कल्याण आयुर्वेद- इस रोग में गर्भाशय के अंदर स्राव जमा हो जाता है जिससे पेडू के ऊपर उभार महसूस होने लगता है. तरल पदार्थ के पर्याप्त मात्रा में जमा होने से महिला का पेट एवं पेडू वाला भाग जलोदर के रोगी की तरह बढ़ जाता है.
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गर्भाशय में पानी जमा होने के कारण लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय |
गर्भाशय में पानी जमा होने के कारण-
विद्वानों का कहना है कि यह रोग मासिक धर्म के बंद हो जाने से शरीर में श्लेष्मा की अधिकता से यकृत विकार के कारण गर्भाशय तथा वृक्क की दुर्बलता के कारण होता है.
गर्भाशय में पानी जमा होने के लक्षण-
गर्भाशय में पानी जमा होने पर महिला के पेट पर उभार हो जाता है. पेट के अंदर पानी की लहरें प्रतीत होती है. महिला दिनोंदिन कमजोर होती जाती है. उसके पेट में गैस बनने लगता है. उसकी क्षुधा नष्ट हो जाती है. सांस लेने में परेशानी होने लगता है. मासिक धर्म का आना बंद हो जाता है. इस रोग में पेट का बढ़ना पेडू के स्थान से शुरू होता है. महिला को मूत्र अधिक मात्रा में आता है.गर्भाशय में पानी जमा होने के कारण लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय
रोग का निदान-
उपर्युक्त लक्षणों से इस रोग की पहचान आसानी से की जा सकती है.
इस रोग के लक्षण गर्भ एवं जलोदर से मिलते- जुलते हैं इसलिए इन रोगों से इनका अंतर करके देखना चाहिए.
इस रोग में गर्भ का संदेह होने पर पर्याप्त समय व्यतीत होने पर भी गर्भाशय में बच्चे की गति प्रतीत नहीं होती और न ही स्तनों में कोई परिवर्तन होता है. महिला को चलने- फिरने में गर्भाशय में पानी हिलता हुआ महसूस होता है.
जलोदर में पेट, यकृत एवं नाभि के आसपास वाला भाग बढ़ता है जबकि इस रोग में पेट पेडू के स्थान से बढ़ता है. साथ ही इस रोग में जलोदर की अपेक्षा पेशाब अधिक मात्रा में आता है. इसके अतिरिक्त जलोदर की भांति पेट पानी की झलक प्रतीत नहीं होती है.
गर्भाशय में पानी भर जाने पर आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय-
1 .आयुर्वेद में इस रोग की चिकित्सा आधुनिक चिकित्सा की भांति पुनर्नवा औषधि बूटी से ही की जाती है. महिला को पुनर्नवा का रस सेवन कराया जाता है. पुनर्नवा मंडूर का सेवन करना भी लाभकारी होता है.गर्भाशय में पानी जमा होने के कारण लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय
2 .इस रोग में पंचामृत लौहमंडूर का सेवन लाभदायक होता है.
3 .उपर्युक्त चिकित्सा के साथ-साथ पेडू पर निम्न लेप करना लाभदायक होता है.
बकरी की मेंगनी की राख, अंगूर की लकड़ी की राख 12-12 ग्राम, आंवलासार गंधक 6 ग्राम, उपलों की राख 12 ग्राम पानी में पीसकर 2 ग्राम विशुद्ध सिरका मिलाकर गर्म करके पेडू पर लेप करना चाहिए.
4 .महिला को वायु कारक, गरिष्ट आहार से परहेज रखें. पेय पदार्थों का सेवन कम से कम कराएं.
नोट- यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है. किसी भी प्रयोग से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह जरूर लें. धन्यवाद.
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