वृक्क ( किडनी ) की पथरी को मोम की तरह गलाकर निकाल देगा ये आयुर्वेदिक नुस्खा

कल्याण आयुर्वेद- पथरी की बीमारी आजकल एक आम समस्या बनती जा रही है. खासकर वृक्क ( kidney ) में पथरी होना. आजकल के लाइफ स्टाइल में अनियमित खान-पान के कारण पथरी की समस्या होना लाजमी है. ज्यादातर पथरी की समस्या 20 से 30 साल के आयु वर्ग के लोगों को होती है. पथरी में पानी या अन्य पदार्थों में पाए जाने वाले विभिन्न खनिजों के कारण छोटे- छोटे पत्थर जमा हो जाते हैं. यह पत्थर 1mm से लेकर 8mm और इससे भी ज्यादा बड़े हो सकते हैं. यह पत्थर मूत्र मार्ग में अटक जाते हैं और अवरोध उत्पन्न करते हैं जिससे बहुत ज्यादा असहनीय दर्द होता है. आज इस लेख में वृक्क में पथरी होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपाय के बारे में बताएंगे.

वृक्क ( किडनी ) की पथरी को मोम की तरह गलाकर निकाल देगा ये आयुर्वेदिक नुस्खा 

चलिए जानते हैं विस्तार से-

आयुर्वेद के अनुसार उष्ण, तीक्ष्ण, नमकीन और कफकारी पदार्थ खाने, वीर्य या पेशाब का वेग रोकने से भी पथरी होती है. खून में क्षार और नमक का अंश बढ़ जाता है और व्रण या वस्ति में इकट्ठा हो जाता है तथा पीत सहित कफ को वायु सुखा देती है तो शर्करा, अश्मरी या पथरी हो जाती है. वीर्य को रोकने से भी पथरी होती है यह केवल पुरुषों को ही होती है.

पथरी वात, पीत  और कफ तीनों दोषों से होती है. शर्करा प्रायः वृक्क में होती है. पथरी वृक्क या वस्ति दोनों में हो सकती है, एक वृक्क में पथरी होती है तो एक ही वृक्क में दर्द होता है. अगर दोनों वृक्क में पथरी हो तो दोनों कुक्षियों में दर्द होगी. वस्ति में पथरी होगी तो पेडू में पीड़ा होगा. पथरी वृक्कद्वार या वाहिनी अर्थात वृक्क से मूत्र ले जाने वाली नली में अटक जाती है तो काफी दर्द होता है. दर्द पेडू और पीठ में फ़ैल जाती है. हाथ- पांव में ऐठन होती है. उल्टी होने लगती है. पेशाब थोड़ा- थोड़ा रुक- रुककर आता है. पेशाब की धार टूट जाती है. पेशाब का रंग लाल होता है. पेशाब में बकरे की तरह गंध होती है. मूत्राशय में आनाह हो. मल और वायु का अवरोध हो. जब पथरी के कारण मूत्र मार्ग में घाव हो जाता है तो पेशाब के साथ खून भी आता है. पेशाब में पीप भी पाया जाता है. जब पथरी मूत्र मार्ग से हट जाती है या निकल जाती है तो दर्द शांत हो जाता है और पेशाब भी सुख पूर्वक होता है.

यदि पथरी पीर से मूत्र मार्ग को रोक देती है तो दर्द होने लगता है. इस प्रकार जब तक पथरी समूल नष्ट नहीं होती तब तक 10-15 दिनों में बार-बार रोग का आक्रमण होता रहता है. पेशाब का अधिक समय तक बंद रहना मृत्यु का कारण बन सकता है.

दर्द अगर अधिक हो तो मूर्छा, स्वेद, ऐंठन, शरीर ठंडा होना इत्यादि हो जाते हैं. पथरी रेत ( बालू ) जैसी सूक्ष्म भी होती है. उसे शर्करा कहते हैं तथा बड़ी भी होती है और लाल, पीली, सफेद, काली, चिकनी, नरम या खुरदरी भी होती है. एक वृक्क में एक से अधिक पथरिया भी कभी-कभी हो जाती है. इससे वृक्क कार्य हानि यानी किडनी फेल्योर भी हो सकता है.

वृक्क में पथरी होने के सामान्य लक्षण-

वृक्क ( किडनी ) की पथरी को मोम की तरह गलाकर निकाल देगा ये आयुर्वेदिक नुस्खा 
सामान्यता छोटी पथरी बिना किसी दर्द के अपने आप ही पेशाब में निकल जाते हैं. लेकिन जब यह एक जगह जमा होने लगते हैं तो कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न करने लगती हैं.

पथरी में पीठ के एक तरफ और पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द होता है.

पथरी से पीड़ित को पेशाब करते समय भी दर्द उत्पन्न हो सकता है.

पेशाब के दौरान मूत्र के साथ खून आना पथरी की समस्या के लक्षण हो सकते हैं.

पथरी में मूत्र में से असामान्य गंध आती है.

रुक रुक कर पेशाब आना या बार बार पेशाब आना किडनी में पथरी के लक्षण हो सकते हैं.

पथरी के कारण पेशाब में उपस्थित रक्त से मूत्र का रंग भूरा, गुलाबी या लाल हो सकता है.

पथरी होने के कारण उल्टी और दस्त भी हो सकते हैं. अधिक उल्टी और दस्त के कारण थकान और बेचैनी महसूस हो सकती है.

वृक्क के पथरी को ख़त्म करने के आयुर्वेदिक नुस्खे-

वृक्क ( किडनी ) की पथरी को मोम की तरह गलाकर निकाल देगा ये आयुर्वेदिक नुस्खा 
1 .शंख भस्म और हजरत यहूद भस्म को बराबर मात्रा में लेकर पानी की मदद से 4- 4 रति की गोली बनाकर सुरक्षित रख लें अब इसमें से 2 गोली और चंद्रप्रभा वटी 2 गोली सुबह, दोपहर और शाम पानी या सोडे के साथ सेवन करें. इसके नियमित सेवन करने से कुछ ही दिनों में वृक्क की पथरी गलकर निकल जाती है.

 2 .लिंग विरेचन चूर्ण 1 ग्राम, लवणभास्कर चूर्ण 1 ग्राम, सज्जीक्षार 1/2 ग्राम, यवाक्षार 1/2 ग्राम और गोखरू गुग्गुल 2 गोली ऐसी एक मात्रा सुबह, दोपहर और शाम गोखरू हिम में न्रिसार डालकर उसके साथ सेवन करें.

3 .अगर उल्टी हो रही हो तो आलूबुखारा या वर्फ चुसना चाहिए या टाटरी 1 ग्राम 20 ml पानी में मिलकर थोडा- थोडा पीना चाहिए.

4 .पेडू के ऊपर कलमी शोरे का लेप लगावें. कटि स्नान, निरुह वस्ति,विरेचन देना भी लाभदायक है.

5 .गोखरू का चूर्ण 2 ग्राम एक चम्मच शहद में मिलाकर बकरी के दूध के साथ सेवन करने से वृक्क की पथरी टूटकर निकल जाती है.

6 .अगर दर्द अधिक हो तो अहिफेन युक्त गोलियां या जातिफलादि चूर्ण पानी के साथ सेवन कराएं.

7 .यवाक्षार चन्दन के शर्बत के साथ सेवन करने से लाभ होता है.

8 .कलमी शोरा 1 ग्राम की मात्रा में शर्बत या पानी के साथ सेवन करने से पथरी टूटकर निकल जाती है.

9 .टमाटर, पालक, आलू और बेसन से बने समान का सेवन न करे.

10 .नारियल पानी, जौ का पानी, तरबूज, ककड़ी, खीरा का सेवन करना लाभदायक होता है.

11 .दिन भर में 8 से 10 गिलास पानी पीना चाहिए. ऐसा करने से पथरी की समस्या से जल्दी राहत मिलता है.

नोट- उपर्युक्त चिकित्सा चिकित्सक की देखरेख में 2- 3 महीने सेवन करने से वृक्क की पथरी निकल जाती है. लेकिन कभी- कभी पथरी अटक जाती है तो काफी दर्द होने लगता है ऐसी स्थिति में ऑपरेशन करा लेना चाहिए. ऑपरेशन के बाद भी दुबारा पथरी हो सकती है इसलिए ऑपरेशन के बाद चंद्रप्रभा वटी और गोखरू गुग्गुल 2-3 महीने सेवन कर लेने से दुबारा पथरी नही होता है.

स्रोत- आयुर्वेद  ज्ञान गंगा पुस्तक.

Post a Comment

0 Comments