अगर आपके आस-पास भी है गूलर का पेड़ तो बहुत भाग्यशाली है आप, घर बैठे कई जटिल बिमारियों को ख़त्म कर सकते हैं ? जानें विस्तार से

कल्याण आयुर्वेद- कहावत है कि जिसने गूलर का फूल देख लिया, उसका भाग्य चमक जाता है. यह भी कहा जाता है कि गूलर का सेवन करने वाला वृद्ध भी युवा हो जाता है. आपने भी गूलर के फायदे से जुड़ी ऐसी कई कहानियां सुनी होंगी, लेकिन सच क्या है, शायद यह नहीं जानते होंगे. अगर आप गूलर से होने वाले फायदों के बारे में नहीं जानते हैं तो यह लेख आपके लिए है, क्योंकि गूलर का पेड़ या गूलर का फल कोई साधारण पेड़ या फल नहीं है, बल्कि यह एक बहुत ही उत्तम जड़ी-बूटी भी है.

अगर आपके आस-पास भी है गूलर का पेड़ तो बहुत भाग्यशाली है आप, घर बैठे कई जटिल बिमारियों को ख़त्म कर सकते हैं ? जानें विस्तार से
आयुर्वेद के अनुसार, रक्तस्राव रोकने, मूत्र रोग, डायबिटीज तथा शरीर की जलन में गूलर की छाल एवं कच्चे फल उपयोगी होते हैं. गूलर की छाल एवं पत्ते से सूजन की समस्या और दर्द दूर होता है. यह पुराने से पुराने घाव को भी ठीक करता है. इस तरह की कई बीमारियों में आप गूलर के फायदे ले सकते हैं. आइए जानते हैं कि गूलर से और क्या-क्या लाभ मिलता है.

गूलर का पेड़ खेतों और जंगलों में पाए जाते हैं. दोनों स्थानों में 2000 मीटर की ऊंचाई तक गूलर के पेड़ मिलते हैं. जंगलों एवं नदी-नालों के किनारे इसके पेड़ अधिक पाए जाते हैं.

    गूलर के उपयोगी भाग 

    • पत्ते 
    • छाल
    • फल 
    • गूलर का फूल 
    • तना
    • जड़
    • जड़ की छाल
    • दूध
  • आयुर्वेदिक ग्रंथों में गूलर का पेड़ हेमदुग्धक, जन्तुफल, सदाफल उदुम्बर, जन्तुफल, यज्ञांग, , श्वेतवल्कल, सदाफल, अपुष्प, काकोदुम्बरिका, शाखाफल, मशकी, आदि नामों से प्रसिद्ध है. इसके तने या डाल आदि में किसी भी स्थान पर चीरा लगाने से सफेद दूध निकलता है. दूध को थोड़ी देर रखने पर पीला हो जाता है, इसलिए इसे हेमदुग्धक कहा जाता है.  गूलर के फलों में ढेर सारे कीड़े होने के कारण इसे जन्तुफल कहा जाता है. बारह महीने फल देने के कारण इसे सदाफल कहते हैं.
  • अगर आपके आस-पास भी है गूलर का पेड़ तो बहुत भाग्यशाली है आप, घर बैठे कई जटिल बिमारियों को ख़त्म कर सकते हैं ? जानें विस्तार से
    गूलर का पेड़ विशाल और घना होता है. इसकी ऊंचाई लगभग 10 से 15 मीटर तक हो सकती है. इसके फल अंजीर के समान दिखाई देते हैं. कच्चे होने पर हल्के हरे रंग के और पकने पर लाल हो जाते हैं. पके हुए फल चमकदार होते है. फलों को काटने पर उसमें कीड़े पाए जाते हैं.
  • अब आपको बताते हैं गुलर के फायदे और उपयोग के बारे में-
  • गूलर के दूध की 10-20 बूंदों को पानी में मिलाकर पिलाने से रक्तार्श (खूनी बवासीर) और रक्त विकारों में लाभ होता है.
  • गूलर के दूध को मस्सों पर लेप करें. उपचार के दौरान घी का अधिक सेवन करें.
  • गूलर के दूध में रूई का फाहा भिगोकर भगन्दर के अंदर रखें. इसे प्रतिदिन बदलते रहने से भगन्दर अच्छा हो जाता है.
  • गूलर की छाल से बने 250 मिली काढ़ा में 3 ग्राम कत्था व 1 ग्राम फिटकरी मिला लें. इससे कुल्ला करने से मुंह के लगभग सभी रोगों में लाभ होता है।
  • गूलर के पत्तों  के ऊपर के दानों को मिश्री के साथ पीस लें. इसका सेवन करने से गर्मी के कारण होने वाले मुँह के छाले ठीक हो जाते हैं.
  • 4-5 बूंद गूलर के दूध को बताशे में डाल लें.  इसे दिन में तीन बार सेवन करने से दस्त में लाभ होता है.
  • गूलर की जड़ के चूर्ण को गूलर फल के साथ सेवन करें. इससे भी दस्त और पेचिश ठीक होता है.
  • 3 ग्राम गूलर पत्तों का चूर्ण, 2 काली मिर्च लें. थोड़े चावल के धुले हुए पानी से इसे महीन पीस लें अब इसमें काला नमक और छाछ मिलाकर छान लें. इसे सुबह और शाम सेवन करने से पेचिश में लाभ होता है.
    • रोज सुबह गूलर के 2-2 पके फल का सेवन करने से पेशाब की समस्या ठीक होती है और पेशाब खुल कर आने लगता है.
    • 4-5 बूंद गूलर दूध को बताशे में डाल लें. इसे दिन में तीन बार सेवन करने से मूत्र संबंधी विकारों में लाभ होता है.

    गूलर के फलों के सूखे छिल्कों को महीन पीस लें. इसमें बराबर भाग में मिश्री मिला लें. इसे 6-6 ग्राम सुबह-शाम गाय के दूध के साथ सेवन करने से डायबिटीज में लाभ होता है.

    • 5-10 ग्राम गूलर के रस को मिश्री के साथ मिलाकर सुबह शाम पिएं. इससे सफेद पानी या ल्यूकोरिया (स्त्रियों की योनी से सफेद पानी निकलना) में लाभ होता है.
    • 5-10 ग्राम गूलर के रस को मधु मिलाकर पीने से मासिक धर्म विकार ठीक होता है.
    • 10-15 ग्राम ताजी छाल को कूटकर, 250 मिली पानी में पकाएं. जब पानी थोड़ा रह जाए तो छान कर अपनी इच्छा के अनुसार मिश्री व डेढ़ ग्राम सफेद जीरे का चूर्ण मिला लें. इसे सुबह-शाम पिलाएं. भोजन में इसके कच्चे फलों का रायता बनाकर खिलाएं. इस प्रयोग से मासिक धर्म विकार में लाभ होता है.
    • गूलर में कठिन से कठिन घाव को ठीक करने की क्षमता होती है. गूलर के दूध में रूई का फाहा भिगोकर नासूर यानी पुराने घावों पर रखें. इससे घाव ठीक हो जाता है.
    • घाव पर गूलर की छाल बाँधने और कैंसर की गाँठ पर गूलर के पत्तों को घिसने से लाभ होता है.
    • गूलर के कच्चे फलों के महीन चूर्ण में बराबर भाग गुड़ मिलायें. इस चूर्ण को 2 से 6 ग्राम (या 10 ग्राम) की मात्रा में, कच्चे दूध या मिश्री मिली हुई लस्सी के साथ सेवन करें. इससे शुरुआती अवस्था में सुजाक वाले घाव में विशेष लाभ होता है.
    • गूलर के फल के काढ़ा में 3 ग्राम कत्था व 1 ग्राम कपूर मिला लें. इस गुनगुने काढ़ा से पुरुष के लिंग को धोएं. इससे जख्म के अंदर का मवाद आना बंद हो जाता है.
    • गूलर के दूध में बावची के बीज भिगो लें. इसे पीसकर 1-2 चम्मच की मात्रा में नियमित लेप करें. इससे सभी प्रकार की फुंसियाँ और घाव ठीक हो जाते हैं।
    • गूलर की छाल को गौमूत्र से पीसकर घी में भून लें. नासूर पर इसका लेप करने से लाभ होता है.
    • गूलर के दूध को घाव पर लगाने से घाव जल्दी ठीक होता है.
    • गूलर की छाल का काढ़ा बनाकर घाव को धोने से घाव जल्दी ठीक हो जाता है.
    • गूलर की छाल की राख को घी के साथ मिलाकर लगाने से बिवाइयां, मुँहासे, बलतोड़ तथा डायबिटीज के कारण हुई फुंसियां ठीक होती हैं.

    गूलर के दूध में केवाच की जड़ के चूर्ण को भिगोकर सुखा लें. इसमें केवाच की जड़ के बराबर भाग जिंगनि रस तथा हींग मिला लें. इसे 1-2 बूंद नाक में डालने से कंधे के दर्द में लाभ होता है.

    • शरीर के किसी अंग से खून बहता हो, और सूजन हो तो ऐसे रोगों के लिए गूलर एक उत्तम औषधि है. नाक से खून बहना, पेशाब के साथ खून आना, मासिक धर्म में रक्तस्राव अधिक होना और गर्भपात आदि रोगों में गूलर का इस्तेमाल लाभदायक होता है. इसके 2-3 पके फलों को चीनी या खांड़ के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से तुरन्त आराम मिलता है.
    • गूलर के सूखे कच्चे फलों के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिला लें. इसे 5 से 10 ग्राम तक की मात्रा में ताजे पानी के साथ सुबह-शाम 21 दिन तक सेवन करें. इससे मासिक धर्म विकार, रक्तस्राव, गर्भपात, खूनी पेचिश में लाभ होता है.
    • गूलर के 5 ग्राम सूखे हरे फलों के चूर्ण को पानी में पीस लें. इसे मिश्री के साथ सेवन करने से भी खून की गर्मी में लाभ होता है.
    • 5 मिली गूलर के पत्तों के रस में शहद मिलाकर पिलाने से खून की गर्मी तथा खूनी पेचिश में लाभ होता है.
    • कमलगट्टे और गूलर के फलों के 5 ग्राम चूर्ण को दूध के साथ दिन में तीन बार देने से उलटी के साथ खून का आना बन्द हो जाता है.
    • 20-30 ग्राम गूलर की छाल को पानी में पीसकर तालु पर लगाने से नकसीर (नाक से खून आना) बंद हो जाता है.
    • 5 मिली गूलर पत्तों के रस में बराबर भाग मिश्री मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें. कुछ समय तक सेवन करने से उलटी में खून आना बंद होगा।
    • गूलर गर्भ को स्थिर करने में काफी प्रभावी है. 30 ग्राम गूलर की जड़ को कूटकर, या सूखी हुई जड़ के छिलके का काढ़ा बनाकर नियमित रूप से तीन महीने तक सुबह और शाम पिलाने से गर्भपात नहीं होता है.
    • गर्भपात न होने के लिए गूलर की कोंपलों को दूध के साथ सेवन करना चाहिए.
    • गूलर की ताजी जड़ के 5-10 मिली रस में, या जड़ की छाल के 20-30 मिली रस को 10 गुना पानी में भिगो लें. इसे तीन घंटे बाद छानकर चीनी में मिला लें. इसे सुबह और शाम पीने से बुखार में लगने वाली प्यास की परेशानी में लाभ होता है.
    • 1 ग्राम गूलर की गोंद तथा 3 ग्राम चीनी को मिलाकर सेवन करने से पित्त दोष के कारण होने वाला बुखार और जलन ठीक होती हैं.

    एक रिसर्च के अनुसार गूलर में एंटी ऑक्सीडेंट एवं न्यूरो प्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं जिसकी वजह से यह स्ट्रोक से लड़ने में भी मदद करता है.

    एक रिसर्च के अनुसार गूलर के फल से निकलने वाले निर्यास में एंटी कैंसरकारी गुण पाए जाते हैं जो कि कैंसर के लक्षणों को रोकने में मदद करते हैं. 

    गूलर में पाए जाने वाले शीत गुण के कारण यह अल्सर जैसी परेशानी में भी लाभ पहुंचाता है. शीत होने के कारण यह अल्सर के स्थान पर ठंडक प्रदान कर घाव को जल्दी ठीक होने में मदद करता है.

    गूलर के अपक्व फल में दीपन गुण होने के कारण यह सुपाच्य होता है. साथ ही इसका पका हुआ फल पचने में गुरु होने के कारण भूख को नियंत्रित रखने में मदद करता है. 

    निमोनिया होने का एक कारण कफ दोष का अनियमित रूप से काम करना होता है। गूलर में कफ शामक गुण पाए जाने के कारण यह निमोनिया जैसी स्थिति में भी लाभदायक होता है। 

    एक रिसर्च के अनुसार गूलर में कुछ ऐसे गुण भी पाए जाते हैं जो कि पुरुषों में सेक्सुअल पावर को बढ़ाने में मदद करती है.

    • गूलर का फल काफी पौष्टिक होता है। गूलर के सूखे फल के चूर्ण का (10-20 ग्राम) सेवन करने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है।
    • गूलर फल के चूर्ण तथा विदारीकन्द चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर 4-6 ग्राम मात्रा में मिश्री और घी मिले हुए दूध के साथ सुबह और शाम सेवन करने से यौन शक्ति बढ़ती है. इस उपाय को यदि महिलाएं करें तो समस्त स्त्री रोग दूर होते हैं और शरीर स्वस्थ रहता है. कहा जाता है कि इस प्रयोग को करने से बूढ़ा व्यक्ति भी जवान हो जाता है.

    गूलर के पत्तों पर जो फफोले या श्यामे रंग के दाने होते हैं, उन्हें पत्तों से निकालकर गाय के दूध में पीस-छान लें. इसमें मधु मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से चेचक में लाभ होता है.

     गूलर का इस्तेमाल कैसे करें?

    आप गूलर का उपयोग इस तरह कर सकते हैंः-

    • चूर्ण – 3-5 ग्राम
    • दूध – 4-5 बूंद

    यहां गूलर से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों में बताया गया है ताकि आप गूलर से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन औषधि के रूप में गूलर का प्रयोग करने के लिए चिकित्सक की सलाह जरूर लें. 

     गूलर से नुकसान-

    गूलर के इस्तेमाल से ये नुकसान भी हो सकते हैंः-

    • गूलर का अधिक मात्रा में सेवन करने से बुखार हो सकता है.
    • पके हुए फलों को अधिक मात्रा में नहीं खाना चाहिए, क्‍योंकि इससे आंतों में कीड़ों हो जाते हैं.
    • गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन करने से पहले अपने डॉक्‍टर से संपर्क करना चाहिए.


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