कल्याण आयुर्वेद- डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो सुनने में तो बहुत साधारण लगती है. लेकिन यदि समय पर इसका इलाज नहीं किया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकती है. आज हम इस लेख में डायबिटीज क्या है ? डायबिटीज होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपायों के बारे में बात करेंगे.
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डायबिटीज को हमेशा नियंत्रित रखेगा ये आयुर्वेदिक नुस्खा, रोग से मिल जाएगा मुक्ति |
डायबिटीज क्या है ?
डायबिटीज जिसे हिंदी में मधुमेह और साधारण भाषा में शुगर की बीमारी के नाम जानते हैं. यह तब होती है जब आपके शरीर की रक्त में शुगर की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है. यह मेटाबॉलिक बीमारियों का एक समूह होता है.
हम शरीर को स्वस्थ रखने के लिए और ऊर्जा देने के लिए भोजन करते हैं जो कि बाद में स्टार्च में बदल जाता है और फिर स्टार्च ग्लूकोज बनता है. यह ग्लूकोज हमारे शरीर की कोशिकाएं में पहुंचता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है. कोशिकाए तक पहुंचाने का काम इन्सुलिन करता है. यह हार्मोन शरीर में कम प्रोड्यूस होने के कारण ठीक से काम नहीं कर पाता है जिससे शरीर के रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है और रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने से डायबिटीज यानी मधुमेह होती है.
समय के साथ आपके रक्त में बहुत अधिक ग्लूकोज की मात्रा होने से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है. शरीर पर लगे घाव भरने में ज्यादा समय लगता है. समय के साथ यह समस्या बढ़ती ही जाती है. हालांकि डायबिटीज का अभी तक कोई सटीक इलाज नहीं है जो पूर्णता इसे ठीक कर दे. लेकिन फिर भी आप मधुमेह के प्रबंधन और स्वस्थ रहने के लिए कुछ कदम उठा सकते हैं.
डायबिटीज होने के क्या कारण होते हैं ?
डायबिटीज के बीमारी होने से खुद को बचा सकते हैं यदि आपको इसके कारणों के बारे में पता हो तो. डायबिटीज होने के कई कारण हो सकते हैं. अगर आप अपनी सेहत का ख्याल रखें और समय रहते इस बीमारी को पहचान कर डॉक्टर से संपर्क करें तो डायबिटीज पर नियंत्रण पाया जा सकता है.डायबिटीज को हमेशा नियंत्रित रखेगा ये आयुर्वेदिक नुस्खा, रोग से मिल जाएगा मुक्ति
अक्सर डायबिटीज के कारणों को लेकर हमें पूरी जानकारी नहीं होती है इसलिए हम कई गलत बातों को भी सच मान लेते हैं तो चलिए जानते हैं डायबिटीज होने के कुछ कारणों के बारे में-
1 .अनुवांशिकता-
डायबिटीज होने के कई कारणों में से एक कारण है अनुवांशिकता. रिपोर्ट कहती है कि अगर किसी व्यक्ति के माता-पिता में से किसी एक को डायबिटीज है तो उसे 40 फ़ीसदी तक डायबिटीज होने का खतरा रहता है वहीं अगर किसी व्यक्ति के माता-पिता दोनों को ही डायबिटीज है तो खतरा बढ़ कर 80 फ़ीसदी तक हो जाता है.
2 .खराब लाइफ़स्टाइल-
आजकल के बदलते जमाने में लोगों का लाइफ स्टाइल में काफी बदलाव हुआ है जिसका प्रभाव डायबिटीज पर पड़ता है. व्यस्त जिंदगी में हम लोग ना तो व्यायाम कर पाते हैं और ना ही हेल्दी खाना खा पाते हैं और ना ही शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कोई भी काम समय पर कर पाते हैं. इसके अलावा कई लोग तनाव का भी शिकार रहते हैं. इन सबका असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है अगर आप एक हेल्दी लाइफस्टाइल नही अपना रहे हैं तो डायबिटीज होने का खतरा आपको अधिक हो जाता है.
3 .मोटापा-
डायबिटीज होने के कारण मोटापा काफी हद तक जिम्मेदार होता है. अधिक वजन बढ़ने से उच्च रक्तचाप की समस्या होती है और साथ ही कोलेस्ट्रोल संतुलन में नहीं रह पाता है जिसकी वजह से आप डायबिटीज के शिकार हो सकते हैं. अगर आपको मोटापे की समस्या है तो इसे कम करने का उपाय आपको करना चाहिए. साथ ही एक उम्र के बाद नियमित डायबिटीज की जांच कराते रहना चाहिए. खासकर 35 साल की उम्र की बाद.
4 .ज्यादा मीठा खाना-
ज्यादा मीठा खाना डायबिटीज के लिए जिम्मेदार है क्योंकि ज्यादा मीठा खाने से शरीर ग्लूकोज का लेवल बढ़ सकता है जो डायबिटीज का एक बड़ा कारण है. इसलिए ज्यादा चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक और चीनी का सेवन से बचें और अगर आपके माता-पिता को डायबिटीज था या है तो आपको इस बात का सबसे अधिक ख्याल रखना चाहिए.
5 .गर्भावस्था-
गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज होने का खतरा काफी अधिक हो जाता है क्योंकि अक्सर महिलाएं अपनी गर्भावस्था के दौरान कई दवाओं का सेवन करती है. लेकिन बता दें कि इस दौरान ज्यादा दवाइयां खाना आपके लिए खतरनाक हो सकता है. इसके कारण आपको डायबिटीज की समस्या हो सकती है. गर्भावस्था में हमेशा दवाइयों का सेवन करने से अधिक खानपान पर ध्यान देना चाहिए. अगर आपको उचित मात्रा में पौष्टिक आहार मिलेगा तो दवाओं की जरूरत नहीं पड़ेगी.
6 .तंबाकू या धूम्रपान की लत-
तंबाकू या धूम्रपान की लत के कारण शरीर में कई सारी बीमारियां हो जाती है, जिनमें से एक डायबिटीज शामिल है. तंबाकू में पाए जाने वाला ग्लूकोज शरीर की पाचन तंत्र पर प्रभाव डालता है. जिससे डायबिटीज का खतरा अधिक हो जाता है. इसके अलावा स्मोकिंग के दौरान निकलने वाले आर्सेनिक, फार्मलाडिहाइड और अमोनिया शामिल होते हैं जो डायबिटीज के खतरे को बढ़ा देते हैं.
अगर इनमें से किसी कारण की वजह से डायबिटीज हो जाती है तो जरूरी है कि आप सही समय पर इसे पहचान कर इसका इलाज करवा लें.
एक रिसर्च के अनुसार सिर्फ 52% लोगों को ही अपनी डायबिटीज के बारे में जानकारी हो पाती है. जिसके वजह से वह अपना इलाज नहीं करा पाते हैं ऐसे में डायबिटीज के लक्षण की जानकारी होना बेहद आवश्यक है.
डायबिटीज के लक्षण क्या है ?
अगर आपको पता है कि आपको डायबिटीज है या नहीं तो आप इन बातों से पता लगा सकते हैं कि आपको यह समस्या है या नहीं. कुछ लक्षण नीचे दिए जा रहे हैं जो आपको डायबिटीज से बचने में मदद करेगा. यदि आप लक्षणों को पहचान कर समय पर इलाज करवाते हैं.
1 .बार- बार पेशाब जाना-
डायबिटीज की समस्या होने पर व्यक्ति को बार- बार पेशाब आता है. दरअसल, इस प्रक्रिया से शरीर में मौजूद ज्यादा ग्लूकोज शरीर से बाहर निकलती है. यदि आपको बार- बार पेशाब जाने की समस्या है तो आपको शुगर लेवल चेकअप कराना चाहिए.
2 .थकान महसूस होना-
यदि आपको भरपूर नींद यानी 8 घंटे नींद लेने के बाद भी थकान महसूस होती है तो इससे आपको सामान्य नहीं समझना चाहिए क्योंकि आपको डायबिटीज हो सकता है. डायबिटिक शरीर में कार्बोहाइड्रेट सही तरह से ब्रेक नहीं हो पाता है इसलिए शरीर को एनर्जी नहीं मिल पाती है जो कि थकान का कारण बनती है. अगर आपको ऐसा कुछ लक्षण दिखे तो आपको शुगर लेवल की जांच करानी चाहिए. आपको डायबिटीज की समस्या हो सकती है.
3 .अधिक भूख लगना-
यदि आपको सामान्य से अधिक भूख लग रही है तो आपको शुगर लेवल जांच करानी चाहिए. दरअसल, डायबिटीज के कारण शरीर में इंसुलिन नहीं बन पाता है. हमारी कोशिकाएं शरीर में मौजूद शुगर को अब्सोर्ब नहीं कर पाती है यही कारण होता है कि हमें बार- बार भूख लगती है.
4 .वजन कम होना-
यदि आपके शरीर में कोई बीमारी नहीं है फिर भी आपका वजन कम हो रहा है तो यह डायबिटीज का लक्षण हो सकता है. ऐसा होने पर आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए और वजन घटने की वजह का पता लगाना चाहिए.
5 .आंखों की रोशनी कम होना-
डायबिटीज का असर हमारी आंखों पर भी पड़ता है इसलिए आंखों से धुंधलापन दिखाई देने लगता है. अगर ऐसा आपको भी महसूस होता है तो आपको शुगर लेवल की जांच करानी चाहिए.
6 .घाव का जल्दी नहीं भरना-
सामान्य तौर पर हम देखते हैं कि शरीर में कहीं भी चोट लगने पर घाव जल्दी भर जाता है लेकिन यदि रक्त में ग्लूकोज का लेबल अधिक हो तो घाव जल्दी नहीं भरता है क्योंकि शरीर में शुगर का लेवल बढ़ जाता है तो बैक्टीरिया इन्फेक्शन हो जाता है. इसके अलावा डायबिटीज के कारण शरीर में खून का संचार धीमा हो जाता है. जिसके घाव भरने में देर लगता है अगर आपके साथ भी ऐसी समस्या है तो आपको शुगर लेवल की जांच करानी चाहिए.
7 .प्यास अधिक लगना-
अधिक प्यास लगना डायबिटीज के लक्षणों में शामिल है क्योंकि बार-बार पेशाब आने के कारण शरीर में पानी की कमी होने लगती है. जिससे हम बार-बार प्यास महसूस करते हैं. ज्यादा प्यास लगना डायबिटीज टाइप- 2 के लक्षण है.
डायबिटीज का आयुर्वेदिक इलाज-
1 .वसंत कुसुमाकर रस एक- एक गोली सुबह- शाम दूध के साथ सेवन करें.डायबिटीज को हमेशा नियंत्रित रखेगा ये आयुर्वेदिक नुस्खा, रोग से मिल जाएगा मुक्ति
2 .चंद्रप्रभा वटी दो-दो गोली सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करें.
3 .गुड़मार की पत्ती, जामुन की गुठली, आम की गुठली, मेथी, बेल का पत्ता, नीम का पत्ता, तुलसी का पत्ता सभी को बराबर मात्रा में लेकर पहले मेथी को लाल होने तक भून लें, इसके बाद सभी को पीसकर पाउडर बनाकर सुरक्षित रख लें. अब इसमें से आधा चम्मच की मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करें.
4 .सुबह खाली पेट आधा गिलास यानि लगभग डेढ़ सौ मिलीलीटर करेले का जूस पिए.
उपर्युक्त चिकित्सा का नियमित उपयोग किया जाए तो बढ़ा हुआ शुगर लेवल नियंत्रित हो जाता है और यदि इसका उपयोग लंबे समय तक किया जाए तो डायबिटीज की समस्या से छुटकारा मिल सकती है. साथ ही डायबिटीज में परहेज रखना आवश्यक होता है. इसलिए परहेज करते हुए उपर्युक्त चिकित्सा करना डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी लाभदायक सिद्ध हो सकता है.
डायबिटीज का घरेलू उपाय-
1 .नीम के पत्ते-
नीम के कोमल पत्तों को चबाने या रस पीने रक्त में बढ़े हुए ग्लूकोस लेवल को नियंत्रित करने में मदद मिलती है. नीम में एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल गुण मौजूद होते हैं इसके अलावे नींद में anti-diabetic गुण भी पाए जाते हैं. यह सभी तत्व डायबिटीज को नियंत्रित करने में मददगार होते हैं.
2 .अंजीर के पत्ते-
अंजीर के पत्तों को खाली पेट चबाने या पानी में उबालकर पीने से रक्त में बढ़े हुए ग्लूकोस लेवल नियंत्रित रहता है. अंजीर के पत्तों में मधुमेह विरोधी गुण होती हैं. जिससे ब्लड शुगर का लेवल कम करने में मदद मिलती है.
3 .दालचीनी-
डायबिटीज के मरीजों के लिए दालचीनी काफी असरदार औषधि मानी जाती है क्योंकि इसमें बायो एक्टिव यौगिक मौजूद होते हैं जो मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं. दालचीनी इंसुलिन की गतिविधि को उत्तेजित कर रक्त शर्करा के स्तर को भी नियंत्रित करती है. इसके लिए आधा चम्मच पिसी हुई दाल चीनी गर्म पानी के साथ मिलाकर दिन में एक बार सेवन करना चाहिए.
4 .करेला का सेवन-
डायबिटीज के रोगियों के लिए करेला का सेवन करना काफी लाभदायक माना जाता है. करेला शरीर में ग्लूकोस मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने के साथ ही ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मददगार हो सकता है.
5 .आंवला-
आंवला डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है. आंवला में हाइपोग्लाइसेमिक गुण होते हैं. आंवला खाकर 30 मिनट में ब्लड शुगर लेवल कम किया जा सकता है इसलिए आप आंवला पाउडर का इस्तेमाल कर सकते हैं.
6 .आम के पत्ते-
आम के पत्तों का इस्तेमाल डायबिटीज के इलाज के लिए किया जा सकता है. यह रक्त में इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करता है. इसके लिए 10 से 15 पतियों को रात भर एक गिलास पानी में भिगोकर रखें और सुबह इसे पीसकर रस निचोड़ कर खाली पेट पीना चाहिए.
डायबिटीज से बचने के उपाय-
अब आप डायबिटीज के बारे में बहुत कुछ जान चुके हैं. अब आपको इससे कैसे बचा जाए उसके बारे में बताने की कोशिश करेंगे.
1 .सही खानपान-
डायबिटीज के मरीजों को अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए. इसलिए डॉक्टर डायबिटीज के लिए एक विशेष आहार चार्ट बनाते हैं और उसी के अनुरूप खानपान की सलाह देते हैं. खाने में हरी पत्तेदार सब्जियां, टमाटर, गाजर, संतरा, केला व अंगूर खा सकते हैं. इसके अलावा मछली, अंडा और दही का भी सेवन करना लाभदायक होता है.
2 .नियमित व्यायाम-
आप अपनी जीवनशैली में बदलाव करें और नियमित व्यायाम की आदत डालें. शारीरिक श्रम करना डायबिटीज होने से बचाव करने में मददगार होता है यदि आप कोई शारीरिक श्रम नहीं करते हैं तो दिन में कम से कम 3 से 4 किलोमीटर तक पैदल जरूर चलें या फिर व्यायाम या योगा करें.
3 .मीठा कम खाएं-
हमेशा कम कैलोरी वाला खाना खाए, भोजन में मीठा बिल्कुल भी शामिल ना करें या फिर कम मीठा खाएं. हरी सब्जियाँ, ताजे फल, साबुत अनाज इत्यादि को अपने भोजन में शामिल करें. इसके अलावा आपको फाइबर का भी सेवन करना चाहिए.
4 .ज्यादा ना खाए-
कई लोग ऐसा सोचते हैं कि एक बार में ज्यादा खाना खा लेंगे तो दिन भर नहीं खाएंगे तो भी काम चल जाएगा लेकिन व्यक्ति को ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए. कभी भी एक बार में ज्यादा खाना ना खाएं. दिन में सुबह शाम और दोपहर दो-तीन समय खाने के बजाये उतने ही खाने को 5-6 बार में खाएं.
5 .धूम्रपान और शराब से बनाएं दूरी-
धूम्रपान और शराब का सेवन बिल्कुल बंद कर दें या कम कर दें. नशा किसी भी तरह से आपके शरीर के लिए लाभदायक नहीं होता है इसलिए इससे दूर रहना ही अच्छा है.
6 .पर्याप्त नींद लें-
अपने ऑफिस के काम की ज्यादा टेंशन नहीं लें और रात को पर्याप्त नींद लें. कम नींद सेहत के लिए ठीक नहीं होती है. तनाव को कम करने के लिए आप ध्यान लगाएं या संगीत सुनें.
7 .नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच करावें-
नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य की जांच कराते रहे. और शुगर लेवल को हो सके तो प्रतिदिन मॉनिटर करें ताकि शुगर लेवल कभी भी नॉर्मल लेवल ज्यादा नहीं हो.
नोट- यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है. किसी भी प्रयोग से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह जरूर लें. धन्यवाद.
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