नजरअंदाज, शरीर में फैल सकता है यह जटिल बीमारी 

इसमें धीरे-धीरे पैर और तलवे की स्किन सड़ने लगती है। जूते पहनकर कड़ी मेहनत करने के चलते एथलीट्स के पैरों से खूब पसीना आता है। जिसके चलते एथलीट्स के पांव में अक्सर ऐसे फंगल इंफेक्शन देखे जाते हैं। यही कारण है कि इस इन्फेक्शन को यह नाम मिला।

पसीने में तर मोजे और जूते को पहनने से गर्मियों में पैरों में दाद की समस्या भी काफी बढ़ जाती है।

ऐसे में गर्मी के दिनों में मोजे और जूते पहनने के सही तरीके को जान लीजिए…

गंदे मोजे पहनने से पांव में खतरनाक इन्फेक्शन हो सकता है।

गंदे मोजे पहनने से पांव में खतरनाक इन्फेक्शन हो सकता है।

एक ही मोजा बार-बार पहनने से बढ़ते हैं बैक्टीरिया और फंगस

पैर शरीर के उन अंगों में से एक है, जहां सबसे ज्यादा पसीना आता है। ऐसे में लोग जूते के साथ मोजे पहनते हैं। मोजे को धोने से पसीना भी धुल जाता है और पैरों में बैक्टीरिया और फंगस नहीं फैलता।

लेकिन यदि कोई एक ही मोजे को बार-बार पहने या बिना मोजे के जूता पहने तो जूते में पसीना जमा होने लगता है। जिसके चलते बैक्टीरिया और फंगस बढ़ने लगते हैं। इस इन्फेक्शन की वजह से ये फंगस पैरों में दाद-खाज की वजह बन जाते हैं।

बैक्टीरिया की वजह से पैरों से आती है बदबू-

जूते पहनने के बाद पैरों से लगातार पसीना आता है। इसी पसीने में बैक्टीरिया पनपते हैं। पैरों से निकली डेड स्किन के साथ मिलकर ये बैक्टीरिया दुर्गंध पैदा करते हैं। अगर किसी के पैरों से बहुत दुर्गंध आ रही हो तो इसका मतलब है कि उसके पैरों में बड़ी संख्या में बैक्टीरिया फैल चुका है।

साफ-सुथरे और हल्के ढीले मोजे पैरों की सेहत को बेहतर रखते हैं।

साफ-सुथरे और हल्के ढीले मोजे पैरों की सेहत को बेहतर रखते हैं।

पैरों तक हवा पहुंचनी जरूरी, सप्ताह में एक दिन सैंडल पहनें

पसीने की नमी कई तरह के इन्फेक्शन का कारण बन रही है। ऐसे में जरूरी है कि समय-समय पर तलवों तक खुली हवा पहुंचे और वह सूखे रहें। इसके लिए कोशिश करनी चाहिए कि सप्ताह में कम से कम एक दिन जूते-मोजे की जगह सैंडल पहन कर बाहर निकलें और यदि घर पर हों तो स्लीपर पहनने की कोशिश करें।

इसके अलावा कभी भी एक ही मोजा बार-बार बिना धुले न पहनें। मोजे को धुलने के बाद भी अच्छे से डिसइंफेक्टेड करना जरूरी है। धोते हुए ध्यान रखें कि मोजे से डिटर्जेंट अच्छी तरह से निकल जाए नहीं तो ये रैशेज और जलन का कारण हो सकता है। मोजे पहनते हुए ख़याल रखें कि वह पूरी तरह से सूखें हों और उनमें थोड़ी भी नमी न हो।

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