कल्याण आयुर्वेद- सूजाक रोग महिला व पुरुष दोनों में होने वाला रोग है. यह बीमारी जिन्हेह हो जाता है काफी कष्टों का सामना करना पड़ता है साथ ही किसी के सामने कभी- कभी लज्जित भी होना पड़ सकता है. आज हम इस लेख में सूजाक रोग होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय के बारे में विस्तार से बताएँगे.
![]() |
सूजाक रोग ( पेशाब में पीप आना ) होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय |
रोग परिचय- दूषित शारीरिक संबंध के कारण सूजाक का जहर एक जननेंद्रिय विपरीत जननेंद्रिय में प्रवेश कर जाता है यानि यदि कोई पुरुष सूजाक से पीड़ित है और किसी महिला के साथ संबंध बनाता है तो उस महिला को भी यह रोग हो जाता है, ठीक उसी तरह यदि किसी महिला को सूजाक की बीमारी है और कोई पुरुष के साथ संबंध बनाती है तो यह रोग पुरुष को हो जाता है. फल स्वरुप पुरुष की मूत्र नली और महिलाओं की योनि में प्रदाह हो जाता है और रोग वाली जगह से पीप की तरह स्राव निकलने लगता है.
सूजाक रोग होने के कारण क्या है ?
सूजाक वाले पुरुष या महिला के साथ संबंध बनाने पर एक दूसरे में यह बीमारी पैदा हो जाती है. यह पूयमेहाणु ( Gono Coccous ) नाम के कीटाणु से उत्पन्न होता है. पुरुषों की मूत्र नली के एक इंच पीछे एक गड्ढा होता है इसी गड्ढे से धीरे-धीरे बढ़कर यह रोग मूत्र नली, मूत्राशय और अंडकोष तक फैल जाता है. महिलाओं में उसकी योनि के समीप वाले यंत्र तथा मूत्र नली, मूत्राशय, जरायू आदि पहले इस रोग से ग्रसित होते हैं. यूं तो पुरुष तथा महिला दोनों को यह रोग होता है. लेकिन महिलाओं के मूत्र मार्ग के बहुत छोटे होने से उनको पुरुषों की तरह अधिक कष्ट नहीं हुआ करता है. इसका पीप शरीर के किसी भी स्थान की श्लेष्मिक झिल्ली में लगकर उस स्थान को भी रोग ग्रस्त कर दिया करता है. इसमें पुरुषों की मूत्रनली और महिलाओं की योनि में प्रदाह होकर पीप की तरह स्राव होता है.
सूजाक रोग के लक्षण क्या हैं ?
सूजाक रोग से ग्रसित पुरुष या महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाने के कई दिन बाद रोगी को पेशाब में जलन का अनुभव होता है, खुजली होती है और क्रमशः मूत्र मार्ग में प्रदाह होकर पीप जैसा स्राव निकलने लगता है. यह स्राव चमकीला पीला या हरे रंग का होता है. जलन और दर्द बढ़ने लगता है तथा बार-बार पेशाब की अनुभूति होती रहती है. पेशाब करते समय अत्यधिक दर्द होता है. कभी- कभी बूंद- बूंद पेशाब होकर कपड़े भी गिले हो जाते हैं और उनपर दाग लग जाता है.सूजाक रोग ( पेशाब में पीप आना ) होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय
पेशाब साफ नहीं होता है और बूंद-बूंद करके होता रहता है. इन लक्षणों के अलावा थकान महसूस होती है. जाड़ा या कपकपी लगती है और सिर में दर्द भी महसूस होता है. रात में लिंग में बेवजह कड़ापन होने से अच्छी नींद नहीं आती है फिर जैसे-जैसे यह बीमारी पुरानी होती जाती है वैसे- वैसे जलन और दर्द कम होते जाते हैं लेकिन पीप का स्राव निकलता रहता है. रोग पुराना होने पर स्राव गोंद की तरह सफेद और लखदार हो जाता है. पीप की इस पुरानी अवस्था को लालामेह या ग्लीट (Gleet ) कहते हैं.
नोट- यह रोग जब महिला को होता है तो वह पुरुष के रोग से कहीं ज्यादा गंभीर रूप प्रकट करता है क्योंकि महिला के गुप्त अंग पुरुष से अधिक गहराई लिए हुए होते हैं और उसमें जब एक बार रोगाणु प्रवेश कर जाते हैं तब फिर इसका इलाज मुश्किल से होता है.
सूजाक रोग की पहचान क्या है ?
रोग के स्पष्ट लक्षणों द्वारा इसे आसानी से पहचाना जा सकता है. इसका रोग का कष्ट सूर्योदय से सूर्यास्त तक यानि दिन में ही अधिक हुआ करता है.
रोग का परिणाम-
नया सूजाक उचित इलाज से लगभग एक सप्ताह में ठीक हो सकता है लेकिन यदि यह रोग पुराना हो जाए तो उस व्यक्ति को गठिया रोग हो जाता है. आंख पर यदि हमला हो तो आंख नष्ट हो सकती है. महिला को यह रोग हो तो प्रसव के समय यदि सूजाक का जहर बच्चे की आंख में लग जाए तो बच्चा अंधा हो जाता है.
सूजाक के रोगी को क्या खाना चाहिए ?
हल्के, जल्दी पचने वाले और ठंडी भोजन जैसे दूध, डबल रोटी या दूध और चावल या खिरनी या दूध में पकाया हुआ जौ का दलिया, मूंग की नरम खिचड़ी, दाल और चपाती आदि एवं शीतल हरे साग- सब्जियां जैसे कद्दू, कुलफा, तुरई, टिंडा, घिया आदि का सेवन करना उत्तम होता है.
सूजाक के रोगी को क्या नहीं खाना चाहिए ?
गर्म और क्षोभक चीजें जैसे लाल मिर्च, तेल और अधिक मसाले वाले वस्तुएं, खट्टी चीजें, अचार, चटनी, मांस, अंडे, शराब, मखन, चाय, कॉफी, गुड और तिल तथा इनसे बनी हुई चीजें और सब प्रकार की मिठाई से परहेज रखना चाहिए एवं अधिक चलना- फिरना, ज्यादा परिश्रम और शारीरिक संबंध से दूरी बना कर रखना चाहिए.
![]() |
सूजाक रोग ( पेशाब में पीप आना ) होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय |
सूजाक दूर करने के घरेलू उपाय-
1 .हल्दी कई रोगों को दूर करने के साथ ही सूजाक की समस्या को दूर करने में भी काफी लाभदायक है. इसके लिए 8 ग्राम की मात्रा में हल्दी के चूर्ण को पानी के साथ प्रतिदिन सेवन करने से लाभ होता है.
2 .भुनी हुई फिटकरी और गेरू को बराबर मात्रा में लें. अब इन दोनों के बराबर चीनी लेकर पीसकर पाउडर बना लें. इसमें से 2 ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ सेवन करने से सूजाक की समस्या दूर हो जाती है.
3 .3 ग्राम अजमोद को बकरी के दूध के साथ सेवन करने से सूजाक में लाभ होता है.
4 .गेंदे के फूल को पानी में मसल कर इस पानी से सूजाक वाले हिस्से को धोने से घाव जल्दी ठीक होता है.
5 .गर्म दूध में गुड़ मिलाकर पीने से भी सूजाक में लाभ होता है. कुछ दिन ऐसा करने से यह रोग दूर हो जाता है.
6 .बेल सूजाक से राहत देने वाली महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक जड़ी- बूटी है इसके लिए बेल की जड़ कूटकर रात के समय जल में भिगोकर रख दें और सुबह पानी को छानकर शहद मिलाकर पिएं. ऐसा लगातार 8 दिन तक करने से सूजाक से ग्रसित अंग में जलन और दर्द से आराम मिल सकता है.
7 .नीम सुजाक की बीमारी से राहत देने में मददगार हो सकता है. नींद की गोंद और मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाकर लगभग दोनों को मिलाकर 1 ग्राम की मात्रा में दो-तीन सप्ताह तक सेवन करने से सूजाक से जल्दी राहत मिल जाती है.
8 .सूजाक के रोगियों के लिए गिलोय का सेवन करना काफी लाभदायक होता है. भोजन करने के बाद गिलोय सत 1 ग्राम को दो चम्मच शहद में मिलाकर सेवन करने से बैक्टीरिया नष्ट हो जाता है और पेशाब की जलन दूर हो जाती है.
9 .आंवला भी सूजाक की बीमारी से राहत देने में काफी मददगार है इसके लिए हरे आंवले का रस निकालकर उसमें पिसी हुई हल्दी आधा चम्मच और शहद मिलाकर पीने से सुजाक के बैक्टीरिया को बढ़ने से रोका जा सकता है. हरे आंवला ना मिले तो आप सूखे आंवले को भिगोकर भी रस निकाल सकते हैं.
नोट- यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है. किसी भी प्रयोग से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह जरूर लें. धन्यवाद.
0 Comments