इन 22 रोगों का रामबाण औषधि है अपामार्ग, जाने इस्तेमाल करने के तरीके

कल्याण आयुर्वेद- हमारे आसपास कई ऐसे पौधे हैं जो औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं. हालांकि इसकी जानकारी नहीं होने के कारण हम इसका इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं और लाभ नहीं ले पाते हैं. आज हम आपको एक पौधे के बारे में बताने जा रहे हैं जो लटकती चर्बी, सड़े हुए दांत, गठिया, अस्थमा, बवासीर, मोटापा, गंजापन इत्यादि समस्याओं को दूर करने में रामबाण की तरह कारगर औषधि है.

इन 22 रोगों का रामबाण औषधि है अपामार्ग, जाने इस्तेमाल करने के तरीके

आज हम आपको जिस पौधे के बारे में बताने जा रहे हैं उसका नाम है अपामार्ग. इसे चिरचिटा या लटजीरा इत्यादि नामों से भी जाना जाता है. इसकी तना, पत्ती, फूल, बीज और जड़ सभी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं.

अपामार्ग का पौधा भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में उत्पन्न होता है. यह गांव में अधिक मिलता है. खेतों के आसपास घास के साथ आम तौर पर पाया जाता है. इसे बोलचाल की भाषा आंधीझाड़ा या चिरचिटा कहते है. इसकी ऊंचाई लगभग 60 से 120 सेंटीमीटर होती है. 

आमतौर पर अपामार्ग दो प्रकार का होता है. 

1 .सफ़ेद अपामार्ग.

2 .लाल अपामार्ग.

सफ़ेद अपामार्ग के डंठल व पत्ते हरे, भूरे व सफ़ेद रंग के दाग युक्त होते हैं और फल चपटे होते हैं जबकि लाल अपामार्ग के डंठल व पत्ते लालिमा लिए हुए होते हैं. इसपर बीज नुकीले कांटे के समान लगते हैं. इसके फल चपटे और कुछ गोल होते हैं. हालाँकि दोनों प्रकार के अपामार्ग के गुण लगभग समान होते हैं. लेकिन सफ़ेद अपामार्ग को उत्तम माना जाता है.

अपामार्ग के पत्ते गोलाई लिए हुए 1 से 5 इंच लम्बे होते हैं और चौड़ाई आधे से ढाई इंच तक होते हैं. पुष्प मंजरी की लम्बाई लगभग 1 फीट होती है जिस पर फुल लगते हैं. और इसी मंजरी में शीतकाल में फल लगते हैं जो गर्मी में पककर सुख जाते हैं. इसमें चावल के दाने के समान बीज निकलते हैं. अपामार्ग का पौधा वर्षा ऋतु में उत्पन्न होता है और गर्मी में सुख जाता है.

अपामार्ग उष्ण, तिक्त,कटु, तीक्ष्ण,दीपन, पाचन,पित्तविरेचक, वामक ( उल्टी लाने वाला ), मुत्रजनन ( पेशाब लाने वाला ), कफघ्न, विषघ्न, कृमिघ्न, अम्लतानाशक, शिरोविरेचन, दर्द निवारक, पथरीनाशक, रक्तशोधक, भूख को नियंत्रण करने वाला, बुखारनाशक होता है तथा सुख पूर्वक प्रसव एवं गर्भधारण में उपयोगी है.

अपामार्ग या चिरचिटा के फायदे-

1 .दमा या अस्थमा रोग में-

चिरचिटा की जड़ को किसी लकड़ी की सहायता से खोदकर निकाल लेना चाहिए. ध्यान रहे की जड़ में लोहा नहीं छूना चाहिए. अब इसे सुखाकर पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें. इसमें से लगभग 1 ग्राम की मात्रा में चूर्ण को लेकर शहद के साथ सेवन करने से श्वास रोग दूर हो जाता है या अपामार्ग का क्षार 0. 24 ग्राम की मात्रा में पान में रखकर खाने अथवा 1 ग्राम शहद में मिलाकर सेवन करने से छाती पर जमा कफ छूटकर सांस रोग रोग नष्ट हो जाता है.

2 .गुर्दे (kidney ) रोग-

5 से 10 ग्राम चिरचिटा की जड़ का चूर्ण या काढ़ा 10 से 50ml सुबह- शाम मुलेठी, गोखरू और पाठा के साथ पीने से गुर्दे की पथरी खत्म हो जाती है या 2 ग्राम अपामार्ग की जड़ को पानी के साथ पीस कर प्रतिदिन 1- 2 कालीमिर्च के साथ सुबह-शाम पीने से पथरी रोग नष्ट हो जाता है.

इन 22 रोगों का रामबाण औषधि है अपामार्ग, जाने इस्तेमाल करने के तरीके

3 .गुर्दे का दर्द-

अपामार्ग की 7 से 10 ग्राम ताज जड़ को पानी में घोलकर पिलाने से गुर्दे के दर्द में लाभ होता है, यह औषधि मूत्राशय की पथरी को टुकड़े-टुकड़े करके निकाल देती है और गुर्दे के दर्द को दूर करता है.

4 .खांसी-

अगर किसी को खांसी बार-बार परेशान करती हो, कफ निकलने में कष्ट हो रहा हो, कफ गाढ़ा होकर चिपक गया हो तो इस अवस्था में या न्युमोनिया की अवस्था में आधा ग्राम अपामार्ग क्षार और आधा ग्राम शर्करा दोनों को 30 मिलीलीटर गर्म पानी में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से 7 दिन में ही अच्छा लाभ होता है.

5 .वायु प्रणाली शोथ ( ब्रोंकाइटिस )-

जीर्ण कफ विकारों एवं वायु प्रणाली दोषों में अपामार्ग की क्षार पिप्पली,अतिस,कुपिल घी और शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से वायु प्रणाली शोथ ( ब्रोंकाइटिस ) में अच्छा लाभ होता है.

6 .आधासीसी या आधे सिर दर्द में-

चिरचिटा के बीजों को चूर्ण बनाकर सूंघने मात्र से ही आधा मस्तक की जड़ता में लाभ होता है. इसको सूंघने से मस्तक के अंदर जमा हुआ कफ पतला होकर नाक के द्वारा निकल जाता है और वहां पैदा हुए कीड़े निकल जाते हैं.

7 .खुजली-

अपामार्ग के पंचांग यानी जड़, तना, पत्ती, फूल और फल को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर इससे स्नान करें. नियमित रूप से स्नान करते रहने से कुछ ही दिनों में खुजली की समस्या दूर हो जाती है.

8 .दांतों का दर्द-

अपामार्ग के दो- तीन पत्तों के रस में रुई भिगोकर दांतों में लगाने से दांतो के दर्द में लाभ होता है तथा पुरानी से पुरानी गुहा या खांच को भरने में मदद करता है.

9 .गंजापन-

सरसों के तेल में अपामार्ग के पत्तों को जलाकर मसल लें और इस तेल को गंजे स्थानों पर नियमित रूप से लगाते रहने से पुनः बाल उगने की संभावना बढ़ जाती है.

10 .मलेरिया-

अपामार्ग के पत्ते और काली मिर्च बराबर मात्रा में लेकर पीस लें. अब इसमें थोड़ा सा गुड़ मिलाकर मटर के दाने के बराबर गोलियां तैयार कर लें. जब मलेरिया फैल रहा हो इन दिनों एक- एक गोली सुबह- शाम भोजन के बाद नियमित रूप से सेवन करने से मलेरिया बुखार का आक्रमण नहीं होता है इन गोलियों का दो-चार दिन सेवन करना चाहिए.

11 .संतान प्राप्ति के लिए-

अपामार्ग की जड़ के चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ मासिक स्राव के बाद नियमित रूप से 21 दिन तक सेवन करने से गर्भधारण की संभावना अधिक हो जाती है. दूसरे प्रयोग के रूप में ताजे पत्तों के दो चम्मच रस को एक कप दूध के साथ मासिक स्राव के बाद नियमित सेवन करने से भी गर्भधारण करने की संभावना अधिक हो जाती है.

12 .सिर दर्द-

अपामार्ग की जड़ को पानी में पीसकर लेप बनाकर मस्तक पर लगाने से सिर दर्द दूर होता है.

13 .कमजोरी-

अपामार्ग के बीजों को भूनकर इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर पीस लें. अब दो चम्मच की मात्रा में एक कप दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से कमजोरी दूर होकर शरीर पुष्ट होता है.

14 .मोटापा-

अधिक भोजन करने के कारण जिनक मोटापा बढ़ रहा है उन्हें भूख कम करने के लिए अपामार्ग के बीजों को चावलों के समान भारत या खीर बनाकर नियमित सेवन करना चाहिए. इसके प्रयोग से शरीर की चर्बी धीरे-धीरे घटने लगती है.

15 .बाबासीर-

अपामार्ग की दो पत्तियां और पांच पीस काली मिर्च को पानी के साथ पीसकर छानकर सुबह-शाम सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है. बाबासिर से आने वाला खून रुक जाता है. खूनी बवासीर पर अपामार्ग की 10 से 20 ग्राम जड़ को चावल के पानी के साथ पीसकर छानकर दो चम्मच शहद मिलाकर पिलाने से लाभ होता है.

16 .पेट का बड़ा होना या लटकना-

अपामार्ग की जड़ 5 से 10 ग्राम या जड़ का काढ़ा 5 से 15 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम काली मिर्च के साथ सेवन करने से आमाशय का ढीलापन में कमी आकर पेट का आकार कम हो जाता है.

17 .लकवा-

1 ग्राम कालीमिर्च के साथ चिरचिटा की जड़ को दूध में पीसकर नाक में डालने से लकवा या पक्षाघात ठीक हो जाता है.

18 .यकृत का बढ़ना-

अपामार्ग का क्षार मठ्ठे के साथ एक चुटकी की मात्रा बच्चों को देने से बच्चों के यकृत रोग दूर हो जाते हैं.

19 .पित्ताशय की पथरी-

पित्ताशय में पथरी होने पर अपामार्ग की जड़ आधा से 10 ग्राम काली मिर्च के साथ या अपामार्ग की जड़ का काढ़ा काली मिर्च के साथ 15 से 50 ml की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है. अगर काढ़ा गरम-गरम सेवन किया जाए तुरंत लाभ होता है.

20 .गठिया रोग-

गठिया रोग यानी जोड़ों में दर्द होने पर जोड़ों में सूजन भी आ जाती है ऐसे में अपामार्ग के पत्ते को पीसकर चटनी की तरह बनाकर गर्म करके दर्द और सूजन वाले हिस्से पर बांधने से दर्द और सूजन दूर हो जाता है.

21 .आंख में फूली-

आंख में फूली होने पर अपामार्ग की जड़ को पीसकर शहद में मिलाकर अंजन करने से आंख की फूली ठीक हो जाता है.

22 .कान की समस्या-

बहरेपन, कान में दर्द या कान में आवाज होना ( कर्णनाद ) की समस्या होने पर अपामार्ग के बीजों को तेल में जलाकर तेल को छानकर कान में डालने से ठीक हो जाता है.

नोट- यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है. किसी भी प्रयोग से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह जरूर लें. धन्यवाद.

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