विभीषण नहीं बल्कि मंदोदरी थी रावण की मृत्यु का कारण, ये था सबसे बड़ा राज?


विभीषण नहीं बल्कि मंदोदरी थी रावण की मृत्यु का कारण, ये था सबसे बड़ा राज?

सभी को रामायण में रावण वध की कहानी याद है। हर कोई जानता है कि रावण की मृत्यु बहुत कठिन थी। जितने सिर राम ने काटे, रावण एक नए सिर के साथ वापस आ गया। उस समय विभीषण ने श्री राम को यह रहस्य बताया था कि यदि उनकी नाभि पर हमला किया जाये तो रावण ही मर जाएगा। उसके बाद, राम ने तीर चलाया और उससे रावण की मृत्यु हो गई। लेकिन यह केवल आधी कहानी है। असल में, रावण को मारने के लिए विभीषण के अलावा और कोई भी है जो जिम्मेदार था

रावण इतना ज्ञानी था कि उसने अपनी तपस्या से ब्रह्मा ने प्रसन्न कर दिया। जब ब्रह्मा प्रकट हुए, उन्होंने रावण से वरदान मांगने को कहा। रावण ने ब्रह्मा से अमरता का वरदान मांगा। लेकिन ब्रह्मा ने कहा कि वे ऐसा नहीं कर सकते। ब्रह्माजी ने कहा, “मैं तुम्हें ऐसा आशीर्वाद नहीं दे सकता। लेकिन, मैं तुम्हें एक तीर दूँगा। केवल इसी तीर से तुम्हारी मृत्यु हो सकती है।

रावण ने इस तीर को अपने महल में सिंहासन के बगल की दीवार में चुनवा दिया। जब भी वह अपने सिंहासन पर बैठता था, उसे पता रहता था कि तीर कहाँ हैं। रावण के अलावा केवल उनकी पत्नी मंदोदरी ही इस भेद को जानती थीं।

जब युद्ध का समय आया और श्री राम रावण को नहीं मार सके, तो विभीषण ने उसे बताया कि रावण की नाभि में अमृत है जिसे केवल ब्रह्मा द्वारा दिये गये बाण से ही भेदा जा सकता है। विभीषण इस रहस्य को जानता था, लेकिन वह नहीं जानता था कि तीर कहाँ था।

अब हनुमानजी का काम था तीर को ढूंढना। हनुमान जी ने ज्योतिष का रूप धारण किया और रावण के महल के पास घूमने लगे। महल में मंदोदरी चिंता में खोयी हुई थी, उसे डर था कि कहीं उसके पति की मृत्यू न हो जाये। वह ज्योतिष को देखते ही उत्सुक हो गई। वह उनसे उपाय पूछने लगी। हनुमान जी ने बातों बातों में मंदोदरी से यह निकलवा ली कि वह विशेष तीर कहां रखा है जिससे रावण की मृत्यु हो सकती है.

विभीषण नहीं बल्कि मंदोदरी थी रावण की मृत्यु का कारण, ये था सबसे बड़ा राज?
हनुमान ने मंदोदरी को बताया कि यह तीर जहाँ भी रखा गया था वहाँ सुरक्षित नहीं है उसका उपयोग कोई भी कर सकता था। चिंता में मंदोदरी ने वह स्थान बता दिया जहां तीर छुपाया गया था। तीर के मिलते ही उसे हनुमान राम के पास ले गये जिससे राम ने रावण का वध कर दिया।

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