Sexual Debility- धातु दुर्बलता होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार

कल्याण आयुर्वेद- धातु दुर्बलता रोग में उदासी, अनायास थकावट, सुस्ती, किसी काम में जी नहीं लगना, खून की कमी होना, पेट के रोग, मुंह सूखना और आंशिक नपुंसकता होती है.

Sexual Debility- धातु दुर्बलता होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार

धातु दुर्बलता होने के क्या कारण है ?

शोक, भय, चिंता आदि मानसिक कारण तथा पौष्टिक आहार ना मिलना, रुक्ष अन्न का सेवन करना, बुढ़ापा, अत्यधिक कर्षण कर्म करना, अत्यधिक व्रत करना, अत्यधिक भोजन करना, अत्यधिक शारीरिक संबंध बनाना या ऐसे ही अन्य कारणों से प्रथम रस् क्षीण या कम बनता है और रस कम बनने से रक्त क्षीण होता है. रक्त की क्षीणता से मांस और मांस की क्षीणता से मेद तथा मेद की क्षीणता अस्थि और अस्थि की क्षीणता से मज्जा क्षीण होती है और अंत में शुक्र ( वीर्य ) हो जाती है.

धातु दुर्बलता होने के क्या लक्षण है ?

Sexual Debility- धातु दुर्बलता होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार
उदासी, शरीर में कपकपी, अंगों में पीड़ा, मुंह सूखना, अनायास, थकावट मालूम पड़ना, शरीर पीला पड़ जाना और अप्रसन्नता, किसी काम में मन नहीं लगना, दुबलापन, इन्द्रियों की कमजोरी, चैतन्यता का अभाव, चक्कर आना, राज्यक्षमा, श्वास, काश, खांसी, आंशिक नपुंसकता, वीर्य कीटों का नष्ट हो जाना और अंडकोष में दर्द होना, शुक्र की प्रवृत्ति नहीं होना, शुक्र ( वीर्य ) में रक्त मिश्रित होकर निकल जाना आदि लक्षण होते हैं.

धातु दुर्बलता से ग्रसित रोगी को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए ?

क्या खाना चाहिए ?

रोटी, पूड़ी, चावल, मूंग, मसूर तथा चने की दाल, आलू, परवल, गूलर, बैंगन, गोभी, शलजम, गाजर, खुरमा, हलवा, बादाम, किशमिश, पिस्ता, खजूर, अंगूर, पका आम, कटहल, पपीता, रोहू मछली, मुर्गा, कबूतर तथा बटेर का मांस और अंडा आदि का सेवन करना लाभदायक होता है.

क्या नहीं खाना चाहिए ?

अधिक नमक, मिर्च, शराब, मैथुन, परिश्रम, रात्रि जागरण, अग्नि तथा धूप आदि से दूर रहना चाहिए.

धातु दुर्बलता का सामान्य चिकित्सा-

धातु दुर्बलता से ग्रसित व्यक्ति को नियमित व्यायाम कराएं, कुसंग में नहीं रहने दें, काम में लगे रहने की आज्ञा दें, अश्लील किताबें पढ़ने से मना कर दें, रात में पेट भर के भोजन नहीं करने दें, भोजन के 2 घंटे बाद बहुत नरम बिछौने पर सोने की आज्ञा दें. सोने से पूर्व लिंग और हाथ- पैर ठंडे पानी से धुलवा देना चाहिए.

धातु दुर्बलता का घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार-

1 .भिंडी की जड़ को अच्छी तरह से सुखाकर पीसकर चूर्ण बना लें. अब इसमें से 10 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह खाली पेट दूध के साथ सेवन करें. यह अत्यंत बलवीर्य एवं शक्ति वर्धक है. यह चूर्ण बाजीकारक भी है.

2 .आंवले का आधा किलो चूर्ण लेकर इसमें इतना आंवला का रस डालें की चूर्ण अच्छी तरह से भीग जाए. अब उसे खरल में डालकर घोटें. जब रस बिल्कुल सूख जाए तब फिर से इसमें आंवले का रस डालकर पुनः घोटें. इस प्रकार 21 बार करें. अब इसे अच्छी तरह के सुखा कर पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें. अब इसमें से 6 से 10 ग्राम तक की मात्रा में गाय के दूध के साथ सेवन करें. इसके सेवन से वृद्धावस्था दूर होकर शरीर में नवयौवन पैदा हो जाता है. यानि धातु दुर्बलता दूर होकर शरीर में ताकत आ जाती है.

3 .नागौरी असगंध, शतावरी और मिश्री तीनों को बराबर मात्रा में लेकर कूट- पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें. अब इसमें से 10 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करें. इसके सेवन से वायु विकार दूर होकर अपार बल व शक्ति प्राप्त हो जाती है.

4 .प्रतिदिन 20 ग्राम मक्खन, 20 ग्राम मिश्री और 2-3 काली मिर्च का चूर्ण को अच्छी तरह से मिलाकर सेवन करने से दिमागी कमजोरी और खुश्की तथा सिर दर्द दूर हो जाता है. इसके नियमित सेवन करने से धातु दुर्बलता की समस्या दूर हो जाती है.

5 .4 बादाम की मिगी को चंदन की तरह पत्थर पर घिसकर 1 ग्राम शहद और 1 ग्राम मिश्री मिलाकर सुबह खाली पेट सेवन करने से धातु दुर्बलता दूर होकर नामर्द भी मर्द बन जाता है.

6 .नागौरी असगंध, काली मूसली, सफेद मूसली बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें. अब इसमें से 10 ग्राम चूर्ण को आधा किलो गाय के दूध में डालकर उबालें. जब दूध आधा रह जाए तो इसका सेवन करें. इसके सेवन से धातु दुर्बलता दूर हो जाती है. शारीरिक कमजोरी दूर होकर शरीर मोटा ताजा बन जाता है.

7 .4- 5 छुहारों को गुठली निकाल कर उसमें 4 गुंज शुद्ध गुग्गुल भर दें और दूध में पकाएं. अब इसमें से एक छुहारे को खाकर दूध पी लें. इसके सेवन से बल और शक्ति बढ़ने के साथ ही धातु दुर्बलता दूर हो जाता है. 

8 .3 ग्राम शतावरी का चूर्ण दूध के साथ प्रतिदिन सुबह खाली पेट सेवन करने से धातु गाढ़ा होकर धातु दुर्बलता की समस्या दूर हो जाती है शरीर में बल और वीर्य की वृद्धि होने लगती है.

9 .पीपल और मिश्री बराबर मात्रा में चूर्ण बनाकर इसमें से 6 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से अत्यंत बल और वीर्य की वृद्धि होती है.

10 .एक गिलास दूध में एक चम्मच शहद मिलाकर नियमित पीने से धातु दुर्बलता की समस्या दूर होकर शरीर में बल और वीर्य की वृद्धि होती है.

11 .असगंध का चूर्ण 6 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सुबह खाली पेट सेवन करने से वीर्य की पुष्टि एवं वृद्धि होती है.

12 .कच्चे गूलर के फलों का चूर्ण 100 ग्राम तथा मिश्री 100 ग्राम लें अब दोनों को पीसकर सुरक्षित रखें. इसमें प्रतिदिन 10 ग्राम की मात्रा में चूर्ण का सेवन दूध के साथ करें. नियमित इसके सेवन करने से बल बढ़ता है और धातु दुर्बलता की समस्या दूर हो जाती है.

13 .सफेद प्याज का रस 8 ग्राम, अदरक का रस 6 ग्राम, शहद 4 ग्राम, गाय का घी 20 ग्राम इन चारों को अच्छी तरह से मिलाकर ऐसी एक मात्रा प्रति दिन 40 दिन तक लगातार सेवन करने से अपूर्व शक्ति प्राप्त होती है. इसके सेवन से धातु दुर्बलता की समस्या दूर होकर नामर्द भी मर्द बन जाता है.

नोट- यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है. किसी भी प्रयोग से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह जरूर लें. धन्यवाद.

Post a Comment

0 Comments