जानिए- नपुंसकता ( नामर्दी ) होने के कारण, लक्षण और अचूक आयुर्वेदिक उपाय

कल्याण आयुर्वेद- लिंग की आंशिक या संपूर्ण दुर्बलता को ध्वज भंग या नपुंसकता कहा जाता है. इसमें लिंग की उत्तेजना तथा उत्थान शक्ति खत्म हो जाती है. जिसके कारण व्यक्ति शारीरिक संबंध बनाने में असमर्थ हो जाता है.

जानिए- नपुंसकता ( नामर्दी ) होने के कारण, लक्षण और अचूक आयुर्वेदिक उपाय

नपुंसकता होने के क्या कारण है ?

नपुंसकता होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे- अधिक हस्तमैथुन करना, ज्यादा शारीरिक संबंध बनाना, अंडकोष में चोट लगना, शरीर में चर्बी बढ़ना ( मोटापा ) शारीरिक संबंध बनाने से डरना, कोई गंभीर बीमारी जैसे- हृदय रोग, मधुमेह इत्यादि होना, अंडकोष का छोटा होना या अंडकोष के रोग आदि की वजह से उसे कटवा देना. बहुमूत्र, अग्निमान्ध, हर्निया, बहुत दिनों तक अधिक मात्रा में शराब, धूम्रपान करना, अधिक गांजा, भांग, अफीम इत्यादि का सेवन करना, हमेशा तनाव में रहना इत्यादि के कारण नपुंसकता की समस्या उत्पन्न हो जाती है.

नपुंसकता के क्या लक्षण है ?

जानिए- नपुंसकता ( नामर्दी ) होने के कारण, लक्षण और अचूक आयुर्वेदिक उपाय
नपुंसकता की समस्या होने पर शारीरिक संबंध के दौरान लिंग का उत्तेजित ना होना या थोड़ा उत्तेजित होने पर संबंध बनाते ही लिंग का ढीला हो जाना, नपुंसकता होने पर पुरुषों को शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा हर समय किया करती है लेकिन वह अपने पार्टनर के साथ संबंध बनाने में असमर्थ रहता है. वह अपने गुप्तेंद्रिये की कमजोरी के कारण महिला के पास जाते हुए भी डरने लगता है. यदि किसी प्रकार वह संबंध बनाने की हिम्मत भी करता है तो शीघ्र ही उस पुरुष का सांस फूलने लगता है. शरीर में पसीना आ जाता है और उसकी इंद्रिय में ठीक से उत्तेजना नहीं होती है. इस प्रकार वह पुरुष लज्जित होकर बड़ा दुखी हो जाता है. नपुंसक रोगी अपने रोग की चिंता में रात- दिन घूरता रहता है और शारीरिक संबंध न बना सकने के साथ- साथ ही उसके सिर में चक्कर आने लगते हैं, सिर दर्द रहता है, कलेजा धड़कता है, कब्ज बना रहता है खाया- पिया ठीक से हजम नहीं होता है और कभी-कभी तो रात का नींद भी गायब हो जाता है.

नपुंसकता को लक्षणों के आधार पर चार अवस्थाओं में विभक्त किया जा सकता है ?

पहली अवस्था- शारीरिक संबंध के समय उत्तेजना तो होना, लेकिन लिंग में भरपूर कठोरता का ना होना या शुरू में लिंग में कठोरता आना लेकिन फिर लिंग नरम या ढीला हो जाना, फल स्वरुप पूरा संबंध नहीं बना पाना. संक्षेप में स्वाभाविक स्तंभन और काम शक्ति का कम हो जाना ही नपुंसकता की पहली अवस्था मानी जाती है.

दूसरी अवस्था- शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा होने पर थोड़ी बहुत देर में लिंग का कठोर हो जाना, लेकिन कठोर होकर फिर शिथिलता आ जाना ही नपुंसकता की दूसरी अवस्था है.

तीसरी अवस्था- शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा होते हुए भी उत्तेजना का ना होना या उत्तेजना का बहुत कम होना नपुंसकता की तीसरी अवस्था मानी जाती है.

चौथी अवस्था- शारीरिक संबंध बनाने की बिल्कुल भी इच्छा नहीं होना और साथ ही लिंग में से तन्यता की पूरी- पूरी कमी होना नपुंसकता की चौथी अवस्था मानी जाती है.

नपुंसकता की ग्रसित पुरुष को क्या खाना चाहिए ?

नपुंसकता से ग्रसित पुरुष को किशमिश, बादाम, चिलगोजा, अखरोट आदि चीजें सेवन करना चाहिए. इन चीजों की आवश्यकता के अनुसार और पाचन शक्ति के अनुसार सेवन करना चाहिए. इन चीजों को आवश्यकता से अधिक मात्रा में सेवन किया जाएगा तो यह भी रोगी के लिए अपथ्य बन जाएगी और फायदे की जगह नुकसान होगा. अंगूर, आम, मीठा अनार, गाजर, केला, खुरमानी, खरबूजा, सेब, आंवला, शकरकंद, छुहारा, चिरौंजी,, नारियल पिस्ता, खजूर, मुनक्का, खरबूजे की गिरी, दूध, मक्खन, मलाई, घी, मुर्गी के अंडों की जर्दी, मछली, तीतर, बटेर, मुर्गावी, चिड़ा और बटेर का मांस, शलजम, केला, आलू, प्याज, भिंडी, मूली, साबूदाना, अदरक, चुकंदर, लौकी, परवल, बथुआ इत्यादि का सेवन करना लाभदायक होता है.

नपुंसकता से ग्रसित पुरुष को क्या नहीं खाना चाहिए ?

नपुंसकता से ग्रसित पुरुष को तंबाकू सेवन, वायु कारक, गुरु और दीर्घ पाकी पदार्थ, मूंग और मसूर की दाल, बैगन, तंदूरी रोटी, लाल मिर्च, तेल और तेल से बनी चीजें, गुड़ और गुड़ से बनी चीजें, वनस्पति घी या वनस्पति घी से बनी चीजें, तली हुई वस्तुएं और मिठाइयां आदि का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए या नहीं करना चाहिए.

कई लोगों ने मानसिक नपुंसकता भी होती है ?

कुछ लोग नपुंसक तो नहीं होते हैं लेकिन वे अपने आप को नपुंसक समझ लेते हैं. वह बहम कॉलेज के नासमझ विद्यार्थियों में अधिक पाया जाता है. उनमें वीर्य की कोई कमी नहीं होती है, उनके लिंग में विकार भी नहीं पाया जाता है, शरीर भी सब प्रकार के स्वस्थ, सबल और सक्षम होता है. लेकिन उनके मन में एक प्रकार का बहम सवार होता है कि हम शारीरिक संबंध नहीं बना सकते. इसी मानसिक कमजोरी के कारण वे कभी-कभी शारीरिक संबंध नहीं बना पाते हैं बस यही मानसिक नपुंसकता कहलाती है.

मानसिक नपुंसकता का इलाज क्या है ?

यदि सच पूछा जाए तो मैथुन करना मन के अधीन होता है. यदि कोई व्यक्ति का कामना पक्का है और चाहे तो कोई कारण नहीं कि वह शारीरिक संबंध नहीं बना सके. यह मानसिक नपुंसकता दवाइयों से नहीं बल्कि मन का बहम निकालने से ठीक हो जाती है या कोई लड़की उस लड़के की प्रशंसा करें तो भी वह ठीक हो जाता है.

शारीरिक संबंध के दौरान यदि कोई चतुर लड़की मानसिक नपुंसकता से ग्रस्त लड़के की इन शब्दों में प्रशंसा करें कि वह खूब संबंध बना लेता है. उसके शारीरिक संबंध बनाने से पूर्ण संतुष्टि प्राप्त होती है तो उस लड़के की मानसिक नपुंसकता दूर हो जाएगी और वह खूब अच्छी तरह से शारीरिक संबंध बना लेगा.

नपुंसकता ( नामर्दी ) दूर करने के अचूक आयुर्वेदिक उपाय-

जानिए- नपुंसकता ( नामर्दी ) होने के कारण, लक्षण और अचूक आयुर्वेदिक उपाय
सबसे पहले जिस कारण से नपुंसकता उत्पन्न हुई है उसे दूर करें.

यदि आप एक डॉक्टर हैं तो रोगी के मन को मजबूत करें. रोगी को आप आश्वासन दें कि आपका रोग बहुत मामूली है, कुछ भी नहीं हुआ है, कौन कहता है कि आप नामर्द हो, आप तो अच्छे खासे मर्द हो, सुंदर हो, आपको तो मामूली सी धातु दुर्बलता है जो थोड़े ही दिनों में ठीक हो जाएगी.

आप रोगी को कहें कि वह कानों को आनंद देने वाले अनेक प्रकार के सुमधुर गाने सुने. चटकीले- भड़कीले वस्त्र पहने. चाहे समझ में आए या नहीं आए अंग्रेजी फिल्म अवश्य देखें. यदि कोई लड़का या महिला गलती से उसकी तरफ देख भी लेगी तो आपके रोगी की सोती हुई नशे जागने लगेगी. वह माया मनोहर कहानियां अरुण जैसे मानसिक पत्रिका पढ़ें. इनकी प्रेम कहानियां को पढ़कर उसके शरीर में कंपन अनुभव होगा और उसकी सोई हुई काम वासना जागने लगेगी.

चिकित्सा करने से पहले रोगी का पेट साफ करने के लिए मृदु विरेचन दें और रोगी का संशोधन, स्वेदन, वमन, विरेचन और नशे आदि द्वारा शरीर का सारा विचार निकालकर शरीर को शुद्ध कर देना चाहिए.

यदि रोगी का पाचन क्रिया ठीक कर दिया जाए तो समझ लीजिए कि आधी से ज्यादा बाजी आपने मार ली है. पाचन क्रिया ठीक हो जाने से उसको खाया- पिया पचने लगेगा और नया खून उसके शरीर में दौड़ने लगेगा.

रोगी के शरीर की सभी संस्थानों की तरफ ध्यान दें. जब उसके शरीर के सभी संस्थान ठीक प्रकार से काम करने लगेंगे तभी वह पूर्ण स्वस्थ हो सकेगा. शारीरिक और पाचन शक्ति सुधर जाने के बाद रोगी को निर्विकार नाशक धातु पोस्टिक औषधियों का सेवन कराएं. हो सके तो लिंग पर लगाने के लिए कोई न कोई तेल तथा तिला आदि का प्रयोग करना चाहिए.

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